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तिवारी के तेवर से कांग्रेस में खलबली

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कांग्रेस के बुजुर्ग नेता नारायण दत्त तिवारी के भाजपा का दामन थामते ही कांग्रेस ही नहीं उत्तराखंड की समूची राजनीति में हलचल पैदा हो गई है। गौरतलब है कि नब्बे साल की उम्र पार कर चुके श्री तिवारी उत्तराखंड और उससे पहले संयुक्त उत्तर प्रदेष के भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वे केंद्रीय वित्त और उद्योग मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद भी कांग्रेस की सरकार में संभाल चुके हैं। उनकी कांग्रेस से नाराजगी की वजह उनके पुत्र रोहित षेखर को अगले महीने के विधान सभा चुनाव में पार्टी टिकट देने में राज्य और केंद्रीय नेतृत्व की आनाकानी बताई जा रही है। यह बात दीगर है कि खुद को श्री तिवारी का पुत्र सिद्ध करने के लिए रोहित को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। उन्हें अपनाने से श्री तिवारी के इंकार पर अदालत द्वारा उनके खून से मेल कराई। रोहित के खून की डीएनए जांच मिल जाने पर उन्हें मजबूरन रोहित की मां उज्जवला शर्मा से शादी करके उन्हें अपनाना पड़ा।

कांग्रेस हाईकमान और प्रादेषिक नेतृत्व की मुष्किल यह है कि आंध्र प्रदेष के राज्यपाल पद से श्री तिवारी को राजभवन में उनके अष्लील वीडियो के वायरल होने पर नैतिकता के तकाजे पर हटाया गया था। साथ ही उन्हें अपना पिता सिद्ध करने के दौर में रोहित के आरोपों से भी उनकी तथा कांग्रेस की खासी मिट्टी पलीद हो चुकी है। ऐसे में रोहित को टिकट देकर पार्टी शायद श्री तिवारी और अपनी बदनामी के अध्यायों का रायता चुनाव के दौरान फिर से फैलने देने से बच रही है। हालांकि तथ्य यह भी है कि संयुक्त उत्तर प्रदेष और उत्तराखंड के लिए श्री तिवारी विकास पुरूश सिद्ध हुए हैं। दिल्ली की सीमा पर बसी मशहूर नोएडा औद्योगिक नगरी की नींव उन्हीं के मुख्यमंत्री काल में रखी गई थी। इसी तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कमान संभालते ही उन्होंने इस पिछड़े पहाड़ी राज्य में सिडकुल के नाम से औद्योगिक क्षेत्रों की जो नींव रखी उसने आज इसे अग्रणी राज्य बना दिया है। सिडकुल इतने सफल रहे कि उनकी बदौलत राज्य की आबादी और आमदनी भी पिछले दस साल में करीब दुगुनी हो गई है। श्री तिवारी अब भले ही सक्रिय राजनीति में नहीं है, मगर उनके बागी हो जाने पर उनकी भावनात्मक अपील से निपटना कांग्रेस के लिए राज्य विधानसभा के इस सबसे कठिन चुनाव में टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

राजनीति वास्तव में अनिशिचताओं का खेल है। दिलचस्प है कि जहाँ एक तरफ़ प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी में नेताओं पर 75  साल की उम्र सीमा लगा कर कई नेताओं को राजनीति से रिटायर कर दिया है वहीं 91 साल की उम्र में पंडित नारायण दत्त तिवारी को पार्टी की सदस्यता दिलाई जा रही है। पार्टी में पहले ही उम्र के चलते लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को हाशिये पर डाल दिया गया है और तो और प्रधानमंत्री किसी भी राजनीतिक पद पर उम्मीदवार चुनने के लिये उम्र को एक बड़ा फ़ैक्टर मानते हैं। लेकिन नारायण दत्त तिवारी को पार्टी में लेते वक़्त इस सिद्धांत को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है।

