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सैफ और कंगना के बीच खुले पत्रों का दौर

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आईफा अवॉर्ड के दौरान भाई-भतीजावाद के नाम पर कंगना को लेकर हुए कमेंट्स के बाद अब सैफ अली खान और कंगना के बीच खुले पत्रों का खेल शुरू हुआ है। अवॉर्ड्स के दौरान वरुण धवन और करण जौहर के साथ मिलकर कंगना की खिल्ली उड़ाने वाले सैफ अली खान ने मुंबई लौटकर कंगना को निजी संदेश भेजकर उस मामले के लिए खेद जताया और कहा कि उनका इरादा किसी को ठेस पंहुचाने का नहीं था।

यही नहीं, अब तक सोशल मीडिया से दूर रहे सैफ अली खान की ओर से मीडिया में कंगना के नाम एक खुला पत्र आया, जिसमें सैफ अली खान पूरे मामले पर अपनी सफाई दे रहे हैं और अब सैफ के इस खुले पत्र के बाद कंगना ने भी खुले पत्र के माध्यम से सैफ के पत्र का जवाब दिया है।

दिलचस्प बात ये है कि सैफ की तरह कंगना भी खुद को सोशल मीडिया से दूर रखती हैं। अपने खुले पत्र में सैफ ने सफाई देते हुए लिखा है कि ये हम तीनों (सैफ, वरुण और करण जौहर) के बीच एक जोक से ज्यादा कुछ नहीं था। जब मुझे लगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था तो मैंने निजी तौर पर कंगना को सॉरी बोला और मुझे लगा कि मामला यहीं खत्म हो गया है।

उन्होंने लिखा कि मै सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने में असहज महसूस करता हूं और कंगना के अलावा मुझे इस मुद्दे को लेकर किसी और को सफाई देने की जरूरत भी नहीं थी। मगर मीडिया में मेरी बात और तरीके को गलत तरीके से प्रचारित किया गया। मैं निजी तौर पर भाई-भतीजावाद जैसी किसी बात में विश्वास नहीं करता। हमारे माता-पिता की दी हुई पहचान हमारे लिए गर्व की बात है, लेकिन इस पहचान का हमारे काम से कोई लेना-देना नहीं होता। हम अच्छा काम करते हैं, तो हमें तारीफ मिलती है और अच्छा काम नहीं करते हैं, तो हमें भी आलोचना का शिकार होना पड़ता है। ये बहुत साधारण बात है, जिसका किसी भाई भतीजावाद से कोई कनेक्शन नहीं है।

सैफ ने पत्र में अपने बेटे तैमूर, शाहिद की बेटी मीशा और शाहरुख खान के बेटे अबराम को लेकर मीडिया के रवैये पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाई-भतीजावाद को मीडिया को अपनी तरफ भी ध्यान देना चाहिए कि इन बच्चों को लेकर उनका रवैया क्या रहा है। सैफ के इस खुले पत्र के जवाब में कंगना ने अपने खुले पत्र में लिखा कि सैफ के पत्र से उनको हैरानी हुई और दुख भी हुआ, क्योंकि इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर लिखा गया, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। कंगना ने स्टार किड्स को लेकर सैफ की परिभाषा से असहमति जताते हुए लिखा कि आप अपने बच्चों के लिए दूसरों की मेहनत और मौकों को कम करके नहीं आंक सकते। संभावना इस बात की है कि दो खुले पत्रों के बाद ये विवाद जल्दी से शांत नहीं होगा।

अजय देवगन लौट आए ‘धमाल 3’ में

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दो दिन पहले ही खबर आई थी कि अजय देवगन ने इंद्र कुमार की नई फिल्म ‘टोटल धमाल’ से खुद को अलग कर लिया है। अब खबर आ रही है कि अजय देवगन एक बार फिर इस फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो गए हैं।

