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हरीश रावत ने मेरे साथ किया धोखा – शिल्पी अरोड़ा

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जनरल सेक्रेटरी  शिल्पी अरोड़ा ने आज कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।देहरादून प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में शिल्पी अरोड़ा अचानक रो पड़ी उन्होंने खुद को टिकट न मिलने की वजह हरीश रावत को बताया उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने उनका टिकट काटा है उन्होंने हरीश रावत पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी ने उनका न केवल शोषण किया बल्कि महिलाओं को टिकट भी नहीं दिया है  उन्होंने कहा कि वह हरीश रावत को बताएंगी कि जिताऊ उम्मीदवार किसे कहते हैं , इसमें मेरी जान को भी खतरा है , मेरा चरित्र हनन भी किया जायेगा लेकिन मैं जवाब दुंगी हरीश रावत को , ये कह कर शिल्पी अरोड़ा रो पड़ी । शिरपुर उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रदेश में 24 ठाकुरों  को टिकट दिया  जा सकता है तो महिलाओं को टिकट क्यों नहीं दिया जा सकता।

उन्होंने कहा कि मैने हमेशा पार्टी का साथ दिया है और हरीश रावत की हल्द्वानी रैली में भी मै उनके साथ थी,पूरे देश में मैने संघर्ष किया है।उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने मेरे साथ धोखा किया है,पिछली बार भी हरीश रावत ही जिम्मेदार थे मेरा टिकट कटाने के लिए,मुझे हर तरह से प्रताड़ित किया गया और शोषण किया गया है।उन्होंने कहा कि मै महिला शोषण और सामंतवादी मानसिकता के खिलाफ इस बार किच्छा से चुनाव लड़ूंगी।

आर्येंद्र शर्मा ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा

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बीते रविवार से सहसपुर की सीट पर पेंच उलझा हुआ था लेकिन बुधवार को आर्येंद्र शर्मा ने आज कांग्रेस पार्टी की सभी सेवाओं से खुद को मुक्त कर दिया है। उन्होंने आज अपना त्याग पत्र दे दिया है।इस पत्र के साथ ही एक बात तो साफ हो गई है कि आर्येंद्र का निर्दलीय पार्टी से चुनाव लड़ना लगभग पक्का है।

पिछले चार दिनों से प्रदेश कांग्रेस खेमे में सहसपुर टिकट के विरोध में आर्येंद्र के समर्थकों ने कार्यालाय में तोड़ फोड़ और हंगामें किया।मंगलवार शाम को कांग्रेस दफ्तर के बाहर समर्थकों ने आर्येंद्र के बैनर ही टांग दिए जिसपर साफ लिखा था- “सोनिया जी राहुल जी बात सुनों जो सही है उसको चुनो”।इतना ही नहीं आर्येंद्र के समर्थकों ने आत्मदाह तक करने की कोशिश की।इतना होने के बाद भी पार्टी हाईकमान ने अपना फैसला नहीं बदला।इसके जवाब में बुधवार दिन में आर्येंद्र शर्मा ने अपना त्यागपत्र पार्टी को भेज दिया और खुद को कांग्रेस से मुक्त कर दिया।

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बुधवार रहा सुपर नॉमिनेशन का दिन, कांग्रेस ने शुरू करी स्वाभिमान यात्रा

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विधानसभा चुनावों के लिये बुधवार का दिन ख़ास रहा। बीजेपी और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने अपने नामांकन बुधवार को किये।

इस लिस्ट में सबसे पहले रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत जिन्होंने किच्छा सीट से अपना नामांकन भरा। सुबह मुख्यमंत्री इंदिरा ह्रयदेश के साथ किच्छा पहुँचे और चुनावों के लिये कांग्रेस की स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत की। ये यात्रा प्रदेश की सभी 70 विधानसभाएँ से होती हुई जायेगी। किच्छा में पहले उन्होने जनसभा को संबोधित किया और प्रदेश में अपनी सरकार की उपलब्धियाँ गिनायी। इसके बाद उन्होने अपना नामांकन भरा।

