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स्कूली पाठ्यक्रम में दिव्यांग खिलाड़ियों पर अध्याय शुरू करने की योजना

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नई दिल्ली, मुख्य धारा में ‘दिव्यांगों’ को शामिल करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार की स्कूल पाठ्यक्रम में अलग-अलग दिव्यांग खिलाड़ियों पर एक अध्याय शुरू करने की योजना है।

सरकार द्वारा इस तरह की पहली पहल में “विकलांग व्यक्तियों के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत उपलब्ध खेल गतिविधियों और अवसरों” पर ध्यान दिया जाएगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के वर्ष 2019-2020 अकादमिक सत्र के पाठ्यपुस्तकों के अध्याय में खिलाड़ियों को शामिल किया जा सकता है।

इतना ही नहीं, एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में ‘स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा’ विषय का नाम अगले वर्ष से स्कूल के पाठ्यक्रम में ‘स्वास्थ्य, शारीरिक शिक्षा और खेल’ में परिवर्तित किया जा सकता है। एनसीईआरटी केंद्र और राज्य सरकार को स्कूल के पाठ्यक्रम और पाठ की पुस्तकों पर मार्गदर्शन देती है। सभी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) संबद्ध स्कूल एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन करते हैं।

इस संबंध में हाल ही में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण (विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग), मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी), भारतीय खेल प्राधिकरण (साई), पैरालम्पिक कमेटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) और स्पेशल ओलंपिक भारत (एसओबी) के शीर्ष नौकरशाहों के बीच यहां एक बैठक का आयोजन किया गया था।

अगस्ता हेलिकॉप्टर की खरीद में गड़बड़ी की जांच संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित

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नई दिल्ली, अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की खरीदी में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा की गई कथित रुप से गड़बड़ी की एसआईटी जांच की मांग करनेवाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिका स्वराज अभियान ने दायर किया है।

इसके पहले सुनवाई के दौरान जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा था कि वो ये बताए कि इसके लिए सही तरीके से निविदा आमंत्रित की गई थी की नहीं। कोर्ट ने पूछा था कि हम ये जानना चाहते हैं कि आपने पब्लिक मनी के साथ गड़बड़ी तो नहीं की। निविदा के समय ही विदेश में खाता क्यों खोला गया।

पहले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता स्वराज अभियान के वकील प्रशांत भूषण ने 534 पेजों के दस्तावेज कोर्ट को सौंपा था जिसमें सरकारी दस्तावेज और आरटीआई के जवाब शामिल हैं। उन्होंने एक ताजातरीन आरटीआई के मिले जवाब के बारे में बताया कि सरकार बेल हेलिकॉप्टर खरीदना चाहती थी लेकिन अगस्ता हेलिकॉप्टर के खास मॉडल की मांग की गई। तब जस्टिस गोयल ने कहा था कि हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं कि कौन-सा हेलिकॉप्टर खरीदा गया। बल्कि ये है कि निविदा सही तरीके से आमंत्रित की गई कि नहीं।

सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि झारखंड सरकार ने यूरो हेलिकॉप्टर कभी नहीं खरीदा। इसके बारे में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को गलत जानकारी दी है। 16 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया था कि 2006 में अगस्ता वेस्टलैंड वीआईपी हेलिकॉप्टर की खरीद से संबंधित सभी दस्तावेज कोर्ट में पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रधान सचिव की उस राय को महत्त्व क्यों नहीं दिया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि दूसरी कंपनियों के हेलिकॉप्टर पर भी विचार करें।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के आदेश पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास अनुशंसा भेजी गई कि अगस्ता वेस्टलैंड के हेलिकॉप्टर खरीदें जाएं। उन्होंने कहा था कि हेलिकॉप्टर डील में जो कमीशन मिला उससे मुख्यमंत्री के बेटे अभिषेक सिंह का बैंक खाता वर्जिन आइलैंड में खोला गया। इसका जिक्र पनामा पेपर्स में भी है। खाता खोलते समय अभिषेक सिंह का पता नहीं है जो मुख्यमंत्री रमन सिंह के चुनाव हलफ़नामा में है।

केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि, याचिकाकर्ता ने आईटी एक्ट का उल्लंघन कर दस्तावेज प्रस्तुत किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रुल्स 2013 का जिक्र किया जिसके मुताबिक कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों के स्रोत के बारे में जानकारी देनी होगी। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि याचिका अनुमानों पर आधारित है| इसमें कोई तथ्य नहीं है।

इसके पहले की सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि ये राजनीति से प्रेरित याचिका है| इस याचिका के जरिये राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा सकती है। सरकार ने कहा था कि पीएसी और सीएजी की रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं में पेश किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब संसद हमारे काम पर चर्चा नहीं करती है तो सवाल है कि क्या हम उनके काम पर चर्चा कर सकते हैं। यह एक संवैधानिक सवाल है| इसलिए इसे बड़ी बेंच को सुनवाई के लिए रेफर किया जाना चाहिए। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि ये राजनीतिक भ्रष्टाचार का मसला है| इसलिए इसकी सुनवाई कोर्ट में होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि पनामा पेपर्स भी बताते हैं कि हेलिकॉप्टर खरीदी काम सीधा संबंध छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बेटे से जुड़ा हुआ है। उनके विदेशों में भी खाते हैं जिनमें काफी रकम बटोरी गई है। प्रशांत भूषण ने कहा था कि अटार्नी जनरल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का बचाव कर रहे हैं क्योंकि उन्हें उसी पार्टी के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा नियुक्त किया गया है जिस पार्टी के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं। अटार्नी जनरल महत्वहीन मुद्दे उठाकर मामले को टालना चाहते हैं ताकि जांच न हो सके।

स्वराज अभियान ने याचिका दायर कर इन गड़बड़ियों की जांच कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(सीएजी) की प्रतिकूल रिपोर्ट मिली है, जबकि मीडिया रिपोर्टों से राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में इस संदर्भ में हुई कथित गड़बड़ियों के संकेत हैं।

नैनीझील के घटते जलस्तर को लेकर राज्यपाल ने जताई चिंता

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नैनीताल, प्रदेश के राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने नैनीताल में अधिकारियों के साथ गर्वनर बोट हाउस क्लब से नैनीताल झील का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान राज्यपाल ने नैनी झील के घटते जल स्तर को लेकर चिंता जताई। डॉ. पॉल ने कई अहम सुझाव और दिशा निर्देश भी दिए।

राज्यपाल ने निरीक्षण के दौरान कहा कि, “नैनी-झील नैनीताल के साथ ही प्रदेश व देश की धरोहर है। नैनीताल शहर का अस्तित्व ही झील से है। गत वर्ष गर्मियों में नैनीझील का जलस्तर काफी कम हो गया था जो चिन्तिनीय है, गत वर्ष की भांति झील का जलस्तर कम न हो इसके लिए जागरूकता का प्रसार करने के साथ ही जल संरक्षण पर ध्यान दिया जाय।”

राज्यपाल ने कहा कि, “जल ही जीवन है इसलिए पानी की बर्बादी कतई न हो, इसके प्रयास होने चाहिए यदि जल सरंक्षण में सभी सहयोग करेंगे तो इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।” झील निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल सरंक्षण हेतु स्लोगन, पम्पलेट, साईन बोर्ड के माध्यम से जनता को जागरूक किया जाय। साथ ही वर्षा जल संग्रहण पर विशेष ध्यान दिया जाय। उन्होंने नैनीझील संरक्षण कार्यो में तेजी लाने के भी निर्देश दिए।

