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अब रोडवेज बसोंं में भी लगेगा डस्टबिन,गंदगी फैलाने पर देना होगा जुर्माना

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कर्मशियल गाडियों और परिवहन की बसों में डस्टबिन अनिवार्य होने के बाद रोडवेज बसों में इनकी शुरूआत कर दी गई है।मंगलवार को 20 वोल्वो बसों में  डस्टबिन को लगाया गया।यह डस्टबिन ड्राइवर की सीट के पास रखे जाएंगे और यात्रियों को यात्रा के दौरान बताया जाएगा कि कूड़ा इसी में डालें।इसके अलावा बस गंदी करने पर यात्रियों पर जुर्माने का प्रावधान भी किया जा रहा है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार ने एक दिसंबर से चौपहिया और इससे ऊपर की श्रेणी के सभी वाहनों में डस्टबिन होना अनिवार्य कर दिया है। परिवहन विभाग को आदेश भी दिए गए हैं कि जिन वाहनों में डस्टबिन नहीं मिलेगा, उन्हें फिटनेस प्रमाणपत्र न दिया जाए। वाहनों की चेकिंग करने व डस्टबिन न पाए जाने पर उन्हें सीज या जुर्माना लगाने के आदेश दिए गए।

विभाग ने फिटनेस में यह प्रक्रिया शुरू कर दी है लेकिन अभी सड़कों पर वाहन में डस्टबिन को लेकर चेकिंग नहीं की जा रही। सरकार के आदेश रोडवेज बसों पर भी लागू होते हैं, लिहाजा परिवहन निगम ने डस्टबिन की खरीद शुरू कर दी है। महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि पहले चरण में मंगलवार को दून में 20 वाल्वो बस में डस्टबिन को लगाया गया है। धीरे-धीरे प्रदेश के समस्त डिपो में सभी श्रेणी की बसों में डस्टबिन लगाए जाएंगे।

चार वाहन किए सीज

हाई बीम और लाइटों को लेकर परिवहन विभाग की टीम ने मंगलवार रात पुलिस के साथ प्रेमनगर में चेकिंग अभियान चलाया। एआरटीओ अरविंद पांडे और सीओ सिटी चंद्रमोहन सिंह के निर्देशन में अभियान के दौरान चार गाड़ि‍यां सीज की गईं और 15 का चालान किया गया। एआरटीओ पांडे ने बताया कि किसी गाड़ी में हाईबीम थी तो किसी की लाइट टूटी हुई थी। चार गाड़ियां ऐसी मिलीं जिनकी ड्राइवर साइड की लाइट बंद थी।

