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बेरोजगारों से एम्स में खिलवाड़ 

एम्स ऋषिकेश में नौकरी करने के लिए आवेदन करने वाले युवाओं की उम्मीदों का विश्वासघात हो रहा है, एम्स में नौकरी पाने के लिए बेरोजगार युवकों जो आवेदन पत्र दिए थे, वो तमाम महत्वपूर्ण दास्तावेज भानियावाला चौक के पास लावारिश हालात में सड़क के किनारे मिले है।

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हजारों की तादात में ये दस्तावेज लावारिश हालात में भानियावाला में देहरादून-हरिद्वार के हाई-वे के किनारे फैंके गये है, एम्स में नौकरी के लिए दिए इन आवेदन पत्रों मेे बेरोजगार युवकों की शैक्षिक प्रमाणपत्रों के साथ ही पहचान प्रमाण पत्र भी हैं जिनका असामाजिक तत्वों द्वारा दुरूप्रयोग किया जा सकता है, जिससे एम्स ऋषिकेश एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है, तो वहीँ एम्स प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना और लापरवाही भरा चेहरा सामने आया है।

पूरे मामले में एम्स अब पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहा है। एम्स के डिप्टी डाक्रेक्टर अंशुमान गुप्ता ने बयान देते हुए कहा कि ये एम्स का नही पुलिस का मामला बनता है, एम्स ने मार्स एजेन्सी को आउटसोर्सिग भती की जिम्मेदारी दी थी, दस्तावेज सम्भालने मार्स कम्पनी की जिम्मेदारी है, एम्स में आउटसोर्सिग पर नौकरी करने वाले कर्मचारियों के दस्तावेज एजेन्सी के पास ही होने चाहिए।

राशन की 13 दुकानों पर छापे, आठ दुकान मिली बंद

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देहरादून। राशन डीलरों की मनमानी किस कदर उपभोक्ताओं पर हावी हो रही है, इसका परिणाम शहर में बुधवार को देखने को मिला। उपभोक्ताओं की शिकायत के बाद निरीक्षण के लिए निकली आपूर्ति विभाग की टीम को 13 में से आठ राशन की दुकानें बंद मिली। जबकि, पांच दुकानों पर ही राशन बांटा जा रहा था। मामले में कार्रवाई करते हुए विभाग ने बंद दुकानों को नोटिस भेज दिया है। हालांकि, खुली हुई दुकानों पर आपूर्ति विभाग को व्यवस्थाएं दुरुस्त नजर आई।

बुधवार को जिला आपूर्ति अधिकारी विपिन के कुमार के नेतृत्व में पूर्ति निरीक्षक अजय पाल रावत, विवेक शाह निरीक्षण पर निकले। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को आढ़त बाजार में संजय वर्मा, चमनपुरी में ओमप्रकाश, निरंजनपुर में मंगेश कुमार, माजरा में रतन लाल जिंदल, कारगी चौक पर विमला शर्मा, रेसकोर्स में राजेश सजवाण, पुलिस लाइन के अंदर सीसी स्टोर पुलिस लाइन व रेसकोर्स में सोहन लाल गर्ग राशन डीलरों की दुकानें बंद मिली। हालांकि, रेसकोर्स में नवीन गुप्ता, हिमालय ग्रामोद्योग, धर्मपुर में भारत भूषण, कुलदीप व ब्रहमपुरी में राकेश गुप्ता की दुकान खुली मिली। डीएसओ विपिन कुमार ने बताया कि गोदाम से सभी राशन डीलर कोटे का उठान कर चुके हैं। दुकानें बंद होने के कारण उपभोक्ताओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। फिलहाल बंद मिली सभी दुकानों को नोटिस भेजा जा रहा है, एक सप्ताह के भीतर सभी डीलर जवाब देंगे। साथ ही इन दुकानों पर दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

नैनीताल में भी नहीं मिला शिकायतकर्ता
दून के राशन डीलरों पर फर्जी राशन बनाने की शिकायत करने वाला शिकायतकर्ता पूर्ति विभाग को नैनीताल में भी नहीं मिला। इस संबंध में विभाग ने नैनीताल बार एसोसिएशन अध्यक्ष को पत्र भेजकर शिकायतकर्ता के संबंध में सूचना मांगी थी। लेकिन, एसोसिएशन ने उक्त पते पर किसी एचएस भंडारी नाम के अधिवक्ता होने से इंकार कर दिया है।