आयुक्त चन्द्रशेखर भट्ट ने राज्यपाल को अवगत कराया कि नैनीताल शहर के घर के छतों का सीवरेज में जाने वाले वर्षा जल को अब अभियान चलाकर नालियों के माध्यम से नैनीझील में पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान राज्यपाल के सचिव रविनाथ रमन, जिलाधिकारी दीपेन्द्र कुमार चैधरी, अधीक्षण अभियन्ता सिंचाई एनएस पतियाल सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। 

लिंक 13 घंटे लेट, काठगोदाम, राप्ती रिशेडयूल

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देहरादून, मैदानी इलाकों में पड़ रहे घने कोहरे के कारण राजधानी देहरादून आने जाने वाली लंबी दूरी की कई गाड़ियां अपने निर्धारित समय से घंटो विलंब से पहुंची। जिस कारण देहरादून से जाने वाली दून काठागोदाम व गोरखपुर राप्ती गंगा को रिषेडयूल किया गया है। ट्रेनों के विलंब होने के कारण यात्रियों को सर्दी के मौसम में कड़ाके की सर्दी में परेषानी झेलनी पड़ी।

स्टेशन अधीक्षक करतार सिंह ने बताया कि, “इलाहाबाद से चलकर देहरादून आने वाले लिंक एक्सप्रेस अपने तय से 13 घंटे लेट चल रही है। जिस कारण देहरादून से जाने वाली दून काठकोदाम को रिषेडयूल किया गया है। जो 10:55 मिनट देर रात्री के स्थान पर 31 जनवरी को 3:30 मिनट पर रवाना होगी। वहीं मुज्जफरपुर राप्ती गंगा साढ़े पांच घंटे विलंब से आई। जिस कारण दोपहर 1:15 मिनट रवाना होने वाली दून गोरखपुर राप्ती गंगा एक्सप्रेस 20:20 मिनट पर रवाना हुई। वहीं अमृतसर से देहरादून आने वाली लाहौरी एक्सप्रेस डेढ़ देरी से पहुंची। जबकि हावडा. से चलकर देहरादून आने वाली हावड़ा दून एक्सप्रेसस अपने तय समय से 4:30 मिनट की देरी पर दून पहुंची।”

ट्रेनों के लेटलतीफी के कारण यात्रियों व उसके परिजनों को भारी परेषानी उठानी पड़ी।  करतार सिंह ने बताया कि, “रेलवे ट्रैक पर चल रहे निर्माण कार्य व कोहरे के कारण कई गाड़िया अपने तय समय से घंटो विलंब से चल रही है। जिस कारण देहरादून से दो ट्रेनें दून काठगोदाम व देहरादून राप्ती गंगा एक्सप्रेस के समय में बदलाव किया गया है। जबकि दून से बाकी अन्य गाड़ियां समय से रवाना किया जा रहा है।” 

कांग्रेसी गुटबाजी से हाशिये पर जाने के दर्द पर हरीश रावत ने फेंका ट्वीटर बम

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विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामने करने के बाद से ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत दोबारा अपनी राजनीतिक ज़मीन तलाशने में लगे हुए हैं। लेकिन इसे शायद इतिहास का दोहराना ही कहेंगे की जिस तरह हरीश रावत काल में कई नेताओं की अनदेखी कर उन्हें और उनके राजनीतिक करियर को हशिये पर घकेलने की कोशिश की गई थी वैसा ही कुछ आज हरीश रावत के साथ उत्तराखंड में होता दिख रहा है। और इसका दर्द हरदा ने अपने ही अंदाज़ में सार्वजनिक मंचों पर छलकाना भी शुरू कर दिया है।

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मंगलवार को हरीश रावत ने एक ट्वीट के ज़रिये राज्य कांग्रेस को प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिये बधाई दी। मगर इन कार्यक्रमों में खुद को न बुलाने और शीर्श नेताओं से संपर्क न रहने की बात भी रावत ने इस ट्वीट के ज़रिये लोगों से साझा कर दी। रावत ने लिखा “.शानदार, अभूतपूर्व, विशालतम मोटरसाइकिल रैली के लिए को बहुत बधाई। यदि मेरी भी कुछ भूमिका रखी गई होती तो मैं अवश्य भाग लेना चाहता। अध्यक्ष जी से मेरा आग्रह है कि कभी ऐसे कार्यक्रम हों तो मुझको जरूर बता दें…न देहरादून न हल्द्वानी के विषय में पार्टी अध्यक्ष और सीएलपी नेता से मेरी बात हो पाई।”

