Page 896

विधायकों में से ही होगा मुख्यमंत्री: जे पी नड्डा

उत्तराखंड बीजेपी के राज्य प्रभारी जेपी नड्डा ने या साफ कर दिया है कि अगर बीजेपी राज्य में सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री चुने हुए विधायकों में से ही बनेगा। सोमवार को देहरादून में पत्रकारों से बात करते हुए नड्डा ने कहा कि बीजेपी के 25 उम्मीदवारों ने अब तक नामाकन भप दिया है और पार्टी के सभी उम्मीदवार घर घर जा कर लोगों से संपर्क बना रहे हैं। नड्डा ने कहा कि पार्टी की राज्य में स्थिति बहुत मजबूत है और वो निश्चित ही सरकार बनायेंगे। सरकार बनने की सूरत में नड्डा ने या साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री का चुनाव विधायकों द्वारा ही किया जायेगा और मुख्यमंत्री विधायकों में से ही चुना जायेगा। लंबे समय से राजनीतिक गलियारों में ये कयास लग रहे थे कि चुनाव जीतने की सूरत में पार्टी दिल्ली से कोई पैराशूट मुख्यमंत्री ने भेज दे। इन अटकलों पर आज नड्डा ने फिलहाल तो विराम लगा दिया है।नड्डा के इस बयान के चलते पार्टी में निशंक, कोसियारी और खंडूरी जैसे नेताओं के सीएम का कुर्सी तक पहुंचने के कदमों को ब्रेक लग गया है।

वहीं नड्डा ने ये भी कहा कि कुछ सीटों पर उम्मीदवारों में बदलाव भी हो सकता है। इसमें खास संभावना उन सीटों की हो सकती हैं जिन पर कांग्रेस के हेवी वेट उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

हरीश रावत और कांग्रेस पर हमला करते हुए नड्डा ने कहा कि हरीश रावत को खुद अपनी जीत को लेकर आश्वसत नहीं हैं इस लिये वो दो जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं।साथ ही उन्होने हरीश रावत पर आरोप लगाया कि वो पहाड़ की राजनीति और नेतृत्व करने का दम तो भरते हैं लेकिन जिन दो सीचों पर वो चुनाव सलड़ रहे हैं उनमे से कोई भी पहाड़ की नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि रावत पहाड़ छोड़ कर मैदान की तरफ भाग गये हैं।

जहां एक तरफ बीजेपी ने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में कांग्रेस को पीछे छोड़ा वहीं कांग्रेस की लिस्ट जारी होते ही पार्टी को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सभी कांग्रेसी बागियों को टिकट देकर बीजेपी ने भी कई पार्टी के नेताओं को अपने खिलाफ कर लिया है।  ऐसे में फिलहाल उत्तराखंड का चुनावी मुकाबला बराबरी का दिख रहा है हांलाकि दोनों ही दल अपनी तरफ एडवांटेज बता रहे हैं।

उत्तराखंड कांग्रेस में फंसा “सहसपुर” पेंच

0

उत्तराखंड में सोमवार को भी नाराज़ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का गुस्सा प्रदेश पार्टी कार्यालय को झेलना पड़ा। रविवार को कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही देहरादून में पार्टी कार्यालय पर टिकट कटे नेताओं के नाराज़ उम्मीदवारों ने जमकर हंगामा किया था।इसमें सबसे आगे थए प्रदेश महासचिव आर्येंद्र शर्मा के समर्थक। सोमवार को भी दोपहर होते ही उनके समर्तकों ने पार्टी आॅफिस पर जमकर नारेबाज़ी और तोड़ फोड़ करी। ये लोग सहसपुर सीट पर पर्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को टिकट देने का विरोध कर रहे थे। आर्येंद्र शर्मा पिछले चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार से हार गये थे और लंबे समय से क्षेत्र में 2017 चुनावों की तैयारी में लगे हुए थे।