फिल्म के निर्देशक इंद्र कुमार ने खुद इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि अजय हमारी फिल्म में काम कर रहे हैं। फिल्म के अंदरुनी सूत्र बताते हैं कि अजय के साथ मामला पैसों को लेकर बिगड़ा था, जिसके चलते उनके फिल्म से अलग होने की खबर बाहर आई थी। सूत्रों के मुताबिक, अब उनकी फीस की मांग को मान लिया गया है और वे इसमें काम करने के लिए सहमत हो गए हैं।

अजय देवगन को इस फिल्म में उस वक्त कास्ट किया गया था, जब संजय दत्त ने इसमें काम करने से मना कर दिया था। संजय दत्त ने धमाल की पहली और दूसरी कड़ी में काम किया था, लेकिन तीसरी कड़ी में एडल्ट कटेंट होने की बात कहकर उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया था। इंद्र कुमार ने फिल्म के कटेंट के एडल्ट होने की बात को खारिज करते हुए दावा किया था कि ये फैमिली फिल्म होगी, जिसमें कॉमेडी है।

संजय दत्त के अलावा रितेश देशमुख भी, जो दोनों धमाल कड़ियों का हिस्सा रहे हैं, तीसरी धमाल का हिस्सा बनने से मना कर चुके हैं, लेकिन उनका मामला डेट प्रॉब्लम का बताया जा रहा है और इंद्र कुमार कोशिश कर रहे हैं कि मेहमान भूमिका के साथ रितेश इस फिल्म से जुड़े रहें। धमाल की तीसरी कड़ी के अलावा इंद्र कुमार ने मस्ती की चौथी कड़ी भी शुरू करने के संकेत दिए हैं।

नीलकंठ महादेव के आशीर्वाद से जन्मी पार्वती

कहते हैं जिसके सर पर भोलेनाथ का हाथ हो तो वह कठिन से कठिन मंजिलों को भी तय कर लेता है। कुछ ऐसा ही हुआ देहरादून झांझरा निवासी ममता के साथ, शुक्रवार को नीलकंठ यात्रा में अपने पति और परिजनों के साथ भगवान नीलकंठ महादेव का जलाभिषेक कर वापस लौटते हुए राजाजी नेशनल पार्क के घने जंगलों के बीच मोनी गुफा के पास ममता को प्रसव पीड़ा हुई, सभी परिजनों के हाथों फूल गए आखिर लाखों की कांवड़ियों की भीड़ और जंगल का रास्ता, ना कोई डॉक्टर, ना कोई सुविधा?

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आखिर करें तो क्या करें? लेकिन नीलकंठ भगवान का नाम लेकर ममता ने आंखें खोली और अचानक ही रास्ते में बच्चे की किलकारियों की गूंज सुनाई देने लगी। हर कोई भोलेनाथ के चमत्कार पर नतमस्तक हो गया और बीच रास्ते में एक स्वस्थ कन्या का जन्म हो गया। परिजनों ने इस कन्या का नाम मोनी उर्फ पार्वती रखा और सभी सकुशल पुलिस की सहायता से जच्चा-बच्चा को लेकर ऋषिकेश हॉस्पिटल पहुंचे।  डॉक्टरों ने जच्चा-बच्चा के स्वस्थ होने की घोषणा की अौर हर कोई भोलेनाथ के इस आशीर्वाद से ममता को बधाई देने लगा। ऐसी अजीब सी विकट परिस्थिति में स्वस्थ बच्चे को जन्म देना और सुरक्षित घर को  लौटना महादेव का चमत्कार ही है।

 

पुलिस की तत्परता से दो नाबालिक लड़किया कुछ घंटो में बरामद

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मधु थापा,  निवासी ग्राम खाबड़वाला, थाना कैण्ट, देहरादून ने सूचना अंकित कराई कि मेरी व मेरी बेटी व पड़ोसन की बेटी जिनकी उम्र 14 वर्ष है व दोनों कन्या विद्यालय कैण्ट जाने के लिए सुबह स्कूल के लिए निकली थी देर शाम तक घर नहीं आये। जिसके आधार पर थाना कैण्ट में मु.अ.सं NIL / 17 मानव गुमशुदगी दर्ज की गई ।