एन डी तिवारी ने थामा कमल; बेटे को टिकट दिलाने के लिये चला दांव

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वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने बुधवार को कांग्रेस का साथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लिया । तिवारी ने बीजेपी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थित में दिल्ली में उनके निवास पर अपने बेटे रोहित शेखर के साथ बीजेपी ज्वाइन करी। बताया जा रहै है कि तिवारी के कांग्रेस से मोहभंग के पीछे पार्टी द्वारा उनके बेटे रोहित शेखर के लिये विधानसभा चुनाव का टिकट न दिये जाना है। पहले से ही टिकटों के बंटवारे को लेकर असमंजस में पड़ी कांग्रेस ने कई साल से हशिये पर घकेले तिवारी की अपने बेटे के लिये टिकट की मांग को दरकिनार करना ही सही समझा। हांलाकि बीजेपी का भी कहना है कि तिवारी के पार्टी में आने को किसी सीट की डील से जोड़ के न देखा जाये।

लेकिन राज्य में सत्ता पर काबिज़ होने की राह देख रही बीजेपी ने किसी ज़माने में कांग्रेस के कद्दावर नेता तिवारी को सहारा देने में राजनीतिक समझारी समझी। इसके पीछा कारण भी है, तिवारी उत्तराखंड ही नहीं उत्तरप्रदेश के भी बड़े ब्राहमण नेता के तौर पर जाने जाते हैं। तिवारी के द्वारा अपने कार्यकाल में किये गये कामों के कारण उनकी छवि भी “विकास पुरूष’ के रूप में बनी हुई है। हांलाकि अपनी निजि ज़िंदगी के कारण तिवारी हमेशा ही गलत कारणों से सुर्खियों में रहे और इसी के चलते उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल पद भी गवाना पड़ा था। इसके बाद से ही तिवारी का राजनीतिक वनवास शुरू हो गया था। तिवारी और हरीश रावत की दूरियां जग जाहिर हैं। हांलाकि इन सालों में कांग्रेस ने तो उन्हें भुला दिया लेकिन उनके राजनीतिक कद को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तिवारी को अपने साथ रखने की कोशिसें करते रहे। इसके लिये तिवारी को लखनऊ में राज्य सरकार की तरफ से  सुविधाऐं दी गई और खुद मुख्यमंत्री समय समय पर तिवारी का हाल चाल पूछने जाते रहे।

तिवारी इससे पहले भी 1994 में तिवारी ने अर्जुन सिंह के साथ मिलकर इंदिरा कांग्रेस के नाम से अलग दल बनाया था। लेकिन कुछ समय में ही वो वापस कांग्रेस में आ गये। अब ये देखने की बात है कि तिवारी ने बीजेपी का दामन तो थाम लिया है पर देखने की बात ये है कि वो अपने पुत्र के लिये पार्टी से क्या सौगात ला सकते हैं। साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि तिवारी को दरकिनार कर चुकी कांग्रेस को तिवारी अपने राजनीतिक दमखम से चुनावों में कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं।

 

पीएम मोदी के दौरे के लिए देहरादून प्रशासन ने कसी कमर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आइएमए दौरे की तैयारियों का जायजा लेने के लिए राज्य के मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने मंगलवार को सचिवालय में एक बैठक की। मुख्य सचिव ने सम्बंधित अधिकारियों को सुरक्षा, परिवहन, स्वास्थ्य, बिजली, पानी आदि के फूल प्रूफ इंतजाम रखने की हिदायत दी है। बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री प्रातः साढे नौ बजे से साढ़े तीन बजे तक देहरादून के आइएमए में रहेंगे। इस की वजह से ठीक पासिंग आउट परेड की तरह आइएमए का रूट डायवर्ट किया जायेगा ताकि शहर में ट्राफिक सुचारु रुप से चल सके।

देहरादून के जौलीग्रांट एअरपोर्ट पहुंचने पर प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए राज्यपाल, मुख्य सचिव और डीजीपी वहां मौजूद रहेंगें। आइएमए में कमिश्नर, डीआईजी गढ़वाल, डीएम, एसएसपी देहरादून प्रधानमंत्री की आगवानी करेंगे। जौलीग्रांट एअरपोर्ट और आइएमए में विशेषज्ञ डाक्टर, जीवन रक्षक दवाएं और एम्बूलेंस तैनात रहेंगे। देहरादून स्थित मेडिकल हास्पिटल और जौलीग्रांट अस्पताल को भी इसके लिए निर्देश दिया गया है।

