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चोरी करके पूरा करता था गर्लफ्रेंड की ख्वाहिशें, गिरफ्तार

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देहरादून, पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो अपनी गर्लफ्रेंड की जरूरतें चोरी करके पूरा करता था। पुलिस ने उसके पास से करीब पांच लाख रुपये मूल्य का सामान और 23 मास्टर-की भी बरामद किया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुमार कुकरेती ने बताया कि, “बीते काफी वक्त से क्लेमनटाउन क्षेत्र में बंद घरों से सामान चोरी के मामले सामने आ रहे थे। इसे देखते हुए पुलिस की एक विशेष टीम गठित की गई थी। बीते बुधवार को ग्राम हुसैनपुर सुल्तान जिला बिजनौर निवासी अमित कुमार पुत्र सुभाष चन्द्र ने क्लेमेन्टाउन थाना आकर तहरीर दी थी कि बीते 15 दिसम्बर को उसके कमरे से लैपटॉप चोरी हो गया है। पुलिस ने जांच शुरू की और चोरी करने वाले को एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान से गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से जो लैपटॉप बरामद हुआ वह अमित का था। उसके पास से नौ अन्य लैपटॉप, एक मोबाइल फोन व 23 मास्टर-की भी बरामद की गईं।”

एसएसपी ने बताया कि अभियुक्त फैजान पुत्र नौशाद जिला धामपुर के नैटौर का निवासी है। उससे बरामद हुए माल की कीमत करीब पांच लाख रुपये है, वह वर्तमान में टर्नर रोड पर रहता है, उसकी देहरादून में एक गर्लफ्रेन्ड है, उसी के खर्चे को पूरा करने के लिए लैपटॉप, मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की चोरी किया करता था। फैजान ने पुलिस की पूछताछ में यह बात स्वीकार की है। 

उत्तराखंड में बनेगी विश्वस्तरीय साइंस सिटी

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उत्तराखंड में विश्वस्तरीय साइंस सिटी की स्थापना की जाएगी। इसके बनने के बाद देहरादून कोलकाता, गुवाहाटी, अहमदाबाद और कपूरथला के बाद देश की पांचवीं साइंस सिटी होगी। देहरादून की तरह अल्मोड़ा में भी आंचलिक विज्ञान केंद्र का संचालन शुरू किया जाएगा। इस समय झाझरा में चल रहे आंचलिक विज्ञान केंद्र में हिमालयन गैलरी, तारामंडल, फन गैलरी, नव प्रवर्तन केंद्र, थ्री डी विज्ञान प्रदर्शनी, फ्रंटियर्स ऑफ टेक्नोलॉजी, ऑडिटोरियम सहित  तमाम आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
शुसचिवालय में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यू-कॉस्ट) के सामान्य निकाय की बैठक हुई, बैठक में बताया गया कि यूकास्ट में स्थापित इनोवेशन हब में छोटे बच्चों को 5 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। हैंड्स ऑन ट्रेनिंग में बच्चे 5 दिन में ही रोबोट, एलईडी बनाने लगते हैं।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि ऐसी व्यवस्था की जाय कि सामान्य वर्ग के बच्चे भी इसका लाभ ले सकें। कहा कि सीएसआर के जरिये भी सामान्य वर्ग के बच्चों को विज्ञान और तकनीक सीखने में मदद की जा सकती है। विज्ञान की जानकारी को समाज के विकास में लगाना होगा। मुख्य सचिव ने कहा कि अल्मोड़ा में बनने वाले आंचलिक विज्ञान केंद्र में स्थानीय स्थापत्य का उपयोग किया जाय। बैठक में बताया गया कि यूकास्ट में हर साल 1000 युवा वैज्ञानिक साइंस कांग्रेस में भाग लेते हैं।
शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए यूकास्ट विभिन्न समूहों को मंच प्रदान करता है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय विज्ञान सेमिनारों में भाग लेने के लिए आर्थिक सहायता देता है। हिमालयी साइंस के जरिए हिमनद,जैव विविधता, मौसम परिवर्तन, जल संरक्षण, तराई कृषि व्यवस्था आदि कार्य करता है। तकनीकी संस्थान केंद्र के द्वारा सभी जनपदों में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की जानकारी देता है। प्रस्तावित साइंस सिटी के बारे में बताया गया कि 25 एकड़ के क्षेत्रफल में बनने वाली इस सिटी में विज्ञान अन्वेषण हाल, अंतरिक्ष भ्रमण, प्रयोगों के जरिए विज्ञान को समझाने के लिए प्रदर्शन क्षेत्र, आउटडोर साइंस पार्क, कार्यशाला,जन सुविधा केंद्र आदि सुविधाएं मुहय्या कराई जाएंगी।

