Page 892

केदारनाथ को मिला “वायरलेस लोकल ऐरिया” बनाने पर राष्ट्रीय पुरस्कार

0

उत्तराखंड के लिए समय गर्व का पल रहा जब देश के तमाम आई टी प्राॅजेक्टस में से केदारनाथ आई टी प्रोजेक्ट को ई गर्वनेंन्स के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह अब तक के इतिहास में पहली बार हुआ है कि पहाड़ों के राज्य उत्तराखंड को इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार ई-गर्वनेंन्स पर आयोजित 20 वें नेशनल कांफ्रेन्स विशाखापट्नम,आंध प्रदेश में मिला। पुरसकार प्रजेक्ट हेड डा.राघव लांगर आईएएस, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट व चेयरमेन, डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट आथोरिटी रुद्रप्रयाग को केदार घाटी में वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क शुरु करने के लिए मिला। इस प्राॅजेक्ट में:

  • केदार घाटी में जिला हेडक्वार्टर से लेकर केदारनाथ मंदिर तक विडियो कांफ्रेन्स की सुविधा,
  • इलेक्ट्रानिक सरविलेंस आईपी कैमरे के माध्यम से,
  • वाई फाई, इंटरनेट सुविधा,
  • हाटलाईन कम्यूनिकेशन और
  • यात्रा के दौरान अलग अलग रास्तों पर हाटस्पाट की सुविधा मुहैया कराने के लिए रुद्रप्रयाग की इस टीम को पुरस्कार मिला।

इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एम.वैंकेया नायडू के साथ कई केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे। इस वर्ष इस कांफ्रेंन्स की थीम डिजीटल ट्रांर्स्फामेशन टूवर्ड ट्रांर्स्फामिंग इंडिया थी और इसके तर्ज पर या कार्यक्राम यूनियन मिनिस्ट्री आफ इलेक्ट्रानिक एंड इंफारमेशन टेक्नेलाजी और यूनियन डिर्पाटमेंट आफ एडमिनिस्ट्रेटिव रिर्फाम एंड पब्लिक ग्रीवेंन्स ने मिलकर आयोजित किया था। इन सभी मंत्रालयों के सेक्रट्ररी के साथ भारतीय सरकार के मंत्रियों ने इस कार्यक्राम में भाग लिया।

 

इस कार्यक्रम मे ई-गर्वनेंन्स के बहुत से पहलूओं पर विचार किया गया और प्राइवेट सेक्टर में डिजीटल कनेक्टिवीटी के संबंध में,आईओटी  और डाटा एनेलिटिक्स,भविष्य में साइबर सिक्योरिटी पालिसी और सबसे जरुरी मुद्दा विमुद्रीकरण मतलब की आने वाले समय में इलेक्ट्रानिक माध्यमों से ट्रांजेक्शन करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ई-गर्वनेंन्स माध्यमों पर भी बात की गई।मोदी जी के आसान गर्वनेंन्स,इंम्पावरिंग गर्वनेंन्स या एफिसियेन्ट गर्वनेंन्स को प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर रखा गया है।   
केदारनाथ के वायरलेस लोकल नेटवर्क प्रोजेक्ट को सिल्वर की श्रेणी में टेक्नोलिजी में इनोवेटिव तरीको के इस्तेमाल जो ई-गर्वनेंन्स में मददगार साबित हुई और यात्रा के दौरान मजबूत और साफ कम्यूननिकेशन और डिजास्टर मैनेजमेंट,मिटीगेशन और रेस्पांस(जी2जी) और आईसीटी के अलग अलग सेवाओं जो श्रद्धालुओं के लिए जरुरी थे इनकी वजह से इस श्रेणी में रखा गया है।