मुक्त विवि बना खेवनहार, प्राइवेट छात्रों को दाखिले का मौका

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(देहरादून)। अगर आप किसी कारण से अभी तक स्नातक या परास्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के लिए आवेदन से चूक गए हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने ऐसे छात्रों को एक ओर मौका दिया है। विवि ने ग्रीष्मकालीन सत्र में आवेदन नहीं कर पाने वाले छात्रों के लिए शीतकालीन सत्र में आवेदन करने का अवसर प्रदान किया है। छात्र बीए, एमए, बीकॉम व एमकॉम विषयों में दाखिला लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
10 जनवरी तक कर सकते हैं आवेदन
उत्तराखंड में व्यक्तिगत परीक्षा प्राइवेट एग्जामिनेशन प्रणाली की समाप्ति के बाद उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने बीए, एमए, बीकॉम व एमकॉम प्रथम वर्ष के ऐसे अभ्यार्थियों जो किन्ही कारणों से ग्रीष्मकालीन सत्र 2017-18 में प्रवेश नहीं ले पए थे। उनके लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया है। ऐसे छात्र 26 दिसंबर से 10 जनवरी 2018 तक संबंधित पाठ्क्रमों में दाखिला ले सकते हैं। शीतकालीन सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों की परीक्षा जून 2018 में होगी। मुक्त विवि के जनसंपर्क अधिकारी डा. राकेश रयाल ने बताया कि छात्र दाखिले संबंधित सूचनाएं व आवेदन पत्र आदि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित अध्ययन केंद्रों और विश्वविद्यालय वेबसाइड से प्राप्त कर सकेंगे।
प्राइवेट परीक्षा बंद होने के बाद मुक्त विवि को दी थी जिम्मेदारी
दरअसल, भारत में प्राइवेट यानि व्यक्तिगत परीक्षा का कोई विधिक आधार नहीं है। यूजीसी ने भी देश में कानूनी रूप से केवल रेगूलर और डिस्टेंस एजुकेशन को ही वैध माना है। ऐसे में प्रदेश में प्राइवेट मोड में परीक्षा देने वाले हजारों छात्रों के भविष्य पर भी सवाल खड़ा हो गया था। जिसके लिए सीधे तौर पर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को ही जिम्मेदार माना जा रहा था।
प्रदेश में दो विश्वविद्यालय करा रहे थे प्राइवेट परीक्षा
उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय और श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय प्राइवेट मोड में यूजी और पीजी कोर्स में डिग्री प्रदान करने का कार्य कर रहे थे। आंकड़ों पर गौर करें तो दोनों विवि में कुल डेढ़ लाख छात्र-छात्राएं प्राइवेट एग्जाम के लिए पंजीकृत थे। आयोग के प्राइवेट परीक्षा को अवैध करार देने के बाद राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पॉल के निर्देशों के बाद इन लाखों छात्रों को सरकार ने उत्तराखंड मुक्त विवि में पंजीकृत करने का निर्णय लिया था। जिसके बाद मुक्त विवि ने दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों को अपने यहां पंजीकृत करा दिया। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय इस साल पहली बार मुक्त विवि ने छात्रों के परीक्षा का आयोजन करने जा रहा है। प्रदेश भर में प्राइवेट विद्यार्थियों को दूरस्त शिक्षा के माध्यम से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के निर्णय का अध्ययन केंद्र संचालक अनिल सिंह तोमर ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से अब प्राइवेट मोड में डिग्री लेने वाले छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होगा। साथ ही उन्हें मुक्त विवि के माध्यम से न सिर्फ डिग्री हासिल होगी बल्कि उन्हें निरंतर अध्ययनरत रहने का भी मौका मिलेगा। 

”माटी-मैन” जो मिट्टी से भरते हैं तस्वीरों में जान

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रुद्रप्रयाग के सरकारी स्कूल में 49 वर्षीय केमिस्ट्री शिक्षक जय कृष्ण पैन्यूली एक आदर्श उदाहरण है कि किस तरह सीमित संसाधनों के साथ अपने जूनुन को कैसे पूरा किया जा सकता है। हालांकि कैमिस्ट्री के शिक्षक होने के साथ-साथ, पैन्यूली को हमेशा से चित्रकला अपनी ओर आकर्षित करती थी और अपने सपनों का पूरा करने के लिए उन्होंने उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों की मिट्टी से कैनवास चित्रकारी शुरू की।अपनी पेटिंग को बनाने के लिए वह अलग-अलग क्षेत्र जैसे कि केदारनाथ, गैंरसैंण, नीती घाटी, बद्रीनाथ, जोशीमठ, श्रीनगर और टिहरी आदि की मिट्टी का प्रयोग मे लाते है।

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ना केवल देश के बल्कि उन्होंने दुबई, थाईलैंड, सिंगापुर और मलयेशिया जैसे कुछ विदेशी देशों का दौरा किया और इन देशों से मिट्टी लेकर आए। कैमिस्ट्री के इस शिक्षक की मिट्टी का उपयोग करके चित्रों को बनाने की कला यूं तो देखने में सरल लगती है लेकिन इसके लिए परफेक्शन की जरुरत होती है। दरअसल इस पेंटिंग को बनाने के लिए मिट्टी को पानी के साथ मिलाकर कैनवास पर तीन से चार कोट लगया जाता है जब तक कि वह सही रंग नहीं देता। पेड़ो से निकलने वाले रस को भी मिट्टी और पानी के साथ मिलाया जाता है। यह मिट्टी के प्रति उनका प्यार ही था कि उन्होंने खुद को “माटी” का उपनाम दिया और उन्हें यह पसंद है कि लोग उन्हें ”माटी” नाम से पुकारे।