DSC_0275-1

कांग्रेस के लिये भी सहसपुर सीट गले की हड्डी बनती जा रही है। रविवार को टिकटों की घोषणा के साथ ही किशोर उपाध्याय ने खुद सहसपुर से लड़ने का मन न होने का बयान दिया था। किशोर का कहना था कि वो सहसपुर से लड़ने को तैयार नहीं थे लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें वहीं से लड़ने का आदेश दिया है इसलिये वो लड़ेंगे। टिकट कटते ही आर्येंद्र शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। ऐसे में कांग्रेस के लिये ये सीट निकाल पाना टेढी खीर सबित हो सकता है क्योंकि न केवल किशोर उपाध्याय का बाहरी होने के चलते विरोध हो सकता है बल्कि आर्येंद्र के चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरने से कांग्रेसी वोटों के भी कटने का खतरा रहेगा।

जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने ये दांव खेल के अपनी मुसीबतें बढ़ा ली हैं। जो नेता पिछले पांच सालों से क्षेत्र में तैयारी कर रहा है उसका टिकट काट कर पार्टीने एक ऐसा उम्मीदवार मैदान में उतारा है जो सार्वजनिक तोर पर वहां से चुनाव न लड़ने की बात कर रहा है। फिलहाल दिल्ली से खबरें आ रही है कि पार्टी में इस विरोध के चलते पुनर्विचार की बात हो रही है। जबतक इस सीट पर कोई और पैसला या समझौता नहीं होता है तब तक ये तो तय है कि ये सीट कांग्रेस के लिये गले की फांस बन गई है।

 

हरित वोट के लिए मैड ग्रुप के जागरूकता अभियान को जनता से मिल रहा है समर्थन

0
हरित वोट के सर्पोट में नागरिक

देहरादून के छात्रों के संगठन मेकिंग ए डिफ़्फरेंस बाई बिंग दी डिफ़्फरेंस (मैड) ने आने वाले विधान सभा चुनाव से पहले अपना “ग्रीन वोट बैंक” यानी “हरित वोट बैंक” कैंपेन शुरू  किया है। इस अभियान में छात्रों के इस समूह ने शहर में बढ़ते प्रदूषण व बिगड़ते पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सभी शहर वासियों से यह अनुरोध किया है कि वे आने वाले चुनाव में उसी नेता को अपना वोट दें जो प्रदेश का विकास पूरी तरह से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए करने का प्रण ले | छात्रों का यह मानना है कि राज्य का मुख्यमंत्री वही बने जिसकी नीतियों में शहर का पर्यावरण एक महत्तवपूर्ण मुद्दा हो।

अपने मुहिम की इस कड़ी में रविवार सुबह 10 बजे से 2 बजे तक गाँधी पार्क व ऐश्ले हॉल के पास अपना जागरूकता अभियान चलाया | इस अभियान में युवा छात्रों ने शहर वासियों को अपनी “ग्रीन वोट बैंक” मुहीम के बारे में बताया। छात्रों ने यह बताया कि वे यह जानकर बहुत खुश हुए कि अधिकतर शहर वासी उनकी इस मुहीम से अवगत थे | एक ओर जहाँ सभी राहगीरों ने छात्रों की इस मुहीम की सराहना करी वहीं दूसरी ओर करीब सौ से अधिक लोगों ने छात्रों को अपना समर्थन देने के लिए “मेरा वोट हरित वोट” “आई प्लेज फॉर ग्रीन दून” जैसे संदेशों के साथ फ़ोटो खिचाईं|

मैड ग्रप के छात्रों ने प्रण लिया है कि वो करीब दस हज़ार से अधिक शहर वासियों तक अपना यह संदेश पहुचाएंगे ताकि सभी लोग एक जुट होकर अपने शहर के पर्यावरण को संरक्षित कर सकें|इस जागरूकता अभियान के समन्वयक करन कपूर के साथ पल्लवी भाटिया, शार्दुल असवाल, आदर्श, शरद, चेतना और ग्रुप के और लोग मौजूद थे|