प्रोजेक्ट हेड राघव लेंगर ने बताया है कि अब तक के सभी पोस्ट डिजास्टर रिकंस्ट्रक्शन काम और कोशिशों के लिए राज्य सरकार नें बहुत मदद की और केदारनाथ यात्रा के दोबारा से पहले जैसा बनाने में भी राज्य सरकार ने पूरा साथ दिया है और यह आईटी की पहल एक ऐसी शुरुआत है जिससे लोगों में अपनी सुरक्षा को लेकर और श्रद्धालूओं सूरक्षा को लेकर काफी राहत दी है और इसके बाद शायद लोगों को केदारनाथ आने में कोई कठिनाई ना हो साथ ही इसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के आसार है जिससे ना सिर्फ चारधाम यात्रा में लोग बढ़ेंगे साथ ही इस क्षेत्र की इकोनामी पर भी फर्क पड़ेगा।   

इस कार्यक्रम में विजेता चुनने के लिए जटिल प्रक्रिया थी जिसमें तीन भागों में कांप्रिहेंसिव स्क्रिनींग,ऐक्सपर्ट द्वारा फिल्ड विजीट और दिल्ली कमेटी के सामने प्रेजेन्टेशन जिनमें 20 आईटी प्रोजेक्ट को चुना गया जिसमें से ही नेशनल अवार्ड 2016 के कुछ को चुना गया है।पुरस्कार राशि 2 लाख गोल्ड और एक लाख सिल्वर श्रेणी में थी।पुरस्कार मिलने वालों में 20 अलग अलग जैसे कि आधार पीडीएस सिस्टम,ई फिलिंग प्रोजेक्ट आफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आदि को चुना गया है।

 

2012 विधानसभा के अधिक्तर सदस्यों ने अभी तक नहीं दिया अपनी जायदाद का ब्यौरा

0

उत्तराखंड के बीते विधानसभा चुनाव 2012 में लगभग 41 सदस्यों ने अपने जायदाद का विवरण नही दिया था और यह बात विधानसभा के सचिवालय से एक आर.टी.आई के जवाब में सामने आई है। कुल 41 में से ,24 सदस्य ऐसे है जिन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा,15 भाजपा से और दो बहुजन समाज पार्टी के सदस्य हैं।

पांच कांग्रेस विधायक- दिनेश आग्रवाल,एस एस नेगी,इंदिरा हृदाएश,दिनेश धाने और यशपाल आर्य तो मुख्यमंत्री हरीश रावत के मंत्रीमंडल के सदस्य हैं। नदीमुद्दीन जिसने यह आर.टी.आई फाइल किया है उन्होंने कहा कि इस आर.टी.आई से एक बात तो साफ हो गई है कि हमारे जो प्रतिनिधि है वो किसी भी उदाहरण के काबिल नहीं हैं।

इन सभी सदस्यों को चल सम्पत्ति का विवरण देना था जो उत्तर प्रदेश मिनिस्टर एंड लेजिसलेटर् के अंतर्गत आता है (पब्लिकेशन आफ असेट एंड लाइबिलिटी)और जिसे उत्तराखंड ने अपनाया है। इस अधिनियम के अंतर्गत सभी सदस्यों को अपनी संपत्ति और जायदाद का विवरण चुनाव से तीन महीने पहले देना होता है।

देहरादून के कांग्रेस विधायक राजकुमार कहते हैं कि उनके व्यस्त शेड्यूल की वजह से वो यह विवरण फाइल नहीं कर पाएं और उन्होंने कहा कि वह जल्दी ही यह काम कर देंगे।शैला रानी रावत जो पिछले चुनावों में कांग्रेस में थी और अब भाजपा में है कहती है कि आम तौर पर ,विधायकों की यह सोच है कि वो इन नियमों को नहीं मानते है और उन्हें इन नियमों से कोई फर्क नही पड़ता है।

शैला रानी पिछले चुनावों में 29 सदस्यों में से एक सदस्य है जिन्होंने अपनी सम्पत्ति का विवरण दिया था। पहाड़ी क्षेत्र में 70 सदस्यों का चुनाव 15 फरवरी को होने वाला हैं।

