खत्म होगा मनोरंजन विभाग का अस्तित्व

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मनोरंजन कर विभाग का अस्तित्व एक जुलाई से समाप्त हो जाएगा। साढ़े पांच करोड़ से भी अधिक का राजस्व जुटाने वाले इस विभाग के अधिकारी और कर्मचारी वाणिज्यकर विभाग में समायोजित कर दिए जाएंगे। ऐसे में कलक्ट्रेट स्थित विभाग का कार्यालय भी नहीं रहेगा। वहीं लाइसेंस देने का अधिकार अब डीएम के अधीन होगा।

राज्य स्थापना के बाद सिडकुल आने से ऊधमसिंहनगर के कई शहरों में बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स बने, इससे मनोरंजन कर विभाग को मिलने वाला डेढ़ करोड़ से भी कम का राजस्व बढ़कर साढ़े पांच करोड़ से भी अधिक पहुंच गया। विभाग ने लक्ष्य से बढ़कर राजस्व जुटाया। लेकिन जीएसटी ने विभाग को धरातल पर ला दिया। एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू होने से इस विभाग का वाणिज्यकर में विलय होने जा रहा है। यानी विभाग का अपना अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। कलक्ट्रेट स्थित इस विभाग में एक असिस्टेंट कमिश्नर के अलावा दो सीनियर इंस्पेक्टर, एक जूनियर इंस्पेक्टर और एक वरिष्ठ क्लर्क तैनात हैं। आउट सोर्सिंग से एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी है, ये सभी अब वाणिज्य कर विभाग में समायोजित कर दिए जाएंगे।

वैसे इस विभाग ने उम्मीदों से अधिक राजस्व सरकार को दिया है। गुजरे वर्ष पांच करोड़ 60 लाख से भी अधिक का राजस्व विभाग ने जुटाया। वाणिज्य कर में मर्ज होने से इस विभाग के एक्ट व रूल भी फ्रीज कर दिए गए हैं।