टीम न्यूज़पोस्ट से हुई जय कृष्ण पैन्यूली की बातचीत में उन्होंने बताया कि, ”वह साल 2009 से पेटिंग कर रहे हैं।हमेशा से कला में रुचि रखते थे लेकिन जीवन की भागदौड़ और संसाधनों की कमी से उन्हें अपने जूनुन को पाने में थोड़ वक्त लग गया। साल 2009 से पेटिंग शुरु करने के बाद वह अब पेंटिंग को हर रोज लगभग दो घंटे का समय देते हैं। पैन्यूली ने बताया कि वह पेटिंग को बनाने के लिए मिट्टी के साथ-साथ पत्तों का रस,राख,कोयला,गौमूत्र और गोबर का इस्तेमाल करते हैं।इनकी पेटिंग की सबसे खास बात है इसमें इस्तेमाल होने वाला सब कुछ प्राकृतिक है और जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता उससे इनकी पेटिंग तैयार होती है। जय कृष्ण ने बताया कि ”शुरुआत में वह पोर्ट्रेट बनाते थे लेकिन अब उनका ज्यादा फोकस पर्यावरण और पहाड़ी क्षेत्र की जीवन शैली को बनाने में रहता है। पैन्यूली कहते हैं कि यू तो चित्रकारी बहुत ही महंगा काम है लेकिन जब आप मिट्टी से चित्रकारी करते हैं तो यह उतनी महंगी नहीं रह जाती।”

पैन्यूली ने बताया कि ”देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनियों के आयोजन और उपस्थित होने के बाद,अब वह गाय-गोबर और गाय-मूत्र के साथ पेंट कर रहे हैं। कलाकार ने कहा, “मैंने सफलतापूर्वक मटर के छिलकों के साथ प्रयोग किया है और अब मैं गाय के गोबर से बनाई गई पेंटिंग पर काम कर रहा हूं।”

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खर्गेड में सरकारी इंटर कॉलेज में एक शिक्षक की तरह रहने वाले पैन्यूली, र्कीतिनगर क्षेत्र में रहते है और अपना पूरा जीवन पहाड़ को समर्पित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “इन पहाड़ियों ने मुझे पहचान और प्रसिद्धि दी है, मैं कभी भी मैदानी इलाकों में नहीं जाना चाहता और जब तक मैं जीवित हूं तब तक छात्रों को अपनी यह कला पढ़ाना जारी रखूंगा।” उन्होंने कहा कि ”अपने छात्रों को इस कला को पढ़ाने के लिए वह हर रोज थोड़ा समय निकालते हैं।”

पैन्यूली से पूछने पर कि वह अपनी बनाई हुई पेंटिंग का क्या करते हैं इसपर उन्होंने कहा कि ”कुछ पेटिंग तो वह प्रदर्शनी के लिए संभाल देते हैं जबकि कुछ वह अपने छात्रों को उपहार के रुप में दे देते हैं।” 

23 गांवों के लोगों को सड़क का इंतजार

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विकासनगर। कालसी व चकराता ब्लाक के 23 गांव आज भी सड़क का इंतजार कर रहे हैं। इन गांवों के लोग आज भी अपने घर तक का सफर पंगडंडियों के सहारे तय कर रहे हैं। यहां रहने वाली 11 हज़ार से अधिक की आबादी रोज़ाना पीठ पर समान ढो कर घरों को पहुँचा रहे हैं।

विकास का रास्ता सड़क से होकर गुजरता है, लेकिन चकराता व कालसी ब्लाक के इन 23 गांवों के लिए सड़क आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी सपना है। इन गांवों में रहने वाले लोगों को कृषी उपज से लेकर मरीज़ों को पीठ व खच्चर पर ढोना पड़ रहा है। ग्रामीण सरदार सिंह सिताराम परम सिह नारायण सिंह भारु सिह बारू दत्त का कहना है कि वह राज्य गठन के पूर्व व राज्य गठन के बाद से तारली बोहा धीरोग दिलऊ ढकियारना धोदउ बनसार झूटाया सेरी जगथान बुरायला गडेथा बसाया गांगरो कीटाड कुस्यो कचटा खाती बिनोऊ अस्टा लटऊ चामड़ी आदि गांवों के ग्रामीण सरकारों से सड़क बनाने की गुहार लगा लगा थक चुके है स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को कई किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी पड़ रही है। वह विधायक से लेकर मुख्यमंत्री की चौखट तक गुहार लगा चुके है लेकिन कोई सुध लेने को तैयार नही है। इस मामले में उपजिलाधिकारी चकराता बृजेश तिवारी का कहना है कि सड़क निर्माण शासन स्तर का मामला है।

हाईकोर्ट ने केदारनाथ में फिर से शवों की तलाश के दिए निर्देश

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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को साल 2013 में केदारनाथ आपदा में लापता लोगों की फिर से तलाश करने को कहा है। अदालत ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  (एसएसपी) स्तर के पांच अफसरों की टीम गठित की जाएगी। इसके अलावा छह महीने में चार धाम मार्गों के लिए मास्टर प्लान के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्र में यात्रियों की संख्या नियंत्रित करने के भी निर्देश दिए हैं।

