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कांट्रेक्ट एवं लीज फार्मिंग के जरिए पलायन रोकेगी सरकार

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(देहरादून) राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने नया फार्मूला तैयार किया है। अब जड़ी-बूटी व चाय के कृषिकरण को बढ़ावा देने व राज्य के किसानों के अतिरिक्त बाहरी क्षेत्रों से भी निवेश आकर्षित किए जाने के मकसद से उत्तराखंड राज्य में को-आॅपरेटिव फार्मिंग, कांट्रेक्ट फार्मिंग एवं लीज फार्मिंग की दिशा में विचार किया जा रहा है।

बुधवार को उद्यान एवं रेशम सचिव डी.सेंथिल पांडियन ने बताया कि राज्य में पलायन रोकने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए को-आॅपरेटिव फार्मिंग, कांट्रेक्ट फार्मिंग एवं लीज फार्मिंग के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि इसके नीति निर्धारण के लिए विशेष समिति का गठन किया जा चुका है। समिति में अपर सचिव, उद्यान को अध्यक्ष नामित किया गया है।

इसके साथ ही निदेशक उद्यान, निदेशक जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान गोपेश्वर, निदेशक उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड अल्मोड़ा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भेषज विकास इकाई देहरादून, वैज्ञानिक प्रभारी सगन्ध पौधा केन्द्र, सेलाकुई देहरादून व सचिव राजस्व विभाग (उत्तराखंड शासन द्वारा नामित अधिकारी) को ‘विशेषज्ञ समिति’ में सदस्य नामित किया गया है। सचिव पांडियन ने बताया कि, “समिति राज्य में आगामी 8-10 वर्षों के लिए एक वृहद कार्ययोजना तैयार करेगी। उन्होंने बताया कि कार्ययोजना को बड़े पैमाने पर जल्द से जल्छ लागू करने के लिए समिति को युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। समिति आगामी एक माह के अन्दर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करायेगी।”

सरकारी फीताशाही की भेंट चढ़ी मसूरी की ये सालों पुरानी परंपरा

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जैसे जैसे उत्तराखंड में ठंड बढ़ रही है वैसे ही सरकार और प्रशासन लोगों के कड़कड़ाती ठंड से बचाने के इंतजाम कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच पहाड़ों की रानी मसूरी में ऐसा लग रहा है कि सालों से चला आ रहा एक समाजिक रिवाज़ इस साल लाल फीताशाही की भेंट चढ़ जायेगा। करीब 7000 फीट की ऊंचांई पर मौजूद मसूरी के लोगों और पर्यटकों के लिये मसूरी नगर पालिका सालों से सर्दियों में जलाने के लिये लकड़ी या “अलाव” का इंतजाम करती रही है। लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कारण लकड़ी के दामों के लेकर वन विभाग और पालिका परिषद के बीच चल रही खींच तान।

देहरादून जिलाधिकारी का कहना है कि “ये सालों से चल रही परंपरा है और किसी भी कारण से इसे रुकना नही चाहिये। हम भी इस मामले के जल्द निपटारे की कोशिश करेंगे।” 

दरअसल दिसंबर के आखिर से मार्च के आकिर तक शहर में अलाव का वितरण किया जाता रहा है। इसके लिये पालिका परिषद अपने फंड जमा करती है। इस दौरान करीब करीब 20 क्विंटल लकड़ी शहर के अलग अलग 15 जगहों पर बांटी जाती है,इस लकड़ी को जलाकर जरूरतमंद लोग अपने को कड़कती ठंड से बचाते हैं। 

मसूरी पालिका अध्यक्ष मनमोहन मल्ल लकड़ी बंटवाने का सिलसिला जल्द शुरू होने की बात कर रहे हैं। वहीं शहर के आम लोगों को भी बेसब्री से अलाव का इंतज़ार है। मसूरी निवासी मानचंद्रा कहते हैं कि, “ये सुविधा केवल गरीब और लोकल लोगों के लिये नहीं होती है, बाहर से आये लोगों और पर्यटक भी इसका फायदा उठाते रहे हैं।”

