अगस्ता हेलिकॉप्टर की खरीद में गड़बड़ी की जांच संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित

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नई दिल्ली, अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की खरीदी में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा की गई कथित रुप से गड़बड़ी की एसआईटी जांच की मांग करनेवाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिका स्वराज अभियान ने दायर किया है।

इसके पहले सुनवाई के दौरान जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा था कि वो ये बताए कि इसके लिए सही तरीके से निविदा आमंत्रित की गई थी की नहीं। कोर्ट ने पूछा था कि हम ये जानना चाहते हैं कि आपने पब्लिक मनी के साथ गड़बड़ी तो नहीं की। निविदा के समय ही विदेश में खाता क्यों खोला गया।

पहले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता स्वराज अभियान के वकील प्रशांत भूषण ने 534 पेजों के दस्तावेज कोर्ट को सौंपा था जिसमें सरकारी दस्तावेज और आरटीआई के जवाब शामिल हैं। उन्होंने एक ताजातरीन आरटीआई के मिले जवाब के बारे में बताया कि सरकार बेल हेलिकॉप्टर खरीदना चाहती थी लेकिन अगस्ता हेलिकॉप्टर के खास मॉडल की मांग की गई। तब जस्टिस गोयल ने कहा था कि हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं कि कौन-सा हेलिकॉप्टर खरीदा गया। बल्कि ये है कि निविदा सही तरीके से आमंत्रित की गई कि नहीं।

सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि झारखंड सरकार ने यूरो हेलिकॉप्टर कभी नहीं खरीदा। इसके बारे में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को गलत जानकारी दी है। 16 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया था कि 2006 में अगस्ता वेस्टलैंड वीआईपी हेलिकॉप्टर की खरीद से संबंधित सभी दस्तावेज कोर्ट में पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रधान सचिव की उस राय को महत्त्व क्यों नहीं दिया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि दूसरी कंपनियों के हेलिकॉप्टर पर भी विचार करें।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के आदेश पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास अनुशंसा भेजी गई कि अगस्ता वेस्टलैंड के हेलिकॉप्टर खरीदें जाएं। उन्होंने कहा था कि हेलिकॉप्टर डील में जो कमीशन मिला उससे मुख्यमंत्री के बेटे अभिषेक सिंह का बैंक खाता वर्जिन आइलैंड में खोला गया। इसका जिक्र पनामा पेपर्स में भी है। खाता खोलते समय अभिषेक सिंह का पता नहीं है जो मुख्यमंत्री रमन सिंह के चुनाव हलफ़नामा में है।

केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि, याचिकाकर्ता ने आईटी एक्ट का उल्लंघन कर दस्तावेज प्रस्तुत किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रुल्स 2013 का जिक्र किया जिसके मुताबिक कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों के स्रोत के बारे में जानकारी देनी होगी। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि याचिका अनुमानों पर आधारित है| इसमें कोई तथ्य नहीं है।

इसके पहले की सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि ये राजनीति से प्रेरित याचिका है| इस याचिका के जरिये राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा सकती है। सरकार ने कहा था कि पीएसी और सीएजी की रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं में पेश किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब संसद हमारे काम पर चर्चा नहीं करती है तो सवाल है कि क्या हम उनके काम पर चर्चा कर सकते हैं। यह एक संवैधानिक सवाल है| इसलिए इसे बड़ी बेंच को सुनवाई के लिए रेफर किया जाना चाहिए। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि ये राजनीतिक भ्रष्टाचार का मसला है| इसलिए इसकी सुनवाई कोर्ट में होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि पनामा पेपर्स भी बताते हैं कि हेलिकॉप्टर खरीदी काम सीधा संबंध छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बेटे से जुड़ा हुआ है। उनके विदेशों में भी खाते हैं जिनमें काफी रकम बटोरी गई है। प्रशांत भूषण ने कहा था कि अटार्नी जनरल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का बचाव कर रहे हैं क्योंकि उन्हें उसी पार्टी के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा नियुक्त किया गया है जिस पार्टी के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं। अटार्नी जनरल महत्वहीन मुद्दे उठाकर मामले को टालना चाहते हैं ताकि जांच न हो सके।

स्वराज अभियान ने याचिका दायर कर इन गड़बड़ियों की जांच कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(सीएजी) की प्रतिकूल रिपोर्ट मिली है, जबकि मीडिया रिपोर्टों से राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में इस संदर्भ में हुई कथित गड़बड़ियों के संकेत हैं।