प्रत्याशियों के खर्चों पर चुनाव आयोग की रहेगी कड़ी नजर

0

विधानसभा चुनाव के लिए हरिद्वार सीट पर उम्मीदवारों के खर्च पर कड़ी निगरानी की व्यवस्था की जा रही है। चुनाव सम्बन्धी निगरानी में हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल हो रहा है। चुनाव में तैनात सभी अधिकारी अपने-अपने टीम सम्बन्धी वाट्सएप ग्रुप बनाकर जानकारियां साझा कर रहे हैं।इस पूरे सिस्टम पर भारत निर्वाचन आयोग से तैनात आब्जर्वर निगरानी करेंगे। विभिन्न प्रकार की टीमें लगाकर चुनाव में किये जाने वाले खर्च पर कड़ी निगरानी रखी जायेगी। सभी टीमें 24 घण्टे कार्य करेंगी। फ्लाइंग स्क्वाइड (उड़न दस्ता) की गाड़ियों में विशेष प्रकार के सिम आवंटित किये जा रहे हैं। इसे जी.पी.एस. के माध्यम से इनकी लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी। उनकी लोकेशन पर रिर्टर्निंग आफिसर सहित कन्ट्रोल रूम में बैठने वाले अधिकारी लगातार पल-पल की जानकारी लेंगे।  यदि कन्ट्रोल रूम में किसी प्रकार की सूचना मिलती है, तब लोकेशन के अनुसार घटना स्थल पर टीमें तुरन्त रवाना कर दी जायेंगी।

रोशनाबाद स्थित कन्ट्रोल रूम टोल फ्री नम्बर 1950 एवं 01334-233999 को हाईटैक किया जा रहा है। कन्ट्रोल रूम में एस.एम.एस. एवं वायस काल रिकार्डर की व्यवस्था की जा रही है। चुनाव के दिन भी हर बूथ पर सी.सी.टी.वी. कैमरे की निगरानी में कार्य होंगें तथा बूथों पर वेब कास्टिंग की व्यवस्था की जा रही है। जिसका सीधा प्रसारण इण्टरनेट के माध्यम से देखा जा सकता है। चुनाव में लगने वाले तंत्र स्वतंत्र निष्पक्ष ढ़ग से कार्य कर रहा है या नहीं इसकी निगरानी के लिए मतदाता जागरूकता सम्बन्धी, व्यय सम्बन्धी एवं सामान्य कार्यो सम्बन्धी कुल 11 आब्जर्वर जनपद हरिद्वार के 11 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तैनात किये हैं। जिनमें मतदाता जागरूकता एवं चुनावी खर्च सम्बन्धी कार्यों की निगरानी का कार्य खर्च आब्जर्वर ने शुरू कर दिया है।

चुनाव आयोग हर चुनावों में अपने को ज्यादा पारदर्शी बनाने की कोशिशों में लगा रहा है। इसी कोशिश का नतीजा है कि आयोग तकनीक की मदद लेकर चुनावी प्रक्रिया को सुचारू बनाने में लगा हैं।

70 डिजिटल रथों से 70 सीटों का लक्ष्य साधेगी बीजेपी

उत्तराखंड चुनावों के लिये बीजेपी ने सोमवार को डिजिटल रथों का काफिला लांच किया। पार्टी ने हर विधानसभा के लिये एक रथ तैयार किया है।एलसीडी स्क्रीन से लैस इन वाहनों के ज़रिये पार्टी कांग्रेस सरकार की विफलताऐ और अपनी योजनाऐं राज्य के दूर दराज़ के इलाकों के लोगों तक पहुंचाना चाहती है।

IMG_8064-1

प्रदेश के प्रभारी मंत्री जे पी नड्डा ने इन  वाहनों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इन वाहनों में 52 इंच का एलसीडी लगी हुई है जिसमें प्रधानमंत्री के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट व अन्य नेता लोगों से रू ब रू होंगे। हर विधानसभा में एक वाहन रहेगा जिसका इस्तेमाल उस क्षेत्र के प्रत्याशी प्रचार के लिये करेंगे। वाहनों पर बीजेपी की नई टैग लाइन जो अटल बिहारी वाजपई और नरेंद्र मोदी को जोड़ती है ” अटल जी ने बनाया मोदी जी संवारेंगे” लिखी गया है।