दिल्ली के रहने वाले आचार्य अजय गौतम ने इस मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ आपदा में 3500 लोगों को लापता बताया गया है, जबकि सरकार केवल 450 शव ही खोज सकी है। 19 नवंबर 2016 को याचिका पर सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार को लावारिस शवों के  दाह संस्कार कराने के निर्देश दिए थे। इस बारे में राज्य सरकार ने न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत कर स्पष्ट किया कि आपदा में करीब चार हजार लापता हुए थे और अब तक 678 शवों का दाह संस्कार किया जा चुका है।

बुधवार को मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने निर्देश दिए कि पांच अफसरों की टीम एक बार फिर केदार घाटी का निरीक्षण करे और मिलने वाले शवों का डीएनए सुरक्षित रख रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करे। अदालत ने आदेश दिए कि देवप्रयाग, सोनप्रयाग, ऋषिकेश, बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग और गोपेश्वर में अतिक्रमण को चिह्नित कर छ: माह मास्टर प्लान बनाया जाए।

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार से अदालत के महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों पर निर्धारित समयावधि में क्रियान्वयन करेगी। मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने बताया कि हाई कोर्ट ने चारधाम समेत अन्य स्थानों के पर्यावरण व अन्य बिन्दुओं को लेकर अहम दिशा-निर्देश दिए हैं। सरकार की ओर से अधिकांश पर कार्रवाई की जा चुकी है।

अदालत के दिशा-निर्देश

  • छह माह में जीआइएस सर्वे पर आधारित मास्टर प्लान बनाएं, सरकार की तीन साल में बनाने की दलील खारिज
  • तीन माह में चारधाम क्षेत्र में एडवांस चेतावनी सिस्टम, डॉप्लर रडार, ओटोमेटेड वेदर सिस्टम बनाएं
  • सभी स्थानों पर बायोमेट्रिक/फोटोमेट्रिक मशीन लगाई जाए
  • देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, सोनप्रयाग व बदरीनाथ क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट-2000 लागू किया जाए
  • चारधाम समेत हेमकुंड साहिब में हर दस किमी में आसरा निर्माण किया जाए
  • चारधाम व हेमकुंड साहिब में हर दस किमी दायरे में इमरजेंसी स्टोर बनाया जाए, जिसमें कम्बल, चादर, राशन, गैस, दूध भरपूर मात्रा में हो। सरकार की ओर से बताया गया कि केएमवीएन व जीएमवीएन को सौंपा है जिम्मा।
  • सभी निकायों में सॉलिड वेस्ट रुल्स बनाएं, सरकार ने कहा सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी। कोर्ट ने मुख्य नदी व सहायक नदियों के एक किमी दायरे में कूड़ा डंप करने पर पाबंदी लगाई

केन्द्रीय मंत्री के बयान पर भड़का संत समाज

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(हरिद्वार)। भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए केन्द्रीय मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह के बयान की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि मंत्री ने मूर्खतापूर्ण बयान दिया है। उन्हें सनातन परम्पराओं का ज्ञान नहीं है।
गंगा में अस्थि प्रवाह आदि अनादिकाल से होती चली आ रही है। ऐेसे में उनके द्वारा अस्थि प्रवाह नहीं किया जाने जैसा बयान खेदजनक है। कहा कि गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा को प्रदूषण मुक्ति की योजनायें केन्द्र सरकार द्वारा धरातल पर नहीं की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि संत समाज उनके द्वारा दिये गये बयान से काफी आहत है।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह की शिकायत राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से की जायेगी। ऐसे मंत्रियों को पदों पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। गंगा से लाखों करोड़ों लोगों की भावनायें जुड़ी हुई है। उनका बयान तर्कसंगत नहीं है। लाखों लोगों के रोजगार उनके बयान से प्रभावित होगें। गंगा हमारी धार्मिक आस्था की पहचान है।
पूर्व चैयरमेन सतपाल ब्रह्मचारी ने मंत्री के कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि अंधविश्वास जैसे बयान देकर लाखों हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। अस्थि प्रवाह से गंगा का जल निर्मल स्वच्छ होता है। केन्द्र सरकार को प्लास्टिक की सामग्री पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिये लेकिन केन्द्रीय मंत्री धार्मिक भावनाओं को अपने बयानों से आहत कर रहे हैं जो कि किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। विवेकहीन बयान से लाखों करोड़ो हिन्दुओ की आस्था पर कुठाराघात किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भूसमाधि के लिए 50 एकड़ भूमि संत समाज को आबंटित करना चाहिये। जिससे भू समाधि का प्रबन्ध हो सके। राज्य की सरकार लगातार गंगा को लेकर तर्क संगत कार्य नहीं कर रही हैं ऐसे मंत्री पद के अयोग्य हैं। संत समाज उन पर खुलकर विरोध करेगा। भारत साधु समाज एवं संत समाज एक साथ इस बयान की खुलकर निन्दा करता है। प्रेस वार्ता में महंत देवानंद सरस्वती, महंत रविन्द्र पुरी, महंत अर्जुनपुरी महाराज, स्वामी हरिचेतनानंद महाराज, महंत कृष्णा गिरि, स्वामी कामेश्वर पुरी, आदि उपस्थित रहे। 

