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उत्तराखंड के किसानों के चेहरों पर खुशी लायेंगे “एग्री कैफे “

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आने वाले दिनों में राज्य के किसान घर बैठे ही अपने खेतों के लिये उपकरण खरीद सकेंगे, बिना गांवों से कोसों दूर शहरों तक जाये खेती संबंधी जानकारियां और सवालों के जवाब पा सकेंगे। सुनकर ये सब नामुममकिन सा लगता है? इसे मुमकिन करने की पहल की है आइडियल एग्री बिजनेस सर्विसेस कंपनी ने। किसानों के पुर्ण विकास के लिये ये कंपनी एग्री कैफे नाम का प्राॅजेक्ट शुरू करने जा रही है। कंपनी के डायरेक्टर लिलांशु अरोड़ा ने बताया कि इस प्राॅजेक्ट में किसानों को इंटरनेट की मदद से मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की जायेगी। प्राॅजेक्ट तीन चरणों में होगा। पहला चरण है किसानों के लिये वेब पोर्टल, इस पोर्टल के ज़रिये किसानों को तीन तरह की सुविधाऐं मिल सकेंगी।

  • किसान बाज़ार जो कि एक सेल पोर्टल है जिसके ज़रिये किसान घर बैठे खेती से जुड़े तमाम उपकरण, बीज, खाद आदि खरीद सकेंगे।
  • दूसरे हिस्स में खेती के लिये ज़रूरी लेकिन मंहगे उपकरणों को किसान किराये पर ले सकेंगे।
  • तीसरा हिस्सा खेती से जुड़े व्यवसायियों के लिये है जो यहां से बाज़ार से जुड़ी जानकारियां हासिल कर सकेंगे।

इस प्राॅजेक्ट का दूसरा हिस्सा है “पादप रोग प्रयोगशाला” जिस पर काम शुरू हो गया है। ये प्रयोगशाला रुद्रपुर में बनाई जायेगी। इसके बनने से किसान खेती संबंधी टेस्ट जैसे मिट्टी की जांच, फसलों की किफायत आदि की जांच एवं सही रिपोर्ट प्राप्त कर सकेंगे। इसके चलते किसानों को समय से सही जानकारी मिल सकेगी जिससे उनकी खेती की लागत में कमी आयेगी।

प्राॅजेक्ट के तीसरे हिस्से में हर ग्राम सभा में डिजिटल सेवा केंद्र “एग्री कैफै” खोले जायेंगे इनके ज़रिये किसान अपनी तमाम कृषि संबंधित समस्याओं का समाधान अपने ही गांव में प्राप्त कर सकेंगे। कैफे में खेती संबंधी तमाम जानकारियां किसानों को दी जायेंगी। प्राॅजेक्ट के बारे में बताते हुए प्राॅजेक्ट हेड डाॅ उपमा डोभाल ध्यानी ने बताया कि

  • प्राॅजेक्ट के पहले चरण का काम यानि कृषि वेबसाइट लगभग पूरी हो चुकी है।
  • फरवरी महीने में सभी ग्राम सभाओं में एग्री कैफे़ खोल दिये जायेंगे।
  • इनके संचालन के लिये एग्रीक्लचर ग्रेजुएट भी रखें जायेंगे। मार्च तक ये भाग भी पूरी तरह से काम करने लगेंगे
  • जून तक आ२नलाइन सेल का काम भी शुरू हो जायेगा।

इस प्राॅजेक्ट से किसानों को जोड़ने के लिये कंपनी लगातार राज्य की तमाम ग्राम पंचायतों से संपर्क में है और उनसे उनकी परेशानियों के साथ साथ सुझाव लिये जा रहे हैं ताकी ये पूरा प्राॅजेक्ट ज्यादा से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचा सके।

सोने से पहले मुझे मीलों ज़ाना है- “मैती” आंदोलन

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कल्याण सिंह रावत बायोलाजी के एक रिटायर्ड लेक्चरार हैं,जो देहरादून के नाथूवाला की गलियों में रहते हैं। लोग उन्हें प्यार से कल्याण जी बुलाते हैं,और वह बहुत ही साधारण और विनम्र आदमी हैं। गढ़वाल के ज्यादातर युवाओं की तरह,उन्होंने भी एक अच्छी नौकरी और उज्जवल भविष्य के लिए पहाड़ों से पलायन कर लिया था। इन्होंने नाथूवाला में बायोलोजी लेक्चरार के तौर पर ज्वाइन कर लिया। यहां आकर शादी की,बच्चे हुए और देहरादून को ही अपना घर बना लिया।