रावत के इस ट्वीट ने कांग्रेस में हड़कंप मचा दिया है। रावत के इन आरोपों पर मोर्चा संभालते हुए पार्टी अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी जवाबी हमला कर दिया। प्रीतम ने कहा कि “25 जनवरी को शाम 6बजे हमने फोन के माध्यम से हरीश रावत जी के पीए चंदन जीना को इस रैली के बारे में बताया और 28 को दोबारा व्हाट्सएप के माध्यम से याद दिलाया गया।समय पर जानकारी ना मिलने पर उनके रैली में अनुपस्थिति के बाद हमने उनसे निवेदन किया है कि वह हमें अपना कोई निजी नंबर दे जिससे हम सीधे उनसे संपर्क कर सके और आगे ऐसी र्दुभाग्यपूर्ण स्थिती ना पैदा हो।उन्होंने कहा कि रावत जी को इन कार्यक्रमों के लिये बुलाया गया था, वो नहीं आ सके इसमें पार्टी की जिम्मेदारी या गुटबाजी का सावल ही नहीं उठता है।”

वहीं पूर्व पार्टी अध्यक्ष कशोर उपाध्याय ने कहा कि “हरीश रावत जी को सुचना क्यों नहीं मिली यह तो अध्यक्ष प्रीतम सिंह ही बता सकेंगे,मेरा तो यह मानना है कि इस समय हम कांग्रेस पार्टी को एक होकर चलना होता तभी सांप्रदायिक शक्तियों को जवाब दे सकेंगें।”

इस मामले ने बीजेपी को भी कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। बीजेपी प्रवक्ता डॉ.देवेंद्र भसीन ने कहा कि ”कांग्रेस एक बिखरा हुआ कुनबा है जिसके अंदर कई कांग्रेस काम कर रही हैं। कांग्रेस के सभी नेता केवल अपने लिए काम कर रहे हैं जिसकी वजह से पहले राज्य को नुकसान हो चुका है। उन्होने कहा कि हालांकि यह पार्टी का अंदरुनी मामला है कि हरीश रावत जी को क्यों नहीं बुलाया गया लेकिन पार्टी हमेशा से आपस में लड़ कर सरकार पर आरोप लगाती है।कांग्रेस ने जनता के साथ धोखा किया है जिसका जवाब जनता ने कांग्रेस को सबक सिखाकर दिया है।”

बहरहाल इतना तो तय है कि कांग्रेस का राज्य में हार का बड़ा कारण पार्टी में अंद्रूनी गुटबाजी रही है। और इसी गुटबाजी के कारण पार्टी राज्य में सत्ता में वापसी का राह को भी आसान नहीं बना पा रही है। ऐसे में दिल्ली में पार्टी हाईकमान के लिये ज़रूरी है कि वो राज्य कांग्रेस को पटरी पर लाने के लिये हस्तकक्षेप करे।

जहां एक तरफ हरीश रावत ने टिव्टर के माध्यम से अपनी नाराज़गी जाहिर की है वहीं दूसरी तरफ बुधवार को ऋषिकेश में एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे और मीडिया से बातचीत करते हुए हरीश रावत ने अपने और कांग्रेस के बीच चल रही बातों को दरकिनारे कर कहा कि वह कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं और कांग्रेस और उनके बीच में सब कुछ ठीक है।