वन विभाग की नींद तोड़ने के लिए बजाया डमरू

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(देहरादून) प्रदेश महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा के नेतृत्व में आज जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक को रोक लगाने के लिए डमरू बजाकर डमरू आंदोलन की शुरूआत की गई। इस दौरान प्रमुख वन संरक्षक को एक ज्ञापन सौंपा गया।
बुधवार को प्रमुख वन संरक्षक कार्यालय राजपुर रोड़ में सुरक्षा के लिए अधिकारियों की नींद तोड़ने के लिए डमरु आन्दोलन के साथ-साथ डमरु बजाकर पुष्पगुच्छ के साथ एक ज्ञापन प्रमुख वन संरक्षक को सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया गया कि 13 सितम्बर माह में भी जगंली जानवरों से फसल व जनहानि रोकने के लिए एक ज्ञापन दिया गया था। परन्तु अधिकारियों की लापरवाही के कारण जगली जानवरों से जनता व फसल की रक्षा के लिए अभी तक भी कुछ नही किया गया है। इसलिए आज हमें डमरु बजाकर उन्हें नींद से जगाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा किं देहरादून जनपद सहित पूरे राज्य में विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों व शहर में बाघ, हाथीयों, बन्दरों आदि से राज्यभर में ग्रामीण व देहरादून नगरवासी अत्यधिक पीड़ित है। अभी तक कई लोगों को बाघ अपना निवाला बना चुका है नकरौंदा, कैन्ट, सहस्त्रधारा, केसरवाला, बालावाला, डोईवाला, नथुआवाला, गुलरघाटी ग्राम सहित आसपास की ग्राम सभाओं में जगंली हाथी, बाघ, बन्दर, सुअर से फसल व जान-माल की हानि को निरंतर भारी हानि हो रही है वहीं बन्दरों के निरंतर आक्रमण से नगरवासी भी लगातार पीड़ित हो रहे है।
उन्होंने कहा कि हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने बन्दर व सुअर बाड़े बनाने के लिए योजनाये बनाई थी व इसके लिए बजट भी स्वीकृत किया गया था। परन्तु वन विभाग की लापरवाही के कारण उपरोक्त योजना क्रियांवित नही हो पाई है। वहीं बन्दरों व सुअर के आतंक से जनता त्राही-त्राही कर रही है और बन्दरों के हिसंक आक्रमण भी लगातार बढ़े है। इसी प्रकार से हाथीयों को आबादी की ओर आने से रोकने के लिए भी योजनाये बनाई गई थी जिस पर विभाग के उदासीन रवईये के कारण कुछ नही हो पाया है। उनके हिसंक हमले लगातार फसलों व लोगो के लिए प्राण घातक होते जा रहे है। वन कर्मचारियों के पास ट्रेन्कुलाईजर गन व रस्सी व जाल भी उपलब्ध नही है बताया जाता है कि कैम्पा में व अन्य मदों में इसके लिए धनराशि की व्यवस्था हो रखी है परन्तु विभाग इस ओर आख मूद कर बैठा है। बाघ, सुअर, हाथी व बन्दरों के हमले लगातार नागरिकों पर बढ़ रहे है व हाथीयों के तांड़व से नकरौंदा, मियांवाला, बालावाला सहित कई ग्रमीण क्षेत्रों में जनता का जीना र्दुलभ हो गया है। उन्होने यह भी कहा कि कैम्पा सहित विभिन्न मदों में इन कार्या के लिए धनराशि सुरक्षित पड़ी हुई है। उन्होने जनपद के हर ड़ीएफओ क्षेत्र में अतिरिक्त ट्रेनकुलाईजर गन की व्यवस्था की मांग भी की है तथा कैम्पा में उपलब्ध धन का उचित उपयोग किया जाना चाहिए। फसलों व जान-माल की हानि के लिए वन विभाग मुआवजा राशि देने में भी कोताही कर रहा है।
इस अवसर पर सरदार हरजीत सिंह मिन्टू, कुलदीप प्रसाद डोबरियाल, सुशील विरमानी, पंकज नेगी, राधिका शर्मा, रेखा ड़िंगरा, मीना बिष्ट, आशिया खान, हिमांशु लोधी, भारत कौरी, रुबी चौधरी, कोकिल, लविश ड़ोरा, हाफिज अकरम कुरेशी, सरदार गगन सिंह, रेहाना प्रवीन, पिंकी, ललिता, साईरा, सरला आदि मौजूद रहे। 

