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उत्तराखंड को मिली तीन म्यूजियम और एक साइंस सिटी की सौगात

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राज्य के टिहरी, अल्मोडा और पौड़ी तीन संग्रहालय स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही साइंस सिटी भी स्थापित की जाएगी। केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा के साथ रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास पर केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा के साथ वन, पर्यावरण एवं संस्कृति विभागों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में पौड़ी जनपद में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के जीवन पर 11 करोड़ की लागत से एक संग्रहालय, टिहरी में भागीरथी नदी के निकट 20 करोड़ की लागत से एक गंगा संग्रहालय और अल्मोड़ा में उदय शंकर अकादमी में एक संग्रहालय निर्माण पर केन्द्रीय राज्य मंत्री द्वारा सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गई। इसके साथ ही देहरादून में केन्द्र सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्तपोषित एक विशाल साइंस सिटी की सहमति भी प्रदान की गई है। राज्य सरकार द्वारा साइंस सिटी के लिए भूमि चयनित कर ली गई है। केन्द्र सरकार द्वारा देहरादून में साइंस सिटी के लिए 190 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही अन्य शहरों में जनसंख्या के अनुसार दस से तीस करोड़ रुपये की लागत से साइंस सिटी की स्थापना के लिए भी केन्द्रीय राज्य मंत्री द्वारा सकारात्मक रुख दर्शाया गया।

वन विभाग के विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा केन्द्रीय राज्य मंत्री के समक्ष कोटद्वार-रामनगर कंडी मार्ग का विषय उठाया गया जिस पर उन्होने सकारात्मक रूख दिखाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कंडी मार्ग के लिए ग्रीन रोड सहित सभी पर्यावरण अनुकूल विकल्पों पर काम कर रही है। वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट समेत अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं की सलाह भी ली जा रही है।केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर लाईन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के 100 किमी के भीतर वन क्षेत्र से सम्बंधित विषय पर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को अधिकार प्रदान किए जाने पर विचार किया जा रहा है।

भारत के खेतों में होगा जापानी धान

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नई दिल्ली, अब भारतीय खेतों में जापानी धान उगाया जा सकेगा। इस जापानी धान को भारत में ही प्रोसेस कर जापानी चावल बनाया जाएगा। जापानी कारोबारियों, कृषि विशेषज्ञों की उपस्थिति में जापानी धान भारतीय खेतों में रोपा गया और जापानी राइस मिल का उद्घाटन किया गया।

जापानी कंपनी ऑस्क निप्पन की हरियाणा के कैथल में शुरू हुई जापानी राइस मिल की क्षमता एक घंटे में 300 किलो जापानी धान को प्रोसेस करने की होगी। शुरूआत में 300 हेक्टेयर रकबे पर जापानी धान रोपा जाएगा। बाद में जापानी धान के रकबे को डेढ़ हजार हेक्टेयर तक बढ़ाया जाएगा। जिसमें जापान से लाया गया धान बोया जाएगा। इस पूरी परियोजना को 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा, तब तक भारत के अलग-अलग इलाकों में 13500 हेक्टेयर रकबे पर जापानी धान बोने का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा। हरियाणा के कैथल के अलावा देहरादून और सुंदरनगर इलाकों में भी जापानी धान से जापानी चावल प्रोसेस करने की मिल लगाई जाएगी। इन इलाकों में सफलता के बाद भारत के अन्य राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश सहित कई राज्यों में भी जापानी धान की खेती की जाएगी। इन राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम चल रहा है।

जापानी कंपनी ऑस्क निप्पन के कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि भारतीय खेतों में जापानी धान की खेती के लिए मिट्टी और पानी की जांच की गई थी, जिसमें दोनों को जापानी धान के लिए उपयुक्त पाया गया। साथ ही जापानी धान के लिए उपयुक्त मौसम को देखकर फैसला लिया गया। जापानी धान के कारोबारियों को उम्मीद है कि वे भारतीय खेतों में 6 टन जापानी धान प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदा कर सकेंगे। परियोजना के पूरा होने के बाद जापानी धान से निकले चावल की लागत 100 रूपये से 150 रुपये प्रति किलो पड़ेगी। प्रति हेक्टेयर उच्च पैदावार के चलते भारतीय किसानों को खासा मुनाफा होगा। इस पूरी जापानी धान परियोजना से करीब 35 हजार भारतीय किसान लाभान्वित होंगे।

