गरीबों के हक़ पर ऋषिकेश एम्स का चाबुक

    ऋषिकेश,खबर उन लोगों के लिए जो सस्ते इलाज की आस लगाए एम्स में जाते है, अब आपको ऋषिकेश एम्स में ईलाज के लिए अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी क्योंकि ऋषिकेश एम्स में अब ईलाज महँगा हो चुका है, जिसके बाद अब सभी टेस्ट और दवाईयां पहले से दुगनी हो चुकी है।

    अभी तक एम्स अपने सस्ते इलाज के लिए पूरे देश मे जाना जाता था, यही कारण है कि लोग दूर दूर से इलाज के लिए सबसे पहले सिर्फ एम्स का दरवाजा खड़खड़ाते थे लेकिन अब ऋषिकेश एम्स भी एक प्राइवेट हॉस्पिटल की तरह की मरीजों की जेब से खेलने जा रहा है।

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    जी हां, ऋषिकेश एम्स में अब इलाज पहले से काफी ज्यादा महँगा हो चुका है। हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा जारी सर्कुलर के मुताबिक अब सभी मरीजों से सीजीएचएस के तहत प्राईवेट, निजी व कॉरपोरेट अस्पतालों के लिये निर्धारित शुल्क वसूला जायेगा। आपको बता दे कि अभी तक एम्स ऋषिकेश में मात्र 10 रुपये के खर्च पर पर्ची, 30 रुपये में भर्ती और 35 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बेड चार्ज लिए जाटव थे जो कि अब दुगने से भी ज्यादा कर दिए गए है।

    साथ-साथ सभी छोटे-बड़े ऑपरेशन जो कल तक बेहद कम शुल्क में किये जाते थे उसके लिए अब मरीजो को ज्यादा रुपए देने पड़ेंगे जिससे यहां पहुँचने वाले मरीजों की जेब पर ख़ासा असर पड़ रहा है।आपको बता दे कि अभी तक दिल्ली एम्स में शुल्क सामान्य ही हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि देश में स्थापित हुए सभी नए एम्स में एक तिहाई शुल्क वृद्धि के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दिशा निर्देश दिए गए है।

    वहीं एम्स के उपनिदेशक अंशुमान गुप्ता ने बताया कि, “नए एम्स में आय बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्देश प्राप्त हुए थे। जिसके बाद एम्स प्रशासन द्वारा सीजीएचएस (सेंट्रल गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम) के मानकों के अनुरूप यह शुल्क वृद्धि की गयी है।” तो दूसरी तरफ लोगों का मानना है कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे आम लोगों को कोई दिक़्क़त न हो इस तरह एम्स में फीस बढ़ाने से आम लोगों को ही सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।

    वहीँ विपक्ष ने अब बीजेपी को इसके लिए आड़े हाथ लिया है, उनका कहना है की बीजेपी के 3 वर्ष बिलकुल निराशाजनक है, जो चीजें सस्ती या मुफ्त होनी चाहिए थी वो आज इस सरकार ने काफी महंगी कर दी है।बहरहाल एम्स प्रशासन द्वारा की गयी शुल्क वृद्धि से यहाँ आने वाले मरीजों और यहां पढ़ रहे छात्र-छात्राओं पर कितना असर पड़ेगा ये जल्द ही पता चल जायेगा।