कुमांऊ के बाद गढ़वाल में किसान ने की आत्महत्या

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राज्य में जहां एक तरफ सरकार किसानों की कर्ज माफी को सिरे से खारिज कर रही है वहीं प्रदेश में कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की आत्महत्या का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कुमाऊं के बाद गढ़वाल में भी एक किसान ने जहर खाकर जान देने की घटना लामने आई है।किसान के घर वालों का कहना है कि बैंक बार-बार कर्ज के लिए तकादा कर रहे थे, इसलिए किसान तनाव में था।

गढ़वाल में किसान की आत्महत्या का यह पहला मामला है। वहीं,टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने ऐसी किसी जानकारी से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो मामला संवेदनशील है, लेकिन जांच से पहले किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं है। घटना टिहरी जिले के चंबा ब्लाक के स्वाड़ी गांव की है। राजकुमार (47 वर्ष) बुधवार को घर नहीं लौटा तो परिजन ने समझा कि संभव है किसी दोस्त के घर रुक गया हो, लेकिन गुरुवार सुबह भी जब वह नहीं आया तो परिजनों ने ग्रामीणों के साथ तलाश शुरू की। राजकुमार का शव खेत में पड़ा मिला। उसके मुंह से झाग निकल रहा था और पास में नुआन की खाली शीशी थी। ग्राम प्रधान घनानंद सुयाल ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। चंबा के थाना प्रभारी यूएस भण्डारी ने बताया कि पहली नजर में ये मामला आत्म हत्या का लगता है। किसान की पत्नी रोशनी देवी से पूछताछ में पता चला कि राजकुमार ने उत्तरांचल ग्रामीण बैंक से 40 हजार और कॉआपरेटिव बैंक से 25 हजार का कर्ज लिया था।

बताया गया कि बैंक लगातार कर्ज लौटाने के लिए तकादा कर रहे थे। इससे वह तनाव में था। ग्राम प्रधान घनानंद के अनुसार हो सकता है इसी वजह से किसान ने जान दी। राजकुमार के चार लड़कियां और तीन लड़के हैं।

इससे पहले उत्तराखंड में दो महीने के भीतर कर्ज में डूबे पांच किसानों की मौत हो चुकी है, इसमें से तीन ने आत्महत्या की, जबकि दो किसानों की हार्ट-अटैक से मौत हुई।