उत्तराखंड में अवसरवाद और वंशवाद की नई इबारत

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देश को पवित्रता की मानक नदी गंगा देने वाले राज्य उत्तराखंड में भाजपा ने लोकतंत्र में अवसरवाद, वंशवाद और दलबदल की नई इबारत लिख डाली है। उसने 64 सीटों के लिए सोलह जनवरी को जिनकी उम्मीदवारी घाेिशत की है उससे साफ है कि राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए वह सरासर बेकरार है। इसीलिए उसने न सिर्फ 37 साल से अपना नाम-निशान ढो रहे कार्यकर्ताओं को चैतरफा फैली बर्फ में लगा कर दलबदलू कांग्रेसियों को बड़े पैमाने पर अपने टिकटों से नवाज दिया बल्कि बेटे-बेटियों की वंशबेल भी कमल छाप के सहारे पहाड़ पर चढ़ाने की पहल कर दी। सत्ता की इस अंधी दौड़ में कम से कम गढ़वाल में तो भाजपा ने अपना पूरी तरह कांग्रेसीकरण कर लिया। भाजपा ने सत्ता की अंधी दौड़ में अवसरवाद, वंशवाद, दलबदल, धनबल आदि उन तमाम कुत्सित प्रवृत्तियों को गले लगा लिया है जिनके लिए वह अपने पूर्व अवतार जनसंध सहित पिछले 65 बरस से कांग्रेस को कोसती आ रही है। दिलचस्प यह है कि उत्तराखंड के पितृ राज्य उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सपा और कांग्रेस पर कुनबापरस्त होने का आरोप लगा रहे थे लगभग उसी समय उनके विष्वस्त पार्टी अध्यक्ष अमित षाह इस पहाड़ी राज्य के दलबदलू कांग्रेसियों और अपने भी नेताओं के बेटे-बेटियों के लिए पार्टी टिकटों का फैसला कर रहे थे। सोलह जनवरी की सुबह तक कांग्रेस सरकार के मंत्री और कद्दावर दलित नेता यशपाल आर्य दोपहर को जब भाजपाई हुए तो पार्टी ने षाम में सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उनके साहबजादे को भी आनन-फानन पार्टी उम्मीदवार घोशित कर दिया। इसके अलावा आपदा का माल हड़पने का आरोप लगा कर कल तक जिस विजय बहुगुणा को पार्टी कलंकित कर रही थी उन्हीं के बेटे सौरभ बहुगुणा को सितारगंज से पार्टी टिकट दे डाला। इस तरह भाजपा ने गढ़वाल से निकल कर देष के बड़े नेता बने हेमवतीनदन बहुगुणा की तीसरी पीढ़ी की बेल भी पहाड़ पर चढ़ाने का पाप लोकतंत्र में अपने सिर मढ़ लिया। अपने ही सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी को भी भाजपा ने यमकेष्वर से पार्टी उम्मीदवार बना दिया है। इस तरह भाजपा ने राज्य में सत्ता पाने के लिए हरेक हथकंडा आजमाने का जो कांग्रेस से भी दो कदम आगे जाकर अवसरवादी जुआ खेला है वह कहीं उसके लिए दुधारी तलवार साबित न हो जाए। सत्ता के इस लालच में भाजपा ने अपनी चोटी खींचने के लिए अपनी धुर विरोधी कांग्रेस को भी भरपूर मौका दे दिया है। अब देखना यह है कि इन सब हथकंडों के लिए बदनाम कांग्रेस क्या भाजपा से अलग दिखने के लिए इस बार के विधानसभा चुनाव में शुचिता और संयम की राज्य में क्या कोई नई लकीर खींच पाएगी?

विधानसभा चुनाव 2017 की समीक्षा के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त उत्तराखंड दौरे पर

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New Delhi: Chief Election Commissioner Nasim Zaidi addresses a press conference to announce the schedule for the Bihar Assembly elections, in New Delhi on Wednesday. PTI Photo by Shirish Shete (PTI9_9_2015_000105B)

