Page 917

मसूरी के एक कलाकार अपने रंगो से भरतें हैं मिट्टी के गुल्लकों में जान

0

 

32 वर्षीय रईज़ अहमद बाकि सभी दुकानदारों की तरह अपना गुजारा एक छोटे से टीन शेड में प्लास्टिक व मिट्टी के सामान की दुकान लगाकर बड़ी मुश्किलों से करते हैं। मसूरी के टिहरी रोड स्थित छोटी सी दुकान में वह प्लास्टिक के खिलौने व जड़ाउ गहनें बेच कर अपने 4 सदस्यों के परिवार की जरूरतों को पुरा करते हैं। लेकिन कहते है ना किस्मत बदलते देर नही लगती ठीक ऐसा हुआ रईज़ के साथ जब उनकी एक मामूली सी टीन शेड की दुकान रातों रात कलात्मक गैलरी में तब्दील हो गई। रईज़ अहमद बताते हैं उनके खास दोस्त ‘मुकेश बान्ड’ ने उन्हें उनके बनाए हुए मिट्टी के साधारण गुल्लकों को रंगने की सलाह दी क्योंकि मुकेश को रईज़ की कला का पता था। छः महीने पहले इसकी शुरुआत हुई थी और आज वहाँ खाट पे सूखते उन रंग-बिरंगे गुल्लकों को देखे बिना वहाँ से गुजरना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
आज, रईज़ अहमद अपने काम में बहुत व्यस्त हैँ, वो घंटो अपने पेंट ब्रश और पैलेट से मिट्टी के गुल्लकों पे कलाकारी करने व उन पर रंग भरने में मशगूल रहते हैं। उन्हें एक गुल्लक को पुरा तैयार करनें मे दो से तीन घंटे लगते हैं, पर ये तैयार होकर समय और पैसा वसूल करने वाले होते हैं। ये गुल्लक पाँच साइजों में आते थे और 20 रुपये से 100 रुपये के बीच मे बिकते थे लेकिन रईज़ की कलाकारी ने इनकी खूबसूरती पर चार चाँद लगा दिया है, अब तक उन्होंने करीब दो सौ गुल्लक बेचे है जो कि 40 रुपये से 200 रुपये के बीच बिके हैं। उन्होंनें बताया कि उनके ग्राहक विदेशी पर्यटक से लेकर ऐसे लोग भी हैं जो उनके पास अपनी पसंदीदा डिजाइन के गुल्लक आर्डर से बनवाते हैं।
जल्दी ही, रईज़ की एक क्लाइंट मसूरी की सारिका भवन ने करीब दो दर्जन गुल्लक अपनी बेटी अमायरा के तीसरे जन्मदिन पर रिर्टन गिफ्ट देने के लिए खरीदा,
उन्हें यह बहुत ही अलग और खूबसूरत चीज लगी,उन्होंने इन गुल्लकों पर अमायरा के साथ उसके दोस्तों का नाम लिखवाया,इस तोहफे से बच्चे तो खुश थे ही उनके माता-पिता ने इस अलग से विचार की सराहना की।
कोई भी दो गुल्लक एक जैसे नही होते। रईज़ के बनाए हर गुल्लक अलग होते हैं, कोई रंग में अलग हैं तो किसी की बनावट, किसी का पैटर्न तो किसी का डिजाइन। अपनी रुचि के अनुसार आर्डर देने पर रईज़ अपनी कला का परिचय देते हुए गुल्लकों को ऐसे तैयार करते हैं जैसे मानो इसकी खूबसूरती के आगे महंगे से महंगे तोहफे पानी भरते हैं और ये गुल्लक आपको मजबूर कर देंगे कि आप पहाड़ो की रानी मसूरी की निशानी के तौर पर इनको अपने साथ लेकर जाए।