प्रदेश में ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देने की जरूरत : मुख्यमंत्री

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दुनियाभर में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। उत्तराखंड जैविक खेती का प्रमुख केंद्र बन सकता है। इसकी संभावनाओं के मद्देनजर प्रदेश में जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने की जरूरत है। ये बातें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कही है। वे शुक्रवार को डोइवाला स्थित ग्राम खाती में सीएसआईआर-भारत पेट्रोलियम के तत्वावधान में विकसित उन्नत गुड़ भट्टी के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईपी द्वारा विकसित इस आधुनिक गुड़ भट्टी से प्रदूषण भी कम होगा। भट्टी से जो गुड़ बनाया जा रहा, उसमें प्रयुक्त होने वाले गन्ने के उत्पादन में भी जैविक खेती का प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि 25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर सूर्यधार बांध का शिलान्यास किया जाएगा। लगभग 60 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बांध से डोइवाला और उसके आसपास के क्षेत्रों में पूर्ण ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा, जबकि लगभग 900 करोड़ की लागत से बनने वाले सौंग बांध से देहरादून में पूर्ण ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा। इससे भू-जल स्तर में आ रही गिरावट को कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि अगले वर्ष सोंग नदी पर बांध बनाने की शुरुआत हो जाएगी। सरकार की योजना है कि देहरादून से ऋषिकेश तक लोगों को पूरी ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध हो सके। लोगों को ट्यूबवेल के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। पानी के लिए लोगों को बिजली पर निर्भर भी नहीं रहना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अकेले ट्यूबवेलों की विद्युत खपत पर ही वर्तमान में 221 करोड़ रुपये का व्यय भार आ रहा है, जिसमें से लगभग 65 करोड़ रुपये अकेले देहरादून के ट्यबवेलों का है। ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति से विद्युत पर होने वाला व्यय भार भी बचेगा। 14 जनवरी 2018 से देहरादून में सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नालॉजी (सीपैट) की कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी। शीघ्र ही प्रदेश में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नालॉजी(निफ्ट) की भी शुरुआत की जाएगी। इसके लिए रानीपोखरी में भूमि उपलब्ध कराई जा चुकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चीड़ की पत्तियों से तारपीन के तेल निकालने एवं उसके कचरे से बायोफ्यूल तैयार करने के लिए आईआईपी के साथ सरकार ने एमओयू साइन किया है। यह वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित करने का एक प्रयास है। इससे गर्मियों में पिरूल के जंगलों में वनाग्नि से बचाव होगा। जंगल एवं जीव जन्तुओं का भी संरक्षण होगा। इससे जहां सरकार को राजस्व प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय लोगों को बेहतर रोजगार भी मिलेगा। राज्य के आठ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी एवं उत्तरकाशी में पिरूल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे।

व्यापारियों के समर्थन में बेहड़ ने दिया धरना

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गदरपुर, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ के नेतृत्व में शुक्रवार को नगर कांग्रेस कमेटी व व्यापारियों द्वारा आज मुख्य बाजार स्थित सावन फ्रूट प्रतिष्ठान के बाहर एक दिवसीय धरने दिया गया। जहां विभिन्न संगठनों के लोग, नगर कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं सैकड़ों की तादात में व्यापारी मौजूद थे। इस दौरान व्यापारियों ने शासन प्रसाशन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