एक बार जापानी धान परियोजना पूरी हो जाने के बाद जापानी कृषि विशेषज्ञ भारतीय बासमती चावल को लेकर प्रयास शुरू करेंगे। जिसके अंतर्गत जापानी कृषि तकनीक के उपयोग से बासमती चावल की प्रति हेक्टेयर पैदावार को बढ़ाया जाएगा। जापानी धान के अलावा जापानी कंपनी ऑस्क निप्पन सोयाबीन, पशुपालन, सब्जी उत्पादन सहित कृषि से जुड़े अन्य क्षेत्रों में भी प्रवेश करेगी। 

उत्तराखंड की सीमा से सटे अस्पताल अब होंगे निगरानी में

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(देहरादून) प्रदेश से सटे हरियाणा, यूपी और हिमाचल प्रदेश की सीमाओं पर बने डायग्नोस्टिक सेंटरों व अन्य चिकित्सालयों पर अब पीसीपीएनडीटी समिति की विशेष नजर होगी। बीते दिनों लिंग परीक्षण के मामले को गंभीरता से लेते हुए समिति सीमा से सटे सेंटरों पर निकरानी का कार्य करेगी। जिलाधिकारी ने इसे लेकर पीसीपीएनडीटी समिति को दिशा निर्देश जारी किए।
प्रदेश में चिकित्सा के नाम पर हो रहे गौरख धंधे पर लगाम लगाने के लिए अब जिला प्रशासन गंभीर नजर आ रहा है। पिछले दिनों किडनी कांड और कुछ रोज पहले भ्रूण लिंग परीक्षण का मामला सामने के बाद प्रशासन के ढुलमुल रवैये और कार्यशैली की भी पोल खोल गए। ऐसे मामले दोहराए न जाएंगे इसे देखते हुए अब जिलाधिकारी ने नए सिरे से सभी संस्थानों के निरीक्षण आदि को लेकर पीसीपीएनडीटी समिति को दिशा निर्देश जारी किए। शुक्रवार को जिला समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी व जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन की अध्यक्षता में जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय में पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में कमेटी द्वारा 11 जनवरी 2018 को हरयाणा अम्बाला की टीम और जनपद की टीम द्वारा हरिद्वार रोड स्थित डॉ. प्रमोद कुमार त्यागी डायगोनास्टिक सेन्टर पर लिंग की जांच करते हुए अनाधिकृत तरीके से पकड़ा गया था, कमेटी द्वारा उपरोक्त केन्द्र व प्रिमाइसेज को सीज करने व पंजीकरण को निरस्त करने का निर्णय किया गया। कमेटी द्वारा डाॅ. शिप्रा व डाॅ. सुखविन्दर को हीलिंग टच अस्पताल में अपने ही विशेषज्ञता में कार्य करने की अनुमति, डाॅ. अभिनेश कुमार को चन्दन डायग्नोस्टिक सैन्टर में कार्य करने की अनुमति, डाॅ. अंकित पराशर को कम्बांइड मेडिकल इन्स्टीट्यूट में कार्य करने की सहमति का अनुमोदन करने, डाॅ. तुषार शर्मा को एक जगह मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में उनके आवेदन पर कार्य करने की अनुमति, चिकित्सा अधीक्षक हिमालय हाॅस्पिटल की शाखा चन्द्रेश्वर नगर को जनहित की दृष्टि से बरकरार रखने पर सहमति व अनुमोदन किया गया।
बैठक में समिति के सदस्यों ने आधार कार्ड आफिस माजरा के पास सुविधा एक्स-रे केन्द्र के निरीक्षण के पश्चात पाया कि महिला यूनिट से शौचालय जाने में मध्य में अल्ट्रासाउंड केन्द्र से निकलना पड़ता है, जिस पर कमेटी द्वारा निर्णय लिया गया कि केन्द्र पर महिला शौचालय, महिला यूनिट में ही बनाए जिससे अल्ट्रासाउंड रूम से न गुजरना पड़े, उसके पश्चात ही नवीन पंजीकरण की अनुमति प्रदान की जाएगी।
कार्यशैली पर उठाए सवाल
जिलाधिकारी ने पीसीपीएनडीटी कमेटी से कहा कि डाॅ. प्रमोद त्यागी सेन्टर पकड़वाने में अम्बाला की टीम की मुख्य भूमिका रही जो स्थानीय पीसीपीएनडीटी कमेटी के सूचना तंत्र की चूक दर्शाती है। उन्होने समिति को आड़े हाथों लेते हुए निर्देश दिए कि जमीनी स्तर पर समिति अपनी कार्यशैली ठीक कार्य करें व अपना सूचना नेटवर्क मजबूत करें। जिलाधिकारी ने विकासनगर व चकराता के हरियाणा व हिमाचल बार्डर पर विशेष निगरानी रखने के भी निर्देश दिए।
बैठक में जिला नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. वाईएस थपलियाल, वरिष्ठ गायनीकोलोजिस्ट राजकीय दून मेडिकल चिकित्सालय डाॅ. दीप्ति सिंह, दून महिला चिकित्सालय रेडियोलाजिस्ट डाॅ. सुबोध नौटियाल, गांधी शताब्दी पैथोलाॅजिस्ट डाॅ. एनके मिश्रा, जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) बलवन्त राय अग्रवाल, जिला समन्वयक पीसीपीएनडीटी डाॅ. ममता बहुगुणा सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे। 