पिंक’ के फैन्स को निराश कर सकता है, तापसी का यह खुलासा

0

दर्शकों के बीच खासी पसंद की गई फिल्म ‘पिंक’ को लेकर अभिनेत्री तापसी पन्नू ने एक बड़ा खुलासा किया है। इस फिल्म को हर कोई महिला के हक और उनकी आवाज की फिल्म बता रहा है। मगर तापसी के खुलासे से शायद एक बार आपकी यह राय बदल भी सकती है।
तापसी ने एक इंटरव्यू में बताया है कि फिल्म का क्लाइमेक्स कुछ और ही था। इसका मतलब है कि फिल्म में जिस क्लाइमेक्स को देखकर दर्शक खुश होते हैं,वहां कुछ और ही होने वाला था। दरसअल,फिल्म के अंत में तीनों दोस्तों को केस हारते हुए दिखाया जाना था,मगर दर्शकों को ध्यान में रखते हुए इसमें बदलाव किया गया।
फिल्म में तीनों लड़कियां केस जीत जाती हैं और दर्शक इस बात से खुश होते हैं कि सच की जीत हुई। लेकिन पहले ऐसा नहीं था। पहले इसमें दिखाया जा रहा था कि सबूतों की कमी के कारण तीनों लड़कियां केस हार जाती हैं और उन्हें सजा हो जाती है।
अब अगर ऐसा होता तो शायद दर्शकों के बीच इस फिल्म का कुछ अलग ही असर हो सकता था। क्या पता दर्शक उसके क्लाइमेक्स से निराश ही हो जाते।

बागेश्वर के एक गांव मे डोली पर आते हैं बीमार, पहाड़ के गांवों की खस्ताहाल स्वास्थ्य सेवाएं

0

पहाड़ की खस्ताहाल स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहें निवासी । सड़क से दूर गांव के लोग आज भी मरीज को डोली में रखकर अस्पताल तक लाने को मजबूर हैं। वहां डाक्टरों की कमी होने से मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। कारणवश रोगी की ठीक होने के बजाए और बीमार हो जाता है। बदलती सरकारों ने पहाड़ की स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया है। भाजपा और कांग्रेस की सरकार यहां बदल-बदल कर आती है, लेकिन अस्पतालों में डाक्टरों का टोटा यूपी के समय से अधिक है। जिन गांवों में स्वास्थ्य केंद्र हैं, वहां डाक्टर नहीं हैं। डाक्टर नहीं होने से दवा आदि की खेप भी कागजों पर उतरती है। फार्मासिस्ट या वार्डबॉय इन अस्पतालों को खोलते और बंद करते हैं।
डाक्टर का टोटा होने से मरीजों को यहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल में भी फिजिशियन समेत तमाम डाक्टर नहीं होने से उन्हें अल्मोड़ा और फिर हल्द्वानी का रूख करना पड़ रहा है। झूनी गांव के लोग आज भी दस किमी पैदल चलकर मरीज को डोली पर अस्पताल पहुंचा रहे हैं। गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल तक लाने के लिए ग्रामीण पहले डोली का इंतजाम करते हैं। डोली नहीं मिलने पर लकड़ी के डंडों पर कपड़ा और रस्सी बांधकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाते हैं। गरुड़, कपकोट, कांडा, काफलीगैर आदि गांवों की स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतर गई हैं।

रेड वाइन के अनोखे फायदे

0

रेड वाइन और अंगूर का इस्तेमाल क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और कान के संक्रमण (ओटिटिस मीडिया) को घटा सकता है। जार्जिया स्टेट विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जियान-डोंग ली ने कहा कि “हमने रेड वाइन और अंगूर में एक महत्वपूर्ण घटक देखा है, जिसे रिसवराट्राल कहते हैं। यह सूजन को दबा देता है”। यह वायुमार्ग की सूजन संबंधी बीमारियों को घटा सकता है और रोगजनक जीवाणु द्वारा होने वाले सूजन पर काबू कर सकता है। नतीजे बताते हैं कि यह यौगिक सेहत के लिए फायदेमंद है और नए, प्रभावी सूजन विरोधी उपचार कारकों को विकसित करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि रिसवराट्राल एक प्रमुख जीवाणु रोगवाहक होता है, जो ओटिटिस मीडिया और सीओपीडी की वजह को दबा देता है। यह एक नकारात्मक नियामक जिसे एमवाईडी88 लघु के जरिए ऐसा करता है। रिसवराट्राल पॉलिफिनाल के एक समूह का यौगिक है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह शरीर को होने वाले नुकसान से बचाता है। इसे लंबे समय से सूजन सहित कई बीमारियों का चिकित्सकीय एजेंट माना जाता है।

