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भारत में रह कर नेपाल की मोबाइल सेवा इस्तेमाल करने को मजबूर हैं लोग

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संचार सेवाओं की बेहतरी के लिये जंतर मंतर पर घरने पर बैठै धामी

आज के डिजिटल युग में सुनने में अजीब लगता है कि देश के लोग किसी और देश की संचार सेवाओं का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। धारचूला में संचार व्यवस्थाओं के नाकाफ़ी होने का हवाला देते हुए इलके के परव विधायक और प्रदेश के दबंग कांग्रेसी नेता हरीश धामी ने केंद्र सरकरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। धामी दिल्ली के जंतर मंतर पर इस मुद्दे पर अनशन पर बैठे इलाके आंदोलनकारियों के बीच पहुंचे और केंद्र सरकरा से इस मसले पर जल्द कार्यवाही करने की मांग करी। धामी ने बताया कि भारत-नेपाल और भारत- तिब्बत सीमा से उत्तराखंड का धारचूला का इलाका सटा हुआ है। वहां के इलाकों में किसाी भी टेलिकाॅम आॅपरेटर का नेटवर्क सही नही है औऱ भारतीय मोबाईल कंपनियों की सेवाऐं न के बराबर हैं। इसके चलते इलाके के अधिकतर लोग सीमा पार नेपाल के टेलिकाॅम आॅपरेटरों के सिमों का इस्तेमाल करते हैं। ये न सिर्फ लोगों की जेबों पर महंगा पड़ता है क्योंकि लोगों को नेपाल के आॅपरेटरों की सेवाऐं लेने के लिये इंटरनेशनल रोमिंग दरों का भुगतान करना पड़ता है वहीं इसके चलते ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा भी बन सकता है।

संचार व्यवसथाओं के दुरुस्त न होने के कारण न सिर्फ मोबाइल सेवाओं पर असर पड़ता है बल्कि अन्य रोज़ाना के काम जैसे गैस बुकिंग, एटीएम सेवाऐं और अन्य बैंकिंग सेवाओं में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। धामी ने कहा कि जहां एक तरफ केंद्र सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी देश को कैशलेस इकाॅनमी बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं जिसे हासिल करने के लिये मोबाइल बैंकिंग पर ज़ोर दिया जा रहा है वहीं देश के दूर दराज़ के इलाकों में संचार सेवाओं की ये तस्वीर हकीकत से रूबरू कराती हैं। उनके मुताबिक राज्य और केंद्रीय स्तर पर हर जगह ये मसला उठाया गया है लेकिन कहीं से कोई समाधान नहीं निकला। जिसके वजह से इलाके के लोगों को दिल्ली में अनशन करने पर मजबूर होना पड़ा है।

देहरादून से पिथौरोगड़ और पंतनगर जुड़े हवाई मार्ग से

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हवाई सेवा की शुरुआत करते मुख्यमंत्री

बुधवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट से देहरादून-पिथौरागढ़, देहरादून-पंतनगर घरेलू हवाई सेवा का विधिवत शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हए कहा कि घरेलू हवाई सेवाएं प्रारम्भ करने से राज्य में 750 से 800 करोड़ रूपए खर्च करके तैयार किए गए हेलीपेड, हवाई पट्टियों आदि हवाई सेवा संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर का बेहतर उपयोग हो सकेगा और दूरदराज के क्षेत्रों को एयर कनेक्टीवीटी से जोड़ा जा सकेगा। इससे राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गतिशील राज्य के रूप में पहचान बनाने के लिए एयर कनेक्टीवीटी व रोड कनेक्टीवीटी आवश्यक है। रोड कनेक्टीवीटी में काफी काम किया गया है। एयर कनेक्टीवीटी के लिए घरेलू हवाई सेवाएं प्रारम्भ की गई हैं। ये सेवाएं राज्य के दूरदराज क्षेत्रों को आपस में जोडेंगी। आगे इन सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि अभी इन सेवाओं को इसलिए प्रारम्भ किया गया है ताकि आने वाले पर्यटन सीजन में इसका लाभ मिल सके। प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों को हवाई सेवा के माध्यम से जोड़ना सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। हम चौखुटिया में भूमि देने को तैयार हैं। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का भी विस्तार किया जा सकता है।