प्रभारी निरीक्षक महोदय थाना कैण्ट के निर्देशन में गुमशुदा नाबालिक लड़कियों की तलाश के लिये अलग-अलग टीम गठित की गई तथा जगह – जगह तलाश किया गया । जिसमें SSI श्री मुकेश त्यागी के नेतृत्व में SOG देहरादून व थाना कैण्ट पुलिस टीम ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर उक्त दोनों नाबालिक लड़कियों को लखनऊ चार बाग स्टेशन से बरामद कर सकुशल उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया ।

गुमशुदा बालिकाओं द्वारा बताया गया कि वे बिना बताये लखनऊ अपनी मौसी के यहां जा रहे थे। पुलिस टीम की कार्यवाही से प्रसन्न होकर ग्राम प्रधान हरियालाखुर्द, नैन सिंह पंवार ने पुलिस टीम को 2100 / – रूपये ईनाम देने की घोषणा की व ग्रामवासियों ने पुलिस टीम की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई ।

फेसबुक फ्रेंड लूट कर चली गयी

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हल्द्वानी- फेसबुक पर सोच समझकर करें दोस्ती नहीं तो झांसे में आकर आपके साथ भी हो सकता है धोखा,क्योंकि अपनी खुबसूरती का जाल बिछाकर युवकों को फंसाने वाली हसिनाएं फेसबुक पर एक्टिव है और लडकों को फंसाकर उनसे मोटी रकम एंठ लेती है। जिसके बाद लड़के महज हाथ मलते रह जाते हैं। कुछ एसा ही मामला सामने आया है हल्द्वानी में। जहां
फेसबुक पर दोस्ती के बाद एक कथित डॉक्टर ने सीतापुर उत्तरप्रदेश में रहने वाले युवक को मिलने के लिए हल्द्वानी बुला लिया। यहां कथित डॉक्टर डॉ. सुशीला तिवारी में मिली और तीन हजार रुपये व स्मार्ट मोबाइल मांगकर बैंक ड्राफ्ट बनाकर मिलने का झांसा देकर फरार हो गई। घंटों तक युवती नहीं लौटी तो परेशान युवक ने मेडिकल कॉलेज चौकी पुलिस में घटना की तहरीर दी है। पुलिस ने युवती की तलाश शुरू कर दी है।

उत्तरप्रदेश के दाड़ी सिदौली निवासी सिद्धार्थ मिश्रा एमसीए का छात्र है। पुलिस के मुताबिक करीब एक माह पहले सिद्धार्थ की फेसबुक पर डॉ. सुशीला तिवारी हल्द्वानी की कथित चिकित्सक निधि मिश्रा नाम की युवती से दोस्ती हो गई। चैटिंग से हुई शुरुआत के बाद दोनों की फोन पर बातें भी शुरू हो गई। गुरुवार को कथित चिकित्सक निधि ने सिद्धार्थ को फोन किया और मिलने के लिए हल्द्वानी बुला लिया। सिद्धार्थ शुक्रवार की सुबह करीब 10 बजे एसटीएच में उससे मिलने पहुंचा। एसटीएच में युवती उसे चिकित्सक के वेश में मिली और प्रतीक्षालय में ले गई। युवती ने सिद्धार्थ से कहा कि उसे जरूरी काम से एक बैंक ड्राफ्ट बनाना है और इंटरनेट पर कुछ काम भी करना है। बैंक ड्राफ्ट बनाने व नेट का काम करने के बहाने युवती ने सिद्धार्थ से तीन हजार रुपये और उसका मोबाइल मांगा और कुछ देर बाद काम निपटाकर आने पर लौटाने का झांसा दिया। इसके बाद युवती फरार हो गई। घंटों इंतजार के बाद सिद्धार्थ ने फोन किया तो कथित डॉक्टर मां की तबियत खराब होने के कारण अचानक बरेली जाने की बात कहने लगी। युवती ने सिद्धार्थ से बरेली आकर अपना मोबाइल व रुपये ले जाने का झांसा दिया। ठगी का अहसास होने पर सिद्धार्थ ने मेडिकल कॉलेज चौकी पहुंचकर घटना की शिकायत की है। चौकी प्रभारी विजय मेहता ने बताया कि सिद्धार्थ की तहरीर पर कथित चिकित्सक की तलाश शुरू कर दी गई है।