गदरपुर में उजाड़े गए व्यापारियों को मुआवजा, जमीन, व रोजगार दिलाने की मांग को लेकर आज श्री तिलकराज बेहड़ के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया गया। धरने के दौरान पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ ने कहा कि जब एस्कॉर्ट फार्म का मामला चल रहा था तब भाजपा नेताओं तथ मंत्रियों द्वारा एस्कॉर्ट फार्म पर कूच कर धरना प्रदर्शन कर जमकर विरोध किया गया तो आज वही नेता व्यापारियों के बीच आकर इनकी मदद के लिए हाथ क्यों नहीं बढ़ा रहे।

श्री बेहड़ ने कहा व्यापारियों के साथ वह कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ देंगे। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को न्याय दिलाने और मुआवजे की मांग को लेकर वह शीघ्र ही जिलाधिकारी से मिलेंगे तथा व्यापारियों का पक्ष रखेंगे। उन्होंने कहा कि जरुरत पडऩे पर व्यापारियों के हित के लिए वह अनशन भी करेंगे।

तीन मजदूरों की मौत से खुली अवैध खनन की हकीकत

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अवैध खनन रोकने संबंधी तमाम दावों के बाद भी प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम चल रहा अवैध खनन शुक्रवार को तीन मौतों की वजह बन गया। सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर जा पहुंची और दबे मजदूरों को निकालने की कोशिश शुरू कर दी गई, लेकिन मलबे में दबे दो मजदूर तब तक दम तोड़ चुके थे। जबकि एक अन्य ने अस्पताल में आखिरी सांस ली। मरने वालों में पिता पुत्री व एक अन्य मजदूर है।

इधर, हादसे की सूचना के बाद पट्टा मालिक और ट्रैक्टर ट्राली मालिक मौके से फरार हो गए। जिनकी तलाश की जा रही है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ धारा 3०४ व खनन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामला सुल्तानपुर पट्टी से सटे नूरपुर ,ग्राम चैंकी कुंडेश्वरी और आईटीआई के बीच कोसी नदी का है, जहां शोभा राम का खनन पट्टा है।

बावजूद इसके की इस बार खनन पट्टा स्वीकृत नहीं है, शोभा राम पट्टे में खनन कार्य करा रहे थे। बताया जाता है कि उक्त खनन पट्टे के पचास मीटर दूरी पर एक स्वीकृत पट्टा था, जिसकी आड़ में यह अवैध खनन किया जा रहा था। यहां भोर से खनन का अवैध खेल शुरू कर दिया गया था। जिसमें ट्रैक्टर ट्राली मालिक लईक के अलावा 19 मजदूर काम कर रहे थे। मजदूर पट्टे को खोदते खोदते करीब आठ फीट नीचे पहुंच चुके थे और ऊपर की ओर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए। जिसकी वजह से अचानक ढांग भरभरा कर गिर गए और उसकी चपेट में पांच मजदूर गए। साथी मजदूरों की चीख पुकार सुन आसपास के लोग भी दौड़ पड़े और आनन फानन में राहत कार्य शुरू कर दिया गया।

इधर सूचना मिलते ही एडिशनल एसपी काशीपुर जगदीश चंद्र, एसडीएम बाजपुर पीएस राणा समेत अन्य अधिकारी मौके पर जा पहुंचे और राहत कार्य तेज किया गया। मलबे में कुल पांच लोग दबे थे। जिनमें से तीन को निकाल कर अस्पताल भेजा गया। जबकि दो ने मलबे में ही दम तोड़ दिया था।

उत्तराखण्ड में संघ की 29 शिविरों में राष्ट्र निर्माण का युवा लेंगे प्रशिक्षण

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देहरादून,  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का प्राथमिक शिक्षा वर्ग उत्तराखण्ड में 23 दिसम्बर से शुरू हो रहा है। राज्य भर में कुल 29 शिविर लगाए जा रहे हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में इस बार सात शिविरों की बढ़ोतरी हुई है। यह शिविर पूरे प्रदेश में दिसम्बर से लेकर जनवरी के दूसरे सप्ताह तक जगह-जगह चलेगा। जिसमे हजारों की संख्या में शिक्षार्थी भाग लेंगे और यही स्वंयसेवक शिविर के बाद अपने-अपने क्षेत्र में जाकर संघ की शाखाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में युवाओं की सहभागिता पर कार्य को गति प्रादान करेंगे।