युवा दिलों की धड़कनों को छुने आ गया ज़ुबिन नौटियाल का नया गाना

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एक तरफ जहां फरवरी जिसे प्यार और रोमांस का महीना माना जाता है वह शुरु हो चुका है, वहीं वेलेंटाईन-डे भी जल्द ही आने वाला है।और साथ ही ज़ुबिन नौटियाल के फैंस के लिए भी एक तोहफा आ रहा है।वेलेंटाईन डे और प्यार के मौसम में ज़ुबिन अपना नया गाना ‘गज़ब का है दिन’ का रिमेक लेकर आ रहे हैं।जी हां, 1988 की सुपरहिट फिल्म ‘कयामत से, कयामत तक’ का सुपरहिट गाना ‘गज़ब का है दिन’ एक नए अंदाज़ में आपके बीच होगा जो तब भी लोगों का पसंदीदी गाना था और आज भी लोगों के जुबान पर है। ज़ुबिन की मखमली आवाज़ को प्रकृति कक्कड़ का साथ मिला है।

गाने के बारे में न्यूजपोस्ट से बातचीत में ज़ुबिन ने बताया कि, “हम दोनों ने पहला गाना एक साथ गाया था जिसके बाद हमने बहुत से गाने गा दिए और हम दोनों का आवाज़ का तालमेल हमारे साथ-साथ लोगों को भी पसंद आता है।” 2 मिनट 22 सेकेंड का  गाने का ट्रेलर यूट्यूब पर हाल ही में रिलीज किया जा चुका है, जिसे तनिष्क बागची ने कंपोज़  किया है साथ ही गाने के कुछ बोल भी लिखे हैं। इस गाने को टी-सीरीज 2018 की आने वाली फिल्म ‘दिल जंगली’ जिसमें लीड रोल प्ले करने वाली तापसी पन्नू और साकिब सलीम है पर फिल्माया गया है।

ज़ुबिन कहते हैं कि, “साल 2017 मेरे लिए रिक्रिएशनल गानों का रहा है ‘गज़ब का है दिन’ के साथ-साथ कुछ और गाने मैंने पिछले साल किए जो अब रिलीज हो रहे हैं।साथ ही इन गानों को गाने के लिए बहुत ध्यान रखने की जरुरत होती हैं क्योंकि ये गाने बहुत लोगों के दिल के करीब होते हैं।” ज़ुबिन कहते हैं कि, “मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे फैन को यह गाना पसंद आएगा क्योंकि इसमें इंग्लिश और हिंदी का फ्यूज़न बेहतरीन है जो सबके दिल में उतर जाएगा।”

तो फिर इंतजार किस बात का है अपने हैडफोन उठाए और इस नए गाने की मदहोशी में खो जाए और अपने चाहने वालों को भी यह गाना सुनाए।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की सेलरी दोगुनी बढ़ी

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नई दिल्ली,  केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की सेलरी बढ़ानेवाले कानून को नोटिफाई कर दिया है। नए आदेश के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों की सैलरी दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी। चीफ जस्टिस की वर्तमान सेलरी एक लाख रुपये प्रति महीने की जगह अब उन्हें दो लाख 80 हजार रुपये मिलेंगे। ये सेलरी उन्हें बाकी भत्तों के अलावा मिलेंगे। सेलरी बढ़ने का लाभ जजों को एक जनवरी 2016 से मिलेगा।

चीफ जस्टिस के अलावा सुप्रीम कोर्ट के बाकी जजों की वर्तमान सेलरी 90 हजार रुपये है। अब नए नोटिफिकेशन के मुताबिक उनकी सेलरी बढ़कर ढाई लाख रुपये हो जाएगी। इसी तरह हाईकोर्ट के जजों की वर्तमान सेलरी 80 हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर सवा दो लाख रुपये प्रतिमाह कर दी गई है।

नए नोटिफिकेशन के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कैबिनेट सचिव की तरह के भत्ते मिलेंगे। जजों की सेलरी बढ़ोतरी का लाभ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों को भी मिलेगा । 

आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी में मिडिया फेस्ट का आयोजन