समय की बचत के साथ जवाबदेही निर्धारित करेगी आॅनलाइन व्यवस्था: सीएम

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(देहरादून) प्रदेश में अब ड्राइविंग लाइसेंस, ईचालान और रजिस्ट्रेशन आदि कामों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। अब एक क्लिक पर यह सभी सुविधाएं जनता के पास उपलब्ध होंगी। परिवहन विभाग में तमाम कार्यों के लिए आॅनलाइन व्यवस्था कर दी गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में विभाग में आॅनलाईन ई-चालान योजना, स्मार्टकार्ड आधारित ड्राईविंग लाईसेंस एवं पंजियन पुस्तिका का शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि परिवहन विभाग में आॅनलाईन ई-चालान व स्मार्ट कार्ड आधारित डीएल व आरसी प्रक्रिया के शुभारम्भ से विभाग को हाईटैक करने की दिशा में आगे बढ़ाया गया है। इसका उद्देश्य विभाग में पारदर्शिता लाने तथा विभाग का राजस्व बढ़ाने का है। उन्होंने प्रवर्तन कार्य व राजस्व वृद्धि के लिए 10 बोलेरो क्रय करने की भी मंजूरी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम देवभूमि के निवासी हैं। इसलिए ईमानदारी से बेहतर कार्य करने की हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने निगमों से राजस्व बढोत्तरी तथा अपने संसाधनों को बढ़ाने की दिशा में कारगर कदम उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि जब निगम रहेगा तभी कर्मचारी भी रहेंगे। यही स्थिति उद्यमों की भी है। उद्योग रहेंगे तभी कर्मचारी भी रहेगा। परिवहन निगम अपने राजस्व लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो इसके लिए प्रयास होने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवहन विभाग जहां एक ओर राजस्व अर्जन करने वाला विभाग है, वहीं इसके जरिए सड़क पर मोटरयान कानूनों के प्रवर्तन एवं नियमन का कार्य भी किया जाता है। अभी तक यह कार्य मैनुअल आधार पर किया जा रहा था, आज से प्रदेश के सभी प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा कम्प्यूटर आधारित नई ई-चालान व्यवस्था प्रारम्भ की जा रही है। इस व्यवस्था से जहां प्रवर्तन के कार्य में पारदर्शिता आएगी वहीं वाहन चालक और स्वामी को प्रशमन शुल्क आदि की सही जानकारी तत्काल प्राप्त हो जाएगी।
विभागीय अधिकारियोें की होगी जवाबदेही
सीएम ने कहा कि इस व्यवस्था में प्रवर्तन अधिकारियों को बहुत सी सूचनाएं फीड नहीं करनी पड़ेगी, जिससे उनके समय में बचत होगी साथ ही उनकी जवाबदेही भी निर्धारित होगी। इसके साथ ही बार-बार अपराध करने वाले वाहन चालक की पहचान भी आसानी से की जा सकेगी। इसके साथ ही क्यूआर कोड आधारित स्मार्ट कार्ड डीएल एवं आरसी जारी करने की नई व्यवस्था प्रारम्भ की गई है। पहले वाहनों की आरसी एवं डीएल कागज पर जारी किया जाता था, जिसे स्मार्ट बनाया गया है और लोगों को गुणवत्तायुक्त ऐसे प्रपत्र उपलब्ध कराए जाने से इसका रख-रखाव आसान होगा। स्मार्टकार्ड में क्यूआर कोड की व्यवस्था रखने से उसके सही होने की पहचान आसानी से की जा सकती है। इस वर्ष भी विभाग को 10 वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि प्रवर्तन कार्य में बढ़ोत्तरी करते हुए राजस्व वृद्धि की जा सके। कहा कि विभाग द्वारा अभी तक लगभग रूपये 470 करोड़ राजस्व अर्जित किया गया है, उम्मीद है कि आने वाले तीन माहों में इस राजस्व में और बढ़ोत्तरी करते हुए परिवहन विभाग के अधिकारी राज्य के आर्थिक विकास में सहायक होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य की खुशहाली तभी है जब वहां के नागरिक सुरक्षित रहें। ई-चालान व्यवस्था लागू करने के साथ ही मोटरयान कानूनों का उल्लंघन करने वाले चालकों के विरुद्ध कठोरता से कार्यवाही अमल में लाएंगे और एक स्वस्थ एवं सुरक्षित राज्य की स्थापना में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। उन्होंने परिवहन विभाग से जनता को पारदर्शी, त्वरित एवं त्रुटिरहित सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन की अपेक्षा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्मार्ट कार्ड आधारित ड्राईविंग लाईसेन्स व पंजीयन पुस्तिका भी वितरित की।
आॅनलाइन व्यवस्था से आएगी पारदर्शिता
परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि आधुनिक संचार प्रणाली के उपयोग से परिवहन विभाग के कार्याें में पारदर्शिता व दक्षता आएगी। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा रुपये 660 करोड़ राजस्व के विपरीत नवम्बर तक 470 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया है। उन्होंने सभी अधिकारियों से आपसी सहयोग व समन्वय से कार्य कर लक्ष्यों की प्राप्ति पर ध्यान देने की अपेक्षा की।
सारथी नेशनल पोर्टल से है इंटिग्रेटिड
योजना की जानकारी देते हुए सचिव परिवहन डी सैन्थिल पांडियन ने बताया कि ई-चालान एक वैब/एन्ड्राॅयड आधारित मोबाईल एप साॅफ्टवेयर है, जिसके माध्यम से परिवहन विभाग और पुलिस विभाग द्वारा वाहनों का चालान सिंगल डाटा बेस के आधार पर किया जा सकता है। यह एप वाहन और सारथी के नेशनल पोर्टल से इन्टीग्रेटेड है। इसमें वाहन या चालक लाईसेंस का नम्बर फीड करने पर अन्य सूचनाएं ही प्राप्त हो जाएगी। प्रवर्तक अधिकारियेां को सभी सूचनाएं मैन्युअल आधार पर फीड करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे समय की बचत होगी। साॅफ्टवेयर को जीपीएस लोकेशन से भी इन्टीग्रट किया गया है, जिसके माध्यम से चालान के वास्तविक स्थान, समय, तिथि आदि की सूचना ही प्रदर्शित होगी, जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इस प्रकार चालानिंग अधिकारी के कार्य का पर्यवेक्षण में भी पारदर्शिता आएगी। उन्होंने बताया कि साॅफ्टवेयर में वाहन के फोटो लिए जाने की व्यवस्था भी की गई है, जिससे वाहन के सही पंजीयन नम्बर पर ही चालान हो सकेगा और मैन्युअल सिस्टम में इस सम्बन्ध में उत्पन्न विवाद समाप्त होगा।
अपराध पर भी लगेगी लगाम
साॅफ्टवेयर आॅफलाईन व आॅनलाईन दोनों मोड में कार्य करेगा। आॅनलाईन मोड में कार्य करने पर वाहन साॅफ्टवेयर में रियल टाईम डाटा अपलोड रहेगा, जबकि आॅफलाईन मोड में कार्य करने पर जैसे ही मोबाईल या टैबलेट को कनैक्टिविटी उपलब्ध होगी तत्काल केन्द्रीय डाटा बसे पर सूचना अपलोड हो जाएगी। चूंकि साॅफ्टवेयर में सम्बन्धित वाहन के समस्त चालानों का डाटाबेस उपलब्ध होगा। इससे बार-बार अपराध करने के आदि वाहन स्वामी या चालक की पहचान आसानी से हो सकेगी। चालान की सूचना एसएमएस के माध्यम से वाहन स्वामी को प्राप्त हो सकेगी, जिसके कारण वाहन चालक किसी चालन की जानकारी छिपा नहीं सकेगा। चालान के साथ ही सम्बन्धित वाहन स्वामी को देय प्रशमन शुल्क की भी सही-सही जानकारी प्राप्त हो जायेगी, जिससे चालन निस्तारण के कार्य में पारदर्शिता आयेगी। समस्त सूचनाएं डाटाबेस में उपलब्ध होने के फलस्वरूप उनके संकलन, प्रषण एवं अनुश्रवण में सुविधा होगी।
प्लास्टिक कार्ड वाला होगा लाइसेंस
बताया कि पीवीसी कार्ड आधारित पंजीयन व चालक लाईसेन्स वर्तमान में परिवहन कार्यालयों द्वारा ए-4 कागज पर रहें हैं, जिन्हें वाहन स्वामियों द्वारा वाहन चलाते समय वाहन में रखना अनिवार्य होता है। वाहन स्वामियों व लाईसेंस धारकों को उच्च गुणवत्ता के अभिलेख निर्गत कराने की दृष्टि से पीवीसी कार्ड यानि प्लास्टिक बेस पंजीयन पुस्तिका व चालक लाईसेन्स निर्गत करने की व्यवस्था की गई है। कार्ड डेबिट/पेन कार्ड के आकार के होने के कारण इनको कैरी करने में आसानी होगी। इससे अभिलेखों के फटने और खराब होने का भय भी नही रहेगा। आॅनलाइन प्रणाली के शुभारंभ के अवसर पर विधायक सहदेव पुंडीर, अपर सचिव एचसी सेमवाल, अपर आयुक्त परिवहन सुनीता सिंह सहित सभी जनपदों के आरटीओ और एआरटीओ आदि मौजूद रहे। 