सचिव, नागरिक उउ्डयन डा.आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि देहरादून से पिथौरागढ के लिए 8 यात्रियों को लेकर पहली उड़ान भरी गई है। या६ियों को इसके लिये 4000 रुपये देने होंगे। योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में 4 एयरपोर्ट हैं। इनमें से दो एयरपोर्ट जौलीग्रान्ट व पंतनगर कार्यरत हैं जबकि दो अन्य पिथौरागढ़ व चिन्यालीसौड़ हैं। योजना का उद्देश्य इन्हें फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट के माध्यम से आपस में जोड़ना है। गढ़वाल व कुमायूं के कम से कम 5-5 स्थानों को हेलीसेवाओं से जोड़ना है। एक विस्तारित कलेन्डर बनाकर जल्द ही नियमित उड़ानें प्रारम्भ की जाएंगी।  

राज्य में हवाई सेवाओं को लेकर जमीन का माहौल काफी गर्म रहता है। हवाई सेवाओं के लिये दिये जा रहा ठेकों को लेकर पहले ही हाई कोर्ट में केस चल रहा है। हांलाकि राज्य के दूर दराज़ के इलाकों को राजधानी से जोड़ने के लिये हवाई मार्ग से इन्हें जोड़ना काफी फायदेमंद है। सरकार का उद्देशय है कि इससे न केवल आम लोगों को सुविधा हैगी बल्कि उन सरकारी अधिकारियों को भी राहत मिलेगी जिन्हें लगातार काम के सिलसिले में घंटों सड़क सफर तय कर देहरादून पहुंचना होता है।

देहरादून-हरिद्वार-ऋषिकेश में दौड़ेगी मेट्रो? डीएमआरसी करेगा स्टडी

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दिल्ली, मुंबई, जयपुर, बंगलौर और लखनऊ की तर्ज़ पर उत्तराखंड में भी मेट्रो रेल चलाने की तैयारी है। इसका संभावनाएँ तलाशने के लिये मंगलवार को बीजापुर हाउस सभागार मे हरिद्वार-ऋषिकेश-देहरादून मेट्रो रेल योजना की डी.पी.आर. तैयार करने के लिए एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किये गये। इस एम.ओ.यू. पर उत्तरखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के मुख्य प्रशासक आर.मीनाक्षी सुन्दरम तथा दिल्ली मेट्रो रेल काॅरपोरेशन के निदेशक(मैनेजमेंट) सोमदत्त शर्मा द्वारा हस्ताक्षर किये गये। डी.पी.आर. के लिये उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण द्वारा दिल्ली रेल मेट्रो काॅरपोरेशन (डी.एम.आर.सी.) को प्रारम्भिक तौर पर 2.10 करोड़ की फीस दी जायेगी। डी.एम.आर.सी. द्वारा एक माह में प्रारम्भिक रिपोर्ट (Inception Report) के बाद 5 माह में पूरी डी.पी.आर. उपलब्ध करायी जाए।

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इस अवसर पर मौजूद मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार-ऋषिकेश-देहरादून के मध्य मेट्रो रेल परिचालन से शहरी आबादी को यातायात के सुलभ संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार-ऋषिकेश-देहरादून में वर्ष भर पर्यटक आते रहते है। इस योजना से यहां आने वाले पर्यटकों व स्थानीय लागों को काफी फायदा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून से विकासनगर-कालसी तथा जसपुर-काशीपुर-रूद्रपुर-किच्छा-हल्द्वानी-काठगोदाम के मध्य भी मेट्रो रेल योजना के लिये कदम बढ़ाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि डी.एम.आर.सी. द्वारा डी.पी.आर. उपलब्ध कराने के बाद इसके लिये फण्ड जुटाने के लिए रास्ते निकाले जायेंगे।
इस अवसर पर सचिव डी.एस.गब्र्याल, उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के संयुक्त मुख्य प्रशासक बंशीधर तिवारी, सचिव एम.डी.डी.ए. के निदेशक(वक्र्स) जितेन्द्र त्यागी, डीजीएम राजशेखर मौजूद थे।
ग़ौरतलब है कि मेट्रो रेल परियोजना काफ़ी महत्वाकांक्षी परियोजना है। जिन शहरों में इसे लागू किया गया है वहीं इससे यातायात नियंत्रण में काफ़ी मदद मिली है। लेकिन यहाँ बड़ा सवाल ये है कि पहले से ही आर्थिक क़र्ज़ का बोझ ढो रहा राज्य ऐसी बड़ी परियोजना के लिये पैसों का इंतज़ाम कैसे करेगा। ऐसे में कहीं ये घोषणा और डीपीआर चुनावी मौसम का एक और पब्लिसिटी स्टंट न बनकर रह जाये।