बुधवार को विवाद में रही सहसपुर सीट पर भी प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने अपना नामांकन भरा। इस सीट पर पहले से ही आर्योंद्र शर्मा की दावेदारी के चलते पेंच फँसा हुआ था। किशोर के नामांकन भरते ही आर्येंद्र शर्मा ने पार्टी से इस्तीफ़ा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार और रामनगर से चुनावी मैदान मे उतरे रंजीत रावत ने भी रामनगर में अपने समर्थकों की भारी भीड़ के साथ शक्ति प्रदर्शन किया और अपना नामांकन भरा। रंजीत रावत के लिये यह चुनाव चुनौती पूर्ण रहेगा क्योंकि वो अपनी पारंपरिक सीट सल्ट छोड़ रामनगर से मैदान में है और ऐसे में उनपर दोनों सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने का दबाव रहेगा।

वहीं बीजेपी के भी कई नेताओं ने अपना नामांकन भरा। इनमें देहरादून कैंट से हरबंस कपूर, धर्मपुर सीट से विनोद चमोली, राजपुर से खजान दास और पार्टी के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्रम सिंह रावत शामिल रहे।

जैसे जैसे मतदान की तारीख़ नज़दीक आ रही है वैसे वैसे चुनावी माहौल भी गरमाता जा रहा है।

यह है प्रदेश चुनावी रणभूमि में उतरने वाले योद्धाओ की लिस्ट

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15 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दो बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्नेंस ने अपने सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।मंगलवार देर रात कांग्रेस नें अपनी आखिरी पांच सीटों की घोषणा कर दी और इसके साथ ही चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवार जनता के सामने है।

विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की फाईनल लिस्टः

विभान सभा क्षेत्र भाजपा उम्मीदवार कांग्रेस उम्मीदवार
पुरोला मालचंद राज कुमार
यमुनोत्री केदार सिंह संजय डोभाल
गंगोत्री गोपाल सिंह विजय पाल सिंह सजवाण
बद्रीनाथ महेंद्र भट्ट राजेंद्र सिंह भंडारी
थराली मगन लाल शाह डा.जीत राम
कर्णप्रयाग सुरेंद्र सिंह नेगी डा.अनसुईया प्रसाद मैखुरी
केदारनाथ शैली रानी रावत मनोज रावत
रुद्रप्रयाग भारत चौधरी लक्ष्मी राणा
घंसाली शक्ति लाल शाह भिमलाल आर्या
देवप्रयाग विनोद कंडारी मंत्री प्रसाद नैथानी
नरेंद्र नगर सुबोध उनियाल हिमांशु बिजलवान
प्रताप नगर विजय सिंह पंवार विक्रम सिंह नेगी
चकराता मधू चौहान प्रितम सिंह
विकास नगर मुत्रा सिंह चौहान नव प्रभात
सहसपुर सहदेव पुंडीर किशोर उपाध्याय
धर्मपुर विनोद सिह चमोली दिनेश अग्रवाल
टिहरी धान सिंह नेगी नरेंद्र चंद्र रमोला
धनौल्टी नारायण सिंह राणा मनमोहन सिंह मल्ल
रायपुर उमेश शर्मा प्रभु लाल बहुगुणा
राजपुर रोड खजान दास राज कुमार
देहरादून कैंट हरबंश कपूर सूर्यकांत धस्माना
मसूरी गणेश जोशी गोदावरी थापली
डोईवाला त्रिवेंद्र सिंह रावत हीरा सिंह बिष्ठ
ऋषिकेश प्रेमचंद्र अग्रवाल राजपाल खरोला
हरिद्वार मदन कौशिक ब्रह्म स्वरुप ब्रहामाचारी
बीएचईएल रानीपुर आदेश चौहान अम्बरीश कुमार
ज्वालापुर सुरेश राठौड़ शीश पाल सिंह
भगवानपुर सुबोध राकेश ममता राकेश
झबरेरा देशराज कर्णवाल राजपाल सिंह
पिरंकलियार जय भगवान शैली फुरकान अहमद
रुड़की प्रदीप बत्रा सुरेश चंद जैन
खानपुर कुवंर प्रणब सिंह चौधरी यशवीर सिंह
मैंगलोर ऋषिपाल बलियां काजी मोहम्मद निजामुद्दीन
लक्सर संजय गुप्ता हाजी तस्लीम अहमद
हरिद्वार देहात स्वामी यतिश्वरानंद हरीश रावत
यमकेश्वर रितु खंडूड़ी भूषण शैलेंद्र सिंह रावत
पौड़ी मुकेश कोली नवल किशोर
श्रीनगर धान सिंह रावत गणेश गोदियाल
चौबटाखाल सतपाल महाराज राजपाल सिंह बिष्ठ
लैंड्सडाउन दिलीप सिंह रावत जनरल टी पी एस रावत
कोटद्वार हरक सिंह रावत सुरेंद्र संह नेगी
धारचूला विरेंद्र सिंह हरीश धामी
डीडीहाट बिशन सिंह चुफाल प्रदीप सिंह पाल
पिथौरागढ़ प्रकाश पंत मायूख सिंह मेहर
गंगोलीहाट मीना गंगोला नारायण राम आर्या
कपकोट बलवंत सिंह भोरियाल ललित फर्सवान
बागेश्वर चंदन राम दास बाल किशन
द्वाराहाट महेश नेगी मदन सिंह बिष्ठ
सल्ट सुरेंद्र सिंह जीना गंगा पचौली
रानीखेत अजय भट्ट करन महारा
सोमेश्वर रेखा आर्या राजेंद्र बाराकोटी
अल्मोड़ा रघुनाथ सिंह चौहान मनोज तिवारी
जागेश्वर सुभाष पांडे गोविंद सिंह कुंजवाल
चंपावत कैलाश गहतोरी हेमेश खड़कवाल
लोहाघाट पूरण फर्टियाल कुशाल सिंह अधिकारी
लालकुआं नवीन धुमका हरीश चंद्र दुर्गापाल
भीमताल गोविंद सिंह बिष्ठ दान सिंह भंडारी
नैनीताल संजीव आर्या सरिता आर्या
कालाधूंगी बंसीधर भगत प्रकाश जोशी
रामनगर दिवान सिंह बिष्ठ रंजीत रावत
जसपुर डा.शैलेंद्र मोहन सिंघल आदेश चौहान
काशीपुर हरभजन सिंह छीमा मनोज जोशी
बाजपुर यशपाल आर्या सुनीता बाजवा
गदरपुर अरविंद पांडे राजेंद्र सिंह
रुद्रपुर राजकुमार ठकराल तिलक राज बहर
किच्छा राजेश शुक्ला हरीश रावत
सितारगंज सौरभ बहुगुणा मालती बिश्वास
नानकमात्ता प्रेम सिंह राणा गोपाल सिंह राणा
खटीमा पुष्कर सिंह धामी भुवन चंद्र कपरी

 

मसूरी में जंग के लिए तैयार जोशी और थापली

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उत्तराखंड की महिलाओं ने बहुत सारे आन्दोलनों में भाग लिया है, चाहे वो शराब रोको आन्दोलन हो,चिपको आन्दोलन हो या फिर अलग राष्ट्र बनाने के लिए आंदोलन हो।लेकिन खास बात यह है कि राष्ट्रीय पार्टियां जैसे कि भाजपा और कांग्रेस मातृ शक्ति को तब भूल गए जब टिकट देने की बारी आई और औरतों को चुनावी जंग में उतारने की बारी आई।