अपने पुराने दिनों को याद करके कल्याण बताते हैं कि,साल में एक बार जब मैं पहाड़ों में अपने घर जाता था हर बार मुझे एक बात परेशान करती थी, जहां मैने अपना बचपन बिताया था उन पहाड़ों की घटती हरियाली से मुझे दुख होता था। वो इस सोच में पड़ गए कि अकेले कैसे वो गांव समुदाय में रहने वालों को शामिल करके पर्यावरण की रक्षा और उसके संरक्षण के लिए,लोगों को सजग बना सकते हैं कयोंकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि अकेले वह ज्यादा सकारात्मक बदलाव नहीं ला सकते इस बड़े काम में उन्हें गांव वालों की जरुरत पड़ेगी ही।

1995 में अपनी भतीजी की शादी में जब वह ग्वालदम गए, कल्याण के दिमाग में एक तरकीब आई, एक दुल्हन का उसके घर को छोड़ के जाने मतलब विदाई को और विशेष बनाने का तरीका। वो बताते हैं कि- जब शादी का उत्सव खत्म हो गया तब मैंने अपनी भतीजी से कहा कि अपने प्यार की निशानी के तौर पर वो अपनी मां के बगीचे में एक छोटा पौधा लगा दे जो माता पिता के लिए उसके प्यार को दर्शाएगा और उसे वो पौधा अपने माता पिता की याद दिलाएगा। इसके पीछे उनका एक ही तर्क था कि जब एक लड़की अपना घर छोड़ कर अपने ससुराल जाती है तो एक नाजुक पौधा लगा दे,तब दुल्हन की मां उस पेड़ की देखभाल इसलिए करती है कि वो उसकी बेटी का तोहफा है और पूरा परिवार उस पेड़ का ध्यान रखेगा और उसे हर परेशानी से बचाएगा और ऐसा करके हरियाली वापस आएगी।

यह प्रतीकात्मक अनुष्ठान लोगों के बीच ऐसे फैल गया जैसे जंगल में आग। और हां महिलाओं के बीच यह ज्यादा पसंद किया गया,कयोंकि वो इस तरकीब से भावनात्मक तौर से जुड़ रहीं थी।अतः “मैती” आन्दोलन का बीज लोगों के बीच बोया जा चुका था। मैती शब्द को गढ़वाल व कुमांऊ के मैत शब्द से लिया गया,जिसका मतलब है दुल्हन का पैतृक घर।

इस नवीन वनरोपण आंदोलन ने केवल अपने जन्मस्थान उत्तराखंड के लोगों के दिलों को नहीं छुआ, राज्य की सीमाओं पर भी लोग इस परंपरा को मानने लगे और अब तो इसने सभी सीमाएं लांघ कर विदेशों में भी अपनी जगह बना ली है, जैसे कि नेपाल,दुबई,इंडोनेशिया और कनाडा में भी लोग इसको एक परंपरा की तरह ले रहें।

भावनाओं पर पूरी तरह आधारित, मैती परंपरा में आज कई गुना वृद्धि हुई है और किसी सरकारी या गैर सरकारी,या प्रदेश सरकार के आर्थिक मदद के बिना यह बहुत प्रगति पर है। जो परंपरा एक आदमी के मिशन की तरह शुरु हुई थी आज वह एक जन आंदोलन में बदल गई है, जिसमें लगभग दो लाख पेड़ सिर्फ उत्तराखंड में लगाया गये हैं। मशहूर कवि रार्बट फ्रोस्ट की कुछ लाइनें- सोने से पहले मुझे मीलों ज़ाना है, और मीलों जाना है सोने से पहले कल्याण सिंह रावत के मैती आंदोलन के लिए बिल्कुल सही बैठती हैं।  