देहरादून में आज से शुरु 28 वां सड़क सुरक्षा सप्ताह

0

पिछले सालों की तरह ही इस साल भी 28 वां सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन 9 से 15 जनवरी के बीच पूरे भारत वर्ष में मनाया जा रहा है, इसी सिलसिले में देहरादून में भी जनपद पुलिस द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान सड़क सुरक्षा एवं यातायात नियमों की जानकारी प्रदान करने तथा जागरूकता उत्पन्न करने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है, जिसमें स्कूली /संस्थानों के छात्र-छात्राओं को जानकारी के साथ ही यातायात नियमों का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण चौराहों /तिराहों पर यातायात पुलिस के दिशा निर्देश में प्रदान किया जा रहा है । सड़क सुरक्षा के वास्तविक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए भावी युवा पीढ़ी को अनुशासित देश के प्रति समर्पित एवं सड़क सुरक्षा तथा यातायात नियमों के प्रति जागरूक होना नितान्त आवश्यक है, जिससे आने वाली पीढ़ी एक सुरक्षित समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सके। इसी सिलसिले में सोमवार को सर्वे ऑफ इण्डिया ऑडिटोरियम में पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड एम गणपति ने सड़क सुरक्षा सप्ताह का विधिवत शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम के दौरान डीजीपी ने भारत में सडक दुर्घटनाओं के विषय में जानकारी देते हुये बताया गया कि आम अपराधों कि तुलना में सडक दुर्घटनाओं में 08 गुना ज्यादा मृत्यु होती है, पुलिस द्वारा समय समय पर चलाये गये यातायात जागरुकता अभियानों से वर्ष 2015 कि अपेक्षा वर्ष 2016 में सडक दुर्घटनाओं में कमी आई है, इसके अतिरिक्त उनके द्वारा सुरक्षित यातायात के लिए आवश्यक बाते बतायी गयी, कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून स्वीटी अग्रवाल ने बताया  कि वाहन चलाते समय हेल्मेट पहनना पुलिस की ही नही, अपितु सबकी जिम्मेदारी है। हेल्मेट पहनने से सडक दुर्घटनाओं में 25 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। कार्यक्रम के दौरान पुलिस महानिदेशक द्वारा उपस्थित सभी लोगों को सडक सुरक्षा के नियमों का पालन करने की शपथ दिलाई गयी। साथ ही यातायात सुधार के  लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले 11 पुलिस कर्मियों को पुरुष्कृत किया गया। कार्यक्रम दौरान सेयद मोहम्मद द्वारा यातायात सुरक्षा हेतु पर बनाई गयी डॉक्यूमेन्ट्री फिल्म भी उपस्थित लोगों को दिखाई गयी। कार्यक्रम के अंत में स्कूल कॉलेजों के छात्र छात्राओं व अन्य लोगों के साथ सड़क सुरक्षा  के प्रति जागरूकता हेतु एक साइकिलिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय पर आये प्रतिभागियों को सडक सुरक्षा सप्ताह के अंतिम दिन पुरुष्कृत भी किया जायेगा।

सोलह साल बाद भी विकास की राह निहारता उत्तराखंड

86 साल पहले  उत्तराखंड के जनमानस ने अगर एक अलग प्रदेश  का सपना  1930 में  देखना शुरू किया जो अंततः  2000 में पूरा हुआ।  इसमें कोई संदेह नहीं की पहाड़ की जनता एक तो उत्तरप्रदेश के हुक्मरानों से अजीज चुकी थी। या यों कहें कि पहाड़ की आवाज दो शक्तिशाली राजनीतिज्ञों के बाबजूद लखनऊ तक नहीं पहुच पाई।फलस्वरूप जनता को मजबूर होकर अलग राज्य की इस लड़ाई को आगे ले जाना पड़ा। साठ साल से बंद इस लड़ाई को अंतिम मुकाम पर पहुचाया 1994 के मुजफ्फरनगर कांड ने , जिसके फलस्वरूप लखनऊ से कभी उत्तराखंड या फिर उत्तराँचल होते हए , प्रदेश की यह मांग संसद में पहुँची।

