पर्यावरण संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित

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शनिवार को पुलिस महानिदेशक एम ए गणपति के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम में डा0 अनिल जोशी पर्यावरण विध द्वारा पर्यावरण संरक्षण मे पुलिस के योगदान की सार्थकता एवं प्रभाव पर बल देते हुये पर्यावरण संरक्षण के प्रभावी की आवश्यकता व्यक्त करते हुए उनके द्वारा एक प्रस्तुतिकरण किया गया। उन्होने कहा कि पुलिस सड़क पर ड्यूटी करते समय खुद भी प्रदूषण से प्रभावित होती है और डयूटी के दौरान जन-सामान्य को प्रदूषण के दुष्प्रभाव के सम्बन्ध में जागरूक करे साथ ही पर्यावरण संरक्षण किये जाने वाले कार्यों को प्रोत्साहित कर अपनी भूमिका का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पुलिस महानिदेशक द्वारा पर्यावरण संरक्षण में पुलिस की कार्यवाही के लिए प्रत्येक प्रभारी द्वारा स्वयं के स्तर से कार्य करने एवं एस0ओ0पी0 बनाने के लिए कहा गया। थाना प्रभारी बसन्त विहार द्वारा पर्यावरण संरक्षण की कार्य योजना बनाकर दिखाया गया । उन्होने पर्यावरण संरक्षण एक्ट का अध्ययन कर पूरी तरह  अपना योगदान दिए जाने के लिए संकल्प लिया।
अनिल जोशी ने सचाई से भी रूबरू करते हुए बताया कि देश में सिर्फ 21% फारेस्ट रह गया है इससे हमें हवा, पानी, मिटटी पूरी नही की जा सकती है। अगर जल की बात करे तो इस वक़्त बोतलों में बिकने लग गया है। कभी सोचा न था कि पानी को भी व्यवसाटिक बना दिया जायेगा। उत्तराखंड में लगभग  8000 ऐसे गांव है जो जल प्रभावित हैं पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है ऐसे में कही ऐसी सेलिब्रिटी है जो पानी कम्पनियो का विज्ञापन कर रहे हैं। जोशी ने हवा पानी को सरक्षण करते हुए पुलिस से अपील की है कि वह हर चौकी में फूल पौधे लगाये और पर्यावरण की सुरक्षा करें। साथ ही जोशी ने बताया जंगल के हालात बहुत गंभीर है हमारे  देश में पहाड़ी राज्य छोड़ कर 33 प्रतिशत जंगल होना चाहिए लेकिन यूपी में 5 से 6 प्रतिशत,  बिहार में 7 प्रतिशत ,और हरियाणा पंजाब और दिल्ली में जंगल पूरी तरह खत्म हो चुका है। सन 1982 में देश में एक नियम बनाया गया था जिसमे 1988 एक्ट के तहत फॉलो किया गया जिसमें 65 प्रतिशत ज़मीन में मैदानी और पहाड़ी इलाको में जंगल होने चाहिए थे । लेकिन विकास के रूप में इनका दहन हो रहा है । इस समय मिट्टी जंगल व जल वायु समाप्त होती जा रही है।