यह बात एक नए अध्ययन में कही गई है। अध्ययन के निष्कर्ष पत्रिका ‘जरनल साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में रिसवराट्राल को एक प्रमुख श्वसन रोगजनक नानटाइपिएबल हीमोफिलस इन्फलुएंजा (एनटीएचआई) के कारण हुए सूजन को रोकने में प्रभावी पाया गया है।

टेलीविजन के दुष्प्रभाव

0

ज्यादा टेलीविजन देखने वाले बच्चों का स्वभाव आक्रामक और उनमें सामाजिक अलगाव का खतरा हो जाता है। इससे 13 साल की उम्र में ही दूसरे बच्चों के प्रति बच्चों में हिंसक और आसामाजिक व्यवहार पैदा होने लगते हैं। यह अध्ययन पत्रिका ‘साइकोलॉजिकल मेडिसिन’ में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए 1997/1998 में पैदा हुए बच्चों के आकड़ों का अध्ययन किया।

कनाडा के मांट्रियल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता लिंडा पागानी ने कहा, “वैसे बच्चे जो टेलीविजन देखने के आदी होते हैं, उनका स्वभाव माध्यमिक स्कूल के पहले साल के अंत तक एकांत, अपने साथियों की तुलना में आक्रामक और असमाजिक व्यवहार पसंद करने वाला बन जाता है।” इससे 991 लड़कियों और 1,006 लड़कों के माता-पिता ने ढाई साल तक अपने बच्चों के टीवी देखने के घंटों का लेखा-जोखा रखा।
13 साल की उम्र में इन बच्चों की दिक्कतों सामाजिक अलगाव, साथियों द्वारा जानबूझकर और सुनियोजित आक्रामकता का प्रदर्शन करना और असामाजिक व्यवहार का अध्ययन किया गया।शोधकर्ताओं ने बच्चों के माता-पिता द्वारा दिए गए दो साल की उम्र में टीवी देखने की आदतों और बच्चों के खुद के 13 साल की उम्र में दिए गए सामाजिक अनुभवों के आकड़ों का अध्ययन किया।
पागनी ने पाया, “माध्यमिक विद्यालय में बिताया गया वक्त किशोरों के विकास का एक महत्वपूर्ण चरण है। हमने पाया कि ज्यादा टेलीविजन देखने से 13 साल की उम्र में स्थिति जटिल हो जाती है। इससे सामाजिक अलगाव का अतिरिक्त खतरा बढ़ जाता है।”

मारुति सुजुकी इग्निस की टेस्टिंग आखिरी दौर में, 2017 में होगी लॉन्च

0

2016 दिल्ली ऑटो एक्सपो के दौरान पहली बार दिखी मारुति सुजुकी इग्निस भारतीय बाज़ार में लॉन्च के लिए तैयार है। इस कार की टेस्टिंग आखिरी दौरान में है और इसे 2017 मार्च या अप्रैल में लॉन्च किया जा सकता है। हालांकि, मारुति सुजुकी इग्निस को इसी साल त्योहारों के सीज़न में लॉन्च किया जाना था लेकिन, मारुति सुजुकी बलेनो और मारुति सुजुकी विटारा ब्रेज़ा की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी ने इसके लॉन्च को स्थगित कर दिया था।

उम्मीद है कि इग्निस को अप्रैल 2017 तक लॉन्च किया जा सकता है। मारुति सुजुकी इग्निस की लंबाई 3,700mm, चौड़ाई 1,660mm और ऊंचाई 1,595mm है। कार का व्हीलबेस 2,435mm और ग्राउंड क्लियरेंस 180mm का है। इस कार को क्रॉसओवर-एसयूवी लुक दिया गया है।मारुति सुजुकी इग्निस को कंपनी के गुजरात स्थित नए प्लांट में फरवरी 2017 से तैयार किया जाएगा।