 

पंजा छाप सूचीः भाई-भतीजावाद से मुक्त, महिलाओं व दलबदलुओं से युक्त 

0

उत्तराखंड में कांग्रेस के बहुप्रतीक्षित पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची जारी होते ही तीन बात एकदम साफ हो गईं। पहली बात यह कि नेताओं को अनुशसित कर रहा चुनाव आयोग खुद कानून व्यवस्था संभालने में नाकारा साबित हो गया वरना 63 उम्मीदवारों की सूची जारी होने पर कांग्रेस भवन में हुए बवाल से बचा जा सकता था। दूसरी बात यह उभरी कि कांग्रेस ने भाई-भतीजावाद से कसम खा कर परहेज किया, जिससे साफ है कि सत्तारूढ़ दल अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा दोनों को घेरेगा। तीसरी बात यह कि कांग्रेस ने महिलाओं को अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा के मुकाबले करीब दुगुनी सीटों से पंजा छाप पर चुनाव लड़ाने का मनोबल दिखाया है। यह बात दीगर है कि पंजा छाप उम्मीदवारी बांटने में कांग्रेस आला कमान भाजपा के बागियों को गले लगाने के लोभ से नहीं बच सका। इसीलिए कांग्रेस की पहली सूची पर नजर डालते ही सुनीता बाजवा, शैलेंद्र रावत और सुरेशचंद जैन के नाम सीधे नजर में चढ़ गए।

सुनीता बाजवा पर कांग्रेस ने बाजपुर से दांव लगाया है। बाजपुर से 15 जनवरी तक कांग्रेस के दिग्गज रहे यशपाल आर्य कमल छाप पकड़े मैदान में हैं। उनको सबक सिखाने के फेर में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सुनीता के पति जगतार सिंह बाजवा द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का सिर कलम कर लेने की कसम को भी नजरअंदाज कर दिया। शैलेंद्र रावत को पंजा छाप देकर यमकेश्वर से ऋतु खंडूड़ी के सामने उतारा गया है। ऋतु दरअसल भाजपा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी की बेटी हैं। शैलेंद कोटद्वार से कमल छाप उम्मीदवारी के प्रबल दावेदार थे मगर बागी कांग्रेसी पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को जब वहां भाजपा ने मैदान में उतारा तो उनके सब्र का प्याला छलक गया। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री खंडूड़ी की उम्मीदवारी के चक्कर में शैलेंद्र का पत्ता कट गया था हालांकि तब वे कोटद्वार से ही भाजपा विधायक थे। अंततः शैलेंद्र कांग्रेस के पंजे पर और बगल की यमकेश्वर सीट पर ही सही पूरे दस साल बाद चुनाव लड़ने में कामयाब होंगे। कांग्रेस के पंजा छाप पर कोटद्वार सीट से स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी उम्मीदवार बनाए गए हैं जो अपने ही साथ मंत्री रहे मगर अब कमल छापधारी हरक सिंह रावत का सामना करेंगे।

पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची में सरसरी नजर में भाजपा के तीसरे नामी बागी सुरेशचंद जैन पकड़ में आए है। सुरेशचंद को कांग्रेस ने रूड़की से अपने ही दलबदलू विधायक और कमल छाप उम्मीदवार प्रदीप बत्रा के सामने उम्मीदवार बनाया है। यह संयोग ही है कि साल 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने रूड़की से पंजा छाप, भाजपा के बागी को ही अता फरमाया था मगर तब उसका नाम प्रदीप बत्रा था। प्रदीप बत्रा ने पिछले साल मार्च में नौ अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस से बगावत करके आखिरकार भाजपा में घरवापसी कर ली थी। उसके बाद 16 जनवरी को भाजपा ने अपने 64 उम्मीदवारों की सूची में जब प्रदीप बत्रा को भी कमल छाप थमा दिया तो सुरेशचंद जैन ने बिना देरी किए साल 2012 का इतिहास दोहरा दिया। उन्होंने आनन फानन अपने आप को कमल छाप के अवसरवादी कीचड़ से बाहर निकाला और लपक कर पंजा थाम लिया। सुरेशचंद जैन रूड़की के बड़े मुअज्जिज नेता हैं और वोटों के साथ-साथ लक्ष्मी के मुरीद भी हैं।

