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सरकार की ऐवियेशन नीति पर एक्सपर्टों ने उठाये सवाल

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राज्य सरकार की महत्वाकांशी एयर सर्विस परियोजना शुरू से ही सरकार के लिये परेशानी का सबब बनी रही है। पहले इसके लिये आॅपरेटर चुनने के फैसले पर सवाल खड़े हुए उसके बाद डीजीसीए ने इजाज़त देेने से मना कर दिया। अब ऐवियेशन सेक्टर से जुड़े जानकार भी सरकार के कदम पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सोमवार को प्रेस क्लब देहरादून में नागरिक उड्यन विशेषज्ञ राजीव धर ने प्रेस कांफ्रेस कर के कहा कि सर्विस आपरेशन की सुविधा को उत्तराखंड में शुरु करना बहुत ही अच्छा कदम है क्योंकि इससे सिर्फ दूर दराज़ के इलाके ही पास नही आऐंगें बल्कि इससे उन लोंगों को भी फायदा होग जो ज्यादा सफर करते हैं। उन्होंने कहा कि सिविल एविऐशन डिर्पाटमेंट ने जो तरीका अपनाया है वह सवालों के घेरे में है और डिर्पाटमेंट ने डी.जी.सी.ए की गाईडलाईन को नजरअंदाज़ किया है।

राजीव ने कहा कि भारत में लगभग 16 शेडयूल आपरेटर है जैसे कि जेट एयरवेज़, स्पाइस जेट, इंडिगो, एयर इंडिया आदि और इनके पास अपने प्राइवेट हैलीकाप्टर नहीं है जिसकी वजह से यह सारे आॅपरेटर इस कांट्रेक्ट में बोली लगाने के लिए योग्य नहीं ।केदारनाथ में पहले से 13 आपरेटर काम कर रहे थे जिसमें से केवल 1 को बिड करने का मौका मिला बाकी आपरेटरों को बिड करने का मौका तक नहीं मिला। ऐसे में डी.जी.सी.ए की गाईडलाईन के अनुसार यह कांट्रेक्ट केवल शेड्यूल आॅपरेटरों के लिए था लेकिन इसमें 4 नान शेड्यूल आपरेटरों ने आवेदन किया और इन चारों नान शेड्यूल आपरेटरों में से आई.एफ.एस.ऐ.एल को अनुमति भी मिल गई।इसके साथ ही इस कंपनी को लैंडिग और पार्किग शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा। यह चार कंपनी जिन्होंने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था वो इस प्रकार हैः

  • हैरिटेज एविऐशन
  • स्पैन एयर
  • डैकन चार्टर
  • आई.एफ.एस.ऐ.एल

इसके साथ ही केदारनाथ यात्रा का किराया 6000 से बढ़ाकर 9200(दोनों तरफ का) कर दिया गया है जो आम आदमी के लिए बहुत ज्यादा है। एकाएक किराया बढ़ जाने से श्रद्धालुओं के लिए यात्रा काफी महंगी हो गई है, जबकि अन्य दार्शनिक स्थल जैसे कि वैष्णों देवी, अमरनाथ, मनी महेश, आदि का किराया केदारनाथ के मुकाबले बहुत कम है। राजीव ने बताया कि यह टेंडर उन कंपनियों को दिया गया है जिनके पास न तो अपने हैलीकाप्टर है ना ही पहाड़ी क्षेत्रों में उड़ान भरने का तर्जुबा। उन्होंने बताया कि अब जब इस कंपनी के पास अपने हैलीकाॅप्टर नहीं है तो ये दूसरी कंपनी से जहाज किराये पर लेंगी जो कि टेंडर में लिखा ही नहीं है,टेंडर में लीज़ पर लेने की बात का कहीं जिक्र भी नहीं है।इस बोली में जिन कंपनियों ने भाग लिया है उनके पास अपने मशीन होने चाहिए और चुनी गई कंपनी के पास अपने मशीन नही हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड उड़ान भरने के लिए एक सेंसिटिव इलाका है, और इस क्षेत्र में अनुभव वाला पाइलट और सुरक्षा दोनों बहुत जरुरी है। ऐसे में नान शेड्यूलिंग आपरेटर को शेड्यूल आपरेटर का परमिट देना किसी खतरे से कम नही है और डी.जी.सी.ए की गाईडलाइन का उल्लंघन करके यह किया गया है।