ऊर्जा क्षेत्र में रिसर्च के लिये हुए समझौते

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मंगलवार को यूजेवीएन लि0 एवं उत्तराखण्ड शुगर्स के बीच सह-विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु परियोजना विकास अनुबन्ध जबकि यूजेवीएन लि0 व वैकल्पिक जल ऊर्जा केन्द्र, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की के मध्य सतही टरबाइन के शोध एवं विकास के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। इस अवसर पर यूजेवीएनएल द्वारा 10 करोड़ 14 लाख 37 हजार 112 रूपए जबकि पिटकुल द्वारा 5 करोड 1 लाख 74 हजार 460 रूपए़ के लाभांश का चैक मुख्यमंत्री को भेंट किया गया।
मुख्यमंत्री ने ऊर्जा क्षेत्र के तीनों निगमों के अधिकारियों एव कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान में ऊर्जा क्षेत्र के दो निगम यूजेवीएनएल एवं पिटकुल लाभ कमाने वाली यूटिलिटी बन गये है। लक्ष्य अब उरेडा की सरंचना में भी इस प्रकार के परिवर्तन लाने का है कि यह व्यवसायिक आधार पर संचालित हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रांसमिशन लॉस को राज्य में काफी सीमा तक नियंत्रित व कम किया गया है। राज्य में घरेलू एवं कमर्शियल को सबसे सस्ती दरों पर बिजली प्रदान की जा रही है। ऊर्जा क्षेत्र में रावत ने तीन उपलब्धियां गिनाई जिसमें

  • सबसे सस्ती बिजली,
  • पूरी बिजली एवं
  • अबाधित बिजली व गुणवतापूर्ण बिजली आपूर्ति है।

इस अवसर पर विधायक विजयपाल सजवाण, प्रमुख सचिव ऊर्जा डा0 उमाकान्त पंवार, सचिव गन्ना विनोद शर्मा, प्रबन्ध निदेशक यूजेवीएन लि0 एस एन शर्मा तथा निगम के अधिकारी व कर्मचारी गण उपस्थित थे।

जंगलों की आग पर क़ाबू नहीं हुआ तो स्सपेंड होंगे अधिकारी

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जंगलों में आग पर हाई कोर्ट सख़्त

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने वनाग्नि पर कठोर रुख अख्तियार करते हुए कहा कि अगर जंगल में लगी आग 24 घंटों में नहीं बुझती है तो क्षेत्रीय डी.एफ.ओ.को निलंबित समझा जाए, अगर आग 48 घंटे में नहीं बुझती है तो कन्ज़रवेटर को निलंबित और अगर 72 घण्टे में भी नहीं बुझती है तो प्रधान मुख्य वन्य संरक्षक को निलंबित समझकर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। ग़ौरतलब गैस कि राज्य में जंगलों मे हर साल आग लगती है जिससे करोड़ों की वन संपत्ति का नुक़सान होता है। राज्य में जंगलों में आग प्राकृतिक और जानबूझकर भी लगाई जाती है। लेकिन सरकारी और विभाग की लचरता के कारण ये की बार बेक़ाबू हो जाती है। पिछले साल ही लगी आग को काबू करने कोल लिये प्रशासन को खासी मेहनत करना पड़ी थी। ऐसे में कोर्ट का ये आदेश सरकार और ख़ासतौर पर वन विभाग के अधिकारियों के लिये परेशानी का सबब बन सकता है।

वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से कॉर्बेट व् दूसरे राष्ट्रिय पार्क समेत सेंचुरी के 10 किलोमीटर के दायरे को ईको सेंसटिव ज़ोन घोषित करने को कहा है।