गंगोरी में अस्सी गंगा के ऊपर बना पुल ढहा, प्रशासन और बीआरओ वैकल्पिक मार्ग बनाने में जुटा

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(उत्तरकाशी)। गंगोत्री हाइवे के पास गंगोरी में अस्सी गंगा नदी के ऊपर बना बेली ब्रिज ढह गया है। इसके चलते कई गावों और छोटे क़स्बों का सम्पर्क देश-दुनिया से पूरी तरह कट गया है। मुख्यालय से पाँच किमी दूर अस्सी गंगा के ऊपर आपदा में पुल बह गया था। इसके बाद बेली ब्रिज का निर्माण किया गया। इस पुल को तैयार होने में क़रीब एक माह का समय लगा था।

valley bridge

उत्तरकाशी जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने गंगोरी क्षतिग्रस्त वैली ब्रिज का निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों के साथ आपात बैठक की। बैठक में उन्होंने वाहनों के आवाजाही के लिए वैकल्पिक मार्ग को तेजी से बनाने के निर्देश दिए।
गुरुवार सुबह पुल से एक ओवर लोड ट्रक गुजर रहा था तभी पुल बीच से टूट गया। पुल किनारों से भी उखड़ गया। इस पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक थी। पुल ढहने की खबर मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। ट्रक ड्राइवर मौके से गाड़ी छोड़कर भाग गया।

यह हादसा तब हुआ, जब पुल के ऊपर भारी वाहन गुज़र रहा था। अब बीआरओ की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। वर्ष 2008 में भी गंगोरी पुल टूटा था। इस मामले में डीएम ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। फ़िलहाल नदी के ऊपर से अस्थाई सड़क बना कर वाहनों की आवाजाही कराई जाएगी।

यूरोपियन नर्सरी एक्ट की तर्ज पर तैयार होगा प्रदेश का नर्सरी अधिनियम, समिति गठित

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देहरादून। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर नर्सरी अधिनियम बनाए जाने पर कवायद तेज हो गई है। इतना ही नहीं प्रदेश का नर्सरी एक्ट यूरोपियन देशों के नर्सरी एक्ट के आधार पर तैयार होगा। इसके लिए अन्य देशों के एक्ट का अवलोकन भी किया जाएगा। इसी क्रम में बुधवार को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की अध्यक्षता में नर्सरी एक्ट तैयार करने के लिए विशेष समिति का गठन किया गया। समिति में छह अन्य सदस्यों को भी नामित किया गया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देशों के क्रम में प्रदेश में उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम एवं नियमावली-2017 (नर्सरी एक्ट) के प्रख्यापन के सम्बन्ध में निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। अपर सचिव मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में की गई समीक्षा बैठक के दौरान नर्सरी अधिनियम बनाए जाने के निर्देश दिये गए थे। इसी क्रम में निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। समिति में छह अन्य सदस्य नामित किए गए हैं। समिति में सदस्य के रूप में सगन्ध पादप केन्द्र सेलाकुई के वैज्ञानिक अधिकारी नृपेन्द्र चैहान, भरसार पौड़ी गढ़वाल की उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डा. बीपी नौटियाल, उद्यान अनुसंधान निदेशालय के प्रोफेसर डा. एके सिंह, उद्यान अनुसंधान निदेशालय के प्रोफेसर डा. डीसी डिमरी, उद्यान चैबटिया, रानीखेत अल्मोड़ा के संयुक्त निदेशक डा. आरके सिंह और गोपेश्वर से जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान से डा. बीपी भट्ट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि
फल, सब्जी, मसाले, जड़ी-बूटी, सगंध पादप, मशरूम स्पान, चाय आदि जितनी भी औद्यानिक फसलों का उत्पादन किसानों द्वारा किया जाता है उनके संबंध में एक बहुत ही प्रभावी एक्ट बनना चाहिए। नर्सरी एक्ट में विभिन्न प्लांटिंग मैटेरियल, सीडलिंग, टिश्यू कल्चर आधारित प्लांटिंग मेटीरियल आदि विषयों का भी समावेश किया जाना चाहिए। किसानों द्वारा पौध और बीज केवल नर्सरी स्वामियों से ही नहीं बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर, सप्लायर व ट्रेडर से भी खरीदा जाता है। इन्हें उत्तराखंड ही नहीं बल्कि राज्य के अन्दर और राज्य के बाहर यहां तक कि विदेशों से भी आयात किया जाता है। इन विषयों को भी एक्ट में रखने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अधिनियम में यूरोपियन देशों में जो नर्सरी एक्ट लागू है, उसका अवलोकन भी किया जा सकता है, ताकि किसी प्रकार की कोई कमी या कोई चीज छूट न पाए। उक्त विशेषज्ञ समिति उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम एवं नियमावली-2017 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में प्रत्येक पहलू पर विचार-विमर्श उपरान्त अपनी संस्तुतियां 15 दिन के भीतर शासन को उपलब्ध कराएगी। 