सीडी कांड में नहीं हुये रावत दिल्ली में हाज़िर

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मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोमवार को दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय मे पेश होने की जगह न आ पाने की अर्ज़ी लगाई। चर्चित सीडी कांड में रावत को सीबीआई ने समन जारी किया था। २६ दिसंबर को सीबीआई के दिल्ली मुख्य़ालय में पेश होने को कहा गया था। मुख्यमंत्री ने हाई कोर्ट में सीबीआई जांच रोकने की याचिका दायर की थी लेकिन उन्हें कोर्ट से राहत नही मिली। सीडी कांड में हरीश रावत को पूछताछ के लिये समन जारी किया गया। इसी साल के शुरुआत में राज्य की राजनीति में उस समय भूचाल आ गया था जब विधान सभा के बजट सत्र में कांग्रेस के विधायकों ने रावत सरकार का दामन छोड़ सरकार को अल्पमत में लादिया था। इस राजनीतिक उठापठक के बीच एक न्यूज़ चैनल ने एक स्टिंग आॅपरेशन दिखाया जिसमें हरीश रावत नाराज़ विधायकों को मनाने के लिये पैसे औऱ लाभ के पदों का आॅफर देते देखें जा रहे थे। रावत को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली और वो अपनी सरकार बचाने में तो कामयाब हुए लेकिन सीडी का मामला सीबीआई के पास चला गया और तब से जांच की तलवार उनके सर पर लटक रही है। हांलाकि हरीश रावत लगातार इस सीडी को झूठी बता रहे हैं।

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र कुमार ने सीबीआई के समन पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश है। भाजपा ने जैसी साजिश राज्य सरकार को गिराने के समय की थी, वैसी ही साजिश सीबीआई के समन के जरिए कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सीबीआई के बलबूते पर राज्य में आगामी विधान सभा चुनाव लड़ना चाहती है। इसलिए सीबीआई का समन भेजने का यह समय भाजपा द्वारा चुना गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के केन्द्र सरकार के पास राज्य को देने के लिए कुछ भी नही है। 

कुमार ने कहा कि हमें तो पहले ही पता था कि चुनाव से पहले भाजपा सीबीआई का दुरूपयोग करेगी। हमारी शंका सही साबित हो गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को आभाष हो गया है कि चुनाव जीतना अब संभव नही है।

आने वाले दिनों में ऐसा लग रहा है कि दोनों ही दल इस मुद्दे पर राजनीति तेज़ करेंगे।

मसूरी विंटर कार्निवल में चुनावी “दंगल” की तैयारी की हरीश रावत ने

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फिल्म "दंगल" का मसूरी में आनंद लेते हरीश रावत

मसूरी में पांच दिन का विंटर कार्निवल 25 दिसंबर से 30 दिसंबर तक मनाया जाएगा। इसका उद्धाटन आज मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया। पिछले कुछ दिनों से नोटबंदी और चुनावी माहौल की जद्दोजहद से निकलने का ये मसूरी वासियों के लिये बेहतरीन मौक़ा रहेगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री रावत ने शहर के रिट्ज सिनेमा घर में हाल ही में रिलीज़ हुई आमिर खान की फिल्म दंगल भी देखी। मुख्यमंत्री अपने चित परिचित अंदाज़ में मफ्लर टोपी लगाये साथ में भुट्टे का मज़ा लेते हुए दिखे। फिल्म देखने के बाद मुख्यमंत्री ने आमिर और फिल्म दोनों की ही तारीफ़ की। अपनी सरकार बचा कर हरीश रावत ने चुनावी दंगल में बीजेपी को राउंड वन में तो पछाड़ दिया है लोकिन अब सत्ता का फाइनल राउंड बाकी है।और इसके लिये हो सकता है फिल्म से भी रावत को कुछ दांव पेंच मिल गये हो।

गहरे लाल रंग के स्वेटर में सजे हुए सीएम हरीश रावत आज एक सांटा क्लाॅज की तरह पहाड़ी इलाकों में रहने वालों के लिए खुशियां लेकर आए जब उन्होंने हिल स्टेट में निर्माणधीन अस्पताल के लिए 50 लाख राशि की घोषणा की।