कांग्रेस को पीछे छोड़ बीजेपी ने बचे उम्मीदवारों के नामों की घोषणा

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चुनावों का नतीजा जो भी रहे लेकिन बीजेपी ने उम्मीदवारों के नामो की घोषणा में कांग्रेस को मात दे दी हैं। शनिवार शाम होते होते पार्टी ने उत्तराखंड विधान सभा चुनावों के लिये आख़िरी रह गई ६ सीटों के लिये उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। ये नाम हैं
चकराता: श्रीमती मधू चौहान
विकासनगर: श्री मुन्ना सिंह चौहान
धरमपुर: विनोद चमोली
भीमताल: गोविंद सिंह बिष्ट
हलद्वानी: जोगेंद्र रौतेला
रामनगरः  दिवान सिंह बिष्ठ
गौरतलब है कि पार्टी पहले ही ६५ सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी है। इस लिस्ट के साथ राज्य में सभी ७० सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।
वही कांग्रेस अभी भी अपने उम्मीदवारों के नामों को “फ़ाइनल टच” देने में लगी हुई है। जिसके चलते पार्टी के सभी टिकट चाहने वाले नेताओं की दिलों की धड़कने बढ़ी हुई हैं।

कांग्रेस को “दलाल” कहने पर भाजपा को निर्वाचन आयोग से मिला नोटिस

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मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती राधा रतूड़ी ने बताया कि विधानसभा चुनावों के लिए गठित राज्य स्तरीय एमसीएमसी कमेटी ने 21 जनवरी, 2017 को विभिन्न समाचार पत्रों में छपे विज्ञापनों का संज्ञान लेते हुए भारतीय जनता पार्टी को नोटिस जारी किया है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती रतूड़ी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा 21 जनवरी, 2017 के विभिन्न समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ पर विज्ञापित पंक्ति ‘‘दलालों का जाल‘‘ पर कमेटी ने आपत्ति व्यक्त की है। नोटिस में कहा गया है कि ‘‘कमेटी द्वारा इसे असंसदीय भाषा की श्रेणी में रखते हुए आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के अनुसार नहीं पाया गया है। नोटिस में भाजपा को नोटिस मिलने के तीन दिन के भीतर अपना  स्पष्टीकरण प्रदान करने को कहा गया है। नोटिस में कहा गया है कि “क्यों न इस प्रकार के विज्ञापन को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा‘‘।

गौरतलब है कि 21 जनवरी को लगभग सभी अखबारों के प्रथम पेज पर भाजपा ने अपने अलग अलग कोटेशन वाले विज्ञापन छपवाए थे।

 

पीएम मोदी ने कमांडर्स काॅन्फ्रेंस में लिया हिस्सा

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शनिवार को पीएम मोदी कंबाइड कमांडर्स कांफ्रेंस में हिस्सा लेने सुबह 9 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुचें जहां उनके स्वागत के लिए राज्यपाल, मुख्य सचिव और डीजीपी वहां मौजूद रहे। पीएम मोदी ने सुबह 9:30 बजे से 3:30 बजे तक आईएमए में इस कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इस बैठक में तीनों सेनाओँ के प्रमुखों के साथ सात रक्षा मंत्री मनोहर परिकर्र, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद रहे। बैठक में देश की आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई।

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गौरतलब है कि पीएम मोदी की इस यात्रा पर कांग्रेस ने कड़ी नाराजगी जलाई थी।उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने कहा था कि मोदी अपने फायदे के लिए देहरादून आ रहें हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने पीएम मोदी की इस यात्रा का विरोध करते हुए चुनाव आयोग में शिकायत की थी। इस शिकायत के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने अपनी देहरादून यात्रा में कहा था कि हम देखेंगें कि मोदी की यात्रा किसी भी तरह से आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन ना हो। हालांकि इस शिकायत से पीएम मोदी के कार्यक्रम पर कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।चुनाव आयोग ने इस शिकायत को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी को सशर्त इस यात्रा को करने की इजाजत दी थी और शर्त यह थी कि वो प्रेस या मीडिया से मुखातिब नही होंगें।

कांग्रेस के इस विरोध पर बीजेपी की तरफ से यह जवाब आया था कि कांग्रेस के लोग छोटी छोटी बात पर घबरा क्यों जाते हैं क्या उन्हें हर बात में खतरा महसूस होता है।बीजेपी ने कहा कि पीएम मोदी जी किसी जरुरी विषय की वजह से देहरादून आ रहें और कांग्रेस हमेश कि तरह इसको भी राजनितिक मुद्दा बना रही।

पीएम मोदी ने सुबह से शाम आईएमए के कार्यक्रम में भाग लिया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए।कार्यक्रम की वहज से शहर के रुट में हल्के फुल्के डायवर्जन किए गए थे।

 