विधानसभा चुनाव 2017 की तैयारियों की समीक्षा के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग डा.नसीम जैदी, निर्वाचन आयुक्त अचल कुमार ज्योति, निर्वाचन आयुक्त ओ.पी.रावत, उप निर्वाचन आयुक्त विजय देव के साथ महानिदेशक(निर्वाचन व्यय) दिलीप शर्मा, निदेशक धीरेन्द्र ओझा, एवं निदेशक निखिल कुमार, निदेशक (ई.वी.एम.) मुकेश मीना, 18 एवं 19 जनवरी, 2017 को उत्तराखण्ड के दौरे पर रहेंगे। निर्वाचन आयोग की ये टीम बुधवार, 18 जनवरी, 2017 लगभग 3.30 बजे सभी राजनैतिक दलों के साथ बैठक करेंगी। शाम 5.30 बजे से 6.30 बजे तक मुख्य निर्वाचन अधिकारी व पुलिस विभाग के राज्य नोडल अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की जायेगी। इसके पश्चात सायं 6.30 से 7.30 तक आयकर विभाग, आबकारी, यातायात, लोक निर्माण विभाग, विद्युत एवं आई.टी. विभाग के राज्य नोडल अधिकारियों एवं विभागाध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी,  श्रीमती राधा रतूड़ी ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग की टीम गुरूवार, 19 जनवरी, 2017 को सुबह 10.00 बजे सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षको के साथ मतदान की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इसके बाद दोपहर 2.30 बजे से 3.00 बजे तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त डाॅ जैदी एवं आयुक्तगण मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक एवं प्रमुख सचिव/सचिव गृह के साथ बैठक करेंगे। इन सभी बैठकों के बाद आयोग की टीम प्रेस से मिलेगी।

सीएम ने कहा भाजपा बनीं दलबदलुओं की पार्टी; कांग्रेस में हो गया है कचरा साफ

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बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर मचे बवाल पर राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी बीजेपी पर हमला किया। रावत ने बीजेपी को अवसरवादी और दलबदलुओं की पार्टी घोषित कर दिया। मंगलवार को हरीश रावत व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पत्रकारों से बत करते हुए कहा कि बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जो सबसे ज्यादा भाई भतीजावाद पर टिप्पणी करती थी और अब 4 घंटे में बाप बेटे को टिकट देकर पार्टी में ज्वाइन करवा लिया। उन्होनें कहा कि है बीजेपी वही पार्टी है जिसने कहा था जब से आए बहुगुड़ा भ्रष्टाचार बढ़ा 100 गुना और आज वही लोग इन्हें सबसे उपयोगी मान रहे हैं।

इसके साथ ही सीएम रावत ने कहा की भूमि घोटाले,बीज घोटाले और पोली हॉउस घोटाले के मंत्री भी अब बीजेपी में शामिल हो गए है जिससे कांग्रेस के पास अब साफ सुथरी राजनिति करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि अभी जो कांग्रेस छोड़कर गए है उन्हें अपने इस फैसले पर आज नहीं तो कल पछतावा ही होगा। सीएम ने कहा कि अगर मैं अपनी बात करुं तो मैं उत्तराखंड की जनता की अपेक्षओं पर खरा उतरा हूं और आगे भी मेरी कोशिश रहेगी की मैं यहां कि जनता के लिए काम कर सकूं। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह सफर आसान नहीं था बहुत सारे दबाव व चुनौतियों के बाद भी सबकी अपेक्षओं पर खरा उतरा हूं।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा में दलबदलूं लोग ज्यादा है और बीजेपी अब दलबदलूओं का झंडा फहरा रही और ऐसा क्या हो गया कि भाजपा को दल बदल करने वालों की जरुरत पड़ गई।

वार्ता में मौजूद किशोर उपाध्याय ने कहा कि भाजपा ने जिस तरह से उम्मीदवारों की लिस्ट निकाली है उससे यह पता चला रहा कि वो अपनी हार सामने से देख रहे। उन्होंने यशपाल आर्या के कांग्रेस छोड़ने पर कहा कि जिस कांग्रेस ने उन्हें सब कुछ दिया उसको उन्होंने पुत्र मोह कि वजह से छोड़ दिया। सीएम रावत ने कहा कि हमारे पास तो भ्रष्टाचारी नेता थे ही नहीं और जो थे अब वो भी साफ हो गए तो अब कांग्रेस के पास एक साफ सुथरी और सुलझी हुई राजनिति करने का अवसर है और हम कोशिश करेंगे की हम इस मौके का फायदा उठा सकें।