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हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य में बाघ और तेंदुओं को वन विभाग द्वारा आदमखोर घोषित करने और मारने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने मृत बाघों की फ़ोटो और वीडियो बनाने पर भी रोक लगा दी है।

न्यायालय ने राजाजी और कॉर्बेट नैश्नल पार्क में ट्रेन से कटकर और बिजली के खम्बों में करेंट लगने से हो रही हाथियों की मौत पर कहा कि रेलवे विभाग पार्क के अंदर ट्रेन की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा करे और खम्बों के चारों तरफ सुरक्षा गड्ढे खुदवाए तांकि हाथियों की असमय मौत नहीं हो ।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केन्द्र व राज्य को दिये ये अहम निर्देश
· 6 माह में केंद्र बनाये राष्ट्रीय वन पॉलिस, पॉलिसी में संयुक्त राष्ट्र की गाइडलाइन्स का हो पालन
· शिकारियों को उम्रकैद तक की सजा का हो प्रावधान, संशोधित हो नियमावली
· मई, जून, जुलाई में एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की हो तैनाती
· राजाजी नेशनल पार्क के वन्य जीवों के मामले में रेलवे को निर्देश
· खतरा बने वन्य जीव के बारे में हाईपॉवर कमेटी लेगी फैसला
· प्रमुख सचिव वन की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी
· राज्य सरकार एफआरआई हेड की अध्यक्षता में बनाये कमेटी
· अगले वित्तीय वर्ष में आग से बचाव के लिए पर्याप्त बजट जारी हो
· आग लगने की सूचना के लिये प्री वार्निंग सिस्टम विकसित करे राज्य सरकार

अन्त में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा कि एक नीति बनाकर कृषकों के खेतों में आग से नुक्सान की भरपाई के लिए मुआवजे और हर्जाना छह माह में दें।

चुनाव ड्यूटी पर तैनात होने वाले अफ़सरों के नहीं होंगे तबादले

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चुनाव की तारीखों का ऐलान

राज्य में चल रही आगामी चुनावों की तैयारियों के चलते राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिकारियों के तबादलों पर बिना आयोग की जानकारी के करने पर रोक लगा दी है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती राधा रतूड़ी ने मुख्य सचिव, सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिवों से कहा है कि वे अपने अधीनस्थ विभागों के समस्त विभागाध्यक्षों/प्रमुख कार्यालयाध्यक्षों को तुरंत निर्देशित करें कि वह ऐसे किसी भी अधिकारी आदि का आयोग की पूर्वानुमति के बिना तबादला न करें, जिन्हें विधान सभा के आगामी सामान्य निर्वाचन-2017 के लिए रिटर्निंग/सहायक रिटर्निंग ऑफिसर अथवा नोडल या सहायक नोडल ऑफिसर आदि के रूप में नियुक्त किया गया है।
राधा रतूड़ी ने बताया कि विधान सभा चुनावों के लिये विभिन्न विभागों आदि के अधिकारियों को रिटर्निंग ऑफिसर/सहायक रिटर्निंग ऑफिसर अथवा निर्वाचन संबंधी अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए नोडल/सहायक नोडल ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया है। आयोग के दिशा-निर्देशो के अनुसार इस प्रकार नियुक्त सभी अधिकारियों को आयोग एवं अन्य स्तरों पर प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल 24 दिसम्बर, 2016 तक प्रशिक्षण कार्यक्रम गतिमान है, ऐसी स्थिति में विभागों द्वारा अचानक किये जा रहे तबादलों से निर्वाचन के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इस संबंध में रतूड़ी ने कहा कि यदि किसी अधिकारी के तबादले का आदेश दिया जा चुका हो, तो ऐसे अधिकारी को कार्यमुक्त करने से पूर्व भी आयोग की अनुमति प्राप्त की जानी आवश्यक होगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा है कि आयोग के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से लागू करना होगा।