अंततः 1 नवम्बर 2000 को उत्तराँचल नाम से राज्य का नामकरण हुआ, जिसमें वास्तविक उत्तराखंड को अल्पसंख्यक राज्य बना दिया गया और हरिद्वार, उद्धमसिंगनगर , देहरादून जिलों को इसमें शामिल  कर दिया गया। आज ये ही जिले उत्तराखंड पर राज कर रहे हैं ,आज वे ही 21 सीटो पर काबिज हैं। बीजेपीकांग्रेस के चुंगल में फंसे इस आँचल को फिर खंड में तब्दील कर दिया गया। परंतु हद तो तब हो गई जब पहाड़ रूपी इस देवभूमि को नोचनेखसोटने में पहाड़ से देहरादून पहुचे कुछ भूखेनंगे सियार गीदड़ भी देहरादून से बहार जाने को तैयार हुए। पहाड़ ने मांगी थी राजधानी गैरसैण परंतु पहुच गई देहरादून। और यही से शुरू होती हैं पहाड़ी राज्य की विडम्बना,जो एक समय अलग राज्य के धुर विरोधी थे बिडम्बना देखिए वही बन गए मुखिया।

निकट भविष्य में शायद राजधानी पहाड़ तक चढ़ भी नहीं पाएगी क्योंकि अब राजनैतिक समीकरण ही कांग्रेस बीजेपी ने ऐसे कर दिये हैं कि जो भी पार्टी पहाड़ जाने की बात करेगी भूखे मरेगी। अब पहाड़ की आवाज कुंद हो चुकी हैं ,गांव के गांव खाली हो गयें हैं । रही सही कसर चुनाव आयोग ने पूरी कर दी डिलिमिटेशन करके। कहाँ लड़ाई थी जल जंगल और जवानी की परंतु खण्ड और आँचल के पाखंड में ऐसे फंसी की बाहर निकलने के लिए छटपटा रही हैं। कौन तोड़ेगा इस बंधन को? कब प्रकट होगा पहाड़ का मोदी या कब प्रकट होगा एक रमन, या एक सत्यवादी हरिश्चन्द्र यह तो  शायद आगामी विधान सभा चुनाव ही बता पाएगा। आशा तो यही करनी चाहिए ..

पहाड़ की यह यात्रा नित्यानंद से शुरू होकर राजा हरीश चंद तक पहुच गई है ,राजा हरिश्चन्द्र तो परीक्षा में सफल होकर निकले थे लेकिन पहाड़ के हरीश कैसे पहाड़ की परीक्षा में सफल होंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा?

उत्तराखंड अब सोलह साल का हो चुका है , दो साल बाद व्यसक होने की राह देख रहा है, चंद ही दिनों बाद उत्तराखंड में चुनाव होने हैं शायद जनता इस बार कुछ नया करे?

विगत सोलह सालों में दावे तो बहुत किए गए परंतु पहाड़ से बहने वाली नदियों का रुख निरंतर मैदान की ओर ही रहा, क्या वह समय भी आएगा जब मैदानों से निकलने वाली नदियां पहाड़ का रुख करेंगी? शायद हाँ शायद नहीं।

सूरज की गर्मी से मौसम में थोडा बदलाव,फिर भी तापमान घट कर 9 डिग्री तक पहुंचा

0

पिछले तीन चार दिनों में सूरज ने अपने बहुत से रुप दिखा दिए हैं। कभी आसमान के पीछे छुप कर कभी सामने आकर। इन सभी बदलावों के बाद आज सोमवार को देहरादून का मौसम साफ व सुहाना दिखा। पिछले कई रोज से आसमान के पीछे छिपे सूरज ने अपनी रोशनी से मौसम को थोड़ा बदला लेकिन शाम को फिर ठंडी हवाओं ने शहर का माहौल ठंडा कर दिया।

मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दो दिनों में कोहरा और पाला बढेगा जिससे मौसम में नमीं और ठंड बढ़ेगी।दिन में धूप होने की वजह से आज मौसम शुष्क रहा लेकिन पाला और कोहर होने की वजह से शाम होते होते ठंड काफी बढ़ गई और तापमान घट कर 9 डिग्री तक पहुंच गया है।