निर्वाचन आयोग अधिकारियों ने स्कूली छात्रों को बताया मतदान का महत्व

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जागरुकता कार्यक्रम

मंगलवार को श्री गुरू नानक ब्वायज इण्टर कालेज, चुक्खुवाला, देहरादून मे भारत निर्वाचन आयोग ने युवा एवं भावी मतदाताओ के लिये राष्ट्रीय स्तर पर चलाये जा रहे इन्टरऐक्टिव स्कूल एन्गेजमेन्ट कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय इन्टरऐक्टिव स्कूल एन्गेजमेन्ट कार्यक्रम का आयोजन किया । कार्यक्रम में 18 वर्ष से कम उम्र के स्कूली छात्रों को शैक्षिक मनोरंजक सामान के जरिए मतदाता शिक्षा प्रदान की गयी।

कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए नोडल अधिकारी स्वीप कौशल्या बंधु ने बताया कि “भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता SVEEP कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष से कम आयु के युवा एवं भावी मतदाताओं को स्कूली शिक्षा के दौरान ही मतदाता शिक्षा, सूचना एवं अभिप्रेरण हेतु उनके स्कूल पाठयक्रम एवं पाठयेत्तर गतिविधियों के साथ शैक्षणिक एवं मनोरंजक पूर्ण माध्यम से मतदाता शिक्षा को एकीकृत कर आयोग के राष्ट्रीय कार्यक्रम इन्टरऐक्टिव स्कूल एन्गेजमेन्ट का संचालन किया जा रहा है।”

कार्यक्रम में मौजूद सभी स्कूली छात्रों को (मै हूं देश का भावी मतदाता) स्लोगन सहित बैज प्रदान किए गए।स्कूली छात्रों के लिए मस्ती, दोस्ती, मतदान विडियो फिल्म भी दिखाया गया। छात्रों को मतदाता शिक्षा एवं जागरूकता पर आधारित एवं मतदाता बनने हेतु सहायता पुस्तिका, प्राउड टू बी वोटर कलर फुल कामिक बुक, विभिन्न वोटर ऐवेयरेनस मनोंरजक पूर्ण वीडियो एवं कम्पयूटर गेम प्रदर्शित करने के साथ बांटा गया।जन-जागरूकता मंच,देहरादून द्वारा बच्चों को सिविक एजुकेशन से सम्बन्धित जानकारी दी गई।सम्भव मंच एवं आईना थियेटर क्लब द्वारा नुक्कड़ नाटको का मंचन किया गया ।

कार्यक्रम के दूसरे चरण मे संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवनीत पाण्डे से छात्रों द्वारा वोटर कार्ड एवं वोटिंग से सम्बन्धित पूछे गए विभिन्न प्रश्नो का जवाब दिया गया, उनकी जिज्ञासाओं/शंकाओ का समाधान किया गया। कार्यक्रम में स्कूल के लगभग 200 छात्रों द्वारा हिससा लिया गया। कार्यक्रम मे मुख्य शिक्षा अधिकारी मुकुल कुमार सती एवं प्रधानाचार्य श्री गुरूनानक ब्वायज इण्टर कालेज सरदार अवतार सिंह चावला ने स्कूली छात्रों को मतदान की महत्ता के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन विशेष कार्याधिकारी स्वीप श्रीमती वंदना थलेड़ी, हिमाशु नेगी एवं समन्वयक स्वीप द्वारा संयुक्त रूप से किया गया गया ।

 

