सात समुंदर पार भी बिखरेंगे उत्तराखंडी दीवाली “बग्वाल” के रंग

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    उत्तराखंड-भारत से कोसो दूर दुनिया के खूबसूरत शहर दुबई में हर साल की तरह इस बार भी मनाई जायेगी स्वांला-पकोड़ो की उत्तराखंडी बग्वाल (दीपावली) । जी हाँ, बीस अक्टूबर को इस बार होटल फार्च्यून ग्रैंड, अल किसेश में मनाई जायेगी उत्तराखंडी बग्वाल ।

    दुबई में हर साल होने वाली उत्तराखंडी बग्वाल के लिए इस बार भी यंहा रह रहे प्रवासी उत्तराखंडी उत्सुक हैं । इस बार इसकी मेहमाननवाज़ी का जिम्मा उत्तराखंडी असोसिएशन के समूह ‘कंडाली’ को मिला है । चूंकि उत्तराखंड परिवार चार समूह में बंटा है जिनके नाम बुरांस, कंडाली, खमीरा और बाघ हैं और हर साल अलग-अलग समूह को इसका मेहमान नवाज़ी का जिम्मा दिया जाता है । जिस कारण इस वजह से इस बार ‘कंडाली’ समूह उत्तराखंडी बग्वाल की मेजबानी कर रहा है ।

    deep negi

    उत्तराखंडी बग्वाल में इस बार डेड सौ से दो सौं लोग के आने की उम्मीद है । उत्तराखंडी बग्वाल के इस कार्यक्रम में लक्ष्मी पूजा के बाद संस्कृति से जुड़े कुछ खेलो का आयोजन भी किया जायेगा और उसके बाद रात्रि भोज और उत्तराखंडी नृत्य के बाद इस कार्यक्रम का समापन होगा । समूह का उद्देश्य अपने उत्तराखंड की संस्कृति से यंहा रह रहे प्रवासी बच्चो को अवगत कराना है और एक साथ मिलकर दिवाली के इस त्यौहार को मनाकर खुशियों को बांटने का है ।

    व्यस्तता के कारण काफी लोग त्योहारों में घर अपने गांव नहीं जा पाते लेकिन यंहा इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होने से सभी उत्तराखंडी एक दूसरे से मिलकर त्यौहार को मनाते हैं और अपनी संस्कृति को भी जीवित रखने की कोशिश करते हैं ।

    बग्वाली पर मेरी एक उत्तराखंडी कविता

    क्वि छिलका छ: म्यसोणु कोंले का,
    क्वि पकोडा छ: बणोणु,
    कखी उजालु छ: हिटणु ठन-ठन,
    दयोरा कु गैणु गिच्चु लिकोणु ।

    रुमुकव वैगे पर रात ठिकाणु छः खोजणी,
    अन्ध्यारा की बेटी उन्डी फन्डी सुधि छ भटकाणी
    उजालु यनु पसरेणु जनु थकला पर गिल्लु खिचडु,
    दिवा कु बातलु फरफराणु,जनु पहरेदार क्वी खडु ।

    हे म्यरा हल्ला-गुल्ला ढोल-दमो छन बज़णा,
    रंग-बिरंगी टोपलियों मा औजी क्या प्यारा छ्न सजणा,
    ई चलीन पैथर-पैथर नटखटियों का टोला,
    जख-जख दिदा जालु हम भी वख-वख जौला ।

    पूजा-पाठ देवतों की,मां धन देवी कि वैगे,
    उजालु एगै जीवन मा,अन्ध्यारु खुजाण कख सैगे,
    पिठैं वैगी अब सब गैर छन मसालना,
    मां, बडडी,चितेगी छन कि सब क्यान जग्वालना ।

    आहा..!! स्वांला,पकोडो कि अलग छ रसांण,
    छ्कीक ख्याली घ्यु दगडी,अब खाणु क्या खाण,
    अरे बेड दीखा दै, लोग भैला घुमोण लैगीन,
    छ: लगणु जन ऐन्चा का सब गैणा आज भूं ऐगीन ।

    मैं अपडा कुडा कि टुखी मा चढीक
    दिखण छों लग्यु सारु,
    कि उजालु सब जगह रंगमत वैगी,
    कखी नि छ: कालु अन्ध्यारु,
    मैं भी एग्यों रा जग्वाली,
    आज बडा दिनु बाद मणेली,
    म्यरा गढ कि बग्वाली,

    ©दीप नेगी

    दीपावली की शुभकामनाओं के साथ आपका अपना
    दीपेन्द्र नेगी”दीप” दुबई