पलायन उत्तराखंड की सबसे बड़ी त्रासदी और चुनौती

ऋषिकेश, दरवाजों पर लटके लोहे के ताले, खेत-खलियान को घूरती बुजुर्गों की आंखें उस आने वाले के इंतजार में जो रोटी रोजी की तलाश में महानगरों की भीड़ में कब खो गया। इसका पता उसको भी ना चल सका कुछ इस तरह की तस्वीर है उत्तराखंड के हजारों गांव की जो कभी आबाद हुआ करते थे।

राज्य के गठन के साथ ही कई गांवों जनशूनय हो गए हैं कुछ इसी बिंदुओं को लेकर डोईवाला नगरपालिका सभागार में “पहाड़ का सच” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिस का संचालन रजनीश सैनी ने किया और मुख्य अतिथि के रुप में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश सुमन ध्यानी, मुख्यमंत्री के ओएसडी शैलेंद्र त्यागी एवं कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इसमें शिरकत की ।

उत्तराखंड में पलायन से खाली हो चुके गांव के गांव आज कैसे रिवर्स माइग्रेशन से एक बार फिर आबाद हो सके इसको लेकर सभी वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे। मुख्यमंत्री के सलाहकार शैलेंद्र त्यागी ने बताया कि, “त्रिवेंद्र रावत सरकार उत्तराखंड के पहाड़ों के लिए कई योजनाएं इस तरह की ला रही है पशुपालन हॉर्टिकल्चर और नगदी फसलों के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में गांव को विकसित करके इको टूरिज्म को बढ़ावा देकर वहां के नौजवानों को अपने ही गांव में रोजगार के लिए तैयार और प्रेरित किया जा रहा है जिससे आने वाले दिनों में पलायन पर कुछ हद तक रोक सकेगी।

वरिष्ठ भाजपा नेता प्रकाश सुमन ध्यानी ने बताया कि, “भाजपा सरकार का फोकस उत्तराखंड बेरोजगार को स्किल इंडिया के तहत जोड़कर स्वरोजगार की ओर ले जाने का है जिससे पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के ही काम आ सके और पलायन पर अंकुश लग सके गोष्ठी में डोईवाला के बुद्धिजीवियों ने अपने विचार रखे।”

अंत में रजनी सैनी और प्रीतम वर्मा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया और एक ऐसा मंच डोईवाला में तैयार करने की बात कही जो समय समय पर पहाड़ की पीड़ा और जनता की आवाज को सत्ता के गलियारों तक पहुंचा सके