भाजपा सरकार का पूरा लाभ जनता को मिले : हरबंश कपूर

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देहरादून। कैंट विधानसभा के अंतर्गत भाजपा ने बुधवार को प्रेम नगर कांवली मंडल की बैठक आयोजित की। बैठक को संबोधित करते हुए कैंट विधायक हरबंश कपूर ने कहा कि प्रत्येक कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिए कार्य करें तथा विकास कार्यों के आड़े आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अपनी शक्ति लगाएं। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है, इसका पूरा लाभ क्षेत्र की जनता को मिलना चाहिए।

इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष विनय गोयल ने कहा की 25 दिसंबर अटल बिहारी वाजपेई जी के जन्मदिवस, 31 दिसंबर प्रधानमंत्री मोदी की मन की बात और महानगर कार्यकारिणी बैठक तथा उसके बाद मंडल की कार्यकारिणी बैठक में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को सम्मिलित करते हुए संगठन को मजबूत बनाने के लिए सभी कार्यक्रम आयोजित करें।

उन्होंने कहा कि देहरादून महानगर आजीवन सहयोग निधि के रूप में भाजपा अपने कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों से पांच करोड़ रुपए आजीवन सहयोग निधि के रूप में केवल चेक द्वारा एकत्र करके पार्टी को मजबूत बनाने में एक नया अध्याय लिखेंगे। अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिवस पर जगदंबा स्कूल गांधीग्राम में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा तथा बूथ स्तर पर अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ।

मंडल अध्यक्ष हरीश कोहली ने अध्यक्षता करते हुए कहा इस क्षेत्र में डिग्री कॉलेज की स्थापना की आवश्यकता महसूस की जा रही है तथा मच्छी तालाब सौंदर्यीकरण का कार्य काफी लंबे समय से लंबित है, इसे भी शीघ्र कराए जाने की आवश्यकता है । एडीबी के द्वारा निर्माण कार्यों को शीघ्र पूरा कराना भी आवश्यक है।

रुड़की में जुनियर ट्रैफिक फोर्स का होगा गठन

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रूड़की। रुड़की की सड़कों पर यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जुनियर ट्रैफिक फोर्स का गठन किया जाएगा जो शहर को जाम से निजात दिलाएंगे। साथ ही आपकों यातायात नियमों की जानकारी भी देंगे।

यातायात पुलिस और सहारा फाउंडेशन सोसाइटी के सहयोग से स्कॉलर्स एकेडमी विद्यालय में आयोजित विभिन्न विद्यालयों से आये जूनियर ट्रैफिक फोर्स के प्रतिभागी छात्र छात्राओं को संबोधित करते यातायात प्रभारी बिपेंद्र सिंह ने यह बातें कही।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर दुर्घटनाएं यातायात नियमों की अनदेखी और लापरवाही का परिणाम है जिनके कारण असामयिक मौतों की घटनाएं बढ़ रही है जो खून देश के लिए काम आना चाहिये वो सड़कों पर बिखर रहा है। जो चिंता का विषय है। इन्ही सब बातों की जानकारी आमजन तक पंहुचाने के लिये जूनियर ट्रैफिक फ़ोर्स का गठन किया जा रहा है जो स्कूली छात्रों, अभिभावकों व समाज को जागरूक करने का कार्य करेगी।

सहारा फाउंडेशन के सचिव अधिवक्ता दिनेश धीमान ने यातायात नियमो की अनदेखी ओर नशा करके वाहन चलाने की पृवत्ति पर अंकुश लगाने के लिए छात्र छात्राओं से नशा मुक्ति और साइबर अपराधों के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे ओर लोगों तक पहुंचाने की अपील की। इस अवसर पर स्कॉलर्स एकेडमी, सेंट मार्क्स,हिमगिरि कॉलेज,शिवालिक पब्लिक स्कूल,ग्रीनवे,दून पब्लिक स्कूल, चिल्ड्रन सीनियर एकेडमी, डी पी एस,मोंटफोर्ट,बी एस एम इंटर कॉलेज से जुड़े लगभग 200 प्रतिभागियों सहित स्कोलर्स एकेडमी की प्रधानाचार्या सहित विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक उपस्थित रहे।