आपदा प्रबंधन के लिये लोकल लोगों को प्रशिक्षित करने की ज़रूरत: रावत

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न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित आपदा प्रबंधन की राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल करने पर बल देते हुए कहा है कि इससे हम आपदा प्रबंधन का एक अच्छा परिमार्जित माॅडल बना सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आपदा से गांवों को बचाना है तो हरियाली को बढ़ाने, बरसात के पानी को संरक्षित करने व परम्परागत खेती को अपनाना होगा। पिछले वर्षों में हमारी आपदा प्रबंधन की क्षमता में बहुत सुधार हुआ है। भारत सरकार के पास एनडीआरएफ है तो हमारे पास एसडीआरएफ है। आपदा प्रबंधन के लिए एक वालंटियर कोर भी स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारे रेस्पोंस में कुशलता आई है। इसी का परिणाम है कि राज्य में पर्यटकों की संख्या वर्ष 2012 के बराबर हो गई है। बिना नेशनल हाईवे को बंद किए कांवड़ यात्रा को सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। अर्धकुम्भ के आयोजन व चार धाम यात्रा में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। चारधाम यात्रा में इस बार 15 लाख से अधिक श्रद्धालु आए हैं।

आपदाओं की सूचना समय पर आपदा नियंत्रण कक्ष एवं स्थानीय पुलिस फायर व एंबुलेस सेवा को दिये जाने में ग्राम स्तर पर नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिये पहली बार राज्य स्तरीय कार्यशाला में ग्राम प्रधानों को शामिल किया गया है। राज्य सरकार द्वारा ग्राम स्तर पर जागरूकता के लिये कई क़दम उठाये जा रहे हैं:

  • इनमें न्याय पंचायत स्तर पर 10 दिवसीय खोज एवं बचाव प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें अबतक 486 न्याय पंचायतों में 12150 स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • प्रशिक्षण प्राप्त स्वयंसेवकों को विवरण वैबसाईट पर रखा गया है जिससे समय आने पर उनका उपयोग भी आपदा प्रबन्धन कार्यों में किया जा सके।
  • भूकम्प सुरक्षित निर्माण को बढ़ावा दिये जाने के लिये अभियन्ताओं तथा राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षण आपदा प्रबन्धन विभाग की ओर से दिया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत 1460 राजमिस्त्री तथा 50 प्रदर्शन ईकाइयों का भी निर्माण किया गया है। जीर्ण क्षीर्ण भवनों को भूकम्प सुरक्षित बनाये जाने के लिये रेट्रों फिटिंग का कार्य भी किया जा रहा हैं एवं
  • प्रदेश के 07 स्कूलों को इस विधि से भूकम्प सुरक्षित बनाया गया है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य आपदा प्रबन्धन के लिये लगभग 15 करोड़ के उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं एवं अन्य उपकरणों के लिये कार्यवाही की जा रही है। आपदा प्रबन्धन बल की 02 और कम्पनियाॅं स्थापित करने हेतु भी प्रयास किया जा रहा है। राज्य आपदा प्रबन्धन कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है एवं विभिन्न विभागों से भी विभागवार आपदा प्रबन्धन योजनाऐं तैयार किये जाने का अनुरोध किया गया है, जिससे आपदा घटित होेंने पर सुनियोजित एवं समेकित प्रतिक्रिया हो सके। राज्य में राज्य स्तर पर तथा सभी जिलों में आपातकालीन परिचालन केन्द्र सभी दिवसों एवं 24 घंटे प्रतिदिन संचालित किये जा रह हैं। इसके साथ ही मौसम सम्बन्धी जानकारियों एवं आपदा से सम्बन्धित जानकारियों को बल्क एस0एम0एस0 के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य स्तर पर टाॅलफ्री नम्बर 1070 एवं जनपद स्तर पर 1077 उपलब्ध है।

 