उंचाईं वाले क्षेत्रों में हुई बर्फबारी और निचले हिस्सों में हुई बारिश की वजह से तापमान में अच्छी खासी गिरावट दर्ज की गई है जिसकी वजह से ज्यादातर लोग अपने घरों में कैद रहना पसंद कर रहे है। आने वाले दिनों में मौसम क्या रुख लेती है यह तो वक्त ही बताएगा, फिलहाल उत्तराखंड का पहली बर्फबारी ने अपने पर्यटकों को और निवासियों को खुश कर दिया है। होटल व्यवसायी रजत अग्रवाल ने बताया कि पिछले शनिवार और रविवार को हुई बर्फबारी ने होटल व्यवसायी के चेहरों पर फिर वहीं मुस्कान लौटा दी है,उन्होंने बताया कि इस बर्फबारी के बाद भले ही मसूरी में जगह फूल होने का बोर्ड लगा दिया गया हो लेकिन अभी भी 30 प्रतिशत जगह खाली है। इस बर्फबारी ने दूर दराज के लोगों को इतना आकर्षित किया है अलग अलग जगहों से होटल वालों के पास इन्कव्यायरी आ रही है जो एक हिल स्टेशन के लिए बहुत बड़ी खुशी की बात है। उन्होंने बताया कि साल के पहले हफ्ते में मसूरी व आसपास की जगहों में बर्फबारी ने बिजनेस पर चार चांद लगा दिया है और जो लोग बर्फ देखने आए थे उन पर्यटकों नें मसूरी में और ज्यादा दिन रुकने का प्रोग्राम बना लिया है। जाहिर है कि इस बर्फबारी ने सिर्फ पर्यटकों को ही नहीं बल्कि होटल मालिकों को भी नए साल में गुलजार कर दिया है। 

देहरादून में गाड़ी और महंगी साइकिलें चुराने वाले चोर धरे गए

0

अमृत सिंह निवासी 82 अंसल ग्रीन वैली जाखन द्वारा थाना राजपुर पर लिखित तहरीर दी की अज्ञात चोर द्वारा उनके पडोसी श्री चंद्रशेखर निवासी 90 अंसल ग्रीन वैली की EON कार चोरी कर ली है। सूचना मिलने पर थाना राजपुर द्वारा बनाई गई पुलिस टीम द्वारा तलाशी करते हुवे मुखबिर की सूचना पर देर रात्रि रिस्पना पुल के पास से अभियुक्त मोनू यादव, अमित कुमार को चोरी के वाहन के साथ गिरफ्तार किया । अभियुक्त अमित कुमार के कब्जे से एक तमंचा 12 बोर, एक जिंदा कारतूस भी बरामद हुआ। जिस पर थाना हाजा पर मुकदमा अपराध संख्या 05/17 धारा 25 आर्म्स एक्ट पंजीकृत किया गया।

इसके साथ ही शहर से साइकिल चोरी की सूचना मिलने पर कार्यवाही करते हुए पुलिस टीम द्वारा साइकिल की तलाश जारी की गयी तो सोमवार को करीब 7.30 बजे सुबह करन नाम का व्यक्ति को चोरी की गयी साइकिल के साथ गिरफ्तार किया गया। पकडे गए व्यक्ति से जब पूछताछ की गयी तो उसके द्वारा बताया गया कि वह लोगों के घरों के बाहर खड़ी महँगी साइकिल की चोरी करता है और सही ग्राहक मिलने पर उन्हें बेच देता है इस पर अभियुक्त के कब्जे से 05 अन्य महँगी सायकलें बरामद की गयी 

चुनाव आचार संहिता को लेकर मुख्य सचिव ने ली उच्च स्तरीय बैठक

0

मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में अधिकारियों के साथ विधानसभा चुनावों की तैयारियों के संबंध में बैठक हुई। बैठक के दौरान मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती राधा रतूड़ी ने सभी अधिकारियों को आदर्श आचार संहिता और उसके अनुपालन हेतु भारत के निर्वाचन आयोग के विभिन्न दिशा-निर्देशों के बारे में अधिकारियों को अवगत कराया। 