चुक्खुवाला के घरों में पहुंचा गंदा पानी, लोग परेशान

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देहरादून। दून में जर्जर हो चुकी पेयजल लाइनों के सामने जल संस्थान बेबस वाली स्थिति में आ खड़ा हुआ है। हालत ये है कि आए दिन लाइन लीक होने के कारण किसी न किसी इलाके में सीवर पाइप लाइनों के जरिए लोगों के घरों में पहुंच रहा है। ऐसा ही हाल है चुक्खुवाला का। पिछले कई दिनों से जब जल संस्थान सुबह की पेयजल आपूर्ति शुरू करता है घरों में सीवर की दुर्गंध युक्त पानी पहुंचता है। जिसे पीना तो दूर की बात घरेलू कार्य में इस्तेमाल करना भी संभव नहीं।

बुधवार को भी जैसे ही जल संस्थान ने क्षेत्र की पेयजल आपूर्ति को शुरू किया तो घरों में गंदा पानी पहुंचा। स्थानीय निवासी किशन गोपाल ने बताया कि पिछले कई दिनों से जब भी सुबह की सप्लाई शुरू होती है तो लोगों के घरों में गंदा पानी आता है। पानी में सीवर की दुर्गंध आती है जिसे पीना तो दूर घर के काम नहीं किए जा सके। ऐसे पानी की क्षेत्र में आपूर्ति होने से बीमारियां फैलने का भी खतरा बन गया है। यश अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में लोगों की ओर से जल संस्थान के अधिकारियों को कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता मनीष सेमवाल ने बताया कि लाइन को ठीक करने का काम चल रहा है। शीघ्र ही लाइन को ठीक कर आपूर्ति को सुचारू कर दिया जाएगा।

एडीबी विंग के अधिकारियों से मिले विधायक कैंट हरबंस कपूर ने क्षेत्र में पेयजल व सीवर लाइन की समस्याओं को लेकर एडीबी विंग के अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि पूरे क्षेत्र में कई स्थानों पर सीवर के मैनहॉल सड़क से ऊंचे कर दिए गए तो कहीं नीचे। कई स्थानों पर पानी की लाइन नाली के बीच से डाल दी गई, जो गलत है। साथ ही इससे नालियां चोक हो रही है, जिससे गंदा पानी सड़क पर फैल रहा है। इसके अलावा कई स्थानों पर अब तक पेयजल व सीवर की लाइनें डाली ही नहीं गई, जिस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

वेतन के लिए हर दरवाजा खटखटा रहे हैं एनएचएम कर्मी

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देहरादून। नेशनल हेल्थ मिशन कर्मचारी अपने दो महीनों से वेतन न मिलने के प्रकरण को लगातार हर दर पर उठा रहे हैं। भाजपा कार्यालय में पहुंचकर उन्होंने पदाधिकारियों से वेतन दिलाए जाने की मांग की। इससे पहले उन लोगों ने देहरादून के माध्यम से मिशन निदेशक पत्र प्रेषित किया था।

कर्मचारियों का कहना है कि वे चाहते हैं कि उनका मासिक मानदेय तय कर दिया जाए तथा समय पर मानदेय दिया जाए। पिछले महीनें यानि अक्तूबर-नवम्बर का मानदेय आज की तिथि तक अप्राप्त है,जिसके कारण वे लगातार हर वह दरवाजा खटखटा रहे हैं,जहां से उन्हें थोड़ी बहुत उम्मीद है,हालांकि अगस्त-सितम्बर का मानदेय उन्हें देरी से मिला था, इस बार अधिक देरी हो रही है।

एनएचएम के कर्मचारी जनपद,ब्लॉक व ग्राम स्तर तक टीकाकरण अभियान के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को संचालित कराते हैं,लेकिन मानसिक और आर्थिक रूप से मानदेय न मिलने के कारण क्षुब्ध हैं। उनका कहना है कि वे हर सम्भव प्रयास कर मानदेय की मांग तेज बनाए रखना चाहते हैं। ताकि आने वाले स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभावित न हों,इस संदर्भ में संगठन के लगभग 25 कर्मचारियों ने एक ज्ञापन भी सौंपा है,जिसमें मानदेय दिलाने की मांग की गई है।

