राजा जी पार्क में हो रहा है अवैध अतिक्रमण

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राजा जी नेशनल पार्क की स्थापना 1983 में हुई थी लगभग सभी जंगली जानवर पार्क में पाए जाते है। एक अनुमान के अनुसार पार्क में मुख्य तय 500 हाथी,12 टाइगर,250 पेनथर अन्य जीव जंतु विचरण करते है। इस पार्क की सीमा हरिद्वार,देहरादून, पौडी से मिलती है। शासना आदेशों को दर किनार करते हुए पार्क की सीमा पर अधिकांश रिहायसी कौलोनीस लगातर बनती जा रही। प्रॉपर्टी डीलरो व सक्षम अधिकारियों का गठ जोड कभी भी बड़ी विनाश लीला रच सकता है।

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पार्क से 10 किमी का क्षेत्र ईको सेन्सटिव जोन में आता है, इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण विशेष अनुमति से ही संभव है। प्रशासन के दावे कुछ भी हो लेकिन हकीकत कुछ और ही बया करती है रोशना बाद के पास टिहरी विस्थापित की कालोनी पार्क की दिवाल तक जा पहुँची है। पार्क के जंगली जानवरों और इंसान के आशियाने में बस कुछ इंचों की ही दूरी रह गईं है। पार्क हो या वन विभाग जानवर तो वहाँ रहेंगे ही आने वाले कल की चिंता कोई नही कर रहा है। पार्क व वन विभाग के समीप  जहां भी रिहाइश है वहाँ जंगली जानवरो की आवाजाही हमेशा बनी रहती है चाहे 1965 में बनी भेल की आवासीय कालोनी हो या नया निर्माण। आज प्रशासन स्थिति को नज़र अंदाज़ कर सकता है पर आने वाला कल बड़ी समस्या लेकर प्रशासन के द्वार ही खड़ा नज़र आयेगा।