डब्लू आई आई को मिले डीम्ड यूनिवर्सिटी का स्टेटस

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वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (डब्लू आई आई) देहरादून में रविवार को दो नई बिल्डिंगों की आधारशिला रखी गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अनिल माधव दवे, राज्य मंत्री, पर्यावरण वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार व विशिष्ट अतिथि डा.एस.एस नेगी,वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव भी मौजुद थे। इस समारोह में महिला छात्रावास और अतिथि गृह की नींव रखी गई।इस कार्यक्रम में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के डायरेक्टर डा.वी.बी माथुर ने बताया कि उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय से पिछले साल कैंपस में दो नई बिल्डिंगों को आवश्यकता बताई थी और मार्च में उनकी यह डिमांड पूरी हो गई और आज उसकी आधारशिला भी रख दी गई है। उन्होंने बताया कि इस निर्माण कार्य के लिए मंत्रालय से संस्थान को पांच करोड़ राशि प्रदान की गई है। डब्लू आई आई अपने कैंपस को डिजीटल बनाने के लिए कार्यरत है और आने वाले समय में उम्मीद हैं कि पूरा कैंपस डिजीटाइज्ड होगा,इतना ही नहीं एनर्जी कन्जरवेशन के लिए भी इंस्टीट्यूट ने विशेष प्रबन्ध किये है जिसके बलबूते पर पूरा कैंपस सोलर होने के कगार पर है।

डा.एस.एस नेगी,डायरेक्टर जनरल आफ फारेस्ट ने कहा कि यह इंस्टीट्यूट भारत का एक यूनिक इंस्टीट्यूट है क्योंकि इसमें केवल भारत नहीं बल्कि यूरोप और दूसरे देशों के बच्चे आकर शोध करते हैं और इसकी कनेक्टिवीटी भारत से बाहर के देशों में भी है। उन्होंने कहा कि हाल में जो मैन एनिमल कन्फिल्क्ट,इंसानों की बस्ती में हाथी,नीलगाय और बंदरों के आने की समस्या बढ़ी है उसको रोकने में यह इंस्टीट्यूट एक महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि अभी यह इंस्टीट्यूट सौराष्ट्र यूनिर्वसिटी गुजरात व एफ.आर.आई के अंर्तगत आता है और आगे आने वाले समय में भारतीय वनजीवन संस्थान को अपने लिए खुद काम करना चाहिए। उन्होंने वहा मौजूद पर्यावरण मंत्री से अपील की भारतीय वनजीवन संस्थान को डीम्ड यूनिर्वसिटी घोषित करना एक उचित फैसला होगा क्योंकि इससे उसके काम का दायरा तो बढ़ेगा ही साथ ही वो खुद अपनी डिग्री पर ठीक तरीके से काम कर पाऐंगे।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फारेस्ट डिर्पाटमेंट को प्रोटेक्टेड एरिया के बाहर आने वाले वाईल्डलाईफ विषयों पर भी काम करना चाहिए।

मसूरी में विंटर कार्निवल की मचेगी धूम, स्थानिय कलाकारों को मिलेगी तरजीह

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मसूरी

मसूरी में पांच दिन का विंटर कारनिवल 25दिसंबर से 30 दिसंबर तक मनाया जाएगा। पिछले कुछ दिनों के नोटबंदी और चुनावी माहौल की जद्दोजहद से निकलने का ये मसूरी वासियों के लिये बेहतरीन मौक़ा होगा। इस कार्निवल के अध्यक्ष हमेशा से देहरादून के जिलाधिकारी रहे हैं मगर इस बार कार्निवल के समय आचार संहिता लागू हो सकती है जिसकी वजह से वह इसका संरक्षण नहीं कर पाएंगे इसलिए मसूरी के भूतपूर्व बीएसएफ डी.आई.जी मनोरंजन त्रिपाठी कार्यवाहक अधिकारी के रूप में इस कार्यक्रम का पदभार संभालेंगे, त्रिपाठी ने कहा “य़ह मेरे लिए एक गर्व की बात है की मैं किसी भी ऐसी चीज से जुड रहा हूँ जो मेरे होमटाउन के लिए अच्छा है। मैं आने वाले सभी कार्यों में भाग लेने के लिए बिल्कुल तत्पर हूँ।”

पाँच दिन के कार्यक्रम से पहले उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक मीटिंग की गई जिसमें यह तय हुआ कि कार्निवल में स्थानीय कलाकारों पर फोकस होगा हालांकि पिछले कुछ सालों में मोहित चौहान और लकी अली जैसे बड़े कलाकारों ने इस उत्सव में प्रदर्शन किया था। मसूरी के होटल व्यवसायी संदीप साहनी जो बहुत सारे व्यव्सथापकों में से एक है वो बताते हैं कि “हमने यह निर्णय लिया कि इसमें आने वाली सभी रुकावटों पर काम किया जाए ताकि, चली आ रही परंपरा टूटे ना और आखिरकार ऐसा ही हुआ उत्सव की तैयारियों अब अंतिम चरण में है।”

