निजाम बदलते ही शुरू हुई आयुर्वेद विवि में सुधार की कवायद

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देहरादून। अव्यवस्थाओं को लेकर लगातार विवादों में चले आ रहे आयुर्वेद विश्वविद्यालय के अच्छे दिन आने को हैं। अब विवि से जुड़े कॉलेज फैकल्टी को लेकर झोलझाल करना संभव नहीं होगा। विवि ने सभी संबद्ध संस्थानों से फैकल्टी व स्टाफ के आधार नंबर और पैन कार्ड संख्या मांगे हैं।

बीते काफी वक्त से आयुर्वेद विवि में कई गड़बड़ियां सामने आई। कभी नियुक्तियों के मामले तो कभी समितियों में बाहरी लोगों को दखल। इसके अलावा फर्जी फैकल्टी जैसे मामले भी सामने आते रहे। लेकिन अब निजाम बदलते ही निजी आयुर्वेद और होमीयपैथिक कॉलेजों में फर्जी आनपेपर फेकल्टी पर उत्तराखंण्ड विश्विद्यालय सख्त होने लगा है। विवि के नए कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार के ये तेवर निजी आयुर्वेद और होमियोपैथिक कॉलेजों में फर्जी आनपेपर फेकल्टी पर रोक लगाने के लिए अपनाए हैं।
चिकित्सा शिक्षा माफिया में मचा हड़कंप
विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति ने कहा कि आए दिन संबद्ध परिसरों एवं निजी संस्थानों में आम जनता और छात्र-छात्राओं को बेवकूफ बनाने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा कागजों में फर्जी शिक्षकों व चिकित्सकों की लंबी चौड़ी सूची दिखा कर सम्बंधित चिकित्सा परिषदों एवं विश्ववविद्यालय से मान्यता लेने का काम किया जा रहा है। लेकिन अब यह सब संभव नहीं होगा। कुलपति ने संस्थाओं की शिकायतों का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सभी संस्थाओं से फर्जीवाड़ा समाप्त करने और शैक्षणिक कार्यो के उन्नयन हेतु उपलब्ध शिक्षकों और चिकित्सकों का ब्यौरा तलब करने का निर्देश दिया। निर्देशों का पालन करते हुए विवि के कुलसचिव डा. अनूप कुमार गक्खड़ ने अबिलम्ब सभी संस्थाओं से तीन दिन के भीतर ब्यौरा तलब किया है। विवि के इस कदम ने आयूष चिकित्सा शिक्षा माफियाओं में हड़कंप मचा दिया है।
आधार के साथ देना होगा पैन कार्ड नंबर
विश्वविद्यालय में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के परिसर ऋषिकुल व गुरुकुल के निदेशक, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मुख्य परिसर के प्रभारी अधिकारी के साथ ही समस्त निजी आयुर्वेद/होम्योपैथी व यूनानी महाविद्यालयों के प्रभारी और अधीक्षकों को लिखित रूप में फैकल्टी की जानकारी भेजने का निर्देश दिया है। जानकारी में संस्थानों को शिक्षकों को चिकित्सक का नाम, पदनाम, विभाग, शैक्षिक योग्यता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, स्थाई पता, वर्तमान पता, आधार कार्ड नंबर व बैंक अकाउंट नंबर के साथ ही पैन कार्ड नंबर भी मांगा है। विशेषज्ञों की माने तो विवि के इस कदम से दो-दो जगह सेवाएं देने वाले शिक्षकों के फर्जीवाड़े पर तो लगाम लगेगी ही। साथ ही ऐसे संस्थान जो केवल कागजों में ही फैकल्टी दर्शाने का कार्य करते हैं, उनके कारगुजारियां भी सामने आएंगी।