मसूरी विंटर कार्निवल का उद्धाटन करने आए सीएम ने पिछले 6 साल से निर्माणधीन अस्पताल का मुआइना किया जिसके बाद उन्होंने यह घोषणा की जिससे अब इस अस्पताल का तैयार होना ज्यादा मुश्किल नही लग रहा है और उत्सवों के इस सीजन में सीएम भी इसी माहौल में रमते दिखे। रविवार को शहर का तापमान गिरकर 4 डिग्री तक पहुंच गया था और कुछ बर्फ के टुकड़े हवा में बह रहे थे,जिसेस ऐसा लग रहा था मानो आज एक परफेक्ट विंटर डे हो और एक वाईट क्रिसमस की उम्मीद जो थी वो पूरी हो गई हो।जबकि आसपास के क्षेत्र जैसे धनौल्टी,सुरकंडा देवी और नग तिब्बा में हल्की बर्फबारी के साथ ओले भी पड़े हैं। मुख्यमंत्री रिट्ज सिनेमा के पास रुके,गरमा गरम काफी पी, और दंगल फिल्म देखते हुए उन्होंने भुट्टा भी खाया, इसके बाद सीएम  विकास होटल पहँचे जहां उन्होंने विंटरलाईन कार्निवाल का आगाज़ किया।

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चौथा कार्निवाल सर्वे फिल्ड से एक कल्चरल परेड के साथ शुरु हुआ। अलग अलग सांस्कृतिक समूह जो कि जौनपूर,जौनसार,कुमांऊ से थे उन्होंने रंग बिरंगी सांस्कृतिक पोशाकों पहने हुए थे, उनसे मिलते जुलते आभूषण और साथ में वाद्य यंत्र, ऐसा लग रहा था मानो यह एक संपूर्ण कार्निवाल हो जिसका पूरा फोकस उत्तराखंडी संस्कृति को दिखाना है।

तीन दिन के उत्तराखंडी फूड फेस्टिवल के साथ यहां पर पारंपरिक कलाकारों और नर्तक द्वारा सांस्कृतिक समारोह भी होगा।यह बताता है कि कार्निवाल अब तक खत्म नही हुआ है अगर पहला दिन छूट भी गया है तो क्या अभी बहुत सारी मशहूर चीजें होनी बाकी हैं। होने वाले कुछ समारोह में मुख्य है सोमवार को निज़ामी भाइयों की कव्वाली का कार्यक्रम।

इसके अलावा वहां पर बहुत सारी गतिविधियां जैसे कि आर्ट कम्पटिशन,बर्ड वाचिंग और हैरिटेज ट्रेल्स होंगें। शहर के चारों ओर परीयों के नगरी जैसी रोशनी,सर्दियों के दिनों में बिखरा हुआ संगीत,हिल शहर यकीनन ही इस उत्त्सव को महसूस कर रहा होगा।होटल मालिक एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल बताते हैं कि “शहर को आने वाले उत्सव के लिए ऐसे तैयार किया गया है  जिस से एक भी कोना बिना सजाए ना रहा हो, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग आएं। साथ ही होटलों में हमेशा की तरह 50 प्रतिशत के बजाए 60 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।” इस साल खासतौर पर इस फेस्टिवल में स्थानीय कलाकारों और लोकल खान पान के व्यंजनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

नवंबर से देशभर मे लागू हुई नोटबंदी का उत्तराखंड के पर्यटन और ख़ासतौर पर होटल व्यवसाय पर खासा असर पड़ा है। ऐसे में मसूरी वासियों को उम्मीद है कि विंटर कार्निवल में लोग आयेंगे और सीज़न में हो रहे नुक़सान तीस कुछ भरपाई हो सकेगी।

