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उत्तराखंड के जंगल क्यों हैं खत्म होने की कगार पर

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उत्तराखंड में जंगल भले ही सरकार की प्राथमिकता वाला क्षेत्र न बन पाए हों, लेकिन यहां की आर्थिकी संवारने में ये अहम भूमिका निभा रहे हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने के साथ ही जंगल पारिस्थितिकी को महफूज रखे हुए हैं। वनों से साल का लगभग 350 करोड़ का राजस्व सरकार के खाते में जा रहा तो 107 बिलियन रुपये से अधिक की पर्यावरणीय सेवाएं भी मिल रही। इसके बावजूद वन हाशिये पर हैं तो विशेषज्ञों का चिंतित होना लाजिमी है। उनका कहना है कि वन और जन के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित कर वनों को पनपाने के लिए सरकार को ठोस और गंभीर पहल करनी होगी।

जंगल एक ऐसा विषय है, जो पारिस्थितिकी के साथ ही जीवन के आधार से जुड़ा है। यानी वन हैं तो हवा, पानी, मिट्टी सबकुछ ठीक है, अन्यथा बिना वन के सब सून। 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो इस हिमालयी राज्य में भी वन और जन के बीच गहरा अपनापन रहा है।

ये अलग बात है कि वन कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद वनों से पूरी होने वाली जरूरतों पर अंकुश लगा तो इस रिश्ते में खटास आई है। बावजूद इसके, यहां जंगल बचे हुए हैं और राज्य की आर्थिकी संवारने में अहम योगदान देते आ रहे हैं।

वन विभाग और वन विकास निगम के करीब 10 हजार कार्मिकों की तनख्वाह वनों से ही निकल रही है तो सरकार के खाते में राजस्व के रूप में बड़ी रकम भी जा रही है। यही नहीं, लीसा टिपान, इको टूरिज्म, वनीकरण, वन मार्गों की मरम्मत, राष्ट्रीय पार्कों में पर्यटन, इको टूरिज्म, वानिकी से जुड़े कार्य, चारापत्ती व जलौनी लकड़ी, खनन आदि से भी हजारों की संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है।

इतनी अहम भागीदारी के बावजूद वनों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। जानकारों की मानें तो वन कानूनों को विकास में अवरोधक की अवधारणा ने अधिक दिक्कतें खड़ी की हैं, जबकि यह ऐसा विषय नहीं है कि इसका समाधान न हो। जंगल और विकास में बेहतर सामंजस्य हो तो कोई दिक्कत आएगी ही नहीं।

उपयोगी जंगल

  • 230 करोड़ प्रति वर्ष लकड़ी से मिलता है राजस्व
  • 120 करोड़ की आय लीसा टिपान, इको टूरिज्म, खनन आदि से होती है
  • 30 हजार घन मीटर प्रतिवर्ष हक-हकूक देने का है प्रावधान
  • 42460 घन मीटर औसतन प्रतिवर्ष मिलती है जलौनी लकड़ी
  • 116.88 टन प्रति हेक्टेयर कार्बन संचय करते हैं यहां के जंगल
  • 6903 है वन विभाग के कार्मिकों की मौजूदा संख्या
  • 3000 है वन विकास निगम के कार्मिकों की संख्या

सरकार के कैशलेस अभियान को ठेंगा दिखा रहे दून के निजी स्कूल

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देहरादून के निजी स्कूल केंद्र सरकार की कैशलेस योजना को ठेंगा दिखाने का काम कर रहे हैं। स्कूलों ने अभी तक कैशलेस मोड में फीस जमा करने की प्रक्रिया को नहीं अपनाया है। अधिकतर अभिभावक स्कूलों के काउंटर और बैंकों की लाइनोें में लगकर फीस जमा करने को मजबूर हैं।

सेंट्रल बोर्ड आॅफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने देशभर के स्कूलों को काफी पहले कैशलेस योजना को आगे बढ़ाते हुए आॅनलाइन मोड में पैसे का लेन-देन किए जाने के निर्देश दिए थे। इतना ही नहीं शिक्षकों के वेतन से लेकर बच्चों की फीस आदि को भी आॅनलाइन माध्यम से जमा किए जाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। लेकिन, इसके बाद भी स्कूल निर्देशों की जमकर नाफरमानी कर रहे हैं। आलम यह है कि दून के दर्जनों स्कूलों में अभी तक फीस जमा करने की आॅनलाइन व्यवस्था नहीं की गई।
निजी स्कूल खुद को भले ही कितना भी हाईटेक कहें, लेकिन तकनीकि के उपयोग में सरकारी स्कूल इनसे कहीं आगे दिखाई दे रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ओर जहां सुविधा संपन्न हाईप्रोफाइल निजी स्कूलों में अब तक आॅनलाइन फीस जमा करने की व्यवस्था तक नहीं है, वहीं, केंद्रीय विद्यालयों सहित कई अन्य सहायता प्राप्त स्कूलों में यह सुविधा साल की शुरुआत से प्रदान की जा रही है। केविएस से जुड़े सभी स्कूलों को संगठन ने पूरी तरह से कैशलेस बना दिया है। अब इन स्कूलों में अभिभावक घर बैठे बच्चों की फीस जमा कर पा रहे हैं।

 केवि नंबर 1 हाथीबड़कला के प्रधानाचार्य डॉ इंद्रजीत सिंह ने बताया कि केविएस ने एक जनवरी से ‘हाईटेक फीस डिपॉजिट स्कीम’ शुरू कर दी थी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग से इस योजना का लाभ देहरादून संभाग से जुड़े स्कूलों में पहुंचाया जा रहा है। ऑनलाइन शुल्क जमा करने के बाद अभिभावक घर बैठे शुल्क रसीद भी ले सकते हैं। अभिभावकों को हर माह की 15 तारीख तक शुल्क जमा करना होगा, इसके बाद विलंब शुल्क लगेगा। ऑल उत्तराखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने बताया कि कई स्कूलों में अभी तक आॅनलाइन फीस जमा करने की व्यवस्था नहीं है। जिस कारण अभिभावकों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। स्कूलों को हर हाल में यह सुविधा देनी चाहिए। कैशलेस व्यवस्था काले धन को खत्म करने के लिए लागू की गई थी, लेकिन स्कूल इसे मान नहीं रहे। संगठन शिक्षा विभाग और सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय में ऐसे स्कूलों को चिन्हित कर कार्रवाई की मांग करेगा। मुख्य शिक्षा अधिकारी एसबी जोशी ने बताया कि स्कूलों को सरकार की इस मुहिम मेें सहयोग देना होगा। हमारी ओर से स्कूलों में आॅनलाइन फीस डिपोजिट सिस्टम अपनाने की बात कही जा रही है। इसके बाद भी यदि कोई स्कूल नाफरमानी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

मंगलवार को 40 लाख कांवड़िये पहुंचे हरिद्वार

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कांवड़ मेले में आस्था का अथाह सैलाब उमड़ पड़ा है। समूचा शहर कांवड़ियों से पैक हो रखा है। मेले में पहुंचने वाले कांवड़ियों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है। अकेले मंगलवार को 40 लाख से अधिक कांवड़िये हरिद्वार पहुंचने का अनुमान पुलिस की ओर से लगाया है। बुधवार को इस संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है। इस प्रकार से मेले के नवें दिन तक यहां पहुंचने वाले कांवड़ियों का आंकड़ा डेढ़ करोड़ पहुंच गया है। बारह दिनों तक चलने वाले कांवड़ मेला अब अपने अंतिम दौर की ओर बढ़ चला है। जैसे-जैसे कांवड़ मेला आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कांवड़ियों की तादाद बेहद तेज गति से बढ़ रही है।

मंगलवार से मेला पूरी लय में आ चुका है। धर्मनगरी के हर कदम पर कांवड़ियों का रैला उमड़ रहा है। हरकी पैड़ी क्षेत्र कांवड़ियों से भरा हुआ है। ब्रह्मकुंड समेत अन्य स्नान घाटों तक पहुंचने के लिए कांवड़ियों को मशक्कत करनी पड़ रही है। हाल यह है कि हरकी पैड़ी तक पहुंचने में घंटों भर का समय लग रहा है। कांवड़ पटरी पर तो कांवड़िये कदमताल करते हुए डग भरते जा रहे हैं। यहां का नजारा भी मन मोह रहा है। नेशनल हाईवे समेत पूरे शहर भी इसी रंग में रंगा हुआ है। मेले में डाक कांवड़ भी भारी संख्या में पहुंच चुकी है। मोटरसाइकिल सवार कांवड़ियों का रंग भी मेले में घुला हुआ है।

पिथौरागढ़ के 25 गांवों में जल्द बहाल की जाए विद्युत आपूर्ति: राधिका झा

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गांवों का पूर्ण रूप से 2017 तक विद्युतीकरण कराने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत उत्तराखण्ड की प्रभारी सचिव राधिका झा ने पिथौरागढ़ जिले के अविद्युतीकृत 25 गांवों में विद्युत आपूर्ति को तत्काल पूरा करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं।

राधिका झा ने उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन प्रबंधन निदेशक को निर्देश देते हुए कहा कि इस संबंध में जिलाधिकारी से समन्वय स्थापित कर अधिशासी अभियंता, ग्रामीण विद्युतीकरण, हल्द्वानी को उक्त कार्य के पूर्ण होने तक जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ में रहने के निर्देश निर्गत किया जाए।
झा ने बताया कि प्रबंधन निदेशक को पत्र के माध्यम से निर्देश दिए गए हैं कि जिला टिहरी व उत्तरकाशी के लम्बित गांवों के विद्युतीकरण के संबंध में जिला प्रशासन से भूमि की उपलब्धता एवं वन विभाग से भूमि की उपयोगिता/अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए निगम के अधीक्षण अभियंता स्तर के किसी वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने प्रबंधन निदेशक को निर्देशित किया है कि उरेडा द्वारा जनपद टिहरी के गंगी ग्राम में माइक्रो हाईडिल प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन परियोजना के लिए मुख्य परियोजना अधिकारी, उरेडा जिलाधिकारी से समन्वय स्थापित कर परियोजना का स्वयं निरीक्षण कर कार्य की गुणवत्ता एवं प्रगति सुनिश्चित करेंगे। निदेशक, उरेडा भी प्रश्नगत परियोजना की समीक्षा अपने स्तर पर कर लें।
साथ ही प्रबंध निदेशक, उपाकालि एवं निदेशक, परियोजना, उपाकालि द्वारा विद्युतीकरण से छूट गए दो-दो जनपदों का निरीक्षण करने तथा जिला स्तर के अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर आख्या एक सप्ताह में शासन को उपलब्ध कराने को कहा। इसके साथ ही विद्युतीकरण से वंचित गांवों के कार्यों का प्रतिदिन प्रबंध निदेशक स्वयं समीक्षा करेंगे, जिससे उक्त कार्य प्राथमिकता के आधार पर यथाीशीघ्र संपादित किया जा सके। 

एटीएम क्लोनिंग कर लाखों निकालने के नौ और मामले आए

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राजधानी देहरादून में एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर खातों से रकम निकालने के मामलों में कमी नहीं आ रही है। सोमवार तक जहां 65 मामले दर्ज किए जा चुके थे, वहीं मंगलवार को नौ नए मामले सामने आए। इसके साथ ही साइबर थाने में मंगलवार को पांच मामले दर्ज किए हैं। अभी ततक की पुलिस की जांच में पता चला है कि नेहरू कॉलोनी और धर्मपुर के एसबीआइ एटीएम मशीनों में आठ से 14 जुलार्इ के बीच स्कीमर लगाए गए थे और लाखों की धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया था। यह पुलिस के लिए एक बड़ी लीड मानी जा रही है।

देहरादून में बीते चार दिन के भीतर 70 से ज्यादा बैंक खातों से लाखों रुपये निकाल लिए गए हैं। जयपुर और दिल्ली में यह राशि निकाली गई है। इस ठगी में पुलिस को सोमवार को एक अहम लीड मिली, लेकिन इसके बावजूद लोगों के खातों से राशि निकालने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को नेहरू कालोनी थाने में इस तरह के नौ नए मामले सामने आए। इनमें से एक ही खाते से 1.20 लाख रुपये निकाले गए हैं। अन्य खातों से भी हजारों की निकासी हुई है। पुलिस की जांच में अभी तक सामने आया है कि साइबर अपराधियों ने नेहरू कॉलोनी के जोगीवाला और धर्मपुर स्थित एसबीआइ के एटीएम में स्कीमर लगाए थे। इस दौरान जितने भी लोगों ने इन दोनों एटीएम से निकासी की उनमें से ज्यादातर लोग धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। पुलिस ने ये अभी तक शहर के सात एटीएम बंद करा दिए हैं और एक स्कीमर बरामद किया है। इसके साथ ही पुलिस की टीमें जयपुर और दिल्ली में उन ठिकानों पर जांच कर रही है, जहां से ये राशि निकाली गई। पुलिस ने विभिन्न बैंकों से एटीएम की सीसीटीवी फुटेज मांगी हैं। कुछ फुटेज पुलिस को मिल भी गए हैं। इसके साथ ही सभी थाना क्षेत्रों में एटीएम की जांच के लिए पुलिस ने व्यापक अभियान चलाया, जिसमें गार्ड रहित एटीएम तत्काल बंद कराए जा रहे हैं।वहीं इस घटना से अभी भी हड़कंप मचा हुआ है। अपने बैंक खातों की सुरक्षा को लेकर लोग सहमे हुए हैं।
इस तरह के मामले लगातार बढ़ने से पुलिस अफसरों के माथे पर भी चिंता की लकीरें बढ़ गर्इ हैं। हालांकि, जो लीड पुलिस को मिली है, इससे अधिकारियों ने कुछ राहत महसूस की है। इस खुलासे के बाद यह तो साफ हो गया है कि एटीएम कार्डों की स्कीमिंग इसी महीने की गई है। इसके लिए साइबर अपराधियों ने जोगीवाला और धर्मपुर स्थित एसबीआइ के एटीएम को निशाना बनाया था। एटीएम में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी इसबात की पुष्टि हो गर्इ है। फुटेज में दो संदिग्ध स्कीमर लगाते नजर आ रहे हैं। अब पुलिस ने बैंक से मिली सीसीटीवी के फुटेज की फोरेंसिक जांच कराने की तैयारी कर रही है। फिलहाल पुलिस फुटेज के आधार पर संदिग्धों की ओर बढ़ रही है और जल्द इस मामले का पटाक्षेप कर सकती है। हालांकि, लोग अपने खातों से राशि निकलने के डर से सहमे हुए हैं और बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं।

एटीएम क्लोनिंग को लेकर हरकत में आया रिज़र्व बैंक

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पिछले कई दिनों से जनपद देहरादून में एटीएम क्लोनिंग के बाद विभिन्न बैंक खातों से हुई अवैध निकासी के मद्देनजर आज मंगलवार को आर0बी0आई0 द्वारा समस्त बैंकों की सुरक्षा सम्बन्धी बैठक की गई जिसमे आर०बी०आई० के सुब्रतदास-उत्तराखंड प्रभारी के साथ एसएसपी देहरादून निवेदिता कुकरेती कुमार द्वारा 34 बैंको के नियंत्रकों को निर्देशित किया गया। इसमे आरबीआई द्वरा दिये गये दिशा – निर्देशों को ध्यान में रखकर सुरक्षा व्यवस्था न होने पर बैंकों से विस्तृत आख्या मांगी गई है । सम्बन्घित बैक के जिन बैंक अधिकारियों द्वारा शिकायतकर्ताओं के प्रार्थना पत्रों पर तत्काल संज्ञान न लेते हुये उनको एफ0आई0आर0 हेतु थाने भेजा गया था उन अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने के आदेश निर्गत किये गये हैं साथ ही प्राप्त शिकायतो का संज्ञान लेते हुये यथाशीघ्र क्षतिपूर्ति कर पीडितों की धनराशि वापस कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया व पुलिस को अपेक्षित सहयोग देने हेतु निर्देशित किया गया ।
बैठक में एसएसपी देहरादून ने बैंकर्स को वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुए जनपद में हुए कुल एफआईआर की संख्या के सम्बंध में बैंको की जिम्मेदारी एवम आवश्यक सुरक्षा दिशा निर्देश दिए गए और कहा गया कि वर्तमान में जनपद में उक्त सन्दर्भ में 86 मुकदमे दर्ज है तथा और शिकायते लगातार प्राप्त हो रही है, इसलिए आगे की कार्रवाही के लिए  आवश्यक डाटा जल्दी उपलब्ध कराया जाये। बैठक के दौरान प्रकाश में आये तथ्यों के सम्बंध में बताया गया कि अपराधी द्वारा ऐसे एटीएम को निशाना बनाया गया जिनमे सुरक्षा प्रबंध नही थे, अतः आगामी घटनाओ को रोकने के लिए सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित किये जाय साथ ही डेटा चोरी होने के कारण भविष्य में और घटनायें होने की संभावना है अतः ग्राहकों को जागरूक करते हुए नए सुरक्षा के फीचर के एटीएम, एसएमएस सुबिधा और पिन को चेंज करने के लिए एसएमएस और फ़ोन से अवगत कराने हेतु कहा गया। साथ ही बैठक के दौरान यदि किसी कर्मी की संलिप्तता पाए जाने पर कठोर कार्यवाही एवम बैंको से अपेक्षित सहयोग के लिए कहा गया।
मंगलवार तक तक जनपद मे अब तक कुल 86 अभियोग एटीएम धोखाधड़ी से संबंधित पंजीकृत किये गए है, जिसमे कुल 25,96,300 रुपये की निकासी की गई।

राज्य सरकार को राहत, अतिथि शिक्षक बहालः हाईकोर्ट

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अतिथि शिक्षकों की लम्बी कशमश पर आखिर हाईकोर्ट नैनीताल ने फैसला सुनाते हुए अतिथि शिक्षकों को राहत देते हुए नियुक्ति बहाल रखने के आदेश दिये हैं, जिसके चलते हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत भी मिली है। कोर्ट ने सहायक अध्यापक एलटी के पदों पर नियुक्त करीब तीन हजार अतिथि शिक्षकों की सेवा 31 मार्च 2018 तक बहाल रखने का आदेश दिया है। जबकि  प्रवक्ता पदों पर कार्यरत अतिथि शिक्षकों के लिए ये फैसला निराशा जनक है।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को गलत ठहराते हुए निरस्त कर दिया था। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अतिथि शिक्षक ललित सिंह व अन्य द्वारा विशेष अपील कर चुनौती दी गई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष आज विशेष अपील पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थाई अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा एलटी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अध्याचन भर्ती एजेंसियों को भेजा गया।

अब तक चयन सूची नही मिली। शिक्षकों की कमी के कारण दिक्कत हो रही है। खंडपीठ ने 31 मार्च तक एलटी अतिथि शिक्षकों की सेवा जारी रखने के आदेश पारित किए। भर्ती एजेंसियों से दिसंबर तक चयन सूची सरकार को देने के सख्त आदेश भी दिए।

फर्जी प्रमाण पत्रों का चल रहा खेल

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उत्तराखण्ड में फर्जी स्थाई व जाति प्रमाण पत्रों की मानों बाढ आ गयी हो। सेटिंग गेटिंग से इस पुरे खेल को अंजाम देकर प्रमाण पत्र बना लिये जाते हैं जबकि उन दस्तावेजों की कोई जांच तक नहीं की जाती जिनके आदार पर प्रमाण पत्र बनाये जाते हैं, यही नहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की सीमा से सटे एेसे कई लोग है जो दोनों प्रदेशों की सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। जिनके द्वारा दोनों प्रदेशों में प्रमाण पत्र बनाये गये हैं।

मामला बाजपुर तहसील क्षेत्र का है जहां एक व्यक्ति सूचना अधिकार के तहत मांगी एक सूचना से हुए खुलासे के बारे में बताया। जहां उ.प्र. के रहने वाले एक व्यक्ति ने उत्तराखण्ड का लाभ लेने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की भूमि रजिस्ट्री को अपनी बताकर स्थाई और जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिए हैं। इतना ही नहीं इस व्यक्ति ने अपने सारे परिवार के प्रमाण पत्रों को बनवाने के लिए एक रजिस्ट्री का प्रयोग किया है, जबकि यह व्यक्ति 1998 तक उ.प्र. नानकार रानी तहसील, स्वार जिला रामपुर का रहने वाला था।

उसके वहां के भूमि अभिलेख और विद्यालय की टी.सी. इस बात को बता रहे हैं लेकिन तहसील प्रशासन की मिलीभगत के चलते इस फर्जीवाड़े को अमलीजामा पहनाया गया । मामले का खुलासा करने वाले व्यक्ति का कहना है कि ये व्यक्ति अधिकारियों से मिल कर फर्जी दस्तावेज बनाने का काम करता है। ये ही नहीं पत्रकारिता की आढ में अधिकारियों से अपने सम्बन्धों का गलत फायदा उठाया करता है।

तहसील प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक को इस बारे में अवगत कराया गया है लेकिन तब से लेकर आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। लेकिन अधिकारी अपने मातहतों की खामियों पर लगातार ही पर्दा डालते नजर आ रहे हैं।

बापू पर आधारित फिल्म ‘गांधी मेमोरबैलिया’ का पोस्टर लांच

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इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2016 में प्रदर्शित फिल्म ‘मैंटोस्टान’ के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके, पिता-पुत्र की जोड़ी डॉ भानु प्रताप सिंह और आदित्य प्रताप सिंह, एक और फिल्म राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर आधारित ‘गांधी मेमोरबैलिया’ बना रहे हैं। इस फिल्म का पोस्टर हाल में लांच किया गया।

‘गांधी मेमोरबैलिया’ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर आधारित एक भारत-अमेरिकी परियोजना की फिल्म है। इस मौके पर निर्माता-निर्देशक डॉ भानु प्रताप सिंह और आदित्य प्रताप सिंह एवं फिल्म में विक्टोरिया की अहम किरदार निभा रही अमेरिकी मॉडल और अभिनेत्रि डारिया कोशेव ने मीडिया के समक्ष इस पोस्टर को रिलीज किया।अभिनेत्री डारिया कोशेव ने बताईं की भारत में उनकी यह पहली परियोजना है और वह गांधी के विचारों से बहुत प्रेरित और प्रभावित हैं।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए फिल्म के निर्देशक डॉ भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह फिल्म एक वृत्तचित्र नहीं है बल्कि दूसरों से अलग है। यह फिल्म गांधी के विचारों पर आधारित है, उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म एक जीवनी नहीं है बल्कि अन्य फिल्मों से अलग गांधी की सत्य और अहिंसा से हटकर भी गांधीजी के यादगार अनछुए पहलुओं पर आधारित है। फिल्म में बापू की अनदेखी हिस्से को प्रदर्शन करने की कोशिश की गई है।

इस फिल्म का ट्रेलर महात्मा गांधी की जयंती, 2 अक्तूबर, 2017 को भारत आएगा जबकि 30 जनवरी 2018 को फिल्म रिलीज होगी| फिल्म भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में एक साथ रिलीज की जाएगी| इसके साथ ही डॉ भानु प्रताप सिंह ने बताया कि बापू की 150वीं जयंती पर महात्मा गांधी पर 2019 में एक बड़ी परियोजना के साथ काम शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।

कावड़ियों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का जादू

सावन मास की कांवड़ यात्रा में इस बार यूपी के मुख्यमंत्री  योगी आदित्य नाथ का जादू छाया हुआ है। यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब से आए कांवड़िए की ड्रेस कोड में इस बार बदलाव देखने को मिल रहा है। ऋषिकेश के मणिकूट पर्वत पर स्थित नीलकंठ महादेव है में श्रावण मास की कांवड़ यात्रा के लिए की प्रतिदिन लाखों की संख्या में कांवड़िए गंगाजल चढ़ाने नीलकंठ आते हैं। कांवड़ियों का एक विशेष ड्रेस कोड होता है, केसरिया टीशर्ट और निकर।

इस बार की कावड़ यात्रा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू कावड़ियों के सर चढ़कर बोल रहा है। कावड़ियों के गेरुआ रंग में योगी का रंग भी देखने को मिला रहा है। ऋषिकेश नीलकंठ में बहुत से कांवड़ियों मैं योगी की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनी है जिससे योगी रंग इन पर साफ दिख रहा है। हालात यह हैं कि  योगी की टीशर्ट की बढ़ती डिमांड से बाजार में कुछ ही दुकानों पर योगी की टीशर्ट बिक रही है और यह टीशर्ट कावड़ियों की पहली पसंद बन गई है दुकानदार भी इससे काफी खुश है।

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आपको बता दें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऋषिकेश के पास ही स्थित यमकेश्वर ब्लॉक के छोटे से गांव पंचूर में ही जन्मे हैं, जहां से गोरखपुर का सफर तय करते हुए संसद भवन तक किसी भी आता है करना और उसके बाद यूपी जैसे बड़े राज्य की कमान संभालना। उत्तराखंड के यमकेश्वर के छोटे से गांव के अजय बिष्ट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बन ना कहीं ना कहीं यमकेश्वर महादेव और नीलकंठ महादेव के आशीर्वाद का भी अंश माना जाता है, यही कारण है कि शिवभक्त की टी-शर्ट पर योगी की फोटो गले में गमछा इस बात को साफ-साफ बता रही है।

लोगों पर योगी का जादू सर चढ़ कर बोल रहा है जिससे सावन माह में होने वाली कावड़ यात्रा भी अछूती नहीं है और शिवभक्त में इसका क्रेज साफ दिखाई दे रहा है। बम भोले के जयकारों से पूरा नीलकंठ क्षेत्र गूंज रहा है, अब तक 6.30 लाख भक्तों ने भोले का जल अभिषेक किया है।