चकमा देने में नाकाम रहे शराब माफिया

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मुर्गी दाने के नीचे ट्रॉली में छिपाई गई साढ़े चार लाख की अंग्रेजी शराब बरामद हुई है। आबकारी विभाग पता लगाने में लगा है कि शराब कहां ले जाने की तैयारी थी।

खेड़ा में सड़क किनारे खड़ी ट्रॉली में किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि इस तरह खुले में अंग्रेजी शराब रखी जा सकती है। आबकारी विभाग ने सूचना पर छापा मारा तो आंखें खुली की खुली रह गई। ट्रॉली में ऊपर मुर्गी दाना भरा था और उसके नीचे अंग्रेजी शराब की इतनी बड़ी खेप भरी थी जब पेटियों को बाहर निकाला गया तो ट्रॉली के अंदर महंगे ब्रांड की शराब भरी थी। ट्रॉली से आबकारी विभाग ने 75 पेटी शराब बरामद की हैं। आबकारी विभाग की सफलता पर आबकारी आयुक्त ने पांच हजार के पुरस्कार का ऐलान किया है। आबकारी विभाग द्वारा की छापामारी उप आबकारी आयुक्त प्रदीप कुमार की देख रेख में की गई थी। आबकारी विभाग द्वारा बरामद शराब पिछले वित्तीय वर्ष की थी। संभवत: जारी कराए जाने के बाद शराब बचने की स्थिति में उसे रखना मजबूरी बन जाती है। समय मिलने पर उसे कहीं खपा दिया जाता। ऐसा अक्सर होता रहता है लेकिन इस बार मौका नहीं लग पाया और किसी ने मुखबिरी कर दी जिससे माल पकड़ा गया। आबकारी विभाग यदि ध्यान दे तो निश्चित ऐसे मामले हर महीने पकड़े जा सकते हैं। ऐसा सिर्फ पिछले वर्ष की ही नहीं वर्तमान की भी कुछ दुकानों का माल हर माह इधर से उधर किया जाता है।

उर्वशी रौतेला ने किया अपना ऑफिशियल “ऐप” लाँच

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बॉलीवुड की अभिनेत्री उर्वशी रौतेला अब आलिया भट्ट, सलमान खान, किम करदाशियां, केंडल जेनर के ‘ऐप क्लब’ मेंं शामिल होने जा रही हैं। जी हां, अब आपकी चहेती अभिनेत्री पूर्व मिस यूनिवर्स इंडिया, उर्वशी रौतेला अपना एक आधिकारिक “ऐप” जारी करने जा रही है, जिसके द्वारा आप इस हसीना से सीधा संवाद कर सकेंगे। पिछले वर्ष सौ विश्व सुंदरियों में सबसे कम उम्र की सर्वश्रेष्ठ सुंदरी बनने का सौभाय प्राप्त करने वाली के ऐप में वह सब कुछ रहेगा जो आप देखना, सुनना, जानना चाहते हैं।

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“सारा ज़माना हसीनों का दीवाना…” पर दिलफरेब डांस कर आपको अपना दीवाना बनाने वाली उर्वशी के ऑफिशियल ऐप में क्या-क्या होगा ? वह सब कुछ जो आप चाहते हैं। उस पर कन्नड़ फिल्म “मि. ऐरावत” के लिये मिला सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान का समारोह कार्यक्रम फिर से देख सकेंगे अौर वो सब कुछ जो अाप उर्वशी के बारे में जानना चाहते है।