एनएसयूआई: प्रदेश अध्यक्ष पद कब्जाने के लिए जोड़तोड़ शुरू

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(देहरादून) भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन नई प्रदेश कार्यकारिणी का फैसला 24 जनवरी को हो जाएगा। प्रदेश कार्यकारिणी समेत विभिन्न जनपदों के अध्यक्ष के लिए अलग-अलग स्थानों पर 21 से 23 जनवरी तक वोटिंग होगी। एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए कुछ छह नेताआें के बीच मुकाबला होगा। वहीं देहरादून जिलाध्यक्ष पद के लिए चार छात्र नेता मैदान में हैं।

एनएसयूआई के सांगठनिक चुनाव प्रक्रिया की अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। नामांकन प्रक्रिया निपटने के बाद प्रत्याशियों की तस्वीर साफ हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दीपक वर्मा, मोहन भंडारी, नीमा कोठारी, सचिन जलाल, स्वाती नेगी व उमा शंकर के बीच मुकाबला होगा। वहीं, महासचिव के लिए आठ छात्र मैदान में हैं जिसमें दीपक तिवारी, डिम्पल शैली, गौरव शर्मा, गोपाल मोहन भट्ट, नवीन मिश्रा, नितिन चंदीला, सौरभ सिंह तडिय़ाल व सन्नी शामिल हैं, जबकि प्रदेश सचिव के लिए करीब 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रतिनिधि के लिए अब्दुल रहमान, गोविन्द सिंह दसौनी, कमला शर्मा, प्रदीप बिष्ट व रविकान्त मलिक के बीच मुकाबला होगा। चुनाव में प्रदेश के करीब 6500 प्रतिनिधि प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। मतदान के लिए प्रदेश में छह केन्द्र बनाये गये हैं। 21 जनवरी को श्रीनगर केन्द्र में पौड़ी, चमोली व रुद्रप्रयाग एवं पिथौरागढ़ केन्द्र में चम्पावत व पिथौरागढ़ के प्रतिनिधि मतदान करेंगे। 22 जनवरी को हरिद्वार व अल्मोड़ा में मतदान होगा। अल्मोड़ा में बागेश्वर व अल्मोड़ा के छात्रों के वोट पड़ेंगे। मतदान के अंतिम चरण में 23 जनवरी को देहरादून व हल्द्वानी में वोटिंग होगी। पीसीसी मुख्यालय में देहरादून, टिहरी व उत्तरकाशी एवं हल्द्वानी में नैनीताल व ऊधमसिंह नगर जनपद के प्रतिनिधि मतदान करेंगे। वोटों की गिनती का काम 24 जनवरी को होगा। कुलमिला कर जनवरी में एनएसयूआई के नई प्रदेश कार्यकारिणी अस्तित्व में आ जाएगी। फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों ने मतदाता प्रतिनिधियों को अपने पाले में लाने के लिए जोड़-तोड़ में जुटे हैं। चुनाव में देहरादून व हरिद्वार के वोट निर्णायक साबित होंगे। कारण सर्वाधिक प्रतिनिधि इन्हीं दोनों जनपदो के है।