राजधानी देहरादून सहित पूरे प्रदेश में इस बार कुल 29 शिविर प्राथमिक शिक्षा वर्ग लगाए जा रहे हैं। जो पिछले वर्ष से सात ज्यादा है। पिछले वर्ष कुल 22 शिविर लगाए गए थे। वैसे तो सरकारी जिला 13 है। लेकिन संघ अपनी रंचना के अनुसार उत्तरांचल प्रांत को कुल 25 जिला बनाया गया है। इसी जिलों के अनुसार संघ अपने कार्य की रूपरेखा तय करता है। हर जिले में एक-एक शिविर लगाए जाते है। प्राथमिक शिक्षा वर्ग सबसे पहले विकासनगर में 23 दिसम्बर से प्रांरभ होगी और इसी प्रकार जिलों में अलग-अलग स्थानों पर दस जनवरी तक चलेगा। यह शिविर सात दिनों का होता है। जिसमें भाग लेने वालें स्वयंसेवक को रात-दिन वहीं रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करते है। बेहद अनुशासति व संयमित जीवन जीने की शिक्षा मिलती है। इस दौरान नियुद्ध कराटे, दंड, डंडा योगासन, स्वदेशी खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही जीवन के नैतिक मूल्यों का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उत्तरांचल प्रांत के प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह संघ शिविर को गुणवत्ता युक्त बनाए रखने के लिए पूरी व्यवस्था पर विशेष नजर बनाए हुए है। इसके लिए वे गढ़वाल और कुमांउ दोनों मंडलों का लगातार प्रवास कर रहे है। इस दौरान वे जगह-जगह संघ से जुड़े दायित्वधारियों के साथ बैठक कर शिविर की तैयारियों का संवाद कर रहे है।

प्रांत कार्यवाह दिनेश सेमवाल ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि उत्तरांचल प्रांत में पिछले कई वर्षों से हर जिले में एक ही स्थान पर शिविर लगाए जाते थे। लेकिन इस बार देहरादून, पिथौरगढ़, काशीपुर, उधमसिंहनगर, रूद्रपुर में दो-दो शिविर लगाए जा रहे है। शिविर में 14 वर्ष से 40 वर्ष तक के आयु के स्वयंसेवक ही भाग लेंगे। प्राथमिक शिक्षा वर्ग में कक्षा नौ के विद्वार्थी ही भाग ले सकते है।

प्रांत कार्यवाह ने बताया कि स्वयंसेवकों में शारीरिक एवं बौद्धिक दक्षता होनी चाहिए और इसकी दैनिक शाखा में तो जानकारी मिलती है, परंतु संघ शिक्षा वर्ग का पाठ्यक्रम व्यक्तित्व विकास के कई आयामों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। इसमें संघ से जुड़े प्रत्येक पहलू पर गहराई से चिंतन होता है। इस वर्ग में स्वयंसेवक संघ को जीना सीखते हैं। शाखा लगाने के साथ-साथ एक स्वयंसेवक में क्या-क्या गुण होने चाहिए, सीखते हैं। शिविर में प्रांतीय, क्षेत्रीय और केन्द्रीय अधिकारियों का शिविरार्थियों को मार्गदर्शन मिलेगा। इसके लिए किसका-किसका कहां बौद्धिक लगेगा कार्यक्रम तैयार कर लिया गया है, जो स्वयंसेवक प्राथमिक वर्ग का शिक्षण प्राप्त कर लेता है वही प्रथम वर्ग में भाग लेते हैं जो 20 दिन का होता है। 

कुलपति के आदेशों को ‘ठेंगा’ दिखा रहे निजी आयुर्वेद संस्थान

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देहरादून। भले ही आयुर्वेद विश्वविद्यालय में ‘निजाम’ बदल गए, लेकिन निजी आयुर्वेद कॉलेजों के मिजाज बदलने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि विवि के नए कुलपति के तीन दिन पहले सभी फैकल्टी के आधार अपडेट करने के आदेशों को संस्थानों ने ठेंगे पर रख दिया। तीन दिन बीत जाने के बाद भी विवि को संस्थानों ने कोई डाटा उपलब्ध नहीं कराया है। संस्थानों को 22 दिसम्बर शाम पांच तक हर हाल में डाटा भेजना है।