मसूरी की राजनीति वैसी ही घुमावदार है जैसे कि पहाड़ी पर पहुंचने के रास्ते,गोल और घुमावदार।मसूरी की सीट कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए आकांक्षित सीट है।ताज्जुब की बात तो यह है कि कांग्रेस की आठ सीटों में से मसूरी की सीट पर हैं गोदावरी थापली,कांग्रेस की उम्मीदवार जिन्होंने 2012 में इसी सीट पर टिकट लेने से इन्कार कर दिया था।

थापली को कांग्रेस से टिकट मिलने के साथ ही ऐसा लगता है मानो उन्होंने सीनीयर कांग्रेस नेता और मसूरी सीट से दो बार चुने गए विधायक जोत सिंह गुंसोला से अपने पिछले मनमुटाव को भी भुला दिया है।इस बात से आश्चर्य नहीं होगा कि इस साल की शुरुआत में गुंसोला और थापली ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि टिकट चाहे जिसको भी मिले वो एक दूसरे का साथ भी देंगे और समर्थन भी करेंगे।एक दूसरे का साथ देने की घोषणा के साथ मंगलवार को थापली के नामांकन में गुंसोला का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।इन दोनों ने कहा कि वर्तमान में बीजेपी विधायक गणेश जोशी मसूरी क्षेत्र में विकास करने में नाकामयाब रहे हैं।

हालांकि बहुत से लोग जोशी को शक्तिमान विवाद पर राष्ट्रीय हेडलाइन बनाने के लिए याद रखेंगे लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि वो पहाड़ी क्षेत्र में लोगों की पहली पसंद हैं जो कभी कांग्रेस के लिए एक सुरक्षित वोट माना जाता था।

जोशी की यूएसपी यह है कि उनकी युवा लोगों पर अच्छी पकड़ है,इसके साथ ही महिलाओं के भी जोशी पसंदीदा विधायक है और सबसे महत्वपूर्ण उनका कम आय वाली शादियों में उपस्थित होना।कुछ महीनों पहले मुलिंगर में जोशी के भावुक भाषण ने वहां मौजूद बहुत से लोगों की आंखों में आंसू ला दिये थे,वो शायद ही किसी की मदद करने से पीछे हटे हो।

उनका रक्षाबंधन के दिन शहर में वार्षिक उत्सव मनाना भी कहीं ना कहीं महिलाओं के वोट को उनकी तरफ खींचता है।रक्षाबंधन के दिन बड़ी संख्या में औरतें अपनी अपनी राखियां गणेश जोशी को देने पहुंचती हैं और (अगर वो उस दिन शहर में मौजूद नहीं रहते तो सारी ऱाखियां एक बड़े टब में इकठ्ठा कर दी जाती हैं) सभी बहनों को चाय नाश्ते के साथ ही विधायक भाई की तरफ से उपहार भी दिया जाता है,जिसमें 2015 में बहनों को गुलाबी छाता दिया गया और 2016 में घड़ी।

देखने की बात तो यह होगी कि यह समय जोशी के लिए अच्छा साबित होता है या फिर बदलाव की दरकार करता है,बहुत जल्दी इस बात का फैसला भी हो जाएगा।

2012 के वोटः

गणेश जोशीः 28,097 बीजेपी

जोत सिंह गुंसोलाः 18,321 कांग्रेस

गोदावरी थापलीः 9248 आईएनडीपी

मंगलवार को नामांकन का सिलसिला रहा बरकरार

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के नामांकन प्रक्रिया के चौथे दिन बीजेपी,कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशियों सहित सभी ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए नामांकन दर्ज किये ।एक ओर मसूरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की प्रत्याशी गोदावरी थापली ने अपना नामांकन भरा वहीं उत्तराखंड क्रांति दल के अनिरुद्ध शर्मा ने भी मंगलवार को अपना नामांकन दर्ज किया। कैंट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना ने भी आज अपना नामांकन किया जिसके बाद वो शहीद स्मारक भी गए,इस दौरान हजारों लोगों का काफिला धस्माना के के साथ नामांकन दर्ज करवाने पंहुचा। दूसरी ओर कैंट से ही निर्दलीय प्रत्याशी अनूप नौटियाल ने भी मंगलवार को अपना नामांकन दर्ज किया।