बैठक में राज्य सम्पत्ति विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि

  • मंत्रीगणों एवं महानुभावों को उपलब्ध करायी गए वाहनों से लाल बत्तियों को तत्काल हटा दिया जाय।
  • इस बात का ध्यान रखा जाए कि मंत्रीगणों द्वारा राजकीय वाहनों का उपयोग केवल शासकीय कार्य हेतु एवं राजकीय आवास से राजकीय कार्यालय तक ही प्रयोग किया जा रहा हो।
  • राजकीय अतिथि गृहों के प्रयोग हेतु सभी के लिए सामान्य एवं बराबर व्यवस्था की जाए।
  • दायित्वधारियों को प्रदान की जा रही सुविधाओं की निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अधीन तत्काल समीक्षा करते हुए जिन सुविधाओं को हटाना हो उन्हें हटाया जाय।
  • यदि रिहायशी बस्तियों में अतिक्रमण हटाए जाने के कार्य से लोगों का विस्थापन होता हो तो इसे तुरन्त रोक दिया जाए क्योंकि इससे वोटरों का मतदान का अधिकार प्रभावित होता है।
  • विभागों को निर्देश दिये कि विभागों में किसी भी प्रकार का स्थानान्तरण ना किया जाय और यदि किसी का स्थानान्तरण हुआ भी हो तो उसे निर्वाचन प्रक्रिया की समाप्ति तक कार्यमुक्त न किया जाय।
  • वन, वित्त एवं अन्य कई विभागों द्वारा निर्वाचन ड्यूटी से छूट की मांग को अस्वीकार करते हुए मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि संबंधित जिलाधिकारी द्वारा निर्वाचन ड्यूटी से संबंधित अंतिम फैसला लिया जायेगा। किसी भी विभाग को पूर्ण रूप से निर्वाचन ड्यूटी में छूट नहीं प्रदान की जायेगी। ग्राम्य विकास विभाग को निर्देश दिये गये कि सांसद एवं विधायक निधि से कोई नया फण्ड अवमुक्त न किया जाय और नये कार्य स्वीकृत न किये जाय।
  • विभागों को यह भी निर्देश दिये कि कोई भी विभाग 15 फरवरी, 2017 तक किसी भी प्रकार के विज्ञापन न प्रसारित करें जिससे मतदाओं को प्रभावित किया जा सकता हो।
  • अत्याधिक आवश्यकता होने पर केवल सूचनात्मक विज्ञापन ही प्रकाशित हो सकते हैं परन्तु इनमें किसी भी प्रकार की उपलब्धियों का प्रचार नहीं हो सकता है।
  • बताया गया कि निर्माणकारी विभागों द्वारा नये शुरू किये जाने वाले कार्यों के निविदा विज्ञापनों पर भी 15 फरवरी तक रोक रहेगी।
  • गृह विभाग को निर्देश दिया गया कि यदि पैरोल के किसी प्रकरण पर निर्णय लेना आवश्यक है तो उसे निर्वाचन कार्यालय को संदर्भित किया जाय।
  • ऊर्जा विभाग सहित अन्य विभागों के अधीन निगमों इत्यादि में प्रबन्ध निदेशक आदि पदों को भरने की कार्यवाही न की जाय।
  • यदि कोई प्रक्रिया चल रही हो तो उसका परिणाम निर्वाचन के बाद ही घोषित किया जाय। शिक्षा सहित सभी विभागों को निर्देश दिया गया कि वे अवकाश पर गये कार्मिकों का अवकाश निरस्त करते हुए उन्हें मुख्यालय पर वापस बुलाने का निर्देश दें जिससे उनकी निर्वाचन ट्रेनिंग करायी जा सके।
  • मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने विभागीय सचिवों को निर्देश दिये कि विधानसभा द्वारा पारित हो चुके बजट से संबंधित फाईलें निर्वाचन कार्यालय को किसी पूर्वानुमति के लिये भेजने की आवश्यकता नहीं है और विभागीय अधिकारी इस संबंध में नियमानुसार स्वयं कार्यवाही करने हेतु सक्षम है।