भानुमति का कुनबा बनी भारतीय जनता पार्टी

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उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार के वरिश्ठ मंत्री यशपाल आर्य ने पार्टी उपाध्यक्ष की ऋशिकेष में महत्वपूर्ण बैठक के मौके पर भाजपा का दामन थाम कर पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। ऐन विधानसभा चुनाव के मौके पर राज्य में पाला बदलने वाले यशपाल आर्य राज्य कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और महत्वपूर्ण दलित नेता रहे हैं। दल बदलते ही उन्हें भाजपा ने तत्काल बाजपुर से अपना उम्मीदवार भी घोशित कर दिया। उनके और कांग्रेस के अन्य बागी विधायकों समेत भाजपा ने राज्य में कुल 64 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम घोशित कर दिए हैं। हरिद्वार के आसपास मैदानी इलाके को छोड़ दें तो आर्य की अपील पहाड़ में बसे दलितों के बीच निर्विवाद रूप में व्यापक है। उनके साथ गए केदार सिंह को भाजपा ने यमुनोत्री से उम्मीदवार बना दिया है। राज्य में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद हुए इस दलबदल से भाजपा को लगता है कि गढ़वाल अंचल में कांग्रेस को लगभग नेस्तनाबूद करके उसे विधानसभा चुनाव के दौरान भारी बढ़त मिलना तय है।
देखना यह है कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की इस रणनीति से उसके काडर कितना तालमेल बैठा पाएंगे! इसकी वजह यह है कि कल तक वे जिस विजय बहुगुणा की सरकार पर केदारनाथ आपदा का पैसा डकार जाने का आरोप लगा रहे थे, उसीके लिए भाजपा के काडरों को अब जनता से वोट मांगने पड़ेंगे! उल्लेखनीय यह भी है कि बहुगुणा मंत्रिमंडल के दो अन्य मंत्रियों अमृता रावत और हरक सिंह रावत के साथ ही साथ उन्हें अब यशपाल आर्य को जिताने के लिए भी जनता का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। आर्य उसी हरीश रावत मंत्रिमंडल में 15 जनवरी तक मंत्री रहे हैं जिसे भाजपा भ्रष्ट और मौकापरस्त कहते नहीं अघा रही थी। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री सहित चार पूर्व मंत्रियों की मौजूदगी में भाजपा उनके कार्यकाल समेत कांग्रेस शासन के खिलाफ क्या आरोप पत्र लाएगी? जाहिर है कि इस दलबदल ने कांग्रेस के अपेक्षाकृत युवा नेताओं के लिए कम से कम गढ़वाल अंचल में तो विधानसभा में पहुंचने के दरवाजे खोल दिए हैं। इससे कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एकतरफ जहां उसे अपने कार्यकाल के आधे पापों से मुक्ति मिल गयी वहीं उसके लिए नए और बेदाग उम्मीदवार जनता के सामने उतारने का रास्ता भी खुल गया।
कांग्रेस का तो जो बंटाढार होना था वो हो चुका मगर अब देखना यह है कि बागी कांग्रेसियों को पार्टी टिकट देने पर भाजपा अपने बागी नेताओं को कैसे साधेगी? राजनैतिक लिहाज से यह दलबदल भाजपा कि लिए दुधारी तलवार साबित हो सकता है। एक तो इससे कांग्रेस के पांच साल के शासन के खिलाफ भाजपा के आरोपों की धार कुंद पड़ना तय है, दूसरे उसके अपने पिछवाड़े में भी बगावत की चिंगारी सुलगने की प्रबल आशंका पैदा हो गई है। जाहिर है कि कांग्रेस को खाखला कर देने के बावजूद भाजपा को बहुत फूंक-फूंक कर कदम रखने पड़ेंगे। जाहिर है कि पूर्वोत्तर राज्यों अथवा जम्मू-कष्मीर की तरह उत्तराखंड के विधायको की केंद्र में सत्तारूढ़ दल के साथ रहने की कोई मजबूरी नहीं है। उत्तराखंड की जनता पूरी तरह जागरूक और देश की मुख्यधारा में षामिल है इसलिए यहां के चुनाव नतीजे इस तमाम उठापटक के बावजूद चैंकाने वाले साबित हो सकते हैं।
भाजपा में यूं भी सतपाल महाराज से लेकर यशपाल आर्य तक कांग्रेस से जितने भी नेता शामिल हुए हैं, उनमें से किसी का भी कद मुख्यमंत्री हरीश रावत के बराबर नहीं है और उन सबके जाने से वे अब निर्विवाद नेता स्थापित हो गए हैं। दूसरी तरफ भाजपा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी दिखा रही है। वैसे भी भाजपा में पहले से जो तीन-चार मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे उनके अलावा चार नए दावेदार कांग्रेस से भी आ गए है। इस लिहाज से देखें तो भाजपा यदि विधानसभा चुनाव में बहुमत ले भी आई तो उसके लिए अपना मुख्यमंत्री चुनना सिरदर्द बन जाएगा। यदि नतीजे त्रिषंकु विधानसभा के रहे तो भाजपा को सरकार बनाने की कोषिष में सबसे अधिक सतर्क कांग्रेस से ही रहना होगा, क्योंकि मुख्यमंत्री और मंत्री पद की चाहत में कांग्रेसियों के लिए भाजपा में किनारे बैठकर लहरें गिनने के बजाए घरवापसी जाहिर है कि बेहद आसान होगी!