टिहरी से कांग्रेस ने रमोला पर दांव लगाया, तो धनौल्टी मिली मनमोहन सिंह मल्ल को, वही सहसपुर से आर्येंद्र शर्मा का टिकट कटना माना जा रहा है। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस अपने बचे हुए पांच प्रत्याशियों के नाम जल्द ही घोषित कर देगी। जबकि मंगलवार दोपहर में कांग्रेस ने टिहरी और धनौल्टी सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। इसमें टिहरी से कांग्रेस ने नरेंद्र चंद रमोला को मैदान पे उतारा है जबकि धनौल्टी से मनमोहन सिंह मल्ल को मैदान पर उतारा। रायपुर से रजनी रावत का टिकट तय माना जा रहा है।

उधर कांग्रेस में टिकट के बटवारे के बाद से बवाल थमता नजर नहीं आ रहा । मंगलवार को सहसपुर  से टिकट की दावेदारी कर रहे आर्येंद्र शर्मा के समर्थकों ने कांग्रेस भवन में उनका बैनर भी लगा दिया।

कांग्रेस ने किए 5 और सीटों के प्रत्याशी घोषित

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मंगलवार देर रात कांग्नेस ने अपने आखिरी पांच प्रत्याशियों के नाम भी घोषित कर दिए हैं।

  • रायपुर से प्रभुलाल बहुगुणा
  • बागेश्वर से बाल किशन
  • सोमेश्वर से राजेंद्र बाराकोटी
  • जसपुर से आदेश चौहान
  • गदरपुर से राजेंद्र सिंह

रविवार को कांग्रेस ने अपने 63 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी।मंगलवार दिन में टिहरी और धनौल्टी के उम्मीदवारों की घोषणा और बाकी 5 सीटों की घोषणा के साथ कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों का नाम घोषित कर दिया है।

टिहरी और धनौल्टी पर कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा,सहसपुर का पेंच और उलझा

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धनौल्टी और टिहरी सीटों पर प्रीतम पंवार और दिनेश धनई को कांग्रेस आलाकमान की दी गई डेडलाइन के खत्म होने के साथ ही पार्टी ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी हैं।मंगलवार को

  • टिहरी से नरेंद्र चंद्र रमोला
  • धनौल्टी से मनमोहन सिंह मल्ल को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

बीते रविवार को उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस में विरोधियों का तांता लग गया था।कभी सहसपुर से किशोर उपाध्याय के चुने जानें पर बवाल तो कभी किशोर के टिहरी सर्मथकों का उनको टिहरी से टिकट न मिलने पर बवाल।रविवार टिकट घोषणा के बाद से ही आर्यद्र शर्मा के सर्मथकों ने पार्टी कार्यालय को जंग का मैदान बना रखा है।

मुख्यमंत्री हरीश रावत का सर्मथन दोनों निर्दलीय विधायकों को था और उनके प्लान के मुताबिक कांग्रेस या तो इन दोंनों ही सीटों से अपने उम्मीदवार नहीं खडे करती या कमजोर उम्मीदवार चुनाव के मैदान में उतारती।लेकिन इस प्लान का पार्टी के नेताओं और कार्यकताओं ने भारी विरोध किया।इस वजह से दिल्ली में पार्टी आलाकमान ने दोनों निर्दलियों के सामने कांग्रेस के टिकट पर लड़ने का विकल्प रखा।सोमवार देर शाम तक दोनों से ही कोई जवाब न मिलने पर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।