कार में की-लेस एंट्री, इंजन स्टार्ट-स्टॉप सिस्टम, टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, स्मार्टलिंक या एप्पल कारप्ले, रिवर्स पार्किंग कैमरा, एबीएस, ईबीडी, डुअल-एयरबैग जैसे फीचर्स शामिल होंगे। इसके अलावा कार में 4-व्हील ड्राइव की सुविधा भी दी जाएगी।
मारुति सुजुकी इग्निस में 1.0-लीटर बूस्टरजेट पेट्रोल इंजन लगा होगा। इसी इंजन का इस्तेमाल कंपनी बलेनो आरएस में भी करने जा रही है। इस इंजन को 5-स्पीड मैनुअल और सीवीटी या एएमटी से लैस किया जा सकता है।

एक्सिडेंट हो जाए तो घबराएं नहीं, अपनाएं ये तरीके

0

आप कार चलाते वक्त कई बातों का ध्यान रखते हैं। अपनी सुरक्षा के साथ साथ सड़क पर चल रहे लोगों की सुरक्षा का ध्यान भी रखना पड़ता है। कई बार सड़क पर चलते वक्त कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। कार दुर्घटना के कई कारण हो सकते हैं।

इन दिनों देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। ऐसी दुर्घटना में लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और कई हादसों में लोगों की दर्दनाक मौत भी हो जाती है। दुर्घटना की स्थिति में कभी भी घबराना नहीं चाहिए। दुर्घटना छोटी हो या बड़ी, हमेशा संयम और समझदारी से काम लें। हम आपको बताते हैं कि ऐसी स्थिति में आपको सबसे पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1. यदि कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो सबसे पहले आप कार से बाहर निकलने की कोशिश करें। ये कोशिश तभी करें जब आप शारीरिक तौर पर ऐसा करने के लिए सक्षम हों। बाहर निकलने के बाद अगर संभव हो तो अपनी कार की पार्किंग लाइट को ऑन कर दें।

2. अगर दुर्घटना की वजह से आप, आपके साथ बैठा व्यक्ति, दूसरी गाड़ी में बैठे लोग या रास्ते में चल रहा कोई व्यक्ति घायल हो जाए तो तुरंत इमरजेंसी नंबर को कॉल करें ताकि आप तक तुंरत मेडिकल सेवा पहुंच सके। ऐसी स्थिति में पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंच जाएगी।

3.अगर संभव हो तो कार को धक्का देकर सड़क के किनारे पर ले जाएं ताकि बाकी गाड़ियों को निकलने का रास्ता मिल सके।

4. अगर दुर्घटना बड़ी नहीं है और इसकी वजह से किसी को चोट नहीं पहुंची है तो परेशान ना हों। तुरंत पुलिस को दुर्घटना की जानकारी दें। ज्यादातर मामलों में पुलिस घटनास्थल पहुंच कर मामले की छानबीन करती है।

5. अगर आपको थोड़ी सी भी चोट लगी है तो इसे गंभीरता से लें। तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में संपर्क करें। ऐसे हादसों में आपकी गर्दन, पीठ और छाती में अंदरूनी चोटें आ जाती हैं जिसका तुरंत पता नहीं चलता। इसलिए ऐसी चोटों का ध्यान रखें और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

6. अगर आपके लिए संभव हो तो दुर्घटनास्थल की तस्वीरें खींच लें। इससे आपकी कार को हुए नुकसान का अंदाजा मिल जाएगा। इंश्योरेंस क्लेम के वक्त आपको इन तस्वीरों की ज़रूरत पड़ सकती है।

7. दुर्घटना की जानकारी देते हुए नज़दीकी पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर (FIR) ज़रूर दर्ज करवा लें।

9. कार इंश्योरेंस कंपनी से बात करें और दुर्घटना के बारे में पूरी जानकारी दें। ऐसी स्थिति में इंश्योरेंस कंपनियां आपकी मदद के लिए अपने एजेंट को दुर्घटनास्थल पर भेजती हैं।

नई मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिज़ायर की टेस्टिंग जारी, जल्द होगी लॉन्च

