यूएपीएमटी में एससी कोटे की सीट पर दे दिया जनरल को दाखिला

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    देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद युनिवर्सिटी का विवादों से नाता टूटने का नाम नहीं ले रहा है। पहले नियुक्तियों, फिर बैक पेपर और इसके बाद परीक्षा पेपर लीक के मामले के बाद अब काउंसिलिंग में गड़बड़ी का आरोप विवि पर लगा है। विवि पर आरोप है कि युएपीएमटी प्रवेश परीक्षा की काउंसिलिंग में अनुसूचित जाती को आवंटित की जाने वाली सीटों को गुपचुप तरीके से विवि प्रशासन ने सामान्य श्रेणि में परिवर्तित कर संबंधित श्रेणी के छात्रों को आवंटित कर दी। मामले में पीड़ित छात्र ने अनुसूचित जाती आयोग को भी शिकायत की है।

    उत्तराखंड आयुर्वेद युनिवर्सिटी में धांधलियों का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार मामला उत्तराखंड आयुष प्री मेडिकल टेस्ट यानि यूएपीएमटी प्रवेश परीक्षा की काउंसिलिंग से जुड़ है। यूएपीएमटी परीक्षा पास कर काउंसिलिंग में शामिल होने वाले अनुसूचित जाति श्रेणी के छात्र अनुराग के पिता रोशन लाल ने विवि पर आरोप लगाया है कि विवि प्रशासन ने धांधली कर अनुसूचित जाति के छात्रों को आवंटित होने वाली सीटों को सामान्य श्रेणि में परिवर्तित कर छात्रों को आवंटित कर दी है। मामले में उन्होंने अनिसुचित जाति आयोग के अध्यक्ष को भी लिखित रूप से शिकायत की है।
    छात्र अनुराग की माने तो उन्होंने उत्तराखंड आयुर्वेदिक प्री मेडिकल टेस्ट और उसके बाद उसके लिए काउंसलिंग हेतु रजिस्ट्रेशन की फीस जमा आॅनलाइन मोड में जमा कराई। इसके बाद विवि में संपर्क करने पर उन्हें बताया कि काउंसिलिंग की जानकारी उन्हें संबंधित फोन नंबर पर दे दी जाएगी। मगर कोई जानकारी नहीं मिलने पर उनके द्वारा एक बार फिर 23 अक्टूबर को संपर्क साधा गया। इस बार भी उन्हें काउंसिलिंग को लेकर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
    जिसके बाद 28 अक्टूबर को फिर से हर्रावाला स्थित विश्वविद्यालय जाकर जानकारी मांगी। इस बार कहा गया कि 27 अक्टूबर रात दो बजे काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। अनुराग ने बताया कि संबंधित काउंसिलिंग प्रक्रिया को लेकर उन्हें न तो पहले कोई जानकारी दी गई और न ही फोन नंबर पर कोई संदेश भेजा गया।
    मामले में विवि प्रशासन से जब इसे लेकर जानकारी मांगी गई तो विवि के कुलसचिव प्रो अनूप कुमार गक्खड़ ने उन्हें काउंसिलिंग में अनुसूचित जाति का कोई आवेदक न होने की दशा में संबंधित सीटों को सामान्य श्रेणि में परिवर्तित करते हुए अन्य छात्रों को आवंटित करने की बात कही। अनुराग ने बताया कि अब विवि उन्हें प्राइवेट कॉलेज में सीट देने की बात कह रहा है लेकिन माली हालत ठीक नहीं होने के कारण वहां दाखिला लेना संभव नहीं। अनुराग के पिता रोशन लाल ने बताया कि सरकारी कोटे की सीटों में घालमेल करने के बाद अब विवि मोटी फीस पर निजी कॉलेज की प्रबंधन की सीटों को बेचने का काम कर रहा है। उन्होंने अनुसचित जाति आयोग से मामले में जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। आरक्षित सीटों को समान्य में बदलने से अलग विवि पर काउंसिलिंग के दौरान उच्च नम्बर को प्राइवेट कालेज और न्यून नम्बर को सरकारी कालेज आवंटित करने का भी अरोप लगाया जा रहा है।

    बिना अधिसूचना नहीं बदल सकती कोटे की सीटें
    विवि का यह तर्क कि उन्हें काउंसिलिंग के दौरान आरक्षित सीटों को लिए दावेदार न मिलने की सूरत में संबंधित सीटों को सामान्य श्रेणी में बदलकर सीट आवंटित कर दी गले नहीं उतर रहा है। नियमों की बात करें तो किसी भी संस्थान में आरक्षित की गई सीटों को बदलने के लिए पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। संबंधित सीटों को सामान्य श्रेणि में बदलने के लिए अधिसूचना जारी करनी होती है। इसके बाद ही इन सीटों पर किसी प्रकार की कार्यवाही संपन्न की जा सकती है लेकिन इस प्रकार की कोई भी अधिसूचना आयुर्वेद विवि द्वारा नहीं निकाली गई। इसके अलावा रात्रि दो बजे काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी करने का भी कोई औचित्य दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि मामले में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अनुप कुमार गक्खड़ का कहना है कि जिन छात्रों को काउंसिलिंग में किसी कारण से सीट आवंटित नहीं हो पाई, उनके साथ न्याय किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रुड़की में एक नए आयुर्वेदिक कॉलेज को मान्यता मिली है। जिसमें बीएएमएस की 60 सीट हैं, जिनमें 30 राज्य कोटे की हैं। इनके लिए आगामी छह-सात नवंबर को तृतीय काउंसलिंग आयोजित की जाएगी। इसी दौरान तमाम शिकायतों का भी निस्तारण कर दिया जाएगा।