बीते काफी वक्त से आयुर्वेद विवि में कई गड़बड़ियां सामने आईं। इनमें कभी नियुक्तियों के मामले तो कभी समितियों में बाहरी लोगों को दखल। इसके अलावा फर्जी फैकल्टी जैसे मामले भी सामने आते रहे। लेकिन, बीते 16 दिसम्बर को निजाम बदलते विवि में सुधार की उम्मीदें जगी थी। विवि का जिम्मा संभालते ही कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने निजी आयुर्वेद और होम्योपैथिक कॉलेजों में फर्जी ऑनपेपर फैकल्टी से जुड़ी तमाम जानकारियों को आधार कार्ड के साथ विवि में जमा कराने के निर्देश दिए थे। प्रो. कुमार ने यह तेवर निजी आयुर्वेद और होम्योपैथिक कॉलेजों में फर्जी आनपेपर फैकल्टी पर रोक लगाने के लिए अपनाए थे। इसके लिए संस्थानों को तीन दिन का समय भी दिया गया था। लेकिन, संस्थानों के कानों पर इन आदेशों को लेकर जूं तक नहीं रेंगी। आदेशों के मुताबिक, अंतिम तिथि भी गुजरने के बाद संस्थानों ने कोई डाटा विवि को मुहैया नहीं कराया। 

22 तक अनिवार्य रूप से भेजनी है जानकारी
विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति ने कहा कि आए दिन संबद्ध परिसरों एवं निजी संस्थानों द्वारा कागजों में फर्जी शिक्षकों व चिकित्सकों की लंबी चौड़ी सूची दिखा कर सम्बंधित चिकित्सा परिषदों एवं विश्ववविद्यालय से मान्यता लेने का काम किया जा रहा है। लेकिन अब यह सब संभव नहीं होगा। कुलपति ने संस्थाओं की शिकायतों का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सभी संस्थाओं से फर्जीवाड़ा समाप्त करने और शैक्षणिक कार्यो के उन्नयन के लिए उपलब्ध शिक्षकों और चिकित्सकों का ब्यौरा तलब किया है। कुलपति ने बताया कि संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द फैकल्टी का ब्यौरा भेजें। 22 दिसम्बर तक साफ्ट व हार्ड कॉपी में सभी जानकारी संस्थानों द्वारा अनिवार्य रूप से भेजी जानी है। जो संस्थान ब्यौरा नहीं भेजेंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी।

आधार के साथ देना है पैन कार्ड नंबर
विश्वविद्यालय में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के परिसर ऋषिकुल व गुरुकुल के निदेशक, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मुख्य परिसर के प्रभारी अधिकारी के साथ ही समस्त निजी आयुर्वेद/होम्योपैथी व यूनानी महाविद्यालयों के प्रभारी और अधीक्षकों को लिखित रूप में फैकल्टी की जानकारी भेजने का निर्देश दिया गया है। जानकारी में संस्थानों को शिक्षकों को चिकित्सक का नाम, पदनाम, विभाग, शैक्षिक योग्यता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, स्थाई पता, वर्तमान पता, आधार कार्ड नंबर व बैंक अकाउंट नंबर के साथ ही पैन कार्ड नंबर भी मांगा है। विशेषज्ञों की माने तो विवि के इस कदम से दो-दो जगह सेवाएं देने वाले शिक्षकों के फर्जीवाड़े पर तो लगाम लगेगी। साथ ही ऐसे संस्थान जो केवल कागजों में ही फैकल्टी दर्शाने का कार्य करते हैं, उनके
कारगुजारियां भी सामने आएंगी।

उधर, कुलसिचव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने बताया कि विवि के तीनों परिसरों और समस्त निजी कॉलेजों से जानकारी मांगी गई थी। इसमें अभी तक बस मुख्य परिसर ने ही जानकारी मुहैया कराई है। ऐसे में अन्य संस्थानों को रिमाइंडर भेजा गया है।