देहरादून जिलाध्यक्ष के लिए चार प्रत्याशी मैदान में 

एनएसयूआई में प्रदेश कार्यकारिणी के साथ-साथ जिलाध्यक्षों का चुनाव में भी प्रत्यक्ष मतदान के जरिये होगा। देहरादून में जिलाध्यक्ष पद के लिए कुछ चार प्रत्याशी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं जिसमें अक्षित रावत, नित्यानंद कोठियाल, संदीप सिंह व सौरभ ममगाई हैं। महासचिव पद के लिए अभिषेक डोबरियाल, अमित कुमार, कंचन चंदीला, राहुल जग्गी, ऋषभ कुमार व रोहन कुमार मैदान में हैं, जबकि जिला सचिव के लिए अक्षय यादव, काजल नेगी, कलम सिंह, नरेन्द्र सिंह, राहुल सिंह व विजय सिंह के बीच मुकाबला होना है। इसके अलावा अल्मोड़ा जिलाध्यक्ष के लिए कृष्णा सिंह व पवन सिंह मेहरा, चमोली जिलाध्यक्ष के लिए संदीप नेगी व सूरज सिंह, नैनीताल जिलाध्यक्ष पद पर अजय शर्मा, अर्नव काम्बोज, कृतिका वशिष्ठ व विशाल सिंह के बीच मुकाबला है। टिहरी में हरिआेम भट्ट, संदीप कमार व विपिन सिंह रावत, पौड़ी में गौरव सागर व हिमांशु बहुखंडी, उत्तरकाशी में निकेन्द्र सिंह नेगी व शिवम कुडिय़ाल एवं ऊधम सिंह नगर में दीपक चांद व राहुल गंभीर के बीच जिलाध्यक्ष पद के लिए मुकाबला होगा। वहीं बागेश्वर में जिलाध्यक्ष पद के लिए गोकुल सिंह परमार, हरिद्वार जिलाध्यक्ष के लिए सचिन कुमार का नामांकन हुआ है। इसके चलते दोनों का निर्विरोध निर्वाचन होना तय है। जनपदों में जिलाध्यक्ष के साथ-साथ महासचिव व सचिव के लिए भी वोट डाला जाएगा।

उत्तराखंड फिल्म इंडस्ट्री को भोजपुरी सिनेमा करेगा सहयोग

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देहरादून, क्षेत्री फिल्मों को पहचान दिलाने का संकल्प उत्तराखंडी सिनेमा के अभिनेता और निर्देशक केपी ढ़ौडियाल ने उठाया है। उन्होंने भोजपुरी फिल्म अवार्ड के संस्थापक अध्यक्ष विनोद गुप्ता से उत्तराखंडी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग मांगा है। क्षेत्री फिल्मों को एक नई पहचान के लिए जल्द ही एक उत्तराखण्ड फिल्म अवार्ड समारोह का आयोजन किया जाएगा।

यह जानकारी ढौंडियाल प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दी। इस मौके पर फिल्म अभिनेता हेमंत पांडेय, भोजपुरी फिल्म अवार्ड के संस्थापक अध्यक्ष विनोद गुप्ता और बॉलीवुड एक्टर सुरेंद्र पाल उपस्थित रहे।

वार्ता को संबोधित करते हुए हेमत पांडेय ने कहा कि, “उत्तराखंड फिल्म इंडस्ट्री को उतना सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जितना मिलना चाहिए, हमेशा प्रयास रहा है कि क्षेत्रीय सिनेमा उत्तराखंड के सौंदर्य को ज्यादा से ज्यादा अपनी फिल्मों के माध्यम से दिखाएं।” ताकि उत्तराखंड विदेशों में भी अपनी पहचान बन सके, उत्तराखंड फिल्मों के अभिनेता निर्देशक केपी ढ़ौडियाल ने कहा कि, “विनोद गुप्ता के सहयोग से आयोजित अवार्ड समारोह क्षेत्रीय सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।”

भोजपुरी फिल्म अवार्ड के संस्थापक अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने कहा कि, “भोजपुरी सिनेमा के उत्थान के 93वें वर्ष के बाद सन 2005 में प्रथम भोजपुरी फिल्म अवार्ड की शुरुआत हुई, अब भोजपुरी फिल्म अवार्ड के 12 वर्ष पूरे हो चुके हैं,भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही है, उत्तराखंडी फिल्म इंडस्ट्री में भी काफी अच्छा काम हो रहा है। धीरे-धीरे यह तेजी से आगे बढ़ रही है। विगत चार वर्षों का दस उत्तराखंडी फिल्मों का निर्माण होना इसका एक जीता जागता उदाहरण है।”

इस अवसर पर बॉलीवुड अभिनेता सुरेंद्र पाल ने कहा कि उत्तराखंड के अलौकिक सौंदर्य को देखकर वह अभिभूत है। कहा कि वास्तव में देखा जाए तो उत्तराखंड स्विट्ज़रलैंड से कम नहीं है। बस इसका सही ढंग से प्रचार-प्रसार होना जरूरी है ताकि देश-विदेश के फिल्मकार यहां आकर फिल्मों का निर्माण करें। वास्तव में यह