केदारनाथ के पास जल्द शुरु होंगे जंगल सफारी और होमस्टे

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    केदारनाथ मंदिर में आने वाले पर्यटकों को क्षेत्र में स्थानीय लोगों के जीवन का अनुभव कराने के साथ-साथ आस-पास के घने जंगलों के अलग-अलग वनस्पतियों और जीवों से परिचित होने के अवसर प्रदान करने के लिए, जिला प्रशासन जंगल सफारी को शुरू करने की प्रक्रिया में है। जल्द ही केदारनाथ जाने वाले यात्रियों को जंगल सफारी और ‘रुरल एक्सपिरियेंस पैकेज को अनुभव करने का मौका मिलेगा।

    रुद्रप्रयाग डीएम मंगेश घिल्डियाल के अनुसार, जिसके क्षेत्राधिकार में केदारनाथ क्षेत्र आता है, ने कहा कि, ‘यह कदम पर्यटक संख्या में आ रही तेज गिरावट को कम करेगा जो बरसात के मौसम में केदारनाथ में देखा गया है। इतना ही नहीं यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बनाए रखेगा, जो पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है।’ उन्होंने कहा कि, ‘इस कदम से उन जगहों को बढ़ावा मिलेगा जो आज तक लोगों ने देखी भी नहीं हैं और जो पहाड़ों की खुबसूरती से लकदक है, इस पहल से टूरिस्ट का फुटफाल भी अच्छा होगा।’

    घिल्डियाल ने कहा, “हम केदारनाथ के आसपास के क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं जहां जंगल सफारी और ग्रामीण पर्यटन की पहल की जा सकती है।” उन्होंने कहा कि, ‘रात में सफारी करने के लिए पर्यटकों के लिए चुनिंदा स्थानों पर मचान बनाने की योजना भी है, जिससे रात को पर्यटक तेंदुए, नीलगाय और जंगली सूअर जैसे जानवरों को देखा सकते हैं। इसके अलावा विलेज होमस्टे के जरिए पर्यटक गांववालों के साथ मधुमक्खी पालन और पहाड़ी खेती जैसी गतिविधियों में भागीदारी करके हिमालयी गांवों में जीवन का अनुभव करने में सक्षम होगें।’ घिल्डियाल का मानना हैं कि, “खेतों में बैलों की खेती करके, पारंपरिक व्यंजनों की बनाने में मदद करने और गांव की रोजमर्रा के कामों में भाग लेने से पर्यटकों को एक अलग तरह का अपना अनुभव मिल सकता है जो किसी भी टूरिस्ट डेस्टिनेशन में शायद ही मिलता है। ‘

    उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी सतीश बहुगुणा ने कहा कि, ‘इस पहल से बड़ी संख्या में पर्यटकों का आर्कषण मिलेगा, यह सोच अपने आप में बिल्कुल सटीक है क्योंकि आजकल कई पर्यटकों को होटल के बजाय घरों में रहना पसंद हैं और उस जगह की संस्कृति के बारे में जानने और एक परिवारिक माहौल में रहना पसंद हैं।’

    स्थानीय एनजीओ की गायत्री देवी ने कहा कि, ‘कई अनुभव हैं जो पर्यटकों के गांवों में हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, कई गांववाले मधुमक्खी पालन कर रहें हैं जिसके बारे में वे पर्यटकों को बता सकते हैं और उन्हें अपने मधुमक्खी पालन के ओरिजिनल शहद बेच सकते हैं।’