अगर किसी पत्रकार से, किसी कलाकार से, फिल्मकार से या फिर किसी से भी चाहे किसी दरकार से उर्वशी रौतेला बात करेंगी तो वह इस ऐप पर आपको देखने-सुनने को निश्चित रूप से मिलेगा। वर्कआउट वीडियो हो या फिर डिजायनर की ड्रेस पहनकर रैंप पर, फोटोग्राफी हो या दुनिया की सैर, सब दिखेगा उर्वशी के ऐप पर । एनड्रॉयड फोन और फिर आई.ओ.एस प्लेटफार्म पर आप ये सब देख सकेंगे उर्वशी रौतेला के आधिकारिक “ऐप” पर।

गुम हो रही है ढोल वादन की महत्वपूर्ण कला

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उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों में जहां बांसुरी, नफीरी, खंजड़ी जैसे वाद्ययंत्र आम प्रचलन में हैं। वहीं ढोल दमाऊ पर्वतीय सांस्कृति की विरासत के रूप में जाने जाते हैं। इनके बिना कोई शुभ काम जीवन में पूरे नहीं होते। त्योहार तो उनके बिना त्योहार तो अधूरे रहते हैं। ढोल और दमाऊ दोनों हर्ष, उल्लास और खुशी के प्रतीक हैं।

ढोल के प्रमुख वादक सूरतू राम कहते हैं कि, ‘ढोल भारतीय संस्कृति के लिए विशेषकर पहाड़ी संस्कृति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह उत्तराखंडी संस्कृति का संवाहक व सामाजिक समरसता का अग्रदूत है।’ उन्होंने बताया कि, ‘ढोल सुरों का सरताज हैं। एक ढोल से 600 से 1000 तक ताल निकलते हैं जबकि तबले पर 300 ही बज पाते हैं। कलाधर्मिता और उचित प्रशिक्षण के अभाव में सालों-साल यह पौराणिक विरासत लुप्त होने की कगार पर है।’

हालांकि सरकार में संस्कृति विभाग नाम का एक विभाग है जिसका काम ही संस्कृति का संरक्षण है, लेकिन यह विभाग भी ढापोर शंखी घोषणाओं के माध्यम से कला संस्कृति के संरक्षण का दावा तो करता है, लेकिन यह सच नहीं है। जिसके कारण कला और कलाधर्मिता दोनों गुम हो रही है। उत्तराखंड में इसी कला को बचाने के लिए ढोल सागर जैसी रचना हुई थी, लेकिन अब ढोली, औजी तथा ढोल सांस्कृतिक रचनाओं से जुड़े कलाकार धीरे-धीरे इनसे विमुख होते जा रहे हैं इसका कारण ढोल तथा दमाऊ बजाने में उतना आर्थिक लाभ न होना है।

संस्कृति विभाग के सूत्र बताते हैं कि देहरादून में 6 अगस्त से 10 अगस्त तक पांच दिवसीय ढोल-दमाऊं की बृहद कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा, जिसमें उत्तराखंड के लोक पारम्परिक कलाकार जो ढोल दमाऊं वादन में दक्ष हो और जिनकी अधिकतम आयु 62 वर्ष हो इस कार्यशाला में भाग ले सकते हैं। ढोल वादन से जुड़ी लोकसंस्कृति कर्मी माधुरी बत्रवाल कहतीं हैं कि, ‘ढोल हमारी लोकसंस्कृति का अहम हिस्सा है। ढोल हमारे लोक जीवन में इस कदर रचा-बसा है की इसके बिना शुभ कार्य की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। जहां लोग विदेशों से ढोल सागर सीखने उत्तराखंड आ रहे हैं, वहीं हम अपनी इस पौराणिक विरासत को खोते जा रहे हैं। ऐसे में हमें इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए आगे आना होगा। इसलिए ढोल सागर को जानने वाले कलाकारों के लिए ये एक बेहतरीन अवसर है। अपनी कला को पहचान दिलाने के लिए। आशा है कि काफी संख्या में लोग जरूर इस आयोजन में शरीक होंगे। वास्तव मे ढोल दमाऊं बरसों से हमारी लोकसंस्कृति का द्योतक रहा है।’