कांग्रेस ने अभी सात उम्मीदवारों के नामों के पत्ते नहीं खोले हैं, शायद उनमें किसी कमल छाप बागी को पंजे रूपी तिनके का चुनावी वैतरणी पार करने को सहारा मिल जाए! बहरहाल राज्य में सत्तारूढ़ दल ने महिला उम्मीदवारों के मामले में अपनी प्रतिद्वंद्वी और कल तक बेटियों की सरपरस्ती का ढोल पीट रही भाजपा को पीछे छोड़ दिया है। कांग्रेस की तरफ से अभी कुल सात सीटों पर महिलाओं को पंजा छाप देकर मैदान में उतरा गया है, जबकि भाजपा ने महज चार महिलाओं को ही विधायी सदन में भेजने लायक समझा है। हालांकि राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या, उनमें साक्षरता की दर और दुर्गम पहाड़ी परिस्थितियों में उनकी जिजीविशा के मुकाबले कुल 70 विधानसभा सीटों में से महज दस फीसद पर ही उन्हें लड़ाया जाना तो मातृशक्ति का अपमान ही है। इसके बावजूद शायद कांग्रेस ने अपनी प्रतिद्वंद्वी से करीब दुगुनी सीटों पर महिलाओं को पंजा छाप पकड़ा कर यह जताने की कोंशिश की है कि खुद महिला अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी ने पत्नी त्यागी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले तो स्त्री शक्ति का मान ही रखा है।

 

कांग्रेस ने उत्तराखंड के लिये जारी की 63 उम्मीदवारों की सूची

0

लंबे इंतज़ारके बाद कांग्रेस ने  रविवार को उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिये अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी।

