नगर निगम के प्रतिबंध के बावजूद ट्रेंचिंग ग्राउंड में फेंका जा रहा है कूड़ा

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देहरादून। शहर में कूड़े का अवैध ढंग से उठान किया जा रहा है। शहर में कई ऐसी संस्थाएं सक्रिय हैं जिनके द्वारा कई वार्डों में अवैधानिक तरीके से कूड़ा एकत्र किया जा रहा है। इतना ही नहीं यह संस्थाएं न केवल वार्डों में लगे निगम के कूड़ेदानों का कूड़ा फेंकने के लिए इस्तेमाल करते हैं बल्कि इनके द्वारा निगम के सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग मैदान तक में कूड़ा फेंका जा रहा है। गजब तो यह कि निगम को इसकी कानोंकान तक खबर नहीं है। अब निगम ऐसे मामलों पर कार्रवाई करने की बात कर रहा है।

नगर निगम देहरादून क्षेत्र में साठ वार्ड हैं। 2013 से पहले तक शहर में दून वैली वेस्ट मैनेजमैंट कंपनी कूड़े का डोर टू डोर उठान करती रही। हालांकि कंपनी के हाथ पीछे खींच लेने के बाद से नगर निगम ही शहर भर में कूड़ा उठान का काम कर रहा है। नगर निगम के अलावा कोई दूसरा कूड़े का उठान कर ही नहीं सकता है। बावजूद इसके शहर में कई ऐसी संस्थाएं सक्रिय हैं जो धड़ल्ले से नगर निगम की नाक के नीचे कई पॉश कॉलोनियों से कूड़े का उठान करने में लगी हैं।
बता दें कि नगर निगम की ओर से डोर टू डोर उठान के लिए पचास रूपए का यूजर चार्ज नियत है जबकि यह संस्थाएं लोगों से सौ से लेकर दो सौ रूपए प्रति माह वसूलने का काम कर रही हैं। यही नहीं कूड़े के छंटान के बाद इसमें से निकलने वाले मैटेरियल को भी यह संस्थाएं कबाड़ी आदि को बेचकर नोट छापने का काम कर रही हैं। जबकि नियमत: यह पूरी तरह से गलत है।
आर्यनगर समेत सालावाला, राजपुर रोड से सटी साकेत कॉलोनी, दून विहार के अलावा शहर के ऊपरी इलाकों में इस तरह की संस्थाएं ज्यादा सक्रिय हैं। यही नहीं इन संस्थाओं के द्वारा राजस्व के लिहाज से तो निगम को चूना लगाया ही जा रहा है, साथ ही इनके द्वारा निगम के संसाधनों का भी खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल यह है कि इन संस्थाओं के द्वारा न केवल वार्डों में रखे कूड़ेदानों में कूड़ा फेेंका जाता है बल्कि इनके द्वारा निगम के ट्रेंचिंग मैदान में भी गुपचुप तरीके से कूड़ा फेंकने की जानकारी सामने आयी है। जबकि निगम ने सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग मैदान में कूड़ा फेंकने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है।
उधर, महापौर विनोद चमोली का कहना है कि अगर इस तरह से हो रहा है तो यह सरासर गलत है। अधिकारियों को ऐसी संस्थाओं को चिन्हित करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बाद नियमानुसार संस्थाओं पर कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम के लिए पार्षद आंख कान का काम करते हैं। ऐसे में निगम को किसी भी जानकारी की सूचना सबसे पहले पार्षद के स्तर से ही उपलब्ध करायी जाती है लेकिन संस्थाओं द्वारा अवैध कूड़ा उठान के मामले में पार्षद भी मुंह सिले बैठे हैं। ऐसे में निगम पार्षदों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि सालावाला के पार्षद भूपेंद्र कठैत का कहना है कि जब भी इस तरह के मामले सामने आए तो हमने हमेशा सक्रियता के साथ निगम को अवगत कराया।