क्रिकेटर पोते बुमराह से मिलने अहमदाबाद गये दादा का साबरमती नदी में मिला शव

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टीम इंडिया के क्रिकेटर जसप्रीत बुमराह के दादा संतोख सिंह बुमराह की लाश गुजरात की साबरमती नदी से बरामद की गर्इ है। 84 साल के संतोख सिंह बुमराह अपने पोते से मिलने के लिए अहमदाबाद निकले थे। इसके बाद से वो लापता चल रहे थे। जिससे परेशान उनके परिजनों ने शुक्रवार को उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई।

आपको बतादें कि भारतीय क्रिकेट टीम में तेज़ गेंदबाज़ी में फलक पर चमकने वाले जसप्रीत बुमराह को कौन नहीं जानता। हर फोरमेट में अपनी तेज गेंदबाजी से बल्लेबाज को क्लीन बोल्ड करने वाले जसप्रीत बुमराह के परिवार की हकीकत सुनकर आप भी रह जाएंगे दंग। वक्त की मार से परिवार किस मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है ये देख कर आप भी कहने को हो जाएंगे मजबूर की वक्त जब बदलता है तो राजा भी रंक बन जाता है।

यहां रहते थे बुमराह के दादा:

जसप्रीत बुमराह के दादा संतोख सिंह उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के छोटे से कस्बे किच्छा में आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे। किराये के टूटे फूटे कमरे में रह कर वो टैम्पू चलवाकर कर अपनी और अपने छोटे अपाहिज बेटे के साथ आजीविका चला रहे थे।

कभी गुजरात के अहमदाबाद मे बटवा इंडस्ट्रियल स्टेट में संतोख सिंह बुमराह का जलवा हुआ करता था। वो लग्ज़री कारो और प्लेन में सफर किया करते थे। अहमादाबाद में उनकी जेके इण्डस्ट्रीज़, जेके मशीनरी इकोमेंट प्राइवेट लिमिटेड और जेके इकोमेंट नामक फैक्ट्रियां थीं। इसके अल्वा दो सिस्टर कंसर्न गुरुनानक इंजीनियरिंग वर्क्स और अजीत फैब्रीकेटर भी थी। सारा कारोबार क्रिकेटर जसप्रीत बुमराह के पिता जसवीर सिंह बुमराह संभालते थे। 2001 में बेटे की मौत से संतोख सिंह टूट गए और फैक्ट्रियां भी आर्थिक संकट से घिर गई। बैंको का कर्ज़ा निबटाने के लिये उन्हें तीनो फेक्ट्रियों को बेचना पड़ा। अपनी शानदार ज़िन्दगी का ज़िक्र करते करते संतोख सिंह की आखो में आंसू तैरने लगते थे।

चौरासी साल के बुज़ुर्ग संतोख सिंह बुमराह को अपनी मुफलिसी ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है,वो इसे सब कुदरत की देन मानते हैं। लेकिन अपने बेटे जसवीर सिंह के बेटे जसप्रीत को भारत की क्रिकेट टीम में तेज़ गेंदबाज़ी करते टीवी स्क्रीन पर देख कर उन्हें अपने खून पर फक्र होता था। संतोख सिंह का कहना था कि जीवन के आखरी पड़ाव में पोते को गले लगा कर प्यार कर सके। उसे आर्शीवाद दे सके। उनका अपाहिज बेटा भी अपने भतीजे से मिलने के लिये बेताब था।

वक्त के दिन और रात, वक्त से कल और आज, वक्त की हर शेय गुलाम, वक्त का हर शेय पे राज, वक्त की गर्दिश से है चांद तारो का निजाम, वक्त की ठोकर में है क्या हुकुमत क्या समाज, जी हां एक पुरानी फिल्म का ये गीत जसप्रीत बुमराह के परिवार पर सटीक बैठता है जिन्होने वक्त की मार को करीब से देखा है और उसको महसुस कर रहे हैं…  लेकिन जो भीं हो भले संतोख मुफलिसी में रहे हो लेकिन अपने पोते को गेंदबाज़ी करते देख कर उनका दिल जवान हो जाता था। सब कुछ भूल कर वो अपने पोते से मिलने का सपना सजोये हुए थे।

लेकिन शायद संतोख के लिए वह समय नहीं आया कि वह अपने पोते से मिल सके,गले से लगा सके और उसे आर्शीवाद दे सकें।संतोख निकले तो अपने पोते जसप्रीत से मिलने थे लेकिन सायद वक्त को कुछ और मंजूर था।घर से अहमदाबाद निकले तो सही सलामत लेकिन इसके बाद से ही संतोख बुमराह का कोर्इ पता नहीं लग पाया। जब वो वापस नहीं लौटे तो उनके परिजनों ने बीते शुक्रवार को इसकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करार्इ। इसके बाद से ही पुलिस उनकी तलाश में जुट गर्इ। जिसके बाद पुलिस को साबरमती नदी में उनकी लाश होने की खबर मिली और वहां से उनकी लाश बरामद की गर्इ।