घोषित किये नामों में

  • पुरोला      राज कुमार
  • यमुनोत्री     संजय डोभाल
  • गंगोत्री      विजय पाल सिंह सजवाण
  • बद्रीनाथ     राजेंद्र सिंह भंडारी
  • थराली       डा.जीत राम
  • कर्णप्रयाग    डा. अनसुईया प्रसाद मैखुरी
  • केदारनाथ     मनोज रावत
  • रुद्रप्रयाग      लक्ष्मी राणा
  • घंसाली        भिमलाल आर्या
  • देवप्रयाग      मंत्री प्रसाद नैथानी
  • नरेंद्र नगर       हिमांशु बिजलवान
  • प्रतापनगर       विक्रम सिंह नेगी
  • चकराता         प्रितम सिंह
  • विकासनगर      नव प्रभात
  • सहसपुर           किशोर उपाध्याय
  • धर्मपुर             दिनेश अग्रवाल
  • टिहरी
  • धनौल्टी
  • रायपुर
  • राजपुर रोड       राज कुमार
  • देहरादून कैंट     सू्र्यकांत धस्माना
  • मसूरी            गोदावरी थापली
  • डोईवाला         हीरा सिंह बिष्ठ
  • ऋषिकेश           राजपाल खरोंला
  • हरिद्वार            ब्रह्म स्वरुप ब्रह्मचारी
  • बीएचईएल रानीपुर  अम्बरीश कुमार
  • ज्वालापुर             शीश पाल सिंह
  • भगवानपुर           ममता राकेश
  • झबरेरा               राजपाल सिंह
  • पिरंकलियार          फुरकान अहमद
  • रुड़की              सुरेश चंद जैन
  • खानपुर              चौधरी यशवीर सिंह
  • मैंगलोर               क़ाज़ी मोहम्मद निज़ामुद्दीन
  • लक्सर                  हाजी तस्लीम अहमद
  • हरिद्वार देहात            हरीश रावत
  • यमकेश्वर              शैलेंद्र सिंह रावत
  • पौड़ी                    नवल किशोर
  • श्रीनगर                  गणेश गोंदियाल
  • चौबटाखल               राजपाल सिंह बिष्ठ
  • लैंड्सडाउन               जनरल टी पी एस रावत
  • कोटद्वार                  सुरेंद्र सिंह नेगी
  • धारचूला                  हरीश धामी
  • डीडीहाट                   प्रदीप सिंह पाल
  • पिथौड़ागढ़                 मायूख सिंह मेहर
  • गंगोलीहाट                 नारायण राम आर्या
  • कपकोट                    ललित फर्सवान
  • बागेश्वर
  • द्वाराहाट                      मदन सिंह बिष्ठ
  • सल्ट                         गंगा पचौली
  • रानीखेत                      करन महारा
  • सोमेश्वर
  • अल्मोड़ा                       मनोज तिवारी
  • जागेश्वर                      गोविंद सिंह कुंजवाल
  • चंपावत                       हेमेश खड़कवाल
  • लोहाघाट                       कुशाल सिंह अधिकारी
  • लालकुआं                      हरीश चंद्र दु्र्गापाल
  • भीमताल                        दान सिंह भंडारी
  • नैनीताल                         सरिता आर्या
  • कालाधूंगी                       प्रकाश जोशी
  • रामनगर                           रंजीत रावत
  • जसपुर
  • काशीपुर                          मनोज जोशी
  • बाजपुर                            सुनीता बाजवा
  • गदरपुर
  • रुद्रपुर                              तिलक राज बहर
  • किच्छा                              हरीश रावत
  • सितारगंज                           मालती बिश्वास
  • नानकमाता                          गोपाल सिंह राणा
  • खटीमा                              भुवन चंद्रा कपरी

टिकटों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस मे विरोध के सुर भी उठने लगे। टिकट न मिलने से नाराज़ नेताओं के कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय पर जमकर हंगामा किया।

टिकट घोषणा के साथ ही कांग्रेस की कलह सड़कों पर उतरी

0

रविवार को देहरादून में धूप खिली थी शहर छुट्टी के दिन का लुत्फ़ उठा रहा था लेकिन राज्य के कांग्रेसी नेताओं की धड़कने बड़ी हुई थी। दोपहर होते होते राजनीतिक पारा बड़ता चला गया। दिल्ली मे कांग्रेस मुख्यालय से टिकट की लिस्ट जारी होते ही देहरादून में कांग्रेस दफ़्तर पर बवाल हो गया। पार्टी ने 63 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी जिसमें मुख्यमंत्री हरीश रावत किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण सीट से और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सहसपुर से लड़ेंगे। सहसपुर सीट पर पिछली बार कांग्रेसी टिकट पर चुनाव लड़े प्रदेश महासचिव आर्येंद्र शर्मा टिकट के दावेदार थे। लंबे समय से वो क्षेत्र में सक्रिय थे और चुनावों की तैयारी में लगे थे। लिस्ट में उनका नाम न होने की ख़बर मिलते ही उनके समर्थकों ने प्रदेश पार्टी कार्यालय को निशाना बनाया। शर्मा समर्थकों ने वहाँ जमकर नारेबाजी और तोड़ फोड़ की। वहीं शर्मा ने कहा कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और 25 तारीख़ को अपना नोमिनेशन करेंगे।

IMG_7986

कुछ ही समय में अन्य नेताओं जिनके टिकट कटे उनके समर्थक भी पार्टी कार्यालय पहुँचे और जमकर हंगामा किया। पार्टी के लिये ये नेता आने वाले दिनों में परेशानी का सबबों बन सकते हैं