ज़रूरतमंदों को मिलेगी एक महीने के लिये मुफ्त़ हवाई सेवा

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राज्य सरकार ने क्षेत्रीय उड्डयन सुविधाओं के विकास एवं हवाई सेवाआों के व्यापक विस्तार तथा जन सामान्य में ख्याति और जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से एक माह  के लिये राज्य के दूर दराज़ क्षेत्रों में असहाय/बीमार/वृद्ध पुरूषों, महिलाओं एवं बच्चों को विशेष परिस्थिति में राजकीय वायुयान से निःशुल्क हवाई सेवा की सुविधा प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया है।सचिव नागरिक उड्डयन डाॅ.आर.मीनाक्षी सुन्दरम ने बताया है कि ये सेवा राज्य में जनपद देहरादून के जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट से गौचर-जनपद चमोली, चिन्यालीसौड़-जनपद उत्तरकाशी, एवं नैनीसैनी-जनपद पिथौरागढ, हवाई पट्टियों से सप्ताह में प्रति दो दिन संचालित की जायेगी। यह हवाई सेवा देहरादून के जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट से मंगलवार एवं शुक्रवार को गौचर-जनपद चमोली, बुधवार एवं शनिवार को चिन्यालीसौड़-जनपद उत्तरकाशी और सोमवार एवं गुरूवार को नैनीसैनी-जनपद पिथौरागढ़ हवाई पट्टियों से संचालित की जायेगी। निःशुल्क हवाई सेवा का लाभ लिए जाने हेतु असहाय/बीमार/वृद्ध पुरूषों, महिलाओं एवं बच्चों का चिन्हीकरण संबंधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा किया जायेगा।

प्रशासन का मानना है कि इस तरह से सुविधायें दे कर लोगों के बीच में हवाई सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। और इसके सीधा फायदा हाल ही में सरकार द्वारा दूर दराज़ के इलाकों के लिये शुरू की गई एयर सर्विस को फायदेमंद बनाने में मिलेगा।  चुनावी माहौल में मुफ्त हवाई सेवा का ये पैंतरा राज्य सरकार को ज़रूर मदद करेगा लेकिन एक महीने के बाद ज़रूरतमंद लोग क्या करेंगे इसके रोडमैप शायद फिलहाल सरकार के पास नही है।

मोदी के दौरे से पहले रावत का हमला, कहा दौरा चुनावी खाना पूर्ती है

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27 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देहरादून दौरा है और इसके लोकर राजनीति भी तेज़ हो गई है। रविवार को देहरादून में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस दौरे को लेकर प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। रावत ने प्रधानमंत्री के देहरादून दौरे को महज़ चुनावी दिखावा बताते हुए कहा कि हवा-हवाई दावा करने आ रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी। गौरतलब है कि मोदी 27 को राज्य में आॅल वेदर रोड प्राॅजेक्ट के शिलान्यास करेंगे, इसपर बोलते हुए रावत ने कहा कि “प्रदेश में पहले से ही ऑल वैदर रोड मौजूद है। केंद्र द्वारा चारधाम सड़कें ऑल वैदर रोड को प्रचारित किया जा रहा है ये राज्य के हित के खिलाफ है। क्योंकि ये सन्देश जाएगा कि चारधाम की सड़कें खराब हैं। चार बार हमारी केंद्र से मीटिंग हो चुकी है ब्रिज और बाईपास बनाने के लिए। लैंड स्लाइड की ट्रीटमेंट के लिए गडकरी जी से बात हो चुकी है। यमुनोत्री की सड़क को विकासनगर से कनेक्ट करने का अनुरोध करेंगे। केंद्र सरकार के ऑल वैदर रोड शब्द से मुझे एतराज है क्योंकि ये सब बातें हवा-हवाई हैं और चुनावी हैं। यूपीए सरकार के समय 8000 करोड़ का पैकेज मंजूर किया था। वो पैसा मिले और केंद्र ने इसमें से जो पैसा खर्च कर दिया है वो पैसा भी हमको मिले।”

लोकायुक्त की नियुक्ति पर भी सीएम ने दी सफाई। कहा हमने अपना काम कर दिया है और अब जिनको काम करना है वो अब इसके लिए काम करें।

सीबीआई के समन पर बोले सीएम रावत, कहा “हमने हाईकोर्ट में दरखासत लगाई थी कि सीबीआई की याचिका को जल्द निस्तारित किया जाय। कोर्ट ने 7 जनवरी की डेट लगाई है। हमारे याचिका को खारिज़ नहीं किया गया है। मैं राज्य का सीएम हूं मुझे पूछताछ के अपने स्तर से जगह तय करने का अधिकार है।”

चुनाव के दौरान कांग्रेस के प्रचार में बाधा डालने की हो रही है कोशिश। “आखिर सीबीआई इतने समय बाद क्यों हुई है एक्टिव। जिस स्टिंग पर राष्ट्रपति शासन लगा वो हट गया तो स्टिंग का अब क्या औचित्य। मैंने कोई खरीद-फरोख्त नहीं की। स्टिंग से ये प्रूफ हो गया कि हमारी सरकार को गिराने की कोशिश की गयी।”