सोमवार रात को किशोर उपाध्याय के कांग्रेस कार्यालय पहुंचने पर उन्हें मिले जुले रिएक्शन का सामना करना पड़ा।कुछ लोग उनके सहसपुर से टिकट मिलने का विरोध कर रहे थे तो कुछ उनको टिहरी से टिकट मिलने के नारे लगा रहे थे।ऐसे में किशोर उपाध्याय ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि वो इस टिकट के बंटवारे में कहीं भी शामिल नहीं है यह सारा फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है।उन्होंनें साफ कहा कि मैंने सोनिया गांधी और राहुल दोनों से कहा था कि सीएम हरीश रावत तो चुनाव लड़े ही रहे तो किसी को चुनाव प्रबंधन देखने के लिए होना चाहिए और इसके लिए मैंने खुद को आफर किया था और कहा था कि मुझे यह चुनाव नहीं लड़ना।उन्होंने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति के आदेश पर वो चुनाव लड़ रहे ।उन्होंने बात को साफ करते हुए कहा कि मुझे कहां से चुनाव लड़ना है यह भी केंद्र ने चुना और सहसपुर टिकट का मिलना भी मेरा फैसला नहीं था।इस चुनावी उठा पटक के बीच कांग्रेस ने एक बात तो साफ कर दी है कि चाहें जितना भी किशोर उपाध्याय के सर्मथक उन्हें टिहरी बुलाएं और आर्यंद्र शर्मा के समर्थक आत्मदाह की कोशिश करें,पार्टी का फैसला नहीं बदला जाएगा।कांग्रेस के पांच सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा होना अभी भी बाकी है,देखना यह होगा कि इन पांच सीटों की घोषणा के बाद जनता और सर्मथको की क्या प्रतिक्रिया होगी।

 

पुलकित सम्राट ने कि मीडिया के साथ बदसलूकी

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पुलकित सम्राट और श्वेता रोहिरा का रिश्ता टूटने की खबर पिछले कुछ महींनों से आए दिन मीडिया में बनीं हुई है।इसी कड़ी में पुलकित सम्राट और श्वेता रोहिरा ने आपसी समझौते से एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर लिया है।अभिनेता सलमान खान की राखी बहन श्वेता रोहिरा और पुलकित सम्राट की सालों की मोहब्बत दो साल पहले शादी के पवित्र बंधन में बंधी थी। शादी को अभी दो साल ही हुए थे कि इनके रिश्ते इतने बिगड़ गए कि दोनों ने तलाक लेने का फैसला किया।

आपसी सहमती से दोनों सोमवार की दोपहर मुंबई के बांद्रा कोर्ट में तलाक की अर्जी फाइल करने पहुंचे। कोर्ट पहुंचते ही पुलकित ने मीडिया कर्मियों के साथ जमकर हंगामा किया और मीडिया फोटोग्राफर से बदसलूकी भी की।

बांद्रा कोर्ट में तलाक फाइल करने पहुंचे पुलकित की मीडिया कर्मियों से जोरदार झड़प हो गई। जब मीडिया के एक फोटॉग्रफर ने पुलकित की तस्वीर लेने की कोशिश की तो वह उस कैमरामैन से बदसलूकी करने लगे। पुलकित यहीं नहीं रुके उन्होंने कैमरामैन को धमकी देते हुए कहा कि अगर उनकी फोटो खींची तो वह उन्हें फोटो खींचने के लायक नहीं रहने देंगे।