0

मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिज़ायर का नाम कंपनी की सबसे ज्यादा बिकने वाली सब-कॉम्पैक्ट सेडान में शुमार है। नई मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिज़ायर की इन दिनों टेस्टिंग चल रही है और इसी दौरान इस कार की कुछ तस्वीरें स्पाई कैमरे में कैद की गई हैं। अब कंपनी ही इस कार को कई नए बदलावों के साथ बाज़ार में उतारने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि नई मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिज़ायर को 2017 के मध्य तक लॉन्च कर दिया जाएगा।
टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिज़ायर पर्दे से ढकी हुई थी जिसकी वजह से कार से जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं मिली। नई स्विफ्ट डिज़ायर में कॉस्मेटिक बदलाव किए जाएंगे। इस कार को नेक्स्ट-जेनेरेशन स्विफ्ट की तर्ज पर ही तैयार किया जाएगा। लेकिन, कार में पिछले मॉडल की तुलना में बड़ा और चौड़ा फ्रंट ग्रिल और नया सेंट्रल एयर डैम लगाया गया है। इसके अलावा कार में स्टाइलिश स्वेप्टबैक हेडलैंप, प्रोजेक्टर यूनिट और फॉग लैंप भी लगाया गया है।

कार की साइड प्रोफाइल पर नज़र डालें तो नई स्विफ्ट डिज़ायर में कुछ खास बदलाव नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि नई स्विफ्ट डिज़ायर में डुअल टोन कलर स्कीम, ऑटोमेटिक क्लाइमेट कंट्रोल, की-लेस एंट्री, इंजन स्टार्ट-स्टॉप बटन, टचस्क्रीन स्मार्टप्ले एंटरटेनमेंट सिस्टम, रिवर्स कैमरा, नेविगेशन और स्टीयरिंग माउंटेड कंट्रोल जैसे फीचर्स दिए जाएंगे।वहीं कार की रियर प्रोफाइल में नया टेललैंप और नए रियर बंपर जैसे छोटे-मोटे बदलाव किए गए हैं।
कार के इंटीरियर में भी कई बदलाव नज़र आएंगे। कार में सेफ्टी फीचर्स का भी खास ख्याल रखा जाएगा और इसमें ईबीडी के साथ एबीएस, डुअल एयरबैग को स्टैंडर्ड फीचर में शामिल किया जाएगा।

कार में 1.2-लीटर पेट्रोल और 1.3-लीटर डीज़ल इंजन लगा होगा जिसे 5-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन और 4-स्पीड ऑटो बॉक्स से लैस किया जाएगा। कंपनी इस कार को SHVS टेक्नोलॉजी से भी लैस करने पर विचार कर रही है।

शाहरुख खान और आलिया भट्ट होंगे ‘कॉफी विथ करण’ के पहले मेहमान!

0

फिल्मकार करण जौहर के टॉक शो ‘कॉफी विथ करण’ के पांचवे सीज़न का प्रसारण छह नवंबर से शुरू हो रहा है. यह सेलिब्रिटी चैट शो दर्शकों में खासा पसंद किया जाता है क्योंकि इसके जरिए उन्हें सितारों से जुड़ी कई नई बातें जानने को मिलती हैं.

शाहरुख खान ने एक तस्वीर शेयर की है जिससे यह तय हो गया है कि वह आलिया भट्ट के साथ करण के शो में नज़र आएंगे.फोटो शेयर करते हुए शाहरुख खान ने लिखा, ‘कई बार काम के दिन काम जैसे नहीं लगते. वे प्यार और खुशियों से भरे लगते हैं. मुझे बुलाने के लिए शुक्रिया कॉफी टीम. यह सीज़न भी बेहतरीन होगा.’ सितंबर के आखिरी सप्ताह में करण जौहर ने शो की शूटिंग शुरू होने की जानकारी दी थी ।