मुख्यमंत्री ने मांग रखी कि

  • सरकार गिराने का षड्यंत्र हुआ है बीजेपी के नेता शामिल रहे हैं इसकी जांच होनी चाहिए।
  • स्टिंगकर्ता ने कहा कि सीएम कार्यालय में कोई सेटर है उसकी भी जांच होनी चाहिए।
  • स्टिंगकर्ता ने पैसे उपलब्ध कराने की बात कही है उसके पास इतने पैसे कहां से आए इसकी जांच होनी चाहिए।

सीएम हरीश रावत ने हरक सिंह रावत और अमृता रावत को लिया निशाने पर। कहा जब इनके घोटाले उजागर हुए तभी इनको बर्खास्त कर देना चाहिए था। मुझे विश्वसनीय सूत्र से जानकारी मिली है कि सीबीआई को कहा गया है कि रावत को तलब करो और स्थानीय नेताओं से कहा गया है कि रावत के खिलाफ कुछ लाओ।

राज्य में चुनावी माहौल गर्म हो गया है और ऐसे में दोनों प्रमुख विपक्षी दल अपने तरक्श में रके तीरों को धार दे रहे हैं। आने वाले दिनों में चाहे सीबीआई की जांच हो या केंद्र द्वारा उसके दुरुपयोग का मामला, या भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी प्रदेश सरकार आरोपों का ये दौर और तेज़ ही होने वाला है। दिलचस्प होगा ये देखना कि 27 तारीख को एक मंच साझा करने वाले प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री हरीश रावत उस मंच का प्रयोग किस तरह के राजनीतिक फायदे के तौर पर करते हैं।

उत्तराखंड में मौसम ने ली अंगड़ाई, व्यापारियों के चेहरों पर आई रौनक

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रविवार को क्रिस्मस के साथ ही प्रदेश में मौसम ने भी मिजाज़ बदला। राज्य के ज्यादातर इलाकों में सुबह से ही घने बादल छाये रहे और कई जगहों पर बूंदा बांदी भी हुई। राज्य के ऊंचा पहाड़ा इलाकों में कुछ जगहों पर बर्फबारी भी हुई। इसका सीधा असर दिल्ली और अन्य मैदानी क्षेत्रों में देखने को मिला जहां सुबह से ही तेज़ हवाऐं चलती रहीं।

जहां नोटबंदी के चलते देशभर में लोगों के खर्चों में कमी आई है जिसका सीधा असर व्यापार और खासतौर पर पर्यटन पर पड़ रहा है वहीं मौसम की इस अंगड़ाी ने राज्य के पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यापारियों के चेहरों पर रौनक लौटाई है। पिछले कुछ समय से राज्य भर सेहोटल बुकिंग कैंसिल होने की खबरें आ रही थी। वहीं जोशीमठ स्थित प्रसिध्द पर्यटन स्थल आॅली में माहौल कुछ बदलता दिख रहा हैं। 8000-1000 फीट की ऊचांई पर फैला ये खूबसूरत बुग्याल देशभर में अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और बर्फ के मैदानों के लिये मशहूर है। आॅली में इस सीजन भी पर्यटकों का आना लगा हुआ है। इससे पर्यटन से जुड़े व्यापारियों में खासा उत्साह है। जोशीमठ के होटल व्यापारी मोहन पांडे कहते हैं कि ” हमें लग नहीं रहा था कि नोटबंदी के कारण इस बार सर्दी के मौसम में कुछ धंधा हो सकेगा। लेकिन फिलहाल हालात ठीक लग रहे हैं, सैलानी आ रहे हैं और इसको देखते हुए उम्मीद है कि नये साल में यहां और सैलानी आयेंगे”

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वहीं मौसम विभाग ने भी आने वाले दिनों में राज्य के मैदानी इलाकों में बारिश और पहाड़ी इलाकों में हल्की से मध्यम बर्फबारी के संकेत दिये हैं। इसके चलते भी आम लोगों के साथ साथ सैलानियों में भी खासा उत्साह है क्योंकि आॅली अपने बर्फ की वादियों के लिये देश में ही नही बल्कि दुनिया में जाना जाता है। भारत में सिर्फ दो जगहों पर ही आप स्कींग का आनंद ले सकते हैं उनमें से एक है जम्मू कशमीर का गुलमर्ग और दूसरा है आॅली।

