खटारा वाहनों मे लोगों को करना पड़ रहा है सफर

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ऋषिकेश। प्रशासनिक उदासीनता के कारण तीर्थनगरी की सड़कों पर लोग खटारा तिपहिया वाहनों में सफर करने को मजबूर हैं।
शहर की सड़कों पर सवारी लेकर चले रहे करीब 40 प्रतिशत से ज्यादा वाहन खटारा हो चुके हैं। इनका संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। प्रशासनिक अधिकारी सबकुछ देखते हुए भी आंख बंद किए हुए हैं। इन्हीं खटारा वाहनों से आए दिन सड़क हादसे भी होते हैं। इससे ऋषिकेश -हरिद्वार राष्टीय राजमार्ग भी अछूता नहीं है। प्रशासन द्वारा जब भी कार्रवाई होती है, चेकिंग के नाम पर पुलिस व एआरटीओ विभाग खाना पूर्ति ही करते हैं।
इस मामले में एआरटीओ अनीता चमोला का कहना था कि अभी 15 साल की उम्र पूरी कर चुके वाहनों को सड़क से बाहर किए जाने का नियम सिर्फ एनसीआर दिल्ली में ही लागू है, अन्य प्रदेशों में यह लागू नहीं किया गया। इसके बावजूद समय-समय पर वाहनों के परमिट व अन्य कागजात चेक किए जाते हैं और जो सही वाहन होते हैं उन्हें ही अनुमति दी जाती है। यही नियम पूरे प्रदेश में लागू है। वहीं विक्रम ऑटो यूनियन के अध्यक्ष विनय सारस्वत का कहना है कि यूनियन में जो वाहन सड़क पर चल रहे हैं, उनके सभी कागजातों की समय-समय पर जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि उन्हीं वाहनों को यूनियन में चलने की अनुमति होती है, जिनके सभी दस्तावेज दुरुस्त होते हैं। कुछ शिकायतें हरिद्वार व लक्ष्मण झूला मुनि की रेती यूनियन से जुड़ी गाड़ियों की आ रही है, जिनके कागजात अधूरे और वाहन 15 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे वाहनों के विरुद्ध परिवहन विभाग कार्रवाई करें ताकि सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लग सके।