10 लाख 86 हजार रुपये के साथ पकड़े गए दो युवक

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शनिवार शाम को चौबटाखाल विधानसभा क्षेत्र में तैनात पुलिस फ्लाइग स्कावड ने ज्वाल्पा मोड़ कोटद्वार रोड पर चेकिंग के दौरान एक टाटा 709 ट्रक में बैठे दो युवकों के कब्जे से 10लाख 86 हजार आठ सौ अस्सी रूपये बरामद किया गया है।मौके पर मौजूद फ्लाइंग स्कावड  टीम के  द्वारा बरामद रूपये को थाना कोतवाली के निर्देशन में सीज करके कब्जे में लिया गया है । हालांकि पूछताछ से यह साबित नही हुआ है कि यह पैसा चुनाव में वितरण के लिए था या किसी और काम के लिए था। इस संबंध में मौके पर ड्राइवर व साथ में मौजूद युवक द्वारा बरामद पैसे को लेकर कोई संतोषजनक जवाब न देने पर बरामद पैसे को जब्त करके आयकर विभाग को रिपोर्ट भेजी जा रही है।वाहन से कोई चुनाव सामग्री बरामद नही हुआ है।

इस सराहनीय कार्य के लिए एसएसपी पौड़ी गढ़वाल ने फ्लाइंग स्कावड में नियुक्त ADO पंचायत मदन लाल उ.नि.संजीत कंडारी व का.अंकुर एवं का. प्रवीण को 2500 रूपये इनाम की घोषणा की गयी है।

बालीवुड के ब्रेकअप लिस्ट में शामिल हुए सुशांत और अंकिता

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टेलीविजन के पर्दे पर अपनी पहचान बनाने के बाद बॉलीवुड में एंट्री करने वाले सुशांत सिंह राजपूत अपनी एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडे से प्यार और फिर ब्रेकअप के चर्चे हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। सुशांत सिंह राजपूत की लव स्टोरी टेलीविजन के एक शो पवित्र रिश्ता से ही शुरू हुई थी और बड़े पर्दे पर पहुंचने तक लव स्टोरी का दि एंड हो गया।

सुशांत सिंह राजपूत ने बतौर एक्टर अपना करियर टेलीविजन की दुनिया से शुरू किया था। जीटीवी पर प्रसारित होने वाले पवित्र रिश्ता सीरियल की मशहूर जोड़ी यानि सुशांत और अंकिता लोखंडे 6 साल से एक दूसरे के साथ थे।वैसे तो इन दोनों ने हमेशा ही अपने रिलेशनशिप के बारे में किसी को कुछ नहीं कहा लेकिन खबर थी कि दोनों एकसाथ मुंबई में लिव इन में रहते थे। दोनों को एकसाथ कई जगह पर देखा जाता था।

आपको बता दें कि जनवरी 2016 में ये खबरें आ रही थीं कि ये दोनों जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं लेकिन अचानक ही ब्रेकअप की खबरों ने इनके फैन्स को निराश कर दिया था। सुशांत ने अपने ब्रेकअप की बात ट्विटर पर लिखी थी।

खबर थी कि इनके रिश्ते में आई दरार की वजह ये है कि अंकिता शादी करना चाहती थीं, वहीं सुशांत का अभी ऐसा कोई इरादा नहीं था। सुशांत अभी अपने करियर पर ध्यान देना चाहते थे। लेकिन सुशांत के मुताबिक ऐसी कोई बात नहीं थी। ये सिर्फ एक दूसरे को समझने की बात होती है। दोनों में इस चीज की कमी हो गई थी और इसलिए रिश्ता टूट गया।

 

पहली बार होगा इलेक्ट्रोनिक आनलाइन पोस्टल बैलेट जिससे सर्विस वोट नही होगा बेकार

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उत्तराखंड चुनावों के लिये हरिद्वार की 11 विधानसभाओं में से 3 विधानसभा क्षेत्रों को इलेक्ट्रोनिक आनलाइन विधि से पोस्टल बैलेट की प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा। इससे वोटर द्वारा डाला गया सर्विस वोटर शुद्ध रूप में गिना जाएगा। यह सुविधा हरिद्वार (25), ज्वालापुर (27) और लक्सर (34) विधानसभ सीटों पर मुहैया कराई जायेगी।