नया साल आते आते परिवहन विभाग को मिली 483 नई बसें

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मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को आईएसबीटी देहरादून में मुख्यमंत्री पर्यटन एवं प्रोत्साहन योजना के अन्र्तगत उत्तराखण्ड परिवहन निगम की 483 नई बसों का लोकापर्ण किया। देहरादून से बाया कोटद्वार, ढौटियाल, बसडा, रिखणीखाल रात्रि विश्राम कोटनाली वापस कोटनाली, रिखणीखाल, बसडा, ढौटियाल, कोटद्वार रात्रि विश्राम देहरादून रूट पर भी बसे आरम्भ की गई है। ये बसे परिवहन निगम की पुरानी बसों को रिप्लेस करेगी। 483 नई बसों में आर्डनरी बसों के साथ ही कुछ लक्जरी बसों को भी शामिल किया गया है।

इस अवसर पर परिवहन निगम एव राज्य भर के लोगों को बधाई एव शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य में गुणतापूर्ण व सुविधा सम्पन्न बसों की जरूरत लम्बे समय से थी। प्रथम चरण में 483 नई बसों का लोकापर्ण किया गया है। द्वितीय चरण में बसों को ओर अधिक आधुनिकीकृत किया जाएगा। आधुनिक वर्कशाॅप के लिए कार्ययोजना शीघ्र बनाई जानी चाहिए।  श्री रावत ने कहा कि परिवहन निगम को दक्षतापूर्ण कार्य शैली से लाभ कमाने को अपनी आदत में शामिल करना होगा। परिवहन क्षेत्र को माॅर्डन वर्कशाॅप की आवश्यकता है। हमें परिवहन निगम को एक लाभ कमाने वाली यूटिलिटी में बदलना होगा।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यदि सरकार की नीतियों के कारण निगम को किसी प्रकार की हानि उठानी पड़ी हो तो इसकी क्षतिपूर्ति भी सरकार द्वारा ही की जाएगी परन्तु निगम की कार्यदक्षता के कारण होने वाली हानि हेतु कार्य शैली व संचालन में आवश्यक सुधार शीघ्र किये जाना चाहिए। सरकार द्वारा निगम की स्थिति में सुधार हेतु इसके ऋणों को राइट आॅफ किया गया। परिवहन निगम के बेड़े में लक्जरी बसों के आधार पर इसे लाभ की स्थिति में पहुचाया जा सकता है। राज्य भर मे बड़ी बसों पर भार को कम करने हेतु छोटी बसों व मैक्सी बसों की सेवा को बढ़ावा दिया गया है। 

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रथम चरण में 483 बसों के संचालन व भविष्य में इन बसों को जीपीएस, वाई फाई, टैªकिंग आदि सुविधाओं से युक्त करने की योजनाओं से हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है,  अब हमे लाभ कमाने का सकंल्प लेना होगा।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, नवप्रभात, परिवहन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता, सचिव परिवहन सी0 एस0 नपच्याल आदि उपस्थित थे।

सालों से पहाड़ों और जंगलों को बचाने में लगा है एक “जंगली”