नैनीझील के गिरते स्तर पर बढ़ी चिंता, मांगे सुझाव

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अल्मोड़ा/देहरादून। नैनीझील के गिरते स्तर पर शासन चिंतित है। समस्या का जल्द समाधान करने के लिए अब शासन ने विशेषज्ञों व पर्यावरणविदों से भी सुझाव मांगे हैं। इतना ही नहीं मुख्य सचिव ने शहर में अवैध रूप से वर्षा जल को सीवरेज में डालने वालों को चिन्हित कर कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए हैं। करें।

बुधवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने नैनीझील के गिरते जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नैनीझील को कतई सूखने नहीं दिया जायेगा। उन्होंने प्रशासन अकादमी नैनीताल में अधिकारियों एवं पर्यावरणविदों के साथ बैठक करते हुए सुझाव लिए और मुख्य अभियंता सिंचाई डीके पचैरी को निर्देश दिये कि वे शहर में अवैध रूप से वर्षा जल को सीवरेज में डालने वालों को चिन्हित कर कड़ी कार्यवाही करें। साथ ही वर्षाजल को झील में लाने हेतु नालियों की सफाई करायें व नई नालियों के निर्माण हेतु आंगणन प्रस्तुत करें। मुख्य सचिव ने नैनीझील के संरक्षण एवं जलस्तर को बनाए रखने के लिए सूखाताल झील कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाया जाएगा। साथ ही अवैध निर्माण पर पूर्ण रोक लगाई जाएगी, जिससे वर्षाकाल में सूखाताल झील से पानी नैनीझील में आ सके। उन्होंने कहा कि नैनीझील के कैचमेंट एरिया ग्रीन बैल्ट में निर्माण कतई होने नहीं दिया जायेगा व कैचमेंट एरिया में जल स्रोतों के संरक्षण हेतु वन विभाग द्वारा वृहद पौधा रोपण कराया जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि शहर के जिन घरों का पानी सीवरेज में जाता है उनपर अभियान चलाकर कार्यवाही करें और वर्षा जल को नालियों द्वारा नैनीझील में लाया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव ने अमृत योजनान्तर्गत झील संरक्षण कार्यो की समीक्षा के दौेरान पाया कि शहरी विकास में नगरपालिका का 7.27 करोड़ की धनराशि अवमुक्त होनी है। उन्होंने आयुक्त कुमाऊ मंडल चन्द्रशेखर भट्ट से कहा कि वे इस संबंध में अपनी ओर से शासन को पत्र प्रेषित करें ताकि वांछित धनराशि अवमुक्त हो सके। उन्होंने जिलाधिकारी दीपेन्द्र कुमार चौधरी से कहा कि वह सिंचाई, जलनिगम, जलसंस्थान, लोक निर्माण, नगरपालिका द्वारा किये गए झील संरक्षण के कार्यों की समय-समय पर समीक्षा एवं मूल्यांकन करें।
विशेषज्ञों ने दिए सुझाव
