रैगिंग के मामलों में छात्र के साथ नपेंगे संस्थान

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देहरादून,  बीडीएस में नए सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों की यदि सीनियर छात्र रैगिंग करते पाए गए तो न सिर्फ रैगिंग कमेटी उन्हें एक साल के लिए निष्कासित कर सकती है बल्कि डेंटल कॉलेज की मान्यता तक जा सकती है। भारतीय दंत परिषद ने रैगिंग को लेकर देशभर के डेंटल कॉलेजों को सख्त चेतावनी दी है। उनसे 31 अक्तूबर तक रैगिंग रोकने को उठाए गए कदम की जानकारी मांगी है। अगर कॉलेज इस अवधि में जानकारी नहीं देता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

परिषद ने सरकारी और प्राइवेट डेंटल कॉलेजों से कहा है कि जिनकी रिपोर्ट समय पर नहीं आएगी, उनके नाम सार्वजनिक करने के अलावा सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के समक्ष भी रखे जाएंगे। ताकि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। कॉलेजों को जारी निर्देश के अनुसार शैक्षिणक संस्थानों में रैगिंग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने और विद्यार्थियों को इसके प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से सख्ती से नियम लागू किए जा रहे हैं।हर वर्ष प्रवेश के दौरान न सिर्फ छात्र बल्कि उनके माता-पिता को भी एक शपथ पत्र रैगिंग को लेकर देना पड़ता है। इसी सिलसिले में परिषद ने सभी कॉलेजों से रैगिंग रोकने के लिए किए गए उपायों की रिपोर्ट मांगी है।

भारतीय दंत परिषद की सचिव डॉ. सब्यसाची साहा द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को हर वर्ष की रिपोर्ट डीसीआइ की ओर से सौंपी जाती है। पिछले कुछ वर्षों में देखने को मिला है कि कॉलेज प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। यही वजह है कि अब इन्हें 31 अक्तूबर तक का वक्त दिया गया है। अगर इस अवधि में रिपोर्ट जमा नहीं होती है तो ऐसे कॉलेजों की मान्यता तक खत्म की जा सकती है। कॉलेज परिसर में रैगिंग के खिलाफ साइन बोर्ड व पोस्टर लगाने, हॉस्टल वाडर्न का नंबर साझा करने और कॉलेज के सदस्यों को विद्यार्थियों का काउंसलर बनाने जैसे कदम उठाने को भी कहा गया है।