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हरीश रावत-केंद्र आमने सामने, दिल्ली में किया शक्ति प्रदर्शन

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चुनावों की घोषणां के साथ ही उत्तराखंड की राजनीतिक तस्वीर भी बदलती दिख रही है। कल तक राज्य के दौरों और ऩई योजनाओं के शिलान्यास में व्यस्त मुख्यमंत्री हरीश रावत गुरुवार को आंदोलन करते दिखे। दिल्ली के जंतर मंतर पर हरीश रावत ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं के साथ केंद्र सरकार द्वारा भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन मामले पर सरकार के खिलाफ धरना दिया। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में केंद्र जिस तरह राज्य पर फैसले को थोप रहा है, उससे संघीय व्यवस्था को चोट पहुंच रही है। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर दोहराया कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का राजनीति से लेना-देना नहीं है। उन्होंने आवाज नहीं उठाई तो जनता को हमेशा शिकायत रहेगी। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार कहती रही है कि:

  • राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को पूर्व में प्रेषित भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान को यथावत रखकर उसी पर बल दिया जाय।
  • प्रकरण में भारत सरकार/राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ¼NGT½ द्वारा राज्य के हितों के विपरीत निर्णय दिये जाने की दशा में, निर्णयों का विरोध औचित्यपूर्ण आधार के साथ मा. उच्चतम न्यायालय में अपील योजित करके किया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों में जल विद्युत परियोजनाओं को स्थापित किये जाने हेतु दी गई  व्यवस्था के अनुरूप ही उत्तराखण्ड राज्य को भी अनुमति प्रदान की जाये अन्यथा की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति स्वरूप राज्य को विद्युत आपूर्ति की जाये। इस सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • राज्य द्वारा पर्यावरण कानूनों का पूर्ण पालन करते हुए ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास किये गये हैं तथा इस हेतु राज्य सरकार को ग्रीन बोनस दिये जाने के सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों के ईको सेंसिटिव जोन में भू-उपयोग परिवर्तन राज्य सरकार स्तर पर किये जाने की व्यवस्था दी गई है। स्टीप स्लोप के सम्बन्ध में देशभर में लागू इण्डिन रोड कांग्रेस स्टैण्डर्ड – आई.आर.सी. 73 को लागू किया गया है। उक्त के समान ही भू-उपयोग परिवर्तन एवं स्टीप स्लोप के मानकों को भागीरथी ईको सेंसिटिव क्षेत्र में भी लागू किया जाये।
  • Western Ghat Eco Sensitive Zone, महाराष्ट्र एवं अन्य हिमालयी प्रदेशों के लिये जारी किये गये ईको सैंसिटिव जोन की अधिसूचनाओं के अनुरूप ही विकास हेतु पर्यावरण मानकों में प्राप्त छूट के समान ही प्रदेश को प्रदान की जाये।

इस मौक़े पर कांग्रेस ने अपना राजनीतिक दम दिखाने में कोई कसर नही छोड़ी। प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, सासंद प्रदीप टम्टा, कांग्रेसी विधायक और समर्थक सभी भारी संख्या में मौजूद रहे। चुनावी रण का आगाज़ हो गया है और भागीरथी इको सेंसिटिव जोन को चुनाव के मौके पर सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है। अपने जीवन की शायद अबतक की सबसे कांटे की लड़ाई सड़ रहे हरीश रावत के लिये अपने चुनावी तरकश में तीरों को धार देने का समय आ गया है।

राज्य चुनाव आयोग ने चुनावों के लिये कमर कसी

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केंद्रीय चुनाव आयोग के पांच राज्यों में चुनावों का ऐलान करते ही सभी राज्यों में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। इसके चलते देहरादून में राज्य की मुख्य चुनाव अधिकारी राधी रतूड़ी ने बताया कि :

  • आचार संहिता सभी मंत्रियों और दर्जा प्राप्त राज्य मंत्रियों पर लागू होती है
  • सभी अधिकारियों को आचार संहिता को सख्ताई से लागू कराने के निर्देश दे दिये गये हैं।
  •  शुक्रवार 20 जनवरी को चुनावों की अधिसूचना जारी होगी
  • नामांकन भरने की आखिरी तारीख 27 जनवरी
  • नामांकन की जांच 30 जनवरी तक होगी
  • नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 1 फरवरी
  • मतदान की तारीख 15 फरवरी
  • मतगणना की तारीख 11 मार्च