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देहरादून, आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी के स्कूल आॅफ मास कॉम्यूनिकेशन की ओर से दो दिवसीय मीडिया फेस्ट का आयोजन किया गया। पहले दिन देशभर के विवि से आए प्रतिभागियों ने विभिन्न गतिविधियों में अपने हुनर का शानदार प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विवि के कुलपति प्रो. आरके पांडे ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान मुख्य अतिथि ने कहा कि यह मंच युवाओं को नेतृत्व का गुण दिखाने का अवसर प्रदान करेगा। मीडिया फेस्ट 2018 में मुख्य कार्यक्रम- डोको मेकिंग, फोटोग्राफी, आरजे हंट, एड मैड शो, न्यूज राइटिंग, एड पोस्टर मेकिंग हैं। मीडिया फेस्ट के आयोजन में बिग जिम, निकाॅन परफेक्ट पिक्चर फोटोग्राफी, सांधू फार्मस, पराशर एजवरटाइजिंग, अन्नपूर्ना प्लास्टिक क्रोकरी, वैलेन्टाइन लाॅन्जवीयर और नुपुर ट्रैवल्स सहयोगी रहे।

सारे कार्यक्रम कि शोभा छात्रों कि स्पनातमकता से लगी फोटो प्रर्दशनी ने बढ़ाई। भारी मात्रा में देश के कई हिस्सों से छात्रों ने भाग लिया और उत्साह और रुचि के साथ छात्र सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लेते नजर आए। फेस्ट में राज्य ही नहीं बल्कि देश के कई चुनिंदा विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस मौके पर डा. स्वाति बिष्ट, दीपक उनियाल, अमित अद्धलखा सहित काफी संख्या में विवि के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। 

देवभूमि के भगवानों के लिये क्यों आगे आना पड़ा योगी आदित्यनाथ को

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देहरादून, निवासी शिवेंद्र काफी समय से में खंडित मूर्तियों को सहेजने का काम कर रहे हैं। लेकिन अपने राज्य से कोई मदद ना मिलने के कारण उन्हें यूपी सीएम से गुहार लगानी पड़ी।जी हां, शिवेंद्र ने मूर्तियों को संजोने और उनके संस्कार के लिए मेयर से थोड़ी सी जगह मांगी थी जिसके बदले उन्हें केवल आश्वाशन मिला, फिर उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यानथ को पत्र के माध्यम से अपनी समस्या कह सुनाई जहां से उन्हें सकारात्मक जवाब मिला।

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यूपी सीएम आदित्यनाथ केवल छः दिनों में ना केवल पत्र को उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुपुर्द किया बल्कि कुछ अधिकारियों को भी इस काम पर लगा दिया कि अगर यह मसला जल्द ही खत्म नहीं होता शिकायकर्ता 14 फरवरी के बाद एक बार फिर शिकायत कर सकता है।

आपको बतादें कि शिवेंद्र वालिया पेशे से एक ऑटो चालक हैं लेकिन इसके अलावा वह शहर के गली-नुक्कड़ों व पीपल के पेड़ के नीचे पड़ी खंडित मूर्तियों को संहेजते हैं फिर उसका पूरे-नियम के साथ संस्कार करते हैं।अक्सर आते जाते सड़क के किनारे पड़ी इन खंडित मूर्तियों को संहजने के लिए शिवेंद्र ने शहर के मेयर से थोड़ी मदद मांगी थी जो ना मिलने के कारण उन्हें पड़ोसी राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखना पड़ा।

बीते साल के अगस्त में शिवेंद्र ने हजारों खंडित मूर्तियों, पुराने कैलेंडर और भगवान से जुड़ी चीजों को इकट्ठा किया और उसका पूरे रिति रिवाज के साथ संस्कार किया था।