इससे पहले पोस्टल बैलेट के तहत पोस्ट के द्वारा सर्विस वोटर बैलेट पेपर भेजकर पोस्ट के द्वारा ही इसे मंगवाया जाता था। इससे कई बार मतदान के बाद सर्विस वोटर का वोट मतगणना के बाद मिलता था और उसका वोट व्यर्थ चला जाता था। वोट की व्यर्थता को बचाने एवं समय की बचत के चलते तीन विधानसभा क्षेत्रों में इसका पहली बार प्रयोग किया जा रहा है। इसके तहत रिटर्निंग आफिसर सर्विस वोटर के पोस्टल बैलेट को सेना के यूनिट रिकार्ड अफसर के लिए अपलोड करेंगे। यूनिट अफसर सम्बन्धित सर्विस वोटर को आनलाइन भेजेगा। इसकी सूचना सम्बन्धित सर्विस वोटर के मोबाइल पर मैसेज से मिलेगी। सम्बन्धित सर्विस वोटर अपने पिन का प्रयोग करके इसे डाउनलोड कर मत को निर्धारित घोषणा करके पुनः इसे आनलाइन भेजेगा। बैलेट पेपर, लिफाफा को इसपर अंकित यूनिक क्यू आर कोड (बार कोड की तरह) इसे मैच करके इसकी प्रामणिकता को भी परखा जा सकता है।

गौरतलब है कि राज्य चुनाव आयोग चुनावों को पार्दरशी बनाने और ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डाल सके इसके लिये इन चुनावों में कई कदम उठा रहा है। अब ये देखना होगा कि मौसम के बदलते मिजाज़ के चलते कितनी संख्या में लोग वोट डालने घरों से निकलते हैं।

बागियों के पेंच में उलझे कांग्रेस और भाजपा

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उत्तराखंड में सत्ता पाने के लिए अपने सिद्धांत, पहचान, इकबाल और साधन आदि सब कुछ दाव पर लगाकर भाजपा जहां 18 जनवरी तक अपनी व्यूह रचना में फंसकर कांग्रेस के शर्तिया चुनाव हारने के लिए आश्वस्त थी वहीं पार्टी अब खुद ही बागियों के गुंजल में उलझती लग रही है। दूसरी तरफ बागियों की मार से त्रस्त सत्तारूढ़ कांग्रेस की पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची भी इसी फेर में अटकी हुई है। बागियों की पीठ पर चुनावी वैतरणी पार करने को बेताब भाजपा पर बगावत की दुतरफा मार पड़ रही है। एक तरफ कांग्रेस के बागी दलबदलुओं को कमल छाप उम्मीदवार बनाने पर सिद्धांतों से फिसलने के लिए भाजपा की जनता के बीच आलोचना हो रही है, वहीं दूसरी तरफ कमल छाप पर ताल ठोकने से महरूम अनेक भाजपा नेता अब कांग्रेस से पींग बढ़ा रहे हैं। इसीलिए हालात से चैकन्नी भाजपा ने बागियों पर डोरे डालने अथवा उनकी जन्मपत्रियां खंगाल कर उनकी कमजोर नस दबाने की मुहिम षुरू कर दी है। इषारा ऐसा भी है कि और आलोचना से बचने को भाजपा अब एनडी तिवारी के लड़ाकू पुत्र रोहित शेखर को कमल छाप उम्मीदवार बनाने से गुरेज कर सकती है। इसके बावजूद भाजपा के पूर्व विधायकों सहित आधा दर्जन से अधिक नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। इनके अलावा भी भाजपा के अनेक अन्य जिलों के कद्दावर नेताओं तथा पार्टी के मोर्चों ने बगावत का जो झंडा बुलंद किया है उसे काबू करना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि नए साल के षुरू में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देहरादून के परेड मैदान में हुई जबरदस्त उत्साहित भीड़ वाली सभा के बूते शायद भाजपा को भरोसा है कि उनके करिश्मे के आगे ऐसी तमाम बगावत फीकी साबित होंगी।