बैठक में पर्यावरणविद डा. अजय रावत ने सुझाव देते हुए कहा कि नैनीझील को बचाने को सूखाताल झील एवं उसके कैचमेंट एरिया को पुर्नजीवित करना होगा। विलुप्त एवं बंद नालियों को खोलना होगा जिससे सूखाताल झील में पानी का रूकाव हो सके व धीरे-धीरे रिस कर नैनीझील में लगातार आए। कहा कि नैनीताल के ग्रीन बैल्ट एरिया के साथ ही शहर में गु्रप हाउसिंग एवं बहुमंजिला भवनों के निर्माण पर पूर्ण रोक लगायी जाए। साथ ही नैनीताल में सीसी सड़क निर्माण कार्य बंद करने होंगे ताकि वर्षा जल जमीन के भीतर होते हुए नैनीझील में आ सके। उन्होंने बताया कि नैनीताल में पूर्व में 30 जलस्रोत चिन्हित थे जो अब मात्र 08 रह गए हैं जिनमें निर्माण कार्यो के कारण पानी की कमी हुई।
प्रो. जीएल साह व होटल एसोसियेशन के अध्यक्ष दिनेश साह ने कहा कि नैनीताल शहर के लगभग सभी भवनों के छतों का वर्षा पानी सीवरेज से होते हुये शहर से बाहर चला जाता है व वर्षाकाल में आए दिन सीवरेज ओवरफ्लो होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी घरों का वर्षा के पानी को नालियो द्वारा नैनीझील में लाया जाए जिससे नैनीझील का 20 प्रतिशत जलस्तर बढ़ेगा। बैठक में निदेशक एटीआई एएस नयाल, मुख्य अभियंता लोक निर्माण बीसी बिनवाल, मुख्य विकास अधिकारी प्रकाश चन्द्र सहित कई अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे। 

बस व डंपर की टक्कर

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चौकी आशारोडी पर सूचना मिली कि एक रोडवेज बस  व एक ट्रक डंपर की आरटीओ चेकपोस्ट के पास आपस में टकर हो गई  है।

उक्त सूचना पर चौकी आशारोडी ने त्वरित कार्यवाही करते हुए घायल बस ड्राइवर देवेंद्र को प्राइवेट वाहन से महंत इंदिरेश अस्पताल पहुंचाया गया तथा दोनों वाहनों को सड़क के किनारे खड़ा कर यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित तरीके से चलाया  गया।

आयकर विभाग का कोटा क्लासेस शिक्षण संस्थान पर छापा

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हरिद्वार। मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाली चर्चित संस्था कोटा क्लासेस पर बुधवार को आयकर विभाग की टीम ने छापा मारा। अपर आयकर आयुक्त मोहन जोशी के नेतृत्व में देहरादून से आई टीम ने छापामार कार्रवाई की।

बुधवार दोपहर करीब 12 बजे आयकर विभाग की टीम ने भारी पुलिस बल के साथ रानीपुर मोड़ स्थित चर्चित कोचिंग संस्था कोटा क्लासेस पर छापे की कार्रवाई की। इस दौरान कोचिग क्लास में पढ़ रहे सभी छात्रों को टीम ने एक कमरे में बैठाकर संस्थान के महाप्रबंधक रवि वर्मा को मौके पर तलब किया। उनसे टीम के सदस्यों ने गहन पूछताछ की और संस्थान से कम्प्यूटर, हार्ड डिश, लैपटॉप तथा अन्य दास्तावेज जब्त किए। देर शाम तक छापे की कार्रवाई जारी रही।
गौरतलब है कि कोटा क्लासेस पर इस बात को लेकर शिकायत रही है कि वे भारी फीस लेकर कक्षा नौ से ही छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग व मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं में निश्चित सफलता का दावा करते हैं। विगत चार वर्षों से इनकी फीस में लगातार इजाफा हो रहा है। 