कांग्रेस में बनी 63 सीटों पर एक राय; कुछ सीटों के पेंच अभी भी अटके

0

आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस और अन्य दलों में मंथनों का दौर चल रहे हैं। सभी नेता अपने अपने उम्मीदवारों को टिकट दिलाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। टिकट बंटवारे का काम वैसे ही प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के लिये चुनौती भरा होता है। कांग्रेस के लिये और भी चुनौती पूर्ण इसलिये हो गया है क्योंकि लंबे समय से प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच आॅल इज़ नाॅट वेल के संकेत आते रहे हैं। दोनों ही नेताओं और उनके केमों से हो रही लगातार बयानबाज़ी इन खबरों को और बल दे रही है।

इस बीच प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के मुताबिक पार्टी ने 63 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिये हैं। इन नामों में काफी चेहरें तो ऐसे हैं जो अपनी पारंपरागत सीटों पर ही लड़ेंगे और उनके नामों को फाइनल करने में पार्टी आलाकमान को कोई खास दिक्कत नहीं पेश आई होगी। मसला उन सीटों पर अटका हुआ है जो

  • पार्टी छोड़ कर गये नौ विधायकों ने खाली की हैं
  • राज्य के बड़े नेता जो अपने परिजनों को टिकट दिलाने की जुगत में लगे हुए हैं
  • मुख्यमंत्री और उनके खास लोगों के लिये सीटों का चुनाव
  • प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की सीट

अटकलों का बाज़ार तमामतरह की लिस्टों और नामों से भरा हुआ है लेकिन हम आधिकारिक तौर पर दोनों बड़ी राजनीतिक दलों की तरफ से आये नामों को ही अपने पाठकों तक पहुंचायेंगे।

इस सबके बीच प्रदेश की कांग्रेसी चुनावी रणनीति में रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम भी राज्य में सक्रिय हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले ही प्रशांत किशोर की टीमें हर ज़िलें में सक्रिय ह गई हैं। ये देखना दिलचस्प होगा कि अपनी प्लैनिंग से चुनावों की दशा दिशा बदलने की मिसाल दे चुके प्रशांत किशोर उत्तराखंड में कांग्रेस को विनिंग रन दिलावे में कितने कारगर साबित हो सकेंगे।

समाजवादी दंगल में कूदे नरायण दत्त तिवारी; मुलायम को लिखी चिट्ठी

0

राजनीति और परिवारवाद का पुराना साथ रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में चल रहे समाजवादी दंगल में भिड़ रहे पिता पुत्र के बीच एक और पिता युद्ध विराम कराने के लिये सामने आ गये हैं। वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने समाजवादी विवाद पर मुलायम सिंह यादव को पत्र लिख डाला है। इस पत्र के माध्म से तिवारी ने मुलायम के कहा है कि ” मैने सदा आपको अपना छोटा भाई और अखिलेश को अपना भतीजा माना है। और इसी लिये में आपसे निवेदन करता हूं कि पार्टी की कमान आप अखिेलेश के युवा कंधों पर डाल दें’। तिवारी के मुताबिक अखिलेश एक मंझे हुए युवा राजनेता के रूप में अपने को स्थापित करने में कामयाब हुए हैं और ऐसै में ये सही वक्त है कि राज्य के विकास के लिये पार्टी की कमान उन्हें दे दी जाये। तिवारी ने यहां ये भी साफ किया कि राजनीति के इस जटिल सफर में अखिलेश को मुलायम के आशीर्वाद की ज़रूरत रहेगी।

तिवारी के इस पत्र से अखिलेश खेमें में तो कुछ उत्साह आयेगा क्योंकि न केवल नारायण दत्त तिवरी आज भी उत्तर प्रदेश की राजनीति के कद्दावर नेता हैं साथ ही अखिलेश सरकार ने भी अपने कार्यकाल में तिवारी को खासी तवज्जो दी थी। लेकिन इस समाजवादी संग्राम में अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव और अमर सिंह को तिवारी का ये सुझाव कितना पसंद आयेगा इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही है।