उत्तराखंड के किसानों के चेहरों पर खुशी लायेंगे “एग्री कैफे “

0

आने वाले दिनों में राज्य के किसान घर बैठे ही अपने खेतों के लिये उपकरण खरीद सकेंगे, बिना गांवों से कोसों दूर शहरों तक जाये खेती संबंधी जानकारियां और सवालों के जवाब पा सकेंगे। सुनकर ये सब नामुममकिन सा लगता है? इसे मुमकिन करने की पहल की है आइडियल एग्री बिजनेस सर्विसेस कंपनी ने। किसानों के पुर्ण विकास के लिये ये कंपनी एग्री कैफे नाम का प्राॅजेक्ट शुरू करने जा रही है। कंपनी के डायरेक्टर लिलांशु अरोड़ा ने बताया कि इस प्राॅजेक्ट में किसानों को इंटरनेट की मदद से मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की जायेगी। प्राॅजेक्ट तीन चरणों में होगा। पहला चरण है किसानों के लिये वेब पोर्टल, इस पोर्टल के ज़रिये किसानों को तीन तरह की सुविधाऐं मिल सकेंगी।

  • किसान बाज़ार जो कि एक सेल पोर्टल है जिसके ज़रिये किसान घर बैठे खेती से जुड़े तमाम उपकरण, बीज, खाद आदि खरीद सकेंगे।
  • दूसरे हिस्स में खेती के लिये ज़रूरी लेकिन मंहगे उपकरणों को किसान किराये पर ले सकेंगे।
  • तीसरा हिस्सा खेती से जुड़े व्यवसायियों के लिये है जो यहां से बाज़ार से जुड़ी जानकारियां हासिल कर सकेंगे।

इस प्राॅजेक्ट का दूसरा हिस्सा है “पादप रोग प्रयोगशाला” जिस पर काम शुरू हो गया है। ये प्रयोगशाला रुद्रपुर में बनाई जायेगी। इसके बनने से किसान खेती संबंधी टेस्ट जैसे मिट्टी की जांच, फसलों की किफायत आदि की जांच एवं सही रिपोर्ट प्राप्त कर सकेंगे। इसके चलते किसानों को समय से सही जानकारी मिल सकेगी जिससे उनकी खेती की लागत में कमी आयेगी।

प्राॅजेक्ट के तीसरे हिस्से में हर ग्राम सभा में डिजिटल सेवा केंद्र “एग्री कैफै” खोले जायेंगे इनके ज़रिये किसान अपनी तमाम कृषि संबंधित समस्याओं का समाधान अपने ही गांव में प्राप्त कर सकेंगे। कैफे में खेती संबंधी तमाम जानकारियां किसानों को दी जायेंगी। प्राॅजेक्ट के बारे में बताते हुए प्राॅजेक्ट हेड डाॅ उपमा डोभाल ध्यानी ने बताया कि

  • प्राॅजेक्ट के पहले चरण का काम यानि कृषि वेबसाइट लगभग पूरी हो चुकी है।
  • फरवरी महीने में सभी ग्राम सभाओं में एग्री कैफे़ खोल दिये जायेंगे।
  • इनके संचालन के लिये एग्रीक्लचर ग्रेजुएट भी रखें जायेंगे। मार्च तक ये भाग भी पूरी तरह से काम करने लगेंगे
  • जून तक आ२नलाइन सेल का काम भी शुरू हो जायेगा।

इस प्राॅजेक्ट से किसानों को जोड़ने के लिये कंपनी लगातार राज्य की तमाम ग्राम पंचायतों से संपर्क में है और उनसे उनकी परेशानियों के साथ साथ सुझाव लिये जा रहे हैं ताकी ये पूरा प्राॅजेक्ट ज्यादा से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचा सके।

सोने से पहले मुझे मीलों ज़ाना है- “मैती” आंदोलन

0

कल्याण सिंह रावत बायोलाजी के एक रिटायर्ड लेक्चरार हैं,जो देहरादून के नाथूवाला की गलियों में रहते हैं। लोग उन्हें प्यार से कल्याण जी बुलाते हैं,और वह बहुत ही साधारण और विनम्र आदमी हैं। गढ़वाल के ज्यादातर युवाओं की तरह,उन्होंने भी एक अच्छी नौकरी और उज्जवल भविष्य के लिए पहाड़ों से पलायन कर लिया था। इन्होंने नाथूवाला में बायोलोजी लेक्चरार के तौर पर ज्वाइन कर लिया। यहां आकर शादी की,बच्चे हुए और देहरादून को ही अपना घर बना लिया।

