रेरा में शिकायतों पर सुनवाई के पहले दिन दो मामलों में फैसला

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देहरादून। रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट-2016 के तहत रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में शिकायतों का निस्तारण शुरू हो चुका है। मंगलवार को पहली बार रेरा ने दो केस निस्तारित किए। यह दोनों मामले जीटीएम बिल्डर की सहस्त्रधारा रोड पर जीटीएम कैपिटल आवासीय परियोजना के खिलाफ दायर किए गए थे। इसमें निवेशकों ने अपना पैसा वापस करने की मांग की थी, हालांकि अनुबंध के तहत कब्जा देने की समय सीमा बची होने के चलते बिल्डर के पक्ष में निर्णय दिया गया।

पहले केस में सहस्त्रधारा रोड निवासी रुथ कैलसंग ने शिकायत की थी कि उन्होंने जीटीएम कैपिटल में फ्लैट बुक कराया था और एडवांस के रूप में दो लाख रुपये जमा कराए थे। हालांकि बाद में उन्होंने बुकिंग निरस्त करने के लिए आवेदन कर दिया था। उनकी शिकायत थी कि इसके बाद भी जीटीएम बिल्डर के प्रतिनिधि उन्हें फोन व एसएमएस कर बुकिंग की पूरी राशि जमा करने का दबाव बना रहे हैं। प्रकरण की सुनवाई करते रेरा के सचिवालय के रूप में काम कर रहे उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के संयुक्त मुख्य प्रशासन गिरधारी सिंह रावत ने पाया कि कब्जा देने की समय सीमा अभी शेष है, लिहाजा अनु बंध शर्तों के अनुसार बिल्डर बुकिंग की जमा राशि दो लाख रुपये को जब्त कर सकता है। हालांकि बिल्डर को हिदायत दी गई कि वह निवेशक को फोन व एसएमएस कर परेशान न करे।
रेरा में निस्तारित दूसरा प्रकरण भी जीटीएम कैपिटल के खिलाफ था। इसमें सहस्त्रधारा रोड के ही निवासी दिनेश कुमार ने भी बुकिंग निरस्त करने व जमा राशि वापस करने की मांग की थी। उनका मत था कि आवासीय परियोजना की प्रगति धीमी है। इसके साथ ही उनका कहना था कि वह कुल बुकिंग की 67 फीसद राशि जमा करा चुके हैं और बिल्डर से बुकिंग निरस्त करने पर 20 फीसद राशि की कटौती की धमकी मिल रही है।
हालांकि सुनवाई में अनुबंध के अनुसार समय सीमा शेष पाई गई और ऐसे में रेरा ने अनुबंध शर्तों के अनुसार समय से पहले बुकिंग निरस्त करने पर 20 फीसद राशि जब्त करने की बात को सही माना। इसके साथ ही संयुक्त मुख्य प्रशासक ने निवेशक दिनेश कुमार को अभी इंतजार करने की सलाह दी और तय समय के बाद एक दिन का भी विलंब होने पर शिकायत करने को कह। इस पर निवेशक ने भी हामी भरी और प्रकरण का निपटारा कर दिया गया।
रेरा में 50 शिकायतें दर्ज
उडा के कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश पांडे के मुताबिक रेरा में अभी तक बिल्डरों के खिलाफ 50 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। करीब 40 शिकायतों में निवेशकों ने अपनी धनराशि वापस कराने की मांग की है। हालांकि कई केस में अनुबंध की समय सीमा बीत चुकी है और निवेशकों को कब्जा नहीं मिल पाया है। ऐसे मामलों में बिल्डरों पर निवेशकों की धनराशि लौटाने की तलवार लटकती दिख रही है।
इस दर पर चुकाना होगा पैसा फ्लैट की कीमत लौटाने के साथ ही संबंधित बिल्डर को एसबीआइ के प्रचलित मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट के अनुसार अतिरिक्त भुगतान करना होगा। यह दर विलंब की अवधि के हिसाब से तय की जाएगी और इस राशि पर दो फीसद अतिरिक्त भुगतान भी करना होगा।