शाहरुख करण जौहर के करीबी दोस्त हैं. शो के पहले सीज़न का पहला एपिसोड 19 नवंबर 2004 को प्रसारित हुआ था जिसके मेहमान शाहरुख खान और काजोल थे. इसके बाद पिछले सीज़न को छोड़कर हर सीज़न में शाहरुख खान इस शो का हिस्सा बने थे. प्रोमो के अलावा ‘कॉफी विथ करण’ के सेट से कोई और तस्वीर अब तक सामने नहीं आई है, शाहरुख खान द्वारा पोस्ट की गई इस फोटो से कयास लगाए जा रहे हैं कि वह और आलिया इस सीज़न के पहले मेहमान हो सकते हैं.जबकि पिछले सीज़न में आलिया भट्ट दो बार शो में आई थीं.
शाहरुख और आलिया गौरी शिंदे की फिल्म ‘डियर ज़िंदगी’ में नज़र आने वाले हैं, यह फिल्म 25 नवंबर को रिलीज़ होने वाली है.करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ रिलीज़ हो गई है. फिल्म को पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं किया गया है. पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान के होने की वजह से रिलीज़ को लेकर विवाद मे आई थी। फिल्म में रणबीर कपूर, ऐश्वर्या राय और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिकाओं में हैं. फिल्म में शाहरुख और आलिया भी गेस्ट भूमिका में नज़र आएंगे.

‘शोले’ बनाने के लिए रमेश सिप्पी के पास नहीं थे पैसे, पिता का मिला था साथ

0

वर्ष 1975 में आई बॉलीवुड की मशहूर फिल्म ‘शोले’ के निर्देशक और दिग्गज फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी का कहना है कि उस वक्त ‘शोले’ बनाने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे और वह इसके लिए अपने दिवंगत पिता जीपी सिप्पी पर निर्भर थे.

उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है, जब दिलीप कुमार ने एक फिल्म के लिए एक लाख रुपये लिए थे. उस समय हर किसी ने यही कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री बंद होने वाली है.’ सिप्पी ने कहा, “उस समय ‘शोले’ बनाने के लिए मेरे पास पर्याप्त बजट नहीं था । मंगलवार को ‘सीआईआई बीग पिक्चर समिट 2016’ के पांचवें संस्करण के मौके पर सिप्पी ने कहा, “मैं भाग्यशाली था कि ‘शोले’ बनाने के दौरान मेरे पिता साथ थे.”मेरे पास कुछ विचार थे, जिसे मैंने अपने पिता से साझा किए. उनकी अंतिम फिल्म ‘सीता और गीता’ थी, जिसे बनाने में 40 लाख रुपये लगे थे. यह बड़ी हिट रही थी. मुझे फिल्म बनाने के लिए एक करोड़ रुपये चाहिए. शोले बनाने में 3 करोड़ रुपये लगे थे.”

फिल्म बनाने में कुल तीन करोड़ रुपये लगे थे और स्टार कास्ट में मात्र 20 लाख रुपये लगे. रमेश ने कहा कि बहुत से लोगों को शक था कि ‘शोले’ बॉक्स ऑफिस पर अच्छा करेगी. उन्होंने कहा, ‘आज के समय में यदि आप 150 करोड़ रुपये की फिल्म बनाते हैं तो उसमें से 100 करोड़ रुपये स्टार कास्ट में ही लग जाते हैं. आज का फिल्म निर्माण व्यवसाय एकतरफा हो गया है.’ ‘शोले’ में संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन, धर्मेद्र, हेमा मालिनी और जया बच्चन मुख्य भूमिकाओं में थे. यह बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल रही थी और यह भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है.

समिट में रमेश ‘इंडियन सिनेमा- मेकिंग द जर्नी फ्रॉम वॉल्यूम टू वैल्यूएशन’ नाम के कार्यक्रम का हिस्सा थे. इस कार्यक्रम में उनके साथ शेखर कपूर, अर्का मीडिया वर्क्स के सह-संस्थापक और सीईओ शोबू यार्लगदा, मीडिया एंड इंटरटेनमेंट, लक्जरी एंड स्पोर्ट्स बैंकिंग ग्रूप यश बैंक के अध्यक्ष और कंट्री हेड करण अहलूवालिया और तेलंगाना इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी यूनिट के संस्थापक सदस्य राज कुमार अकेला भी मौजूद थे. इस कार्यक्रम में शेखर कपूर ने बताया कि हॉलीवुड फिल्मों से ज्यादा भारत की क्षेत्रीय फिल्में बॉलीवुड को टक्कर दे रही हैं. फिल्म ‘सैराट’ ने केवल महाराष्ट्र में 100 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी.