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आधार से लिंक होंगे मनरेगा के खाते

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पौड़ी गढ़वाल के विभिन्न ब्लॉकों में मनरेगा के तहत जॉब कार्डधारकों के बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने के लिए ब्लॉक स्तर पर आधार सीडिंग शिविर लगाये जाने के लिए विशेष अभियान चलाया जायेगा। सीडीओ ने इस अभियान के लिए कार्ययोजना तैयार कर दी है, जिसमें खंड विकास अधिकारियों तथा बैंकर्स के संयुक्त प्रयासों से खातों में आधार नंबर जोड़कर जॉब कार्ड धारकों को आधार बेस्ड भुगतान प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा, सीडीओ ने सीडिंग कार्य को गंभीरता से पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

विकास भवन सभागार में मुख्य विकास अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारियों व बैंकर्स के साथ बैठक कर इस अभियान की रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि केेंद्र सरकार के निर्देशों के बाद जिले में सभी जॉब कार्डधारकों के बैंक खातों को आधार से जोड़ा जाना है,  जिले में 1 लाख 16 हजार के सापेक्ष 1 लाख 8 हजार मनरेगा जॉब कार्डधारकों के खातों को आधार से जोड़ा जा चुका है। जबकि 63 हजार जॉब कार्ड धारकों को आधार बेस्ड भुगतान प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अवशेष के लिए विशेष आधार सीडिंग शिविर आयोजित किये जा रहे हैं।

मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि, ‘पूर्व में कई जॉब कार्डधारकों के एक से अधिक या अन्य लोगों के खातों का विवरण जॉब कार्ड में दिया गया था, लेकिन अब आधार नंबर से जुड़े बैंक खाते में ही उनकी मजदूरी का भुगतान सीधे तौर पर किया जायेगा। विशेष सीडिंग अभियान के दौरान पिछले दो वर्षों से जॉब कार्ड का उपयोग न करने वालों का चिह्निकरण कर उन्हें निरस्त किया जाएगा।ब्लाक स्तर पर 25 व 26 जुलाई को विशेष अभियान चलाया जायेगा। इसके बाद न्याय पंचायत व अवशेेष जॉब कार्ड धारकों के लिए समापन शिविर पुनः ब्लाक मुख्यालयों में आयोजित किये जायेंगे।’

विजय कुमार जोगंडे ने आधार नंबर को बैंक खातों में जोड़ने के लिए बैंकर्स की भूमिका को अहम बताया। उन्होंने कहा कि बैंकर्स ग्राम पंचायत स्तर पर जाकर जॉब कार्डधारकों के खातों को आधार से जोड़ेंगे, इस मौके पर मौके पर परियोजना निदेशक एसएस शर्मा, जिला विकास अधिकारी वेद प्रकाश, पीई दीपक रावत, डीपीआरओ एमएम खान, लीड बैंक अधिकारी नंद किशोर एवं विभिन्न बैंकों के बैंकर्स, बीडीओ भाष्करानंद भट्ट, रामेश्वर सिंह चौहान, आशाराम पंत समेत एडीओ पंचायत आदि उपस्थित रहे।

दून अस्पताल में अब आसान होगा कैंसर का उपचार

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दून अस्पताल में अब कैंसर रोग का इलाज करना आसान होगा। इसके लिए अस्पताल में ‘पेट स्केन’ मशीन स्थापित की जाएगी, अस्पताल जल्द ही मशीन खरीदने जा रहा है। अस्पताल की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया गया है।

‘पेट स्केन’ मशीन की बात करें तो यह मशीन अभी तक दिल्ली के चुनिंदा अस्पतालों में ही स्थापित है। आमतौर पर कैंसर विशेषज्ञ सीटी स्केन और एमआरआई के जरिए शरीर में फैले हुए कैंसर का पता कर पाते हैं, लेकिन ये दोनों ही जांचे कैंसर के लिए उतनी सटीक साबित नहीं होती, जबकि ‘पेट स्केन’ मशीन के जरिए सिर से पांव तक का कैंसर का सही आकंलन हो पाता है। सही आकंलन होने से कैंसर विशेषज्ञ उपचार भी सटीक कर पाते हैं।

दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि, ‘दून अस्पताल विशेषज्ञों की मदद से इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने जा रहा है। शासन की स्वीकृति के बाद अगर ये मशीन दून अस्पताल में लग गई तो मरीजों को फिर किसी भी जांच के लिये दिल्ली या बड़े प्राइवेट अस्पतालों का रुख करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।’

डॉ टम्टा ने बताया कि, ‘मशीन की अनुमानित लागत दस करोड़ के करीब है। साथ ही ‘रोबोटिक ऑपरेशन थियेटर’ का भी प्रस्ताव भेजा गया है, अगर ये दोनों ही प्रस्ताव पर काम हो गया तो दून अस्पताल मरीजों के लिए और बेहतर हो सकेगा। पहाड़ के इलाकोें के मरीजों के लिए यह मशीन संजीवनी की तरह कार्य करेगी। 

कुमांऊ के बाद गढ़वाल में किसान ने की आत्महत्या

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राज्य में जहां एक तरफ सरकार किसानों की कर्ज माफी को सिरे से खारिज कर रही है वहीं प्रदेश में कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की आत्महत्या का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कुमाऊं के बाद गढ़वाल में भी एक किसान ने जहर खाकर जान देने की घटना लामने आई है।किसान के घर वालों का कहना है कि बैंक बार-बार कर्ज के लिए तकादा कर रहे थे, इसलिए किसान तनाव में था।

गढ़वाल में किसान की आत्महत्या का यह पहला मामला है। वहीं,टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने ऐसी किसी जानकारी से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो मामला संवेदनशील है, लेकिन जांच से पहले किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं है। घटना टिहरी जिले के चंबा ब्लाक के स्वाड़ी गांव की है। राजकुमार (47 वर्ष) बुधवार को घर नहीं लौटा तो परिजन ने समझा कि संभव है किसी दोस्त के घर रुक गया हो, लेकिन गुरुवार सुबह भी जब वह नहीं आया तो परिजनों ने ग्रामीणों के साथ तलाश शुरू की। राजकुमार का शव खेत में पड़ा मिला। उसके मुंह से झाग निकल रहा था और पास में नुआन की खाली शीशी थी। ग्राम प्रधान घनानंद सुयाल ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। चंबा के थाना प्रभारी यूएस भण्डारी ने बताया कि पहली नजर में ये मामला आत्म हत्या का लगता है। किसान की पत्नी रोशनी देवी से पूछताछ में पता चला कि राजकुमार ने उत्तरांचल ग्रामीण बैंक से 40 हजार और कॉआपरेटिव बैंक से 25 हजार का कर्ज लिया था।

बताया गया कि बैंक लगातार कर्ज लौटाने के लिए तकादा कर रहे थे। इससे वह तनाव में था। ग्राम प्रधान घनानंद के अनुसार हो सकता है इसी वजह से किसान ने जान दी। राजकुमार के चार लड़कियां और तीन लड़के हैं।

इससे पहले उत्तराखंड में दो महीने के भीतर कर्ज में डूबे पांच किसानों की मौत हो चुकी है, इसमें से तीन ने आत्महत्या की, जबकि दो किसानों की हार्ट-अटैक से मौत हुई।

”नाइट वाॅक टू मसूरी” में नहीं रही वो बात

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लगभग 160 देहरादून निवासी जब अपने घरों से निकलकर देहरादून से मसूरी तक की पैदल यात्रा में भाग लेने के लिए निकले तो शायद उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उन्हें यह सब देखने को मिलेगा।जी हां, रात को 12 बजे यह सोच के निकले थे कि इस वाॅक को अपने जीवन का एक अनुभव बनाना चाहते थे, लेकिन जो देखने को मिला वह खुशी से बहद दूर था।

मसूरी की सड़के रात को 12 बजे के बाद भी गाडियों से खचाखच भरी हुई थी और इतना ही नहीं गाड़ियों में तेज आवाज़ में संगीत के साथ गाड़ी में बैठे लोग सड़क पर यहां-वहां कचरा भी फेंक रहे थे।हम बात कर रहे हैं ग्रुप ”बिन देयर दून दैट” की, जो दूनाइट्स को अलग-अलग अनुभव देने के लिए जाना जाता है। लेकिन दून टू मसूरी की यह वाॅक शायद लोगों के लिए उतनी अच्छी साबित नहीं हुई जितनी अच्छी सोचकर वह अपने घरों से निकले थे।

traffic in mussoorie

लोकेश ओहरी जो बीटीडीटी के फाउंडर हैं और इस वाॅक के लीडर हैं उनसे न्यूज़पोस्ट से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि, ‘हम काफी समय से लगभग हर रविवार इस वाॅक का आयोजन करते हैं।’ उन्होंने बताया कि इस वाॅक में वह दून से ऋषिकेश,मसूरी,सहस्त्रधारा और ऐसी जगह पर जाते हैं जहां आम लोगों ने यह सोच कर जाना छोड़ दिया है कि यह जगह दूर है या यहां पर भीड़-भाड़ ज्यादा होती है। उन्होंने कहा ,कि’ इस वाॅक के जरिए लोगों को यह बताना चाहते हैं कि यह जगह हमारी हैरिटेज है जिनको छोड़ना हमारी किसी समस्या का समाधान नहीं है।’ हालांकि पिछली वाॅक में जो हुआ उससे खुद लोकेश भी स्तब्ध थे कि रात के 12 बजे जब सड़के खाली होनी चाहिए थी ऐसे में पूरी सड़क बड़ी गाडियों और उनमें बजने वाले तेज आवाज के गानों से गूंज रही थी।

आपको बतादें कि देहरादून से मसूरी केवल 35-36 किलोमीटर की दूरी पर है और इस दौरान किसी तरह की कोइ चेकिंग नहीं होती।शनिवार और रविवार को तो मसूरी की तरफ जाने वाली सड़क गाड़ियों से भरी रहती हैं लेकिन अब आलम यह है कि हफ्ते के सारे दिन मसूरी लगभग गाड़ियों से भरी रहती है।

garbage in mussoorie

लोकेश ने बताया कि इस वाॅक के दौरान उन्होंने देखा कि कभी साफ सुथरी रहने वाली मसूरी कूड़े से भरी हुई है। गौरतलब है कि कहने के लिए मसूरी पहाड़ों की रानी है जिसकी खुबसूरती दुनियाभर में मशहूर है लेकिन इस भीड़-भाड़ ने मसूरी की उस खुबसूरती पर दाग लगा दिया है।

देहरादून से मसूरी तक होने वाले इस वाॅक से इतना तो पता चल गया है कि रात के 12 बजे भी मसूरी अपने पर्यटकों से भरी रहती है और पर्यटकों का दिल खोल के स्वागत करने वाली मसूरी को बदले में मिलता है सड़कों पर कचड़ा अौर ध्वनि प्रदूषण।

हालांकि लोकेश जैसे लोग अपनी विरासत को बचाने के लिए आए दिन नए प्रयास करते रहते हैं लेकिन यह प्रयास तब तक सफल नहीं होगा जबतक सब एकजुट होकर इनके बारे में नहीं सोचेंगे।

श्रेयस तलपड़े की पत्नी को स्वाइन फ्लू

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हिंदी और मराठी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता श्रेयस तलपड़े की पत्नी दीप्ति तलपड़े भी स्वाइन फ्लू का शिकार हो गई हैं और उनको हाल ही में मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। श्रेयस तलपड़े ने सोशल मीडिया पर ये जानकारी शेयर की।

इन दिनों सनी देओल और बाबी देओल को लेकर बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म ‘पोस्टर ब्वाय’ का निर्देशन कर रहे श्रेयस तलपड़े ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा कि प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहा हूं। बतौर निर्देशक फिल्म ‘पोस्टर ब्वायज’ के अलावा श्रेयस बतौर एक्टर इन दिनों रोहित शेट्टी की फिल्म गोलमाल की चौथी सीरिज में भी काम कर रहे हैं। 

श्रेयस ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा है कि, ‘मैं इस वक्त ज्यादा से ज्यादा समय अपनी पत्नी के साथ रहना चाहता हूं, लेकिन मुझे गोलमाल 4 की शूटिंग भी पूरी करनी है और ‘पोस्टर ब्वायज’ के ट्रेलर का काम भी पूरा करना है। ये सब एडजेस्ट करना आसान तो नहीं है, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प भी नहीं है।’ श्रेयस की पत्नी दीप्ति ‘पोस्टर ब्वायज’ के प्रोडक्शन में अपने पति की हमेशा मदद करती हैं, इसलिए श्रेयस पर दोहरा दबाव आ गया है। जानकारी मिली है कि एक सप्ताह में श्रेया की पत्नी को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। 

कांवड़ मेले में दुर्घटनाओं का सबब बन रहा नशा

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कांवड़ मेले के दौरान तीर्थनगरी में बम-बम भोले के जयकारों के साथ हरिद्वार और ऋषिकेश इन दिनों शिवभक्ति के रंग में रंगे हैं, लेकिन भक्ति के इस अनूठे संगम में रोजाना कई शिवभक्त अपनी जान गंवा रहे हैं। कभी गंगा में डूबकर तो कभी ट्रेन की छत पर बैठकर, कभी खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाकर तो कभी पुलिसकर्मियों से भिड़कर, इस सभी हादसों की जो वजह सामने आई है वह है नशे की प्रवृत्ति। जानकारी के अनुसार, जितने लोग भी इन हादसों और मामलों में सामने आये हैं वह ज्यादातार नशे की हालत में ही पाये गए हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश में इस कांवड़ मेले में करोड़ों रुपये के नशे का कारोबार हो रहा है।

कांवड़ मेले में लाखों शिव भक्त गंगा जल लेकर सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर हरिद्वार-ऋषिकेश पहुंचते हैं लेकिन भक्ति और श्रद्धा के इस विशाल मेले में आस्था के नाम पर चल रहा है काले सोने यानि चरस का काला कारोबार। अवैध रूप से कांवड़ मेले में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं चरस, गांजे जैसे मादक पदार्थ। कांवड़िये इन दिनों इनका खुलकर उपयोग कर रहे हैं और प्रशासन इस पर कोई रोक नहीं लगा पा रहा है।
हरिद्वार नगरी में कांवड़ियों को चरस-गांजे के दम लगाते हुए देखा जा सकता है। सिगरेट और चिलम में दम लगाते हुए और धुंआ उड़ाते हुए कांवड़ियों की टोली कांवड़ मेले में जगह-जगह देखी जा सकती है। कहने को तो सभी जगह सुल्फा, चरस व गांजे जैसे नशे के पदार्थों की बिक्री और उनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है पर कांवड़ मेले में इनका उपयोग आम है और वह भी पुलिस की नाक के नीचे।
कांवड़िये यात्रा के दौरान सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल ही पूरी करते हैं। कांवड़ियों का मानना है कि लगातार लम्बी यात्रा के दौरान थकावट आदि से बचने के लिए ही वह इसका सेवन करते हैं। कांवड़िये सुल्फे, चरस को भोले शिव की बूटी कहते हैं। वह कहते हैं कि ये तो भोले का प्रसाद है। इसके सेवन से ये सफर कैसे कट जाता है इसका पता ही नहीं चलता है। भले ही कांवड़िये इसे भोले का प्रसाद मानकर इसका सेवन करते हों, किन्तु भोले जैसा आचरण कोई नहीं करता।
कांवड़ियों का कहना है कि सुल्फा या चरस का सेवन करने के बाद उनपर मस्ती का खुमार छा जाता है और फिर तो वो पूरी तरह से भोले की मस्ती में मस्त होकर चलते रहते हैं।
उधर, पुलिस नशे के इस काले धंधे को रोक पाने में पूरी तरह नाकाम रही है। हालांकि पुलिस अधिकारी लगातार दावे कर रहे हैं कि वह इन पर निगाह रखे हुए हैं। ड्रग माफिया चरस को काला सोना के नाम से पुकारते हैं। काले सोने का कारोबार कांवड़ के इन 15 दिनों में खूब फलता-फूलता है। हालांकि, पुलिस ने हर साल बढ़ रहे इस नशे के प्रचलन को देखते हुए साधू-संतों से भी अपील की है कि वह शिव भक्तों को समझाएं कि वह ऐसा ना करें साथ ही ये सब बेचने वाले पर भी कड़ी निगरानी से नजर भी रखे हुए हैं। 

सेंसर बोर्ड के अधिकार कम करने के मसौदे पर काम शुरू

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सेंसर बोर्ड के साथ फिल्मों के लगातार बढ़ते जा रहे विवादों को देखते हुए अब केंद्र सरकार हरकत में आई है और सरकारी स्तर पर संकेत मिल रहे हैं कि सेंसर बोर्ड के अधिकारों को कम करने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय सिनेमाटोग्राफी एक्ट में बदलाव के लिए मसौदा तैयार कर रहा है, जिसमें सेंसर बोर्ड के अधिकारों को फिर से तय किया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि इस मसौदे में सेंसर बोर्ड को सिर्फ इतना ही अधिकार होगा कि तय नियमानुसार फिल्मों को सार्टिफिकेट जारी करें। कहा जा रहा है कि सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्मों के सीनों और संवादों में कुछ भी कट करने के अधिकार को समाप्त किया जा सकता है। सेंसर बोर्ड में इस बदलाव की गूंज इस खबर के साथ अहम हो जाती है कि पहलाज निहलानी के नेतृत्व वाले सेंसर बोर्ड ने केंद्र सरकार और भाजपा के काफी करीबी माने जाने वाले मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ को 17 कट्स दिए, जिससे मधुर निराश और दुखी हुए और उन्होंने इन कटस को लेकर सेंसर का आदेश मानने से मना कर दिया।

सूत्र बता रहे हैं कि मधुर ने उनकी फिल्म को लेकर सेंसर के रवैये की शिकायत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से की, जिनके दखल के बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय को इस मसौदे पर काम करने को कहा गया है। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले बॉलीवुड के वरिष्ठ फिल्मकार श्याम बेनेगल के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में सरकार से सेंसर के अधिकारों और कार्यशैली की समीक्षा करने का सुझाव दिया था। सरकार ने इस कमेटी की रिपोर्ट को भी गंभीरता से लिया है। इस कमेटी का मानना है कि सेंसर की जिम्मेदारी कैटेगिरी के हिसाब से फिल्मों को सार्टिफिकेट जारी करने तक सीमित होनी चाहिए।

पहलाज निहलानी के सेंसर बोर्ड के साथ हाल ही में मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ के अलावा शाहरुख खान की फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’, प्रकाश झा की फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ और रामगोपाल वर्मा की ‘सरकार 3’ के विवाद मीडिया में छाए रहे। पहलाज निहलानी ने सेंसर बोर्ड के अधिकारों में कटौती को लेकर कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है।

 

निर्देशक अमोल गुप्ते की नई फिल्म स्निफ का ट्रेलर रिलीज

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आमिर खान की प्रोडक्शन में बनी फिल्म, ‘तारे जमीं पे’  के अलावा ‘स्टेनली का डिब्बा’ और ‘हवा हवाई’ जैसी बच्चों की फिल्मों के बाद निर्देशक अमोल गुप्ते की नई फिल्म ‘स्निफ’ रिलीज के लिए तैयार है। फिल्म का ट्रेलर आज सोशल मीडिया पर लांच किया गया। ये फिल्म आगामी 25 अगस्त को रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म को बच्चों के लिए बनी सुपर हीरो वाली फिल्म माना जा रहा है, जो एक असली घटना के प्रेरित बताई जाती है।

इस फिल्म में पंजाब के बाल कलाकार खुश्मित गिल ने सुपर हीरो की मुख्य भूमिका निभाई है। फिल्म का ये मुख्य किरदार अपने साथियों के साथ जासूसी करके कई बड़े केस हल करने में मदद करता है। फिल्म का टाइटल ‘स्निफ’ इसलिए रखा गया है, क्योंकि खुश्मित के किरदार को चीजों को सूंघकर असलियत पता लगाने का वरदान मिला हुआ है।

अमोल गुप्ते निर्देशक के अलावा कलाकार के तौर पर भी बिजी रहते हैं। ‘स्टेनली का डिब्बा’ में उन्होंने स्कूल टीचर की भूमिका निभाई थी, जिसे बच्चों के टिफिन बाक्स से खाना खाने का शौक है। अपनी फिल्म के अलावा ‘सिंहम 2’ और ‘फंस गए रे ओबामा’ फिल्मों में उनके किरदार को काफी तारीफ मिली। अभी ये नहीं पता चला है कि क्या अपनी इस नई फिल्म में निर्देशन के साथ उन्होने कोई किरदार भी निभाया है।

आपातकालीन 108 एम्बुलेंस सेवा को मिलेगी ‘संजीवनी’

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लंबे वक्त से बुरे हालातों से गुजर रही 108 आपातकालीन सेवा को जल्द ही संजीवनी मिलने जा रही है। सेवा का संचालन करने वाली संस्था जल्द ही पुरानी एंबुलेंस को रिटायर कर नई हाईटेक 108 एंबुलेंस वाहनों को शामिल करेगी। संस्थान प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 63 नई एंबुलेंस खरीदने जा रहा है।

स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एनआरएचएम के तहत 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। इसके संचालन के लिए 80 प्रतिशत राज्य सरकार व 20 प्रतिशत केंद्र सरकार खर्च देती है। योजना के तहत करीब 22 करोड़ रुपये का बजट सालाना तय है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में मरीज को तुरंत सेवा प्रदान कर अस्पताल पहुंचाने वाली जीवनदायिनी 108 एंबुलेंस बीते काफी वक्त से बुरे दौर से गुजर रही थी। बजट की कमी के कारण कभी ईंधन तो कभी वाहनों के खस्ताहाल होने के कारण परेशानियां बढ़ती जा रही थी। अब आपात सेवा के अच्छे दिन आने को हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 108 सेवा के लिए 63 नई एंबुलेंस खरीदने का फैसला किया है।
राज्य में साल 2008 में राज्य में कुल 90 एंबुलेंस थी, जो साल 2010 में बढ़कर 108 पहुंच गई। प्रदेश में आज 108 सेवा की तकरीबन 139 एंबुलेंस संचालित हैं लेकिन इनमें अधिकतर वाहन खस्ताहाली की कगार पर पहुंच गए हैं। दरअसल एक एंबुलेंस प्रतिदिन करीब 130 से 150 किलोमीटर का सफर तय करती है। इस दूरी के मुताबिक महीने में इन सभी एंबुलेंस में 5.5 से छह लाख के ईंधन की खपत होती है। ऐसे में वाहनों के लगातार चलने से उनके इंजन आदि पर भी काफी प्रभाव पड़ा। कुछ वाहनों की स्थिति तो बेहतद खराब हो चुकी थी। इसी को देखते हुए अब नई एंबुलेंस लेने का निर्णय लिया गया है ताकि मरीज को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न झेलनी पड़े।
स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. डीएस रावत ने बताया कि इस बार 108 सेवा के लिए सभी सुविधाओं से लैस वाहन नहीं खरीदे जाएंगे। इसके स्थान पर केवल एंबुलेंस के लिए वाहन खरीदकर उसे सुविधाओं से लैस किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूरी तरह से तैयार एंबुलेंस काफी महंगी पड़ती है। जबकि बाहर से वाहन को सभी सुविधाओं से लैस करना आसान व कम खर्चीला है। 63 नए वाहन आने से आपातकालीन सेवा को काफी मजबूती मिलेगी। 

स्वाइन फ्लू के साथ डेंगू ने भी दी दस्तक

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देहरादून में पहले ही स्वाइन फ्लू का कहर जारी था, अब डेंगू ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। हिमालय अस्पताल जौलीग्रांट में एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है। हालांकि, मरीज बिजनौर से आकर अस्पताल में भर्ती हुआ है। वहीं, दून से भी तीन मरीजों में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं। उनके सैंपल दिल्ली स्थित एनसीडीसी भेजे गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा बेहद कम देखने में आया है कि जब स्वाइन फ्लू के साथ डेंगू के भी मामले सामने आए हैं क्योंकि एक गर्मी में होता है और दूसरा सर्दियों में।

स्वास्थ विभाग अभी तक स्वाइन फ्लू के हमले से ही जूझ रहा था। राज्य में अब तक स्वाइन फ्लू की 22 मरीजों में पुष्टि हो चुकी है, जबकि अस्सी सैंपल एनसीडीसी दिल्ली के लिए भेजे गए हैं। कुल सात लोगों की मौत भी स्वाइन फ्लू से हो गई है। अब डेंगू ने भी दोहरा मोर्चा खोल दिया है। इससे स्वास्थ्य विभाग की परेशानियां और बढ़ गई हैं। डेंगू के मामले हाल ही में सामने आए हैं। इनमें एक मरीज हिमालयन अस्पताल में भर्ती है, जबकि दो अन्य संदिग्ध मरीज शहर से हैं। सीएमओ डॉ. टीसी पंत ने बताया कि सभी अस्पतालों को दोनों बीमारियों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाने के निर्देश दिये गये है। कोई भी संदिग्ध मामला आने पर तुरंत बताने को बोला गया है। डेंगू से बचाव के लिए शहर में फोगिंग कराई जा रही है ताकि डेंगू रोग की रोकथाम की जा सके।