भैसों को घर से चोरी करने पर दो गिरफ्तार

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सुंदर सिंह राणा विकासनगर ने चौकी डाकपत्थर पर लिखित तहरीर दी की अज्ञात चोरों ने उसकी दो भैसों को घर से चोरी कर लिया है। सूचना पर चौकी डाक पत्थर पर मुकदमा अपराध संख्या 501/17 धारा 380 भादवि पंजीकृत किया गया। घटना के शीघ्र अनावरण के लिये क्षेत्राधिकारी विकासनगर व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली, विकासनगर के निर्देशन ने टीम गठित की।

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प्राप्त जानकारी के आधार पर चोरी की भैसों को सहारनपुर ले जाने की बात प्रकाश में आई, जिसकी पुष्टि चेक पोस्ट दर्रारेट पर रखे चेकिंग रजिस्टर के अवलोकन से हुई, जिसमें छोटा हाथी के रात को गुजरने व उसमें 2 भैंसे बंधे होने का विवरण अंकित था। जिस पर पुलिस टीम ने तुरंत कार्यवाही करते हुए सहारनपुर कमेला पशु मंडी में दबिश दी, जहां पर छोटा हाथी में बैठे दो व्यक्ति मुकर्रम व रिहान को गिरफ्तार किया गया, जिनके कब्जे से घटना से संबंधित चोरी गई भैंसे बरामद की गयी।

अभियुक्त मुकर्रम ने पूछताछ में बताया कि उसने बरामद भैसे असलम व अकरम, विकासनगर के साथ मिलकर हारून  के कहने पर चोरी की थी, जिनको हम लोग एक पिकअप में लोडकर विकासनगर हारून की डेरी पर लेकर आए थे, वहां से हमने रेहान उपरोक्त को ज्यादा किराया देकर उसके छोटे हाथी में भैंसों को पुनः लोडकर सहारनपुर की कमेला पशु मंडी पर ले आये थे तथा बिकने का इंतजार कर रहे थे। अभियुक्त हारून को उसके घर से गिरफ्तार किया गया।

मदूरई, हावड़ा सहित आधा दर्जन गाड़ियां घंटों लेट पहुंची दून

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देहरादून। देहरादून आने वाली आधा दर्जन गाड़ियां अपने निर्धारित समय से काफी विलंब से पहुंची मदुरई देहरादून चेन्नई एक्सप्रेस साढ़े सात घंटे तो हावड़ा उून साढ़े छह घंटे की देरी से बुधवार को दून पहुंची। जिस कारण यात्रियों व उसके परिजनों को परेशानी उठानी पड़ी।