हेमवंती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोकसंस्कृति एवं निष्पांदन कला केंद्र के निदेशक डॉक्टर दाताराम पुरोहित ने तो कई ढोल कलाकारों की कला को लिपिबद्ध और रिकॉर्डिंग की है, यदि हमारे ढोल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर नई पहचान दिलाई जानी हैं तो इस तरह के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए।

‘तानाजी’ के एेतिहासिक किरदार को निभाएंगे अजय देवगन

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छत्रपति शिवाजी महाराज के मुख्य सहायक माने जाने वाले महान योद्धा ‘तानाजी’ पर बनने वाली फिल्म में अजय देवगन मुख्य भूमिका करेंगे। इस फिल्म का निर्देशन ओम राउत करेंगे, फिल्म का टाइटल ‘ताना जी-द अनसंग वरियर’ रखा गया है। अजय देवगन ने सोशल मीडिया पर इस फिल्म के निर्माण की घोषणा की, इसका निर्माण अजय देवगन की प्रोडक्शन कंपनी और वॉयकॉम कंपनी मिलकर करने जा रहे हैं।

तानाजी के बारे में कम लोग जानते होंगे कि इस मराठा सूबेदार तानाजी मालुसरे ने मराठा साम्राज्य की रक्षा करने के लिए मुगल सेना के साथ लोहा लिया और उनके कब्जे में आए दो अहम किलों को फिर से छीनने में कामयाबी पाई थी। तानाजी को छत्रपति शिवाजी के सबसे भरोसेमंद सूबेदारों में से माना जाता था।

अगले साल फिल्म की शूटिंग शुरू होने की उम्मीद है और 2019 में दीवाली के आसपास इसे रिलीज करने की योजना है। इस वक्त अजय देवगन 1 सितम्बर को रिलीज होने जा रही मिलन लथूरिया की फिल्म ‘बादशाहो’ के प्रमोशन में बिजी हैं। इसी साल दीवाली पर उनकी फिल्म ‘गोलमाल’ की चौथी कड़ी भी रिलीज होगी। 

‘डैडी’ का प्रमोशन करेंगे असली डैडी

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‘डैडी’ के नाम से मशहूर मुंबई के अंडरवर्ल्ड सरगना और राजनेता अरुण गवली अपनी जिंदगी पर बनी फिल्म का प्रमोशन करेंगे, जिसे अर्जुन रामपाल ने ‘डैडी’ नाम से बनाया है। अरुण गवली इन दिनों एक केस में जेल में बंद हैं और उनको पेरोल पर रिहा कराने की कोशिश हो रही हैं। गवली के वकीलों की ओर से पैरोल की अर्जी जेल प्रशासन को दी गई है, जिस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन गवली के परिवार से लेकर अर्जुन रामपाल तक सब ये उम्मीद कर रहे हैं कि अरुण गवली को पैरोल मिल जाएगा और जेल से बाहर निकलने के बाद अरुण गवली अपनी फिल्म का प्रमोशन करेगा।

ये फिल्म पहले जुलाई में रिलीज होने वाली थी, लेकिन अरुण गवली की बेटी गीता के कहने पर फिल्म की रिलीज डेट को बढ़ाकर सितंबर तक किया गया, ताकि रिलीज से पहले अरुण गवली खुद अपनी ये फिल्म देख सके। फिल्म के ठंडे प्रमोशन को देखते हुए अर्जुन रामपाल भी इस बात के लिए सहमत हो गए कि अगर अरुण गवली फिल्म के प्रमोशन से जुड़ते हैं, तो फिल्म की रिलीज को स्थगित करना ठीक रहेगा। 

कहा जा रहा है कि अरुण गवली के पैरोल पर अगले सप्ताह पर कोई फैसला आने की उम्मीद है। अर्जुन रामपाल एक्टिंग के साथ साथ फिल्म के लेखन से भी जु़ड़े हुए हैं और उनका मानना है कि दो महीनों में उन्होंने खुद ही फिल्म की पटकथा लिखकर तैयार की थी।