कांट्रेक्ट एवं लीज फार्मिंग के जरिए पलायन रोकेगी सरकार

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(देहरादून) राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने नया फार्मूला तैयार किया है। अब जड़ी-बूटी व चाय के कृषिकरण को बढ़ावा देने व राज्य के किसानों के अतिरिक्त बाहरी क्षेत्रों से भी निवेश आकर्षित किए जाने के मकसद से उत्तराखंड राज्य में को-आॅपरेटिव फार्मिंग, कांट्रेक्ट फार्मिंग एवं लीज फार्मिंग की दिशा में विचार किया जा रहा है।

बुधवार को उद्यान एवं रेशम सचिव डी.सेंथिल पांडियन ने बताया कि राज्य में पलायन रोकने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए को-आॅपरेटिव फार्मिंग, कांट्रेक्ट फार्मिंग एवं लीज फार्मिंग के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि इसके नीति निर्धारण के लिए विशेष समिति का गठन किया जा चुका है। समिति में अपर सचिव, उद्यान को अध्यक्ष नामित किया गया है।

इसके साथ ही निदेशक उद्यान, निदेशक जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान गोपेश्वर, निदेशक उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड अल्मोड़ा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भेषज विकास इकाई देहरादून, वैज्ञानिक प्रभारी सगन्ध पौधा केन्द्र, सेलाकुई देहरादून व सचिव राजस्व विभाग (उत्तराखंड शासन द्वारा नामित अधिकारी) को ‘विशेषज्ञ समिति’ में सदस्य नामित किया गया है। सचिव पांडियन ने बताया कि, “समिति राज्य में आगामी 8-10 वर्षों के लिए एक वृहद कार्ययोजना तैयार करेगी। उन्होंने बताया कि कार्ययोजना को बड़े पैमाने पर जल्द से जल्छ लागू करने के लिए समिति को युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। समिति आगामी एक माह के अन्दर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करायेगी।”

सरकारी फीताशाही की भेंट चढ़ी मसूरी की ये सालों पुरानी परंपरा

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जैसे जैसे उत्तराखंड में ठंड बढ़ रही है वैसे ही सरकार और प्रशासन लोगों के कड़कड़ाती ठंड से बचाने के इंतजाम कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच पहाड़ों की रानी मसूरी में ऐसा लग रहा है कि सालों से चला आ रहा एक समाजिक रिवाज़ इस साल लाल फीताशाही की भेंट चढ़ जायेगा। करीब 7000 फीट की ऊंचांई पर मौजूद मसूरी के लोगों और पर्यटकों के लिये मसूरी नगर पालिका सालों से सर्दियों में जलाने के लिये लकड़ी या “अलाव” का इंतजाम करती रही है। लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कारण लकड़ी के दामों के लेकर वन विभाग और पालिका परिषद के बीच चल रही खींच तान।

देहरादून जिलाधिकारी का कहना है कि “ये सालों से चल रही परंपरा है और किसी भी कारण से इसे रुकना नही चाहिये। हम भी इस मामले के जल्द निपटारे की कोशिश करेंगे।” 

दरअसल दिसंबर के आखिर से मार्च के आकिर तक शहर में अलाव का वितरण किया जाता रहा है। इसके लिये पालिका परिषद अपने फंड जमा करती है। इस दौरान करीब करीब 20 क्विंटल लकड़ी शहर के अलग अलग 15 जगहों पर बांटी जाती है,इस लकड़ी को जलाकर जरूरतमंद लोग अपने को कड़कती ठंड से बचाते हैं। 

मसूरी पालिका अध्यक्ष मनमोहन मल्ल लकड़ी बंटवाने का सिलसिला जल्द शुरू होने की बात कर रहे हैं। वहीं शहर के आम लोगों को भी बेसब्री से अलाव का इंतज़ार है। मसूरी निवासी मानचंद्रा कहते हैं कि, “ये सुविधा केवल गरीब और लोकल लोगों के लिये नहीं होती है, बाहर से आये लोगों और पर्यटक भी इसका फायदा उठाते रहे हैं।”

गंगोरी में अस्सी गंगा के ऊपर बना पुल ढहा, प्रशासन और बीआरओ वैकल्पिक मार्ग बनाने में जुटा

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(उत्तरकाशी)। गंगोत्री हाइवे के पास गंगोरी में अस्सी गंगा नदी के ऊपर बना बेली ब्रिज ढह गया है। इसके चलते कई गावों और छोटे क़स्बों का सम्पर्क देश-दुनिया से पूरी तरह कट गया है। मुख्यालय से पाँच किमी दूर अस्सी गंगा के ऊपर आपदा में पुल बह गया था। इसके बाद बेली ब्रिज का निर्माण किया गया। इस पुल को तैयार होने में क़रीब एक माह का समय लगा था।