डॉ. आरके गुप्ता को जबरन कोतवाली से ले जाने के मामले में 15 दोषियों को एक-एक साल की सजा

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ऋषिकेश में 13 वर्ष पूर्व मिर्गी के तथाकथित डॉक्टर आर के गुप्ता को कोतवाली से जबरन छुड़वा लिए जाने के मामले पर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए डॉक्टर को आरके गुप्ता को पांच साल की सजा सुनाई है। वहीं उनको भगाने वाले 14 आरोपियों को एक-एक वर्ष की सजा सुनाई गई। उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश में 3 अगस्त 2014 को तथाकथित मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर के गुप्ता के देहरादून मार्ग पर स्थित क्लीनिक पर 10 कंट्रोलर व पुलिस ने एक विदेशी महिला की शिकायत पर मारे गए छापे के बाद काफी मात्रा में नशीली दवाइयां बरामद हुई थी।
जिसके बाद डॉक्टर गुप्ता को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया था। जिसे छुड़ाने के लिए 14 लोगों ने पुलिस की हिरासत से डॉक्टर गुप्ता को पार कर दिया था इस मामले में पुलिस ने डॉक्टर गुप्ता सहित 15 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। जिसकी सुनवाई न्यायालय में चल रही थी जिस पर आज फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने चर्चित डॉ आर के गुप्ता को भगाने का वाले 14 आरोपियों जिनमें पालिका के पूर्व अध्यक्ष दीप शर्मा ,पूर्व पालिकाध्यक्ष स्नेह लता शर्मा ,राजकुमार अग्रवाल, अशोक अश्क पत्रकार, जय दत्त शर्मा सहित 14 आरोपीयो को 1-1 साल की तथा आरके गुप्ता को पांच साल की सजा सुनाई गयी।

ट्रक की चपेट में आकर फैक्ट्रीकर्मी की मौत

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(हरिद्वार) रानीपुर कोतवाली थाना क्षेत्र में फैक्ट्री से घर लौट रहे एक फैक्ट्रीकर्मी की ट्रक से कुचलकर मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया। ट्रक को कब्जे में ले लिया गया है।

पुलिस के मुताबिक, मृतक की पहचान अंगद कुमार मिश्रा (24) निवासी मूलत: गोंडा उत्तर प्रदेश हाल निवास रावली महदूद हरिद्वार के रूप में हुई है। वह सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करता था। मंगलवार की रात्रि अंगद ड्यूटी खत्म कर घर लौट रहा था। राजा बिस्कुट फैक्ट्री चौक के पास पीछे से आ रहे एक ट्रक ने टक्कर मार दी। उसके बाद ट्रक का पिछला पहिया अंगद के सिर से गुजर गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी ड्राइवर को पकड़ लिया है।