बुधवार को लंबी दूरी की कई गाड़ियां अपने निर्धारित समय से काफी विलंब से देहरादून पहुंची। हावड़ा से चलकर देहरादून आने वाली दून हावड़ा एक्सप्रेस का देहरादून आने का समय 7:35 मिनट है लेकिन वह लगभग 6:30 मिनट की देरी से आइ। मदुरई से चलकर देहरादून वाने वाली मदूरई एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से 7:30 की विलंब से आई।
नई दिल्ली सराय से देहरादून आने वाली मसूरी एक्सप्रेस दो घंटे की देरी से पहुंची। काठकोदाम देहरादून एकसप्रेस 1:50 मिनट की देरी आई। नई दिल्ली से चलकर देहरादून आने वाली नंदा देवी एक्सप्रेस 1:30 मिनट की देरी पहुंची। जबकि उपासना एक्सप्रेस अपने तय समय से एक घंटे लेट आई। जबकि इलाहाबाद से चलने वाली लिंक एक्सप्रेस 5:30 मिनट की देरी से पहुंची। अमृतसर देहरादून लाहौरी एकसप्रेस दो घंटे विलंब से आई। गाड़ियों की लेटलतीफी के कारण यात्रियों व उसकों परिजनों को इंतजार में परेशानी उठानी पड़ रही है।
स्टेशन अधीक्षक सीताराम सोनकर ने बताया कि मैदानी इलाकों में घने कोहरे पड़ने के कारण लंबी दूरी की कई गाड़ियां अपने तय समय से विलंब चल रही है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विभाग की और से सावधानी बरती जा रही हे। जिस कारण यात्रियों और उसके परिजनों को दिक्कतें हो रही है। उन्होंने बताया कि देहरादून से जाने वाली गाड़ियों को समय से रवाना किया जा रहा है। ताकि यात्रियों को ज्यादा परेशानी न हो। 

जलभराव से शहर को नहीं मिल रही निजात

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हरिद्वार। धर्मनगरी की सबसे बड़ी समस्याओं में शुमार बारिश के दौरान यहां होने वाला जलभराव है। जिसका मुख्य कारण राजाजी टाइगर रिजर्व और भेल से आने वाला बरसाती पानी है। नुकसान को देखते हुए अब शासन-प्रशासन इस आने वाले बरसाती पानी की रोकथाम में जुट गया है।

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की पहल पर अब प्रशासन इस पानी को रोकने की रणनीति पर काम करने लगा है, जिसे लेकर कल से सर्वे भी शुरू हो गया है। वहीं पिछले कई वक्त से लोगों के लिए यह समस्या जी का जंजाल बनी हुई है, जिसका हल निकालना बेहद जरूरी है। बरसात के दौरान मध्य हरिद्वार जलमग्न हो जाता है।
वही राजाजी टाइगर रिजर्व से बरसात में आता है भारी पानी। भेल के नालों से होकर ये पानी चंद्राचार्य चैक पहुंचता है। जहां लोगों के लिए यह मुसीबत का सबब बन जाता है। इस पानी से मॉडल कॉलोनी, विवेक विहार, खन्ना नगर और नया हरिद्वार होता है सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। पिछले कई दशकों से इस समस्या का समाधान नहीं हुआ। हर साल बरसात के दौरान दुकानों और मकानों में पानी घुसता है।
वहीं, चार बार से लगातार बने विधायक मदन कौशिक पर इस समस्या से जनता को निजात दिलाने का बड़ा दबाव है। इसे देखते हुए उन्होंने निगम, प्रशासन और भेल के आला अधिकारियों से वार्ता कर इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने को कहा है। जिसके बाद मेयर मनोज गर्ग ने प्रशासन और भेल के अधिकारियों के साथ क्षेत्र का सर्वे भी किया।
मेयर का कहना है कि बाहर से कंसल्टिंग एजेंसी को भी बुलाया गया है, ताकि जलभराव की समस्या का स्थाई समाधान निकल सके। एडीएम ललित नारायण मिश्रा ने बताया कि इस इलाके का टेक्निकल सर्वे कर लिया गया है। कई स्थानों पर जलभराव को रोकने पर अपने-अपने विचार भी दिए गए हैं। सर्वे के बाद इसका स्थाई निराकरण अवश्य होगा। गौर हो कि इस इलाके में होने वाले जलभराव को रोकने के लिए पहले भी कई बार सर्वे हो चुके हैं, लेकिन कभी समस्या का समाधान नहीं हुआ। वहीं, इस बार शहरी विकास मंत्री के खुद बीच में आने से क्षेत्र की जनता को कुछ उम्मीद जगी है कि अब इस समस्या का हल जरूर होगा। लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि क्या इस बार शासन-प्रशासन जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाता है या नहीं?