भड़कने लगी बीजेपी में विद्रोह की आग

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सोमवार को भाजपा ने विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी हैं।इस लिस्ट में कांग्रेस के सभी बागियों का नाम है। बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही पार्टी में बगावत की आवाज भी बुलंद होने लगी हैं।

असंतुष्ट बीजेपी नेताओं में –

  • यमकेश्वर से लगातार तीन जीत दर्ज कर चुकी विजय बड़थ्वाल ने पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी को उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध करते हुए कहा है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी परिवारवाद रोकने की बात करते हैं, वहीं मेरा टिकट काटकर ऐसे चेहरे को टिकट दे दिया, जिसे कोई नहीं जानता। वे बोलीं, हर चुनाव में जनता ने उन्हें आशीर्वाद दिया है। इस बार भी जनता ही सही व गलत का फैसला करेगी।
  • प्रतापनगर से टिकट के दावेदार रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश्वर पैन्यूली ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पैन्यूली ने कहा कि वे इंडियन बिजनेस पार्टी से चुनावी समर में उतरेंगे।
  • नैनीताल सीट से यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य को प्रत्याशी बनाने की घोषणा के विरोध में टिकट के प्रबल दावेदार हेम चंद्र आर्य ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
  • हरभजन सिंह चीमा को उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में पूर्व विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता राजीव अग्रवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। वे 23 को नामांकन कर सकते हैं।
  • कांग्रेस से भाजपा में आए डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल को जसपुर प्रत्याशी बनाए जाने के विरोध में सीमा चौहान ने इस्तीफा दे दिया है। टिकट के एक और दावेदार विनय रोहेला ने निर्दलीय लड़ने की बात कही है।
  • भाजपा प्रत्याशी विशन सिंह चुफाल के खिलाफ पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके भाजपा किशन भंडारी डीडीहाट से चुनाव लड़ने पर अडिग हैं।
  • डॉ. हरक सिंह रावत को  कोटद्वार से प्रत्याशी बनाए जाने से पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत नाराज हैं और सम्मेलन बुलाकर अगले कदम की घोषणा करेंगे।
  • अल्मोड़ा सीट पर रघुनाथ सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाए जाने पर पूर्व विधायक कैलाश शर्मा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि तीन बार से चुनाव हारने वाले को प्रत्याशी बना दिया गया। उन्होंने कहा कि वह कार्यकर्ताओं के बीच जाकर फैसला लेंगे।
  • सोमेश्वर सीट से दावेदारी करने वाले केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा के भाई संजय टम्टा और चंदन लाल टम्टा ने दो टूक कहा कि अब जनता के बीच जाकर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
  • जागेश्वर से भाजपा के टिकट के दावेदार नरेंद्र बिष्ट ने भी कहा कि जनता के बीच जाकर फैसला मांगा जाएगा।
  • चम्पावत सीट से दावेदारी करने वाले भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य दीप चंद्र पाठक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। पाठक ने कहा कि, अब वह जनता के बीच जाकर चुनाव लड़ने पर राय मांगेंगे।
  • गंगोलीहाट में मीना गंगोला को प्रत्याशी बनाने पर फकीर राम व खजान गुड्डू ने खुली नाराजगी जताई है। फकीर ने कहा कि वे 1984 से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें टिकट न देकर पार्टी ने आम कार्यकर्ता का अपमान किया है। कांग्रेस से भाजपा में आए खजान गुड्डू ने कहा कि कांग्रेस के बाद भाजपा ने उन्हें धोखा दिया है।
  • धारचूला सीट से वीरेन्द्र पाल को टिकट देने का भाजपा नेता बीडी जोशी, जगत मर्तोलिया सहित कई दावेदारों ने खुलकर विरोध किया है। सभी ने कहा है कि पार्टी ने टिकट पर फिर से विचार नहीं किया तो वे अपने समर्थकों से बात कर अगला निर्णय लेंगे।
  • चौबट्टाखाल से सिटिंग विधायक व पार्टी के पूर्व अध्यक्ष तीरथ रावत भी टिकट कटने से नाराज हैं। वे विकास की लड़ाई जारी रहने की बात कर अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं।
  • धनोल्टी के विधायक महावीर रांगड़ हालांकि अभी पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन वे समर्थकों के साथ टिकट कटने के बाद उपजी स्थिति पर मंथन कर रहे हैं।रानीखेत अजय भट्ट को प्रत्याशी बनाने पर रानीखेत के भाजपा नेता प्रमोद नैनवाल ने साफ किया कि वे जनता के बीच जाकर चुनाव लड़ने पर फैसला करेंगे। केदारनाथ् से शैलारानी को टिकट मिने से पूर्व विधायक आशा नौटियाल और कर्णप्रयाग से पूर्व विधायक अनिल नौटियाल ने भी ताल ठोकने का मन बना लिया है।
  • कपकोट से दावा ठोक रहे युवा तेज तर्रार नेता भूपेश उपाध्याय भी निर्दलीय ही मैदान में ताल ठोक रहे हैं उनका तो यहाँ तक कहना है की कुमाऊं की सभी पर्वतीय सीट्स पर बीजेपी के असंतुस्टों को वो चुनाव लड़वायेंगे। गौरतलब है कि सरकार बनाने और गिराने में अहम रोल निभा चुके है।

अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में बीजेपी अपने भीतर बगावत के सुरों को कितना रोक पाती है और वहीं कांग्रेस विरोधी खेमें में पड़ी इस दरार का कितना राजनीतिक फायदा उठा पाती है।

टिकट घोषणा के साथ ही बीजेपी में उठे बगावत के सुर

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सोमवार शाम को जैसे ही दिल्ली में बीजेपी पार्टी मुख्यालय में जे पी नड्डा ने उत्तराखंड चुनावों के लिये पार्टी के 64 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की वैसे ही ये अंदेशा लगाया जा रहा था कि पार्टी में बगावत के सुर बुलंद होंगे। इसका सबसे बड़ा कारण था बीजेपी का कांग्रेसी बागियों की तरफ प्रेम। पार्टी ने पिछले साल विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर बीजेपी में आये सभी नौ विधायकों को टिकट दे दिये हैं।  इनमें

  • हरक सिंह रावत : कोटद्वार
  • शैला रानी रावत:केदारनाथ
  • कुवंर प्रणव चैंपियन: खानपुर
  • प्रदीप बत्रा: रुड़की
  • सौरभ बहुगुणा: सितारगंज
  • सुबोध उनियाल : नरेंद्रनगर
  • उमेश शर्मा काउ: रायपुर
  • यशपाल आर्या: बाजपुर
  • संजीव आर्या: नैनिताल
  • शैलेंद्र मोहन सिंघल: जसपुर
  • सतपाल माहराज: चौबटाखाल

इसके चलते पार्टी में विरोध के सुर बुलंद होने लगे हैं। गंगोत्री सीट पर बीजेपी नेता सूतराम नौटियाल ने निर्दलिय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। अन्य कई सीटों पर जहां सालों से पार्टी की सेवा कर रहे नेता फल मिलने का इंतजार कर रहे थे वहां से भी आने वाले दिनों में विद्रोह होने की संभावना है।

हांलाकि पार्टी का रहना है कि सब कुछ ठीक है। पार्टी प्रवक्ता देवेंद्र भसीन ने कहा कि ” पार्टी आलाकमान ने टिकटों का बंटवारा सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर किया है। राज्य में बीजेपी का विस्तार हो रहा है और ऐसे में नये लोग जुड़ रहे हैं, इससे पार्टी की एकता को बल मिलेगा ”

अभी कांग्रेस की लिस्ट का इंतजार है और राजनीतिक गलियारों में ये खबरें तेज़ हैं कि आने वेला दिनों में और भी कांग्रेसी नेता बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो ये देखना दिलचस्प होगा कि बड़ी संख्या में कांग्रेस के खेमे में सेंध लगाना बीजेपी के लिये फायदेमंद होगा या परेशानी का सबब बनेगा।