सियासी पैंतरेबाजी में गैरसैंण राजधानी, श्रेय लेने को लेकर तकरार

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    देहरादून। स्थाई राजधानी को लेकर गैरसैंण पर छाया कोहरा साफ होने लगा है। यह मुद्दा अब सियासी उठा-पटक से ऊपर उठ चुका है और दोनों प्रमुख दलों की सियासी पैंतरेबाजी से परे हटकर इसका कोई न कोई हल निकलने की संभावना बढ़ गई है। अब यह तय हो गया है कि गैरसैंण के साथ राजधानी का तमगा जुड़ने वाला है।

    वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने भी स्वीकार किया है कि सरकार गैरसैंण की शीतकालीन राजधानी बनाने पर विचार के लिए तैयार है। नैनीताल में मीडिया के साथ अनौपचारिक वार्ता के दौरान वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि प्रदेश सरकार गैरसैंण को शीतकालीन राजधानी बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। प्रकाश पंत के बयानों का सियासी अर्थ भाजपा के अब तक के स्टैंड से काफी भिन्न है। पर यह भी साफ हो गया है कि अब भाजपा भी राजधानी को लेकर किसी न किसी हल पर पहुंचना चाह रही है।
    बतौर मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में जब गैरसैंण में अवस्थापना संबंधी कार्य शुरू हुए तो भाजपा ने यह मांग उठा दी कि गैरसैंण को यथाशीघ्र ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया जाए। कांग्रेस भी इसके लिए तैयार हो चुकी थी पर वह भाजपा को इसका लाभ नहीं लेने देना चाहती थी। इस कारण उसने यानी कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2016 का शीतकालीन सत्र गैरसैंण में आहूत कर दिया। यह सत्र गैरसैंण को लेकर मान्य अवधारणा के खिलाफ था। क्योंकि गैरसैंण को या तो स्थायी या फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की मांग थी। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत यह साबित करना चाहते थे कि वह गैरसैंण को लेकर कहीं अधिक सोच रहे हैं।
    उनकी पहल पर ही इस सत्र में यह भी संकल्प पारित हुआ कि हर साल बजट सत्र गैरसैंण में ही आहूत होगा। हालांकि इन घोषणाओं का वह सियासी लाभ लेना चाहते थे। क्योंकि इसी सत्र के समापन के साथ प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2017 का बिगुल बजना था । यह अलग बात है कि हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस इसका सियासी लाभ नहीं ले सकी और विस चुनाव में वह बुरी तरह पराजित हुई। परंतु बतौर राजधानी गैरसैंण जमीनी यथार्थ बन गया। उसका ही नतीजा है कि वर्तमान में प्रदेश की भाजपा सरकार विधानसभा का शीतकालीन सत्र गैरसैंण में आहूत कराने जा रही है। यह वही भाजपा सरकार है जिसने विधानसभा के उस संकल्प को भी खारिज कर दिया था।
    जिसमें बजट सत्र गैरसैंण में आहूत होने का प्रस्ताव पारित हुआ था। अब वही सरकार शीतकालीन सत्र के लिये गैरसैंण जा रही है। साथ में यह भी कहा जा रहा है कि गैरसैंण को शीतकालीन राजधानी घोषित करने पर विचार किया जा सकता है। इसका तात्पर्य यही है कि गैरसैंण अब स्थायी राजधानी की ओर कदम बढ़ा चुका है।
    गैरसैंण को राजधानी घोषित करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस की सरकार ने भले ही टालमटोल किया हो दोनों सियासी पार्टियां यह जरूर जानती है कि इस मुद्दे को लंबे समय तक टाला नहीं जा सकता। ऐसे में सवाल यह है कि फिर इस मुद्दे को लटकाया क्यों जा रहा हैघ् इस संबंध में जानकारों का कहना है कि कतिपय नौकरशाह और सियासी हस्तियां जिन्होंने देहरादून या इसके आसपास अपनी नामी बेनामी सम्पत्ति एक कर ली है वे किसी भी हालत में पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते। उन्हें पता है कि यदि गैरसैंण को राजधानी बना दिया गया तो उन्हें पहाड़ चढ़ना ही पड़ेगा। ऐसे ही नौकरशाह और सियासतदां इस मुद्दे को लटका रहे हैं।