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उत्तरकाशी जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने गंगोरी क्षतिग्रस्त वैली ब्रिज का निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों के साथ आपात बैठक की। बैठक में उन्होंने वाहनों के आवाजाही के लिए वैकल्पिक मार्ग को तेजी से बनाने के निर्देश दिए।
गुरुवार सुबह पुल से एक ओवर लोड ट्रक गुजर रहा था तभी पुल बीच से टूट गया। पुल किनारों से भी उखड़ गया। इस पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक थी। पुल ढहने की खबर मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। ट्रक ड्राइवर मौके से गाड़ी छोड़कर भाग गया।

यह हादसा तब हुआ, जब पुल के ऊपर भारी वाहन गुज़र रहा था। अब बीआरओ की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। वर्ष 2008 में भी गंगोरी पुल टूटा था। इस मामले में डीएम ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। फ़िलहाल नदी के ऊपर से अस्थाई सड़क बना कर वाहनों की आवाजाही कराई जाएगी।

यूरोपियन नर्सरी एक्ट की तर्ज पर तैयार होगा प्रदेश का नर्सरी अधिनियम, समिति गठित

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देहरादून। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर नर्सरी अधिनियम बनाए जाने पर कवायद तेज हो गई है। इतना ही नहीं प्रदेश का नर्सरी एक्ट यूरोपियन देशों के नर्सरी एक्ट के आधार पर तैयार होगा। इसके लिए अन्य देशों के एक्ट का अवलोकन भी किया जाएगा। इसी क्रम में बुधवार को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की अध्यक्षता में नर्सरी एक्ट तैयार करने के लिए विशेष समिति का गठन किया गया। समिति में छह अन्य सदस्यों को भी नामित किया गया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देशों के क्रम में प्रदेश में उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम एवं नियमावली-2017 (नर्सरी एक्ट) के प्रख्यापन के सम्बन्ध में निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। अपर सचिव मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में की गई समीक्षा बैठक के दौरान नर्सरी अधिनियम बनाए जाने के निर्देश दिये गए थे। इसी क्रम में निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। समिति में छह अन्य सदस्य नामित किए गए हैं। समिति में सदस्य के रूप में सगन्ध पादप केन्द्र सेलाकुई के वैज्ञानिक अधिकारी नृपेन्द्र चैहान, भरसार पौड़ी गढ़वाल की उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डा. बीपी नौटियाल, उद्यान अनुसंधान निदेशालय के प्रोफेसर डा. एके सिंह, उद्यान अनुसंधान निदेशालय के प्रोफेसर डा. डीसी डिमरी, उद्यान चैबटिया, रानीखेत अल्मोड़ा के संयुक्त निदेशक डा. आरके सिंह और गोपेश्वर से जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान से डा. बीपी भट्ट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि
फल, सब्जी, मसाले, जड़ी-बूटी, सगंध पादप, मशरूम स्पान, चाय आदि जितनी भी औद्यानिक फसलों का उत्पादन किसानों द्वारा किया जाता है उनके संबंध में एक बहुत ही प्रभावी एक्ट बनना चाहिए। नर्सरी एक्ट में विभिन्न प्लांटिंग मैटेरियल, सीडलिंग, टिश्यू कल्चर आधारित प्लांटिंग मेटीरियल आदि विषयों का भी समावेश किया जाना चाहिए। किसानों द्वारा पौध और बीज केवल नर्सरी स्वामियों से ही नहीं बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर, सप्लायर व ट्रेडर से भी खरीदा जाता है। इन्हें उत्तराखंड ही नहीं बल्कि राज्य के अन्दर और राज्य के बाहर यहां तक कि विदेशों से भी आयात किया जाता है। इन विषयों को भी एक्ट में रखने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अधिनियम में यूरोपियन देशों में जो नर्सरी एक्ट लागू है, उसका अवलोकन भी किया जा सकता है, ताकि किसी प्रकार की कोई कमी या कोई चीज छूट न पाए। उक्त विशेषज्ञ समिति उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम एवं नियमावली-2017 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में प्रत्येक पहलू पर विचार-विमर्श उपरान्त अपनी संस्तुतियां 15 दिन के भीतर शासन को उपलब्ध कराएगी।