पिछले साल इस कार्यक्रम में माल रोड पर गढ़वाली फूड स्टाल स्थानीय लोग व पर्यटकों के बीच एक हिट साबित हुआ था जिसमें आलू जखिया, मंडवा रोटी,पकौड़ीयों से लेकर झंगोरा खीर एक बार फिर लोगों के बीच आ सकती है। जबकि अधिकारियों और स्थानीय लोग इस काम में जुटे हैं कि तैयारी में कोई कमी ना रह जाए। होटल मालिक एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल बताते हैं कि “शहर को आने वाले उत्सव के लिए ऐसे तैयार किया जा रहा जैसे एक भी कोना बिना सजाए ना छूटे, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग आएं, और होटलों में हमेशा की तरह 50 प्रतिशत के बजाए 60 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।”

नवंबर से देशभर मे लागू हुई नोटबंदी का उत्तराखंड के पर्यटन और ख़ासतौर पर होटल व्यवसाय पर खासा असर पड़ा है। ऐसे में मसूरी वासियों को उम्मीद है कि विंटर कार्निवल में लोग आयेंगे और सीज़न में हो रहे नुक़सान तीस कुछ भरपाई हो सकेगी।

 

नये सेना प्रमुख की नियुक्ति पर विवाद, विपक्ष ने उठाये सवाल

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सेना प्रमुख
लेफ्टिनेंट जेनरल बिपिन रावत होंगे नये सेना प्रमुख

लेफ़्टिनेंट जेनरल रावत की नियुक्ति का मामला अब राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है। कांग्रेस और वाम दलों ने इस मामले पर सरकार से सफ़ाई माँगी है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि “हम जेनरल रावत की क़ाबिलियत पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन सरकार को जवाब देना चाहिये कि क्यों अन्य सीनियर अधिकारियों को छोड़कर जनरल रावत की नियुक्ति की गई है”

सीपीआई ने कहा है कि “ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी नियुक्तियाँ इस तरह की जा रही हैं कि वो सवालों के घेरे में आयें, सेना पूरे देश की है और इसलिये सरकार को सारे देश को इस फ़ैसले में साथ लेना चाहिये”

वहीं बीजेपी ने इस मामले पर विपक्ष को आड़े हाथों लिया है। पार्टी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा है कि “सेना के मामलों में ऐसे सवाल खड़ा करना सही नहीं है और इससे सेना के मनोबल को ठेस पहुँचेगी।”

लेफ्टिनेंट जनरल रावत की नियुक्ति सबसे वरिष्ठ सैन्य कमान्डर लेफ़्टिनेंट जनरल प्रवीण बख़्शी जो कि पूर्वी कमान के प्रमुख हैं और दक्षिणी कमान के प्रमुख पीएम हरीज को अनदेखा कर कोल की गई है।

सूत्रों का कहना है कि लेफ़्टिनेंट जनरल रावत को चुनने की वजह उनका अनुभव और जम्मू-कश्मीर आतंकवाद विरोधी आपरेशन ,लाईन आफ कंट्रोल के साथ ही भारत-चीन सीमा जैसे दो सेंसिटिव फ्रंट में उनका अनुभव है।

लेफ़्टिनेंट जनरल रावत ने दीमापुर बेस्ड III बल का संरक्षण किया और म्यांमार में उस आपरेशन का नेतृत्व किया था,जिसमें भारतीय सेना के विशेष बलों ने आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया और उनके कैंप पर छापा भी मारा था जिसके।
लेफ़्टिनेंट जनरल रावत एक इंफेट्री आफिसर है और दिसंबर 1978 में ग्यारवे गोरखा राइफल्स के अधिकृत पांचवे बटालियन में थे। उन्हें इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून के बहुत ही आकांक्षित स्वोर्ड आफ आनर से भी सम्मानित किया गया था,जो कि उनके आल राउंड परफारमेंस के लिए था।