तिवारी का मुलायम को लिखा पत्र

तिवारी ने पत्र में ये भी कहा है कि खुद अपने पुत्र शेखर तिवारी के लिये राजनीतिक संभावनाओं की तलाश करने के चलते वो लखनऊ नहीं आ रहे हैं और इसिलिये पत्र के माध्यम से अपनी बात मुलायम तक पहुंचा रहे हैं।

इसे राजनीतिक विडंबना ही कहेंगे कि एक तरफ पार्टी और राजनीतिक विरासत पाने के लिये परिवार और बाप बेटे में घमासान मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ एक पिता अपनी राजनीतिक विरासत को अपने पुत्र के हवाले करवाने के लिये इन दिनों ऐड़ी चोटी का दम लगा रहा है।

रावत पर बीजेपी का पलटवार कहा जनता मांग रही है रावत का “रिपोर्ट कार्ड”

0

रविवार को भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ देवेन्द्र भसीन ने कहा कि उत्तराखंड की जनता को कांग्रेस सरकार से उसका केन्द्र से मांग पत्र नहीं बल्कि उसके अपने काम का रिपोर्ट कार्ड चाहिए। उन्होंने कांग्रेस हाई कमान द्वारा उत्तराखंड में प्रोफेशनल रणनीतिकार भेजने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे साफ़ हो गया है कि कांग्रेस के केंन्द्रीय नेताओं को राज्य में कांग्रेस की खस्ता हालत होने का पता लग गया है और वे उत्तराखंड के नेताओं पर भरोसा भी नहीं कर रहे।

डॉ भसीन ने कहा कि अब जब राज्य विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है और चुनाव के लिए पांच सप्ताह ही शेष रह गए है ऐसे में राज्य की जनता को मुख्यमंत्री या कांग्रेस नेताओं से उनके द्वारा केंद्र से की जा रही मांगो का विवरण नहीं चाहिये। बल्कि जनता कांग्रेस नेताओं से यह जानना चाहती है कि यदि उनकी सरकार ने राज्य के विकास के लिए कुछ किया है तो वे उसका रिपोर्ट कार्ड दें।

उन्होंने कहा कि राज्य की जनता इस बात को अच्छी तरह जानती है कि पहले श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने उत्तराखंड को बहुत कुछ दिया और अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र की भाजपा सरकार उत्तराखंड को एक के बाद एक बड़ी विकास योजनायें दे रही है। लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार केंद्र की मदद का सही उपयोग ही नहीं करना चाहती।

डॉ भसीन ने कहा कि चुनाव के समय उत्तराखंड की जनता चाहती है कि यदि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश का कुछ भी विकास किया है तो मुख्यमंत्री उसका विवरण दे। पर सच यह है कि कांग्रेस के रिपोर्ट कार्ड में केवल घोटाले, भ्रष्टाचार, लूट , कमीशन खोरी के कारनामे ही हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास विकास के नाम पर बताने के लिए कुछ भी नहीं है।

मीडिया प्रभारी ने कहा कि अब कांग्रेस हाई कमान ने एक प्रोफेशनल रणनीतिकार को उत्तराखंड भेजा है। इससे साफ़ है कि कांग्रेस के केन्द्रीय नेताओं को यह साफ़ हो गया है की उत्तराखंड में कांग्रेस की हालत ख़राब है और उनका उत्तराखंड के कांग्रेस नेताओं से भरोसा भी उठ गया है । ऐसे में उन्होंने प्रोफेशनल व्यक्ति को उत्तराखंड भेजा है कि शायद वे कुछ कर सके। पर सच्चाई यह है कि श्री हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस की काठ की हांड़ी एक बार चूल्हे पर चढ़ चुकी है इसलिये उसके दोबारा चूल्हे पर चढ़ने की कोई भी गुंजाईश नहीं है।