भाजपा के इस आत्मविश्वास के बावजूद उत्तराखंड में 15 फरवरी को होने जा रहे विधान सभा चुनाव में इस बार बागियों का मुद्दा हावी रहने के आसार  हैं। बगावत की इस चिंगारी से हालांकि पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची थामे बैठी कांग्रेस तो पहले ही जल चुकी है। उसके दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, चार पूर्व मंत्रियों सहित एक दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक पंजा छाप त्याग भाजपा के कमल छाप उम्मीदवार घोशित हो चुके हैं। इसका जवाब देने की बारी अब कांग्रेस की है। भ्रश्टाचार का पर्याय जताए जा चुके कांग्रेस के मंत्रियों और नेताओं के मुकाबले भाजपा में अपना टिकट कट जाने और अब चुनाव में उन्हीं की शान में कसीदे पढ़ने की मजबूरी से बौखलाए प्रमुख कमल छाप बागियों को जाहिर है कि अब कांग्रेस दूध पिलाने के फेर में है। इसी पलटवार की उधेड़बुन में प्रदेष का सत्तारूढ़ दल नामांकन षुरू हो जाने के बावजूद बीस जनवरी को भी पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर पाया। सूत्र कम से कम आधा दर्जन सीटों पर भाजपा के मजबूत बागी दावेदारों के कांग्रेस से मोलतोल की भनक दे रहे हैं। उधर भाजपा भी बाकी छह सीटों पर कमल छाप उम्मीदवारों की घोषणा, कांग्रेस की सूची के इंतजार में अभी तक रोके बैठी है।

अपने बागियों को कमल छाप मिल जाने से कांग्रेस हालांकि अपने पांच साला षासनकाल पर हमले की भाजपा की धार कुंद हो जाने के प्रति तो आश्वस्त हो गई है मगर उनकी टक्कर का उम्मीदवार ढूंढने में सत्ताधारी दल के दांतों में पसीना आ रहा है। इन बागियों में चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी और विजय बहुगुणा जैसे राज्य में व्यापक जनाधार वाले आधा दर्जन नेता षामिल हैं, इसलिए कांग्रेस को कई मोर्चों पर एकसाथ जूझना पड़ रहा है। खासकर गढ़वाल में तो भाजपा के उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस के पास जिताउ उम्मीदवारों का जबरदस्त टोटा पड़ गया है। इसीलिए सत्ताधारी दल, भाजपा के असंतुश्टों को साथ लेकर उसे, उसी की रणनीति से चित करने पर उतारू होती दिख रही है। पंजा छाप उम्मीदवार तय करने में देरी का अन्य बड़ा कारण कांग्रेस के विजय अभियान का अब मुख्यमंत्री हरीश रावत के इर्द गिर्द सिमट जाना भी है। पिछले दस महीने में उत्तराखंड के राजनीतिक घटनाक्रम ने ऐसी करवट ली है कि कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व पूरी तरह छीज गया है। इसलिए मुमकिन है कि उम्मीदवारों को पंजा छाप सौंपने में अतिरिक्त एहतियात बरती जा रही हो। उम्मीदवारी में उन्हें तवज्जो दी जा सकती है जिन पर हरीश रावत खुद दाव लगाने को तैयार हों। क्योंकि ठंड से ठिठुर रहे राज्य के इस चौथे विधानसभा चुनाव में आखिर रायशुमारी तो हरीश रावत के नेतृत्व पर ही हो रही है।

 

प्रियंका ने फिर एक बार जीता पीपल्स च्वाइस अवार्ड

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प्रियंका चोपड़ा ने टीवी शो ‘क्वान्टिको’ के लिए दूसरा पीपल्स च्वाइस अवॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है।अभिनेत्री एलेन पोम्पिओ और वियोला डेविज को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने पसंदीदा ड्रामेटिक टीवी अभिनेत्री का यह पुरस्कार अपने नाम किया। विजेता घोषित किए जाने के बाद प्रियंका ने अपनी मां मधु चोपड़ा को गले लगाया और फिर वह पुरस्कार लेने मंच पर गई।

प्रियंका ने अवॉर्ड हासिल करने के बाद अपने को-स्टार्स और नॉमिनेट हुए दूसरी एक्ट्रेस को शुक्रिया कहा है। उन्होंने अपने फैन्स को भी प्यार और समर्थन के लिए शुक्रिया कहा. उन्होंने बताया कि शो सोमवार से दिखाया जाएगा।प्रियंका ने इस मौके पर एक वीडियो भी शेयर किया और वोटिंग करने वालों को थैक्स कहा। प्रियंका ने वीडियो के साथ लिखा- ‘ये आपके बिना संभव नहीं होता। आप सबको बहुत प्यार’। प्रियंका के अलावा ‘2017 पीपल च्वाइस अवार्ड’ में भारतीय मूल की लिली सिंह को भी पसंदीदा यूट्यूब स्टार की श्रेणी में नामित किया गया था।