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इस बारे में न्यूज़पोस्ट से बातचीत में शिवेंद्र ने बताया कि, “पिछले कई महीनों से मुझे थोड़ी सी जमीन देने का आश्वशान मिल रहा था ताकि मैं खंडित मूर्तियों को इकट्रठा कर सकूं और उनका संस्कार कर सकूं, लेकिन मुझे कहीं से कोई मदद नहीं मिली।बस मदद के लिए मैनें यूपी के सीएम को 8 जनवरी को पत्र लिखा और छः दिन के अंदर मेरी समस्या सुनी गई और 3 सचिवों को इस काम पर लगा दिया गया।साथ ही मेरी चिट्रठी को उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुपुर्द किया गया।”

शिवेंद्र ने कहा, “मुझे सरकार से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए केवल थोड़ी सी जमीन की मांग है जिसमें मैं मूर्तियों को संभाल सकूं और फिर उसका सारे रिति-रिवाजों से संस्कार कर सकूं।मुझे लगभग एक साल से ज्यादा हो चुका है और मैं आगे भी यह काम करना चाहता हूं इसलिए मुझे अपनी सरकार से केवल यह छोटी सी मदद चाहिए।”

शिवेंद्र कहते हैं कि, “मैं इस पहल को आगे भी करता रहूंगा क्योंकि इससे और कुछ तो नहीं मन की शांति और मूर्तियों को इधर-उधर ठोकरे खाने से तो बचा ही लूंगा। खंडित मूर्तियों को इधर-उधर रख कर हम केवल अपने धर्म की दुर्गति कर रहे हैं।”

अपनी इस पहल के माध्यम से शिवेंद्र सबसे कहना चाहते हैं कि अपने घर की पुरानी और खंडित मूर्तियों को सड़क,नाली,दिवार आदि पर रखने से बेहतर विकल्प है उसको किसी पेड़ के नीचे मिट्टी में दबाना।इससे कम से कम पुरानी मूर्तियां जानवरों का आहार और लोगों के पैरों को नीचे आने से बच जाएंगी।

इसके अलावा जो भी शिवेंद्र के साथ इस मुहिम में जुड़ना चाहते हैं वह इनसे संपर्क कर सकते हैं, मोबाइल नंबरः 9412972202

जेटली ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वे

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नई दिल्ली, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश किया। साल 2018-19 के लिए पेश किए गए इस आर्थिक सर्वे में जीडीपी की वास्तविक विकास दर का अनुमान 6.75 फीसदी लगाया गया है। वहीं आर्थिक सर्वे में साल 18-19 में विकास दर 7 से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया है। इस बार के आर्थिक सर्वे में रोजगार, शिक्षा और कृषि पर ध्यान दिए जाने की बात की गई है।

संसद में रखे गए आर्थिक सर्वे में इस बार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के एक जुलाई,2017 से लागू होने, वित्तीय संकट से गुजर रही कंपनियों पर नए इंडियन बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत कार्रवाई करने, सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए पुर्नवित्तीयकरण पैकेज लाने, एफडीआई को लेकर प्रतिबंधों में ढील देने और निर्यात के बढ़ने को रेखांकित किया गया है।

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में किए जा रहे सुधारवादी प्रयासों के चलते पिछले तीन साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वैश्विक विकास दर के औसत से 4 फीसदी ज्यादा रही है। वहीं दुनिया की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की विकास औसत से 3 फीसदी ज्यादा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर साल 2014-15 से 2017-18 के बीच लगातार 7.3 फीसदी के औसत पर रही है, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। ये सफलता बढ़ती महंगाई पर काबू रखने, चालू खाते की वित्तीय स्थिति को बेहतर करने और राजकोषीय घाटे में ऐतिहासिक कमी करने के चलते मिली है।

आर्थिक सर्वे हर साल आम बजट के पहले संसद में पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वे दरअसल पिछले पूरे वित्तीय वर्ष में सरकार के कामकाज का वित्तीय लेखा-जोखा पेश करता है। जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था का सालभर प्रदर्शन कैसा रहा, सरकार की कौन-कौन सी योजनाओं/परियोजनाओं की स्थिति क्या रही और सरकार ने पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान क्या-क्या नए प्रयास किए। आर्थिक सर्वे भारत सरकार के वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग तैयार करता है।