जिंदा कछुओं के साथ तीन अभियुक्त गिरफ्तार

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रायवाला पुलिस ने मोतीपूर फाटक पर चैकिंग के दौरान मुकेश कुमार की सैंट्रो कार को शक के आधार पर रोककर चैक किया गया तो सैंट्रो कार से 3 अभियुक्तगणो को 16 जिंदा कछुओं के साथ गिरफ्तार किया गया। अभियुक्तगण वाहन से कछुओं का अवैध तरीके से परिवहन कर रहे थे, जो कि वन्य जीव-जन्तु संरक्षण अधिनियम 1972 के अपराध दण्डनीय हैं ।

इस आधार पर पर थाना हाजा मु.अ.सं – 231/ 17 धारा 09/39/48(क) वन्य जीव जन्तु संरक्षण अधिनियम के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया । अभियुक्तगणों ने पूछताछ पर बताया कि, “इन कछुओं को हम नजीबाबाद से देहरादून ला रहे थे , इनका उपयोग क्षय रोग ( टी.बी.) व अन्य घातक बीमारियो में किया जाता है व डिमांड पर मंहगे दामों पर बेचा जाता है ।

जहर खुरानी गिरोह ने युवक को लूटा

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ऋषिकेश, लखनऊ से ऋषिकेश आ रहे युवक को जहर खुरानी गिरोह ने मुरादाबाद में चाय की प्याली पिलाकर उसका नकदी व सामान से भरा बैग लूट लिया।

23 वर्षीय विपुल निवासी आनंद विहार ढालवाला टिहरी गढ़वाल लखनऊ में एक होटल में ट्रेनिंग कर रहा है। वह छुट्टी लेकर गुरुवार को अपने घर आ रहा था कि मुरादाबाद में उसे कुछ लोगों ने दोस्ती कर चाय पिलाई, जिसे पीने के बाद वह पूरी तरह बेहोश हो गया। इसके बाद उसे ऋषिकेश पहुंचने पर बस के चालक ने जब देखा तो वह बेहोश पड़ा था। जिसे राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में उपचार के लिए भर्ती कराया। जहां होश आने पर उसने अपने साथ घटित घटना का ब्योरा दिया।

उसने बताया कि उसके बैग में कोर्ट पैंट रुपये 5000 नकद तथा उसका मोबाइल भी था जो कि गायब मिला, पुलिस ने मामले की जांच प्रारंभ कर दी है।

शीत लहर से लोगों को मिली राहत

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ऋषिकेश,  लंबे समय से पड़ रही ठंड के बीच सुबह 10 बजे से ही आसमान साफ हो गया और तेज धूप निकल आई। इससे लोगों को काफी सुकून मिला। सबसे ज्यादा राहत गरीबों और फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को मिली।

सप्ताह भर से मौसम में तब्दीली दिखी है। जबरदस्त ठंड और कोहरे से लोग परेशान हैं। सुबह, शाम ही नहीं बल्कि दोपहर में धूप निकलने के बाद भी लोगों को जैकेट और स्वेटर पहनना पड़ रहा है। ठंड के चलते बच्चों का स्कूल जाना भी दूभर हो गया था। शुक्रवार को मौसम में थोड़ी नरमी दिखी। साढ़े नौ बजे बादलों को चीरते हुए सूर्य देव बाहर निकले। उनकी तेज किरणें जब धरती पर पड़ी तो लोग निहाल हो गए। हर कोई धूप सेकने के लिए छत, लॉन, सड़क के किनारे खड़ा हो गया।

दिनभर बेहतर धूप रही, जिसका लोगों ने फायदा उठाया, दोपहर में तेज धूप का लोगों ने खूब आनंद लिया। शीत लहर से जूझ रहे महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को खिलखिलाती धूप ने काफी राहत पहुंचाई। पिछले कुछ दिनों से सर्दी का सितम बड़ने से फुटपाथ पर रहने वाले गरीब लोग जहां लिहाफ आदि न मिलने के कारण दिन और रातभर ठिठुर रहे थे। तेज धूप निकलने से उन्हें काफी राहत पहुंची। राहगीरों, यात्रियों को भी काफी सुकून पहुंचा। धूप निकलने के कारण अन्य दिनों की अपेक्षा ठंड भी कम रही। शाम चार बजे तक धूप खिली रही मगर जैसे ही शाम ढली ठंड ने कहर बरपाना शुरू कर दिया।