सरकारी फीताशाही की भेंट चढ़ी मसूरी की ये सालों पुरानी परंपरा

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जैसे जैसे उत्तराखंड में ठंड बढ़ रही है वैसे ही सरकार और प्रशासन लोगों के कड़कड़ाती ठंड से बचाने के इंतजाम कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच पहाड़ों की रानी मसूरी में ऐसा लग रहा है कि सालों से चला आ रहा एक समाजिक रिवाज़ इस साल लाल फीताशाही की भेंट चढ़ जायेगा। करीब 7000 फीट की ऊंचांई पर मौजूद मसूरी के लोगों और पर्यटकों के लिये मसूरी नगर पालिका सालों से सर्दियों में जलाने के लिये लकड़ी या “अलाव” का इंतजाम करती रही है। लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कारण लकड़ी के दामों के लेकर वन विभाग और पालिका परिषद के बीच चल रही खींच तान।

देहरादून जिलाधिकारी का कहना है कि “ये सालों से चल रही परंपरा है और किसी भी कारण से इसे रुकना नही चाहिये। हम भी इस मामले के जल्द निपटारे की कोशिश करेंगे।” 

दरअसल दिसंबर के आखिर से मार्च के आकिर तक शहर में अलाव का वितरण किया जाता रहा है। इसके लिये पालिका परिषद अपने फंड जमा करती है। इस दौरान करीब करीब 20 क्विंटल लकड़ी शहर के अलग अलग 15 जगहों पर बांटी जाती है,इस लकड़ी को जलाकर जरूरतमंद लोग अपने को कड़कती ठंड से बचाते हैं। 

मसूरी पालिका अध्यक्ष मनमोहन मल्ल लकड़ी बंटवाने का सिलसिला जल्द शुरू होने की बात कर रहे हैं। वहीं शहर के आम लोगों को भी बेसब्री से अलाव का इंतज़ार है। मसूरी निवासी मानचंद्रा कहते हैं कि, “ये सुविधा केवल गरीब और लोकल लोगों के लिये नहीं होती है, बाहर से आये लोगों और पर्यटक भी इसका फायदा उठाते रहे हैं।”