अपने पुराने दिनों को याद करके कल्याण बताते हैं कि,साल में एक बार जब मैं पहाड़ों में अपने घर जाता था हर बार मुझे एक बात परेशान करती थी, जहां मैने अपना बचपन बिताया था उन पहाड़ों की घटती हरियाली से मुझे दुख होता था। वो इस सोच में पड़ गए कि अकेले कैसे वो गांव समुदाय में रहने वालों को शामिल करके पर्यावरण की रक्षा और उसके संरक्षण के लिए,लोगों को सजग बना सकते हैं कयोंकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि अकेले वह ज्यादा सकारात्मक बदलाव नहीं ला सकते इस बड़े काम में उन्हें गांव वालों की जरुरत पड़ेगी ही।

1995 में अपनी भतीजी की शादी में जब वह ग्वालदम गए, कल्याण के दिमाग में एक तरकीब आई, एक दुल्हन का उसके घर को छोड़ के जाने मतलब विदाई को और विशेष बनाने का तरीका। वो बताते हैं कि- जब शादी का उत्सव खत्म हो गया तब मैंने अपनी भतीजी से कहा कि अपने प्यार की निशानी के तौर पर वो अपनी मां के बगीचे में एक छोटा पौधा लगा दे जो माता पिता के लिए उसके प्यार को दर्शाएगा और उसे वो पौधा अपने माता पिता की याद दिलाएगा। इसके पीछे उनका एक ही तर्क था कि जब एक लड़की अपना घर छोड़ कर अपने ससुराल जाती है तो एक नाजुक पौधा लगा दे,तब दुल्हन की मां उस पेड़ की देखभाल इसलिए करती है कि वो उसकी बेटी का तोहफा है और पूरा परिवार उस पेड़ का ध्यान रखेगा और उसे हर परेशानी से बचाएगा और ऐसा करके हरियाली वापस आएगी।

यह प्रतीकात्मक अनुष्ठान लोगों के बीच ऐसे फैल गया जैसे जंगल में आग। और हां महिलाओं के बीच यह ज्यादा पसंद किया गया,कयोंकि वो इस तरकीब से भावनात्मक तौर से जुड़ रहीं थी।अतः “मैती” आन्दोलन का बीज लोगों के बीच बोया जा चुका था। मैती शब्द को गढ़वाल व कुमांऊ के मैत शब्द से लिया गया,जिसका मतलब है दुल्हन का पैतृक घर।

इस नवीन वनरोपण आंदोलन ने केवल अपने जन्मस्थान उत्तराखंड के लोगों के दिलों को नहीं छुआ, राज्य की सीमाओं पर भी लोग इस परंपरा को मानने लगे और अब तो इसने सभी सीमाएं लांघ कर विदेशों में भी अपनी जगह बना ली है, जैसे कि नेपाल,दुबई,इंडोनेशिया और कनाडा में भी लोग इसको एक परंपरा की तरह ले रहें।

भावनाओं पर पूरी तरह आधारित, मैती परंपरा में आज कई गुना वृद्धि हुई है और किसी सरकारी या गैर सरकारी,या प्रदेश सरकार के आर्थिक मदद के बिना यह बहुत प्रगति पर है। जो परंपरा एक आदमी के मिशन की तरह शुरु हुई थी आज वह एक जन आंदोलन में बदल गई है, जिसमें लगभग दो लाख पेड़ सिर्फ उत्तराखंड में लगाया गये हैं। मशहूर कवि रार्बट फ्रोस्ट की कुछ लाइनें- सोने से पहले मुझे मीलों ज़ाना है, और मीलों जाना है सोने से पहले कल्याण सिंह रावत के मैती आंदोलन के लिए बिल्कुल सही बैठती हैं।