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पर्यावरण
जंगली जी

उत्तराखंड में वनों के जीर्णोंधार के जनक और उत्तराखंड के ग्रीन अम्बेसडर “जंगली जी” यानि जगत सिंह चौधरी
उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले के कोट मल्ला गांव में रहते हैं।जगत सिंह सीमा सुरक्षा बल के पूर्व सैनिक रह चुके हैं जो अब जंगली के नाम से मशहूर है। जगत सिंह हिमालय की गोद में पले-बढ़े और सन् 1968 में सीमा सुरक्षा बल में शामिल होने का फैसला किया। एक गढ़वाली किसान के परिवार में पैदा होने की वजह से बचपन से ही उनका जुड़ाव प्रकृति से तो था ही पहाड़ो के लिए भी उनका प्रेम अतुल्यनीय था।
1973 में जब वह अपने परिवार से मिलने के लिए पहाड़ों पर लगभग छः किलोमीटर की चढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक महिला बुरी तरह से जख्मी हालत में थी जिसका पैर घास काटते हुए फिसल गया था और वह गिर गई थी। इस एक घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया। उन्होंने उस महिला की मदद तो कि ही लेकिन इस समस्या का स्थायी सामाधान ढूढने के लिए वो बेचैन हो उठे। उस महिला की परेशानी देखकर उन्होंने अंदाजा लगा लिया कि उनके गांव के अन्य लोगों को पहाड़ की खतरनाक चढ़ाई चढ़कर खाने के लिए लकड़ी लानी पड़ती है।
बहुत सोचने के बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न आस पास के इलाकों में बंजर पड़ी ज़मीन पर ही घास फूस और पेड़ उगाया जाए और क्यों न उसे ही उपजाऊ बनाया जाए। लेकिन उस वक्त उन्हें गांव की जमीन पर खेती करने के लिए मनाही हो गई जिसकी वजह से उनको दूसरा रास्ता निकालना पड़ा। इसी बीच उनके पिता ने उन्हें 2 हेक्टेयर बंजर जमीन देकर उसपर फसल उगाने की शर्त रख दी वो भी ऐसी जगह जहां पानी का एक बूंद भी मिलना मुश्किल था।
1974 से वह जब भी सर्दियों की छुट्टी में घर आते अपने पिता जी के दिए हुए उस बंजर जमीन के टुकड़े पर पेड़ पौधे और घास उगाने के लिए बेस तैयार करते। 1980 में उन्होंने अपनी वर्दी त्याग दी और पूरी तरह से उस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में लग गए जिससे वो गांव वाली की मदद कर सके। उन्होंने उस बंजर जमीन के किनारों में तरह तरह के पौधे लगाए जैसे कि रामबन्स, सिवाली और नागफली (कैक्टस) जो उस जमीन में बाड़ की तरह काम कर सके।
उसके बाद उन्होंने सीढ़ीनुमा जमीन का ढलान घरों की तरफ करा जिससे भू-क्षरण हो सके और बारिश का पानी ज्यादा लंबे समय तक रुक सके। इसके बाद उन्होंने ऐसे पेड़ पौधे लगाना शुरु किए जो लोगों के लिए ईंधन और चारे का काम कर सके। उस समय पानी की कोई सुविधा ना होने की वजह से वह 3 किलोमीटर दूर से पानी के बर्तन अपने कंधों पर उठा कर लाते थे। इसके बाद क्षेत्र के युवा लोगों को अपने साथ मिलाकर उन्होंने अलग अलग प्रकार के घास और औषधिय पौधे उगाएं। रिटायरमेंट के बाद से वो सुबह शाम जंगल की देख रेख करते हैं। उनके इन प्रसासों को देख कर गांव वालों के अंदर भी अपनी बंजर ज़मीनों को हरा भरा बनाने का जज्बा़ आया और फिर जगत सिंह के साथ मिलकर सभी गांव वालों ने अपनी जमीनों पर पेड़ पौधे उगाना शुरु कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि देखते ही देखते बहुत सारे छोटे बाग आस पास के इलाकों में दिखने लगे।
उनका अगला प्रयास था गांव वालों के लिए आजीविका के माध्यम बनाना और वह केवल अदरक, हल्दी, दाल, सब्जियां,जड़ी-बूटी और फूल जैसी कैश क्रॉप उगाने से हो सकता था। उन्होंने बड़े पैमाने पर ऐसी फसलें उगाने का फैसला किया। जगत सिंह के लिए जंगल ही उनका सब कुछ है और वो उसी जंगल में रहने भी लगे इसलिए लोग उन्हें “जंगली” बुलाने लग गए।

जगत सिंह
जगत सिंह

पर्यावरण मंत्रालय ने उनके मिक्सड एग्रो वन के महत्व को और उनके विकास कार्य़ को भी समझा। उनके इस योगदान को 1998 में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उन्हें राष्ट्रीय इंदिरा गांधी वृक्षमित्र पुरस्कार से नवाजा। सन् 2012 में उत्तराखण्ड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने उन्हें उत्तराखण्ड के ग्रीन अम्बेसडर की उपाधि दी। अपने कामों के लिये जगत सिंह को उत्तराखण्ड गौरव अवार्ड, गौरा देवी अवार्ड, पर्यावरण प्रहरी अवार्ड के साथ साथ कई सरकारी संगठनों, डिपार्टमेंट, और इंस्टीट्यूटों ने उन्हें 30 से भी ज्यादा पुरस्कारों से नवाज़ा है।

आज जगत सिंह जी की कड़ी मेहनत और लगन से उत्तराखंड में एक लाख से ज्यादा पेड़,और 60 से भी ज्यादा प्रजाति के जड़ी बूटी वाले पौधे हमारे बीच हैं।
जगत सिंह के पास पर्इ्न्होयावरण को लेकर कोई डिग्री नही है लेकिन इतने सालों से वो भारत के उच्च विश्वविधालयों जैसे की दिल्ली युनिर्वसिटी, जेएनयू, जी.बी पंत इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन इन्वारमेंट एंज डेवलेपमेंट, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविधालय,आदि में लेक्चर देते हैं।

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5 सितंबर सन् 1997 को जगत सिंह जी ने 20 यात्रियों के साथ अपने गांव कोट मल्ला से दिल्ली तक पैदल यात्रा कि जिसमें उन्हें पूरा 1 महीना लगा। यात्रा का मुख्य कारण था हिमालयी क्षेत्रों में महंगें रसोई गैस व महंगी बिजली। पूछने पर वो बताते हैं कि उनके दिमाग मे यह बात थी कि पहाड़ों में रहने वाले किसी भी तरीके से प्रकृति को नुकसान नही पहुंचा रहे अलबत्ता यह लोग पहाड़ व जंगलों का संरक्षण ही कर रहे। बस इस बात से उन्होंने यह पद यात्रा का सोचा और इस दौरान पड़ने वाले गांव के लोगों को उन्होंने रायल्टी के बारे में जागरुक भी किया। 1997 के दशक में रायल्टी की बात करने वाले यह पहले थे। वो बताते है कि दिल्ली पहुंच कर रायल्टी का मेमोरेन्डम उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री एंव राष्ट्रपति को सौंपा दिया था जिसके लगभग तीन महीने बाद जापान की संसद में यह बात छिड़ी की भारत का कोई राज्य रायल्टी का बात कर रहा है। इसके बाद भारत सरकार ने इसपर फैसला लिया और सन् 2007 में हिमालयी राज्यों में 36 करोड़ रुपया ग्रीन हाउस के रुप में मिला साथ ही केंद्र से हिमालयी राज्यों को प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपया ग्रीन बोनस के रुप में दिया जाना स्वीकृत हुआ।

जगत सिंह का जीवन आज की पीड़ी के लिये मिसाल है इस बात की अगर मन में अपने समाज के लिये कुछ करने का जज्बा़ हो ते रास्ते अपने आप निकलते जाते हैं।

उत्तराखंड पहुंचे विराट कोहली और अनुष्का शर्मा

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एयरपोर्ट से निकलते विराट अनुष्का

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली अपनी खास दोस्त औऱ मशहूर अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ अचानक देहरादून पहुंचे। दोपहर अचानक प्राइवेट प्लेन से दोनों देहरादून के जाॅली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। दोनों को वहां देखते ही लोगों में अपने चहते सेलिब्रेटी के साथ तस्वीरें खिंचाने की होड़ लग गई।

भीड़ से बचते हुए दोनों बाहर निकले औऱ सीधे नरेंद्रनगर स्थित आनंदा रिसाॅर्ट के लिये निकल गये। गौरतलब है कि विराट और अनुष्का की खास दोस्ती लंबे समय से चर्चाओं का विषय रही है। दोनों ने कभी खुलकर अपने रिश्ते के बारे में बात नहीं की है। अनुष्का शर्मा मूल रूप से देहरादून की हैं और इससे पहले भी ये दोनों कई बार छुट्टियां मना चुके हैं लेकिन उत्तराखंड में ये दोनों पहली बार साथ साथ आये हैं।

क्रिस्मस पर मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों को बधाई

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शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत से बीजापुर अतिथि गृह में विधायक आर.वी.गार्डनर ने मुलाकात कर क्रिसमस की शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री रावत ने भी गार्डनर को क्रिसमस की हार्दिक बधाई दी। गार्डनर ने मुख्यमंत्री को केक खिलाकर बधाई दी।

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने क्रिसमस पर्व के अवसर पर सभी प्रदेशवासियों विशेषकर ईसाई समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री रावत ने कहा है कि यह पर्व हमें महापुरूष ईसा मसीह के सिद्धान्तों की याद दिलाता है, जिन्होंने समाज में समरसता, समभाव, प्रेम एवं शान्ति के लिए कार्य कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। 

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में सभी पर्वो को मिलजुल कर मनाने की श्रेष्ठ परम्परा रही है और यहां के निवासियों ने साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल कायम कर यहां की गंगा जमुनी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखा है।