पहाड़ की सीट से लड़ने में रावत, उपाध्याय का दम फूला

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उत्तराखंड में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने ‘पहाड़ से पलायन’ मुहावरे को नया आयाम दे दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, दोनों का ही शायद पहाड़ की सीट से चुनाव लड़ने के नाम पर दम फूल गया। इन दोनों नेताओं में से कोई भी पहाड़ की सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा। इससे साफ है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पहाड़ से पलायन कर गया। कांग्रेस द्वारा 22 जनवरी को घोशित पंजा छाप 63 उम्मीदवारों की सूची के अनुसार ये दोनों ही दिग्गज मैदान या तराई की सीटों से लड़ेंगे। गौरतलब है कि हरीश रावत फिलहाल पिथौरागढ़ में धारचूला सीट से विधायक हैं मगर मौजूदा चुनाव वे दो जगह, हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा की सीट पर लड़ेंगे। किशोर उपाध्याय ने अपने लिए सहसपुर को चुना है। इस तरह कांग्रेस को मजबूती देने के दावे के साथ मुख्यमंत्री भले ही दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हों मगर पहाड़ की सीट इनमें से एक भी नहीं है।
किच्छा कांग्रेस की पारंपरिक सीट है। इस लिहाज से हरीश रावत ने उसे सुरक्षित मानते हुए अपने लिए तय किया है। इसी तरह हरिद्वार ग्रामीण सीट भी मुख्यमंत्री ने अपने अनुकूल मान कर चुनी है। यहां से फिलहाल भाजपा के यतीश्वरानंद विधायक हैं लेकिन रावत की इस सीट पर अपनी बेटी अनुपमा को लड़ाने की तैयारी थी। राहुल गांधी द्वारा ‘एक परिवार-एक टिकट’ की मर्यादा तय कर चुकने के बावजूद अनुपमा करीब साल भर से हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में खूब सक्रिय थीं। अंततः कांग्रेस के बागियों और अपने भी वरिष्ठ नेताओं के सगे-संबंधियों को टिकट देने पर हुई भाजपा की व्यापक आलोचना के बाद कांग्रेस को अपने नेताओं को टिकट बांटने में भाई-भतीजावाद से कड़ाई से महरूम करना पड़ा। इस कारण हरीश रावत ने खुद हरिद्वार ग्रामीण सीट से दाव लगाना तय किया। रावत हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से सांसद भी निर्वाचित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने हरिद्वार का खास ध्यान रखा। हर तीसरे दिन वे किसी न किसी कार्यक्रम के बहाने हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में आते रहे। हालांकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर ने हरिद्वार सीट से रावत की पत्नी रेणुका को हरिद्वार सीट पर चित करके पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को जिताया था। इस सीट के तहत 11 विधान सभा क्षेत्र हैं जिनमें दलितों और अल्पसंख्यकों की अच्छी-खासी तादाद है।
भाजपा ने कांग्रेस के बागी पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ, पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूड़ी की बेटी ऋतु, पूर्व मंत्री मातबरसिंह कंडारी के भतीजे विनोद और पार्टी प्रवक्ता मुन्ना सिंह चैहान तथा उनकी पत्नी मधु, दोनों को कमल छाप उम्मीदवार घोशित किया है। इसकी आलोचना करके कांग्रेस ने चुनाव में भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चूंकि मुद्दा बना दिया है इसलिए खुद टिकट बटवारे में भाई-भतीजावाद से परहेज किया है। लेकिन मुख्यमंत्री और प्रदेष अध्यक्ष, दोनों ने ही अपने लिए पहाड़ के बजाए निचली सीट चुनी हैं, जबकि दोनों ही पहाड़ पर ही रोजगार बढ़ाने की गाजर लटका कर से वहां से पलायन रोकने के दावे के साथ कांग्रेस को चुनाव जिताना चाह रहे हैं।
उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को देहरादून के नजदीक सहसपुर से पंजा छाप उम्मीदवार बनाया गया है। उपाध्याय ने पिछला चुनाव हालांकि टिहरी से लड़ा था और इस बार भी उनके ऋशिकेष अथवा नरेंद्र नगर से चुनाव लड़ने का कयास था। यह बात दीगर है कि सहसपुर से 2012 में पंजा छाप पर चुनाव हारे आर्येंद्र शर्मा ने अपना पत्ता साफ होने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ही खम ठोकने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी होने पर देहरादून में कांग्रेस भवन में तोड़फोड़ का आरोप भी पंडित नारायण दत्त तिवारी के शिष्य आर्येंद्र के समर्थकों पर ही लगा है। जाहिर है कि सहसपुर सीट पहाड़ की नहीं गिनी जा सकती। यह बात दीगर है कि किशोर के समर्थक उन्हें टिहरी से ही चुनाव लड़ा कर शायद उनकी इज्जत बचाने के लिए मैदान में आ डटे हैं। उन्हें टिहरी से उम्मीदवार नहीं बनाने पर उनके समर्थकों ने देहरादून के कांग्रेस भवन में आत्मदाह की चेतावनी तक दे डाली है। इसके बावजूद फिलहाल उनको सहसपुर से ही पंजा छाप आबंटित हुआ है, इसलिए वे पहाड़ को पीठ दिखाने वाले ही कहलाएंगे। कोई ताज्जुब नहीं कि भाजपा द्वारा कांग्रेस के खिलाफ इस मुद्दे को भुनाने के लिए माहौल बनाने की कोशिश की जाए।
उधर हरीश रावत के दो सीट पर अपनी पंजा छाप उम्मीदवारी घोशित करने से सियासी कयासों का नया राग भी छिड़ गया है। इसपर पहली प्रतिक्रिया यही हुई कि हरीश रावत इस चुनाव में अपने चुने जाने के प्रति आश्वस्त नहीं हैं, इसलिए दो सीट पर चुनाव लड़ेंगे। इसके पीछे दलील ये है कि वे अपनी पार्टी के पांच साला शासन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक धोबीपाट से अलग-थलग पड़ गए हैं इसलिए इज्जत बचाने को रावत दो सीट पर लड़ेंगे। सियासत की रोषनी में कुछ विष्लेशक हरीश रावत के इस दाव के अलग अर्थ भी निकाल रहे हैं। दरअसल किच्छा और बाजपुर अगल-बगल हैं और बागी यशपाल आर्य की वहीं कर्मभूमि है। भाजपा ने यशपाल आर्य को बाजपुर से कमल छाप पर खड़ा किया है, जिनके मुकाबले कांग्रेस ने भाजपा की बागी सुनीता बाजवा को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा वह एनडी तिवारी का भी प्रभाव क्षेत्र है। तिवारी अपने विवादित पुत्र रोहित शेखर की खातिर भाजपा अध्यक्ष अमित षाह को विजयी भव का आर्शीर्वाद दे आए हैं। यह बात दीगर है कि भाजपा ने हलद्वानी सीट रोहित को नहीं देकर तिवारी का मनोरथ पूरा नहीं किया। इसके बावजूद हलद्वानी, नैनीताल, काशीपुर, बाजपुर, किच्छा आदि आसपास की आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर तिवारी के पलायन का कांग्रेस के उम्मीदवारों के नतीजों पर उलटा असर पड़ सकता है। इसलिए यह भी अनुमान है कि कांग्रेस ने हरीष रावत को किच्छा सीट पर खड़ा करके आर्य पर दबाव बनााने और तिवारी के दाव को नाकाम करने की कोशिश की है। हरिद्वार ग्रामीण सीट के बारे में भी मुख्यमंत्री समर्थक कुछ ऐसा ही दावा कर रहे हैं। क्योंकि हरिद्वार सहित रानीपुर और हरिद्वार ग्रामीण, तीनों ही सीट पर फिलहाल भाजपा काबिज है। इसलिए हरीश रावत की उम्मीदवारी से कांग्रेस को जिले की सभी 11 सीट पर मजबूती मिलने का दावा किया जा रहा है। इसके बावजूद देखना यही है कि राज्य में कांग्रेस नेतृत्व के पहाड़ से पलायन को भाजपा इस चुनाव में कैसे भुनाती है और कांग्रेस इस तथ्य से अपने को कैसे बेदाग बचा पाएगी।