सीएम की दौड़ में सतपाल,त्रिवेंद्र के साथ प्रकाश पंत भी हुए शामिल

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चुनावों में भारी जीत दर्ज कर बीजेपी ने एक पड़ाव तो पार कर लिया है। बीजेपी ने राज्य में कोई मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया और मोदी के नाम पर लड़ा चुनाव। अब पार्टी के अंदर कौन बनेगा मुख्यमंत्री को लेकर च्रचाएं तेज़ हो गई हैं। बीजेपी चुनाव जीतने के बाद किस चेहरे को मुख्यमंत्री बनायेगी, यह बात लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी में ऐसे नेताओं की एक लंबी कतार है जो मुख्यमंत्री के दावेदार है। चुनाव के वक्त भाजपा विवादों पर विराम लगाते हुए मोदी के नाम पर प्रदेश में चुनाव लड़ा।वैसे भाजपा में सतपाल महाराज को सीएम बनने को लेकर चर्चा जोरों पर है लेकिन पार्टी की ओर से अभी कुछ कहा नही जा रहा है।उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है।झारखण्ड के प्रभारी व डोईवाला से भाजपा विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी सीएम की रेस में चल रहा है और उन्हें भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का नजदीकी माना जाता है।उत्तराखण्ड के चुनाव प्रभारी जेपी नड़्डा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को एक चुनावी सभा में सीएम पद के दावेदार होने के संकेत दिए थे। इसके अलावा प्रकाश पंत को भी सीएम की रेस में माना जाता है। बात करें पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तो वर्तमान में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मुख्यमंत्री 16 सालों में सीएम बनने के बाद ही उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए। चौथी विधानसभा के चुनाव के बीच एक बार फिर लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुआ कि भाजपा से कौन नेता मुख्यमंत्री होगा।

2017 के चुनाव में पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर प्रकाश पंत ने केवल अपनी-अपनी साख बचाने में सफल रहे बल्कि कांग्रेस के मयूख महर की जमीन भी खिसका दी है। वह भी तब जब जिला पंचायत, नगरपालिका, विकासखंड में कांग्रेस का कब्जा है। ऊपर से मयूख महर के नाम कई विकास कार्याे की फेहरिस्त है।

प्रकाश पंत के पिता का नाम श्री मोहन चन्द्र पंत तथा माता का नाम श्रीमती कमला पंत है। 11 नवम्बर 1969 को उनका जन्म हुआ। उनका स्थाई पता ग्राम खडकोट, पिथौरागढ है। उनकी राजनीतिक यात्रा 1977 में रा.स्वा.महाविद्यालय पिथौरागढ में सैन्य विज्ञान परिशद में महासचिव बनने से शुरु हुई। 1988 में नगर पालिका पिथौरागढ में सभासद बने। 1988 में स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए। 2001 में अंतरिम विधानसभा उत्तरांचल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए तथा कॉमनवैल्थ देशों में सर्वाधिक कम उम्र के विधान सभा अध्यक्ष निर्वाचित होने का गौरव प्राप्त हुआ। वर्ष 2002 में उत्तरांचल विधान सभा में पिथौरागढ विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 8-3-2007 को द्वितीय निर्वाचित उत्तराखण्ड सरकार की मंत्रि परिषद में संसदीय कार्य, पर्यटन, संस्कृति मंत्री बनाये गये। वहीं संसदीय कार्यमंत्री के रुप में आपने विधानसभा में भी अपनी एक अलग छाप छोडी हैं। संस्कृति मंत्री के रुप में उन्होंने बेजोड़ कार्य किया है।पिथौरागढ़ में भाजपा प्रत्याशी प्रकाश पंत ने शक्ति प्रदर्शन व रोड शो के बिना सीधे नामांकन कराया। इस दौरान डीडीहाट विधायक विशन सिंह चुफाल सहित कई भाजपा नेता उनके साथ मौजूद रहे। भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधान सभा अध्यक्ष पंत इससे पूर्व के सभी चुनावों में शक्ति प्रदर्शन के साथ नामांकन कराते रहे हैं। इस बार उनके बिना किसी रोड शो व समर्थकों के साथ सीधे नामांकन को लोग बदली चुनावी रणनीति से जोड़ रहे हैं। 

आने वाले दो दिन में उत्तराखंड सीएम के नाम से पर्दा तो उठ जाएगा लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उत्तराखंड में चली आ रही परंपरा एक बार फिर दोहराई जाएगी या इस चुनाव के नतीजों की तरह सीएम के नाम की घोषणा भी हट कर होगी।उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है।