प्रदेश के 10 हजार 854 पोलिंग बूथ पर मतदान होना है। इस बार चार विधानसभा क्षेत्रों में वीवी पैट मशीन का इस्तेमाल होगा। इससे मतदाता देख सकेंगे कि उन्होंने किस प्रत्याशी को अपना मत दिया है। वीवी पैट मशीन का इस्तेमाल दून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर के जिलों में की जायेगी।इस बार पार्टियां निर्वाचन आयोग से स्टार प्रचारकों, जनसभाओं और रैलियां के लिए ऑन लाइन परमिशन ले सकती है। वही मतदाता भी आयोग से ऑन लाइन अपनी शिकायतें को भी दर्ज करा सकते हैं।

इस मौके पर आई जी दीपम सेठ ने भी बताया कि चुनावों को सही तरीके से कराने के लिये सुरक्षा को रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है। इस रोडमैप के हिसाब से फोर्स की मांग और उसके अनुसार डिप्लोयमेंट किया जायेगा।

चुनावों के लिये चुनाव आयोग ने की हैं खास तैयारियां

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Election
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चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि इस वर्ष पांच राज्यों गोवा,पंजाब,मणिपुर,उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसमें 690 विधानसभा सीटें हैं।

  • इस वर्ष आयेग के हिसाब से 5 राज्यों में 16 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे।
  • राज्य में वोटिंग के लिए बनाए गए हर पोलिंग स्टेशन पर वोटरों की सुविधा के लिए बनाया जायेगा एक असिस्टेंस बूथ जिससे वोटरों को परेशानियों का सामना न करना पड़े।
  • पांच राज्यों में कुल मिलाकर 1,85,000 पोलिंग स्टेशन बनाए जाऐंगे और पोलिंग के लिए इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल होगा।
  • पोलिंग बूथ के बाहर सभी जानकारियों पोस्टर पर लगा दी जाएंगी जिसपर वोटरों के नियमों का उल्लेख होगा।
  • पोलिंग बूथ पर वोटर्स की मदद के लिए गाइड होंगे और वोटरों को फोटो वाली वोटर स्लिप मिलेगी।
  • चुनाव उम्मीदवारों को चुनाव से पहले अपना बैंक खाता खुलवाना अनिवार्य होगा
  • इस बार वोटरों को ध्यान में रखकर बनाए जाऐंगे पोलिंग बूथ तथा ईवीएम के पास लगाई जाएंगी ऊंची दीवार ताकि कोई और न देख पाए कि आपने किसको दिया है अपना वोट।
  • राज्यों में कुछ जगहों पर महिलाओं के लिए अलग पोलिंग बूथ भी होंगे।
  • पांच राज्यों में से यूपी,उत्तराखंड और पंजाब के प्रत्याशी 28 लाख तक खर्च कर सकेंगे और बाकी दो राज्य गोवा,मणिपुर 20 लाख खर्च कर सकेंगे ।
  • अगर उम्मीदवार 20 हजार से ज्यादा का चंदा और कर्ज लेते है तो उन्हें बैंक चेक से लेनी होगी यह धनराशि।

चुनाव आयोग ने मीडिया को अहम हिस्सा बताते हुए अनुरोध किया कि मीडिया सारी जानकारी लोगों तक पहुचाएं। सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे कि टिव्टर,फेसबुक आदि को चुनाव आयोग ने बढ़ावा दिया है तथा कहा कि पेड न्यूज पर भी इस बार आयोग की नजर रहेगी।आयोग ने कहा कि राजनितिज्ञों और पार्टीयों के नेतृत्व में चलने वाले न्यूज़ चैनल,अखबार आदि पर नजर रखने के लिए मीडिया मानेटरी कमेटी का गठन किया जाएगा जो पेड न्यूज पर पूरी नजर रखेंगे। सभी राज्यों में वोटों कि गिनती 11 मार्च को होगी।

15 फ़रवरी को पड़ेंगे उत्तराखंड में वोट, पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान

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चुनाव आयोग ने बुधवार को उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया है। उत्तराखंड में वोटिंग 15 फ़रवरी को होगी और मतों की गणना का काम 11 मार्च को होगा।

इस ऐलान के साथ ही देश में आचार संहिता लागू हो गई है। इसके चलते अब देश में कहीं भी कोई ऐसे कदम नहीं उठाये जा सकते जिसे वोटरों को लुभाने का कदम माना जाये। यानि कि अब पांचों राज्य फुल चुनावी मोड में आ गये हैं। इसके साथ ही अन्य चार राज्यों में भी चुनावों की तारीखों का ऐलान भी किया गया है:

उत्तर प्रदेश
पहला चरण: फ़रवरी 11, 73 सीटें
दूसरा चरण:फ़रवरी 15, 67 सीटें
तीसरा चरण:फ़रवरी 19, 69 सीटें
चौथा चरण:फ़रवरी 23, 53 सीटें
पांचवां चरण: फ़रवरी 27, 52 सीटें
छठा चरण: मार्च 4, 49 सीटें
सांतवां चरण: मार्च 8, 40 सीटें
उत्तराखंड: फ़रवरी 15
पंजाब:फ़रवरी 4
गोवा:फ़रवरी 4
मणिपुर:पहला चरण: मार्च 4, दूसरा चरण: मार्च 8
केंद्रीय गृह मंत्रालय पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में तैनाती के लिए करीब 85,000 सुरक्षा कर्मी मुहैया कराएगा। इसके अलावा करीब 100 कंपनियां विभिन्न राज्यों से ली जाएंगी जिन्हें चुनाव ड्यूटी में लगाया जाएगा। इन कंपनियों में राज्य सशस्त्र पुलिस बल और इंडिया रिजर्व बटालियन शामिल होंगी। अर्धसैनिक बल की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं।

रावत सरकार की आख़िरी कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार से टकराव

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मंगलवार को हरीश रावत सरकार की संभवत: आखिरी मंत्रीमंडल की बैठक हुई। बैठक में ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने के प्रकरण में भारत सरकार द्वारा हिमालयी राज्यों के बीच दोहरे मापदण्ड अपनाये जाने पर खेद व्यक्त किया गया। विचारोपरान्त मंत्रिमण्डल द्वारा निम्न निर्णय लिये गये:

  • राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को पूर्व में प्रेषित भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान को यथावत रखकर उसी पर बल दिया जाय।
  • प्रकरण में भारत सरकार/राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ¼NGT½ द्वारा राज्य के हितों के विपरीत निर्णय दिये जाने की दशा में, निर्णयों का विरोध औचित्यपूर्ण आधार के साथ मा. उच्चतम न्यायालय में अपील योजित करके किया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों में जल विद्युत परियोजनाओं को स्थापित किये जाने हेतु दी गई  व्यवस्था के अनुरूप ही उत्तराखण्ड राज्य को भी अनुमति प्रदान की जाये अन्यथा की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति स्वरूप राज्य को विद्युत आपूर्ति की जाये। इस सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • राज्य द्वारा पर्यावरण कानूनों का पूर्ण पालन करते हुए ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास किये गये हैं तथा इस हेतु राज्य सरकार को ग्रीन बोनस दिये जाने के सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों के ईको सेंसिटिव जोन में भू-उपयोग परिवर्तन राज्य सरकार स्तर पर किये जाने की व्यवस्था दी गई है। स्टीप स्लोप के सम्बन्ध में देशभर में लागू इण्डिन रोड कांग्रेस स्टैण्डर्ड – आई.आर.सी. 73 को लागू किया गया है। उक्त के समान ही भू-उपयोग परिवर्तन एवं स्टीप स्लोप के मानकों को भागीरथी ईको सेंसिटिव क्षेत्र में भी लागू किया जाये।
  • Western Ghat Eco Sensitive Zone, महाराष्ट्र एवं अन्य हिमालयी प्रदेशों के लिये जारी किये गये ईको सैंसिटिव जोन की अधिसूचनाओं के अनुरूप ही विकास हेतु पर्यावरण मानकों में प्राप्त छूट के समान ही प्रदेश को प्रदान की जाये। 
  • सी.पी.सी.बी. द्वारा 25 मेगावाॅट तक के जल विद्युल परियोजनाओं को व्हाइट कैटेगरी की श्रेणी में रखा गया है तथा ई.आई.ए. ¼Environment Impact Assesment½ नोटिफिकेशन 2006 के अन्तर्गत भी इन परियोजनाओं को पर्यावरण स्वीकृतियों से छूट प्राप्त है। अतः अन्य हिमालयी प्रदेशों की तरह ही उत्तराखण्ड में भी 25 मेगावाॅट तक की जल विद्युत परियोजनओं को स्थापित करने की अनुमति प्रदान की जाये। 

Transitional clause के अन्तर्गत भागीरथी ईको सैंसिटिव जोन नोटिफिकेशन की तिथि से पूर्व भगीरथी एवं सहायक नदियों में अनुमन्य/ क्रियान्वित की जा रही जल विद्युत परियोजनाओं को स्थापित किये जाने की अनुमति प्रदान की जाये। 

डीएफओ निलंबन पर विरोध में वनकर्मियों ने सरकार को दिया अल्टिमेटम, फैसला वापस न होने पर करेंगे आंदोलन

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मंगलवार दोपहर जबसे ये ख़बर आई की लैंसडाउन के डीएफओ मयंक शेखर झा को शासन ने हाई प्रोफाइल गिरफ्तारियों के मामले के चलते निलंबित कर दिया है तभी से प्रदेश की राजनीति भी गर्मा गई। मामला बड़े उद्योगपतियों से जुड़ा था इसलिये राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया संभल कर दी। लेकिन डीएफओ के समर्थन में राज्य के वन कर्मचारी खुल कर सामने आये। विभिन्न वन कर्मचारी संगठनों ने एक हस्ताक्षर कैंपेन चलाकर सरकार को इस कदम को वापस लेने के लिये अल्टिमेटम दे दिया। इस मामले में वन विभाग के तमाम संगठनों ने मंगलवार को कोटव्दार में एक आपात बैठक की।इस बैठक में सर्वसम्मति से कहा गया कि:

  • मयंक शेखर एक ईमानदार वन अधिकारी हैं
  • उक्त मामले में बिना सही जांच के लिये गया ये फैसला एक तरफा है
  • इस फैसले को सरकार को तुरंत प्रभाव से वापस लेना चाहिये
  • ऐसे कदमों से अधिकारियों कर्मचारियों के मनोबल पर बुरा असर पड़ेगा और वो ईमानगदारी से अपनी ड्यूटी नहीं कर पायेंगे

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वन कर्मचारी संगठनों ने सरकार को इस बाबत एक ज्ञापन भी दिया है और अपनी मागों पर एक्शन के लिये सरकार को 4 जनवरी तक का समय दिया है। इसके बाद कर्मचारी संगठनों ने राज्यभर में अनशन और कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।

गौरतलब है कि उद्योगपति समीर थापर और उनके 15 साथियों को पुलिस ने बीती 31 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। इनमें एक शख्स फिल्म जगत की जानी-मानी हस्ती के करीबी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। छापे में गेस्ट हाउस के कमरों से अत्याधुनिक हथियार, जिंदा कारतूस और शराब की बोतलें बरामद हुईं। गिरफ्तार लोगों के खिलाफ जंगल में हथियार ले जाने, आरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति टेंट लगाने के साथ ही शराब रखने का मुकदमा दर्ज किया गया है।

 

पौड़ी के एसएसपी मोहसिन मुख्तार ने बताया कि कुछ लोगों के फौज की वर्दी में स्वचालित हथियारों के साथ जंगल में घुसने और वहां वन्य जीवों का शिकार करने की आशंका की सूचना मिली थी। इसके चलते लैंसडोन वन प्रभाग के कोल्हूचौड़ विश्राम गृह पर छापा मारा गया। यहां मोहिंदर सिंह के नाम से तीन कमरे बुक थे, लेकिन सभी लोग परिसर में टेंट लगाकर ठहरे हुए थे।

  • तलाशी में विश्राम गृह के एक कमरे से
  • शराब की 171 बोतलें और
  • दूसरे कमरे से जर्मन निर्मित 300 बोर रायफल,
  • 23 जिंदा कारतूस, टेलीस्कोप बरामद हुए
  • वहां मौजूद आरिफ खान नामक व्यक्ति के कब्जे से 375 बोर के 15 कारतूस बरामद मिले
  • मौके से कच्चा-पक्का मांस भी मिला, जिसे परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है

इस मामले में पुलिस ने समीर थापर , जयंत नंद , मनोज सहगल , सिद्धार्थ, आरिफ हुसैन, पंचकुला निवासी रोहित सिंह डागर, बिहार निवासी राजकमल, दिल्ली निवासी सुनील कुमार, राहुल राव, नरेंद्र आनंद, राजीव खन्ना, करनाल (हरियाणा) निवासी रणदीप मान व उनका भाई स्वर्णदीप, सुरजीत सिंह मान, होशियारपुर (पंजाब) निवासी मोहिंदर सिंह, अमृतसर (पंजाब) निवासी राजीव जैन और चंडीगढ़ निवासी रोमी भट्ट को गिरफ्त़ार किया है।

मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते पुलिस घंटों पसोपेश में रही, मुकदमा की कार्यवाही पूरी करने में ही चार घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। इसके लिए उन्हें वन काननू की किताबों के पन्ने भी उलटने पड़े। फिलहाल अदालत ने आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

आप भी देहरादून के बीचो बीच जेल में बैठ कर खाने का लुत्फ़ उठा सकते हैं

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उत्तराखंड भी अब किसी भी मामले में मेट्रो शहरों से कम नही है चाहे वो फैशन हो, यहां के युवाओं का स्टाईल ,या फिर यहां के रेस्तरां हो।  आज हम अपनी कहानी में देहरादून के कुछ ऐसे फूड आउटलेटों की बात करेंगे जो युवाओं के बीच तो लोकप्रिय है ही, इसके थीम्स इतने हट के हैं कि लगभग हर उम्र के लोग इन रेस्टोरेन्ट की तरफ आकर्षित होते हैं।

मैरीगोल्ड कैफे
मैरीगोल्ड कैफे

अगर आप फूड लवर हैं तो आप कैरवान गांव स्थित मैरीगोल्ड कैफे जरुर गए होंगे। य़हां हमने कैफे के मालिक और तीन पार्टनर में से एक कुमुद तैमनी से बातचीत की। रेस्टोरेंट के इंटिरीयर के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि वो अपने आउटलेट के इंटिरीयर को ऐसे डिजाईन करते हैं कि उनके कस्टमर उस एंबिऐंस में आराम से बैठकर खाने पीने के साथ आस पास के वातावरण का लुत्फ उठा सके। वो बताती हैं कि “हमने अपना रेस्टोरेंट किसी प्रोफेशनल की मदद से नहीं बल्कि खुद डिजाइन किया है और बहुत ही बारीकियों से तैयार किया है जिससे वहां आने वाला हर कस्टमर कैफे में एक एक पल को इंज्वाय कर सके।” कुमुद बताती हैं कि वो खाने के साथ साथ अपने कस्टमर के साथ बराबर जुड़ी रहती हैं जिसकी मदद से वह अपने कैफे की कमियों को जान सके और उसपर काम कर सके। उनका मानना है कि अपना कैफे खुद डिजाइन करने की वजह से उसमें पर्सनल टच है और लोगों को भी यह काफी पसंद आता है। इसी वजह से यह शहर के बाकी सभी आउटलेट से अलग है और शायद यही वजह है कि आने वाले लोग हमारे खाने के साथ साथ हमारे इंटिरीयर की भी तारीफ करते हैं।इस कैफे का फर्नीचर हरे रंग का है जो थीम का हिस्सा है और कैफे की खूबसूरती पर चार चांद लगाता है। तो अगर आप यहां नहीं गए तो जाइए और इनके अलग अलग तरह के सैंडविच,पास्ता और मोमो जरुर ट्राई करें।

 

इसके बाद बात करते हैं शहर के ही एक और फेमस “द जेल कैफे” की। जी हां किसी खाने की जगह के लिये ये नाम कुछ अटपटा ज़रूर लगता है लेकिन कैफे के मालिक प्रियंक माहेश्वरी बताते हैं कि जेल की थीम लेने का मुख्य कारण था देहरादून में मेट्रो शहरों की तरह थीम पर आधारित रेस्टोरेंट की कमी। वो बताते हैं कि देहरादून में यह पहला इस तरीके का कैफे है और शायद आस पास के शहरों में भी ऐसा कोई रेस्टोरेंट नहीं है। आजकल लोग इस तरह के कांसेप्ट को तो पसंद करते ही है साथ में अच्छा खाना भी हमारी खास बात है। यहां तक की कुछ कस्टमर यहां सिर्फ इसलिए आते हैं क्योंकि उन्हें थीम अच्छी लगती है और वो वहां कि फोटो खींच के औरों को भी दिखाते हैं। हालांकि प्रियंक ने बताया कि कैफे का फर्नीचर बहुत ज्यादा आरामदायक नहीं है क्योंकि वो कैफे के थीम के साथ मेल नही खाता लेकिन फिर भी कोई यह नहीं कह सकता कि हमारा फर्नीचर ठीक नही है।अगर आप अब तक यहां नहीं गए तो एक बार जाएं और इनका इंटीरीयर खुद देखे।

स्ट्रिंगस एेंड बाॅउल
स्ट्रिंगस एेंड बाॅउल

अगला आउटलेट है ओल्ड मसूरी रोड स्थित स्ट्रींग एंड बाउल कैफे जिसके मालिक रोहित जोशी पहले एक फेमस बैंड स्वास्तिक के गिटारिस्ट थे। उनसे थीम के बारे में पूछने में उन्होंने बताया कि आजकल थीम लोगों के लिए महत्तवपूर्ण है क्योंकि थीम के जरिए लोग खुद को माहौल से कनेक्ट करते हैं। उनके हिसाब से थीम का होना जरुरी है लेकिन खाने की क्वालिटी भी बहुत जरुरी है क्योंकि लोग थीम देखने एक बार आते हैं लेकिन खाना ही एक कैफे में लोगों को बार बार ले जाता है। उनके मुताबिक हर किसी का माइंडसेट अलग होता इसलिए कस्टमर अपना समय एक थीम और अच्छे खाने के साथ बिताना चाहते हैं। रोहित बताते है कि खुद एक म्यूजिकल बैकग्राउंड से होने की वजह से उन्होंने अपने कैफे को म्यूजिकल थीम में तैयार किया है जिसमें हम लाईव म्यूजिक को प्रमोट कर रहे क्योंकि देहरादून में टैलेंट की कमी नहीं है। कैफे में आने वाले कस्टमर हमारे थीम से तो इंप्रेस होता ही हैं साथ में हमारे लाइव म्यूजिक का आनंद भी वो पूरी तरह से लेते हैं। रोहित के मुताबिक उनका कैफे देहरादून का एक ऐसा कैफे है जहां हर समय खाने के साथ लाइव म्यूजिक सुनने को मिलता है। वो बताते हैं कि उन्होंने अपने कैफे को राॅ फील देने के लिए एकदम अलग फर्नीचर चुना है।इस कैफे की खास बात है यहां का लाइव म्यूजिक और अगर आप यहां नही गए तो एक बार जरुर जाएं और यहां के स्पेनिश और कार्न सेंडविच,ड्रैगन आफ फायर,और तरह तरह के माकटेल इंज्वाय करें।

तोअगली बार आप शहर में हो और कहीं कुछ मस्ती के पल बिताने का मूड बनें तो अपने दोस्तों औऱ परिवार के साथ इन जगहों का रुख ज़रूर करें।

इको सेंसिटिव ज़ोन के मुद्दे पर हरीश रावत करेंगे दिल्ली में धरना

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भागीरथी इको सेंसिटिव जोन को चुनाव के मौके पर सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है। राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल इस मामले में केंद्र सरकार के साथ ही एनजीटी के फैसलों की मुखालफत करेंगे। इको सेंसिटिव जोन पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस मामले में पांच जनवरी को दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने समर्थन दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि इस मामले में केंद्र जिस तरह राज्य पर फैसले को थोप रहा है, उससे संघीय व्यवस्था को चोट पहुंच रही है। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर दोहराया कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का राजनीति से लेना-देना नहीं है। उन्होंने आवाज नहीं उठाई तो जनता को हमेशा शिकायत रहेगी

कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि इको सेंसिटिव जोन पर राज्य सरकार की ओर से केंद्र को सुझाव दिए गए, लेकिन इन सुझावों को राज्य को विश्वास में लिए बगैर ही खारिज किया गया। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से एनजीटी में प्रभावी पैरवी नहीं किए जाने के सवाल को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पैरवी का जिम्मा मुख्य सचिव एस रामास्वामी को सौंपा था। उन्होंने कहा कि इको सेंसिटिव जोन का फैसला पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुआ था, लेकिन वर्ष 2013 की आपदा के चलते इसमें जन सुनवाई का पूरा मौका नहीं मिल सका। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार ने यह मौका नहीं दिया।

इस मामले में मुख्यमंत्री हरीश रावत  केंद्र सरकरा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने इको सेंसिटिव जोन के बारे में सही वक्त पर सही बात कही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के रुख के चलते पहाड़ों में विकास बाधित हो गया है। बिजली और पानी की समस्या बनी हुई है। अगर वह इस संबंध में आवाज नहीं उठाते तो जनता को शिकायत रहेगी।

 

उत्तराखंड के जंगलों में खोये पर्यटकों को एसडीआरएफ ने ढूँढ निकाला

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नए साल का जश्न मनाने के लिए उत्तराखंड लोगों की पहली पसंद बना चाहे वो फिल्मी सितारें हो या फिर आम आदमी, दुनिया के हर कोने से लोगों ने नए साल की शुरुआत उत्तराखंड के अलग अलग जिलों से की है और ऐसे ही जश्न मनाने आए दिल्ली के कुछ युवा उत्तराखंड के घने जंगलों में खो गए थे उन्हें एनडीआरएफ का टीम ने ढूँढ निकाला है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से लगभग 23 किलोमीटर ट्रेकिंग कर के पहुचने वाला स्थान डोडीताल ट्रेकिंग के लिए युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है।नई दिल्ली से उत्तराखंड के डोडीताल में ट्रेकिंग के लिए आए तीन पर्यटक घने जंगलों में रास्ता भटककर पिछले चार दिनों से इस जंगल में फंसे हुए थे।

सोमवार सुबह इन पर्यटकों के परिजन उत्तरकाशी पहुंचे। शाम करीब तीन बजे इन पर्यटकों का संपर्क परिजनों से हुआ तो एसडीआरएफ ने हेलीकॉप्टर से भी इन्हें खोजने का प्रयास किया। हालांकि, पर्यटकों के फंसे होने के स्थान के बारे में पता नहीं चलने से यह कोशिश सफल नहीं हो पाई। युवकों ने फोन पर अपनी लोकेशन यमुनोत्री के निकट हनुमानचट्टी से 18 किमी दूर जंगल की ओर बताई।

पुलिस अधीक्षक ददन पाल ने बताया कि मंगलवार को फिर खोजने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि जंगल का घन्त्व ज्यादा होने के कारण तथा सही लोकेशन ना मिलने के कारण पर्यटकों को ढूढ़ने में परेशानी हो रही थी।

साउथ दिल्ली ग्रेटर कैलास निवासी श्रेयश श्रीधर, अभिषेक सूद व तपोवृत टूटेजा 26 दिसंबर को उत्तरकाशी से डोडीताल के लिए गए थे। 27 दिसंबर की सुबह परिजनों को फोन पर बताया कि 30 दिसंबर को वे डोडीताल से हनुमान चट्टी के लिए चलेंगे तथा 31 दिसंबर को बड़कोट पहुंच जाएंगे। इस दौरान डोडीताल व आसपास के क्षेत्रों में बर्फबारी होने के कारण वे 30 दिसंबर को रास्ता भटक गए।

मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण फोन भी नहीं कर पाए। परिजनों ने सोमवार को उत्तरकाशी पहुंचकर इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी। सोमवार शाम चार बजे एसडीआरएफ की टीम ने खोजबीन शुरू की, लेकिन लोकेशन ट्रेस नहीं होने के कारण सफलता नहीं मिल सकी। श्रेयश के पिता श्रीधर कृष्णमूर्ति ने बताया कि उनके बेटे व अन्य दो साथियों के पास खाने का सामान भी नहीं बचा है और टेंट भी नहीं है। बर्फबारी के बीच वे रात कैसे काट रहे हैं, नहीं पता।

उत्तराखड के कुलदीप शर्मा बनें एयरक्राफ्ट डीजी

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उत्तराखंड राज्य के लिए जश्न मनाने के मौके खत्म होने का नाम नहीं ले रहे है।उत्तराखंड के एक और लाल को देश की सुरक्षा व्यवस्था में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऊधमसिंह नगर के कुलदीप शर्मा को वायुसेना में एयर मार्शल के पद पर प्रमोशन के साथ एयर क्राफ्ट डीजी का अहम जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने नए पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

ऊधमसिंह नगर के पिपलिया गांव, सुल्तानपुर पट्टी निवासी भारत भूषण शर्मा के बेटे कुलदीप शर्मा भारतीय वायु सेना में एयर मार्शल के रैंक से सुशोभित किए गए हैं। साथ ही उन्हें डायरेक्टर जनरल एयर क्राफ्ट की जिम्मेदारी भी दी गई है।

नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल, थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, डीजीएमओ अनिल कुमार भट्ट, रॉ चीफ अनिल धस्माना, पीएमओ सचिव भास्कर खुल्बे के बाद अब प्रदेश के कुलदीप शर्मा का नाम इस लिस्ट में जुड़ गया है जो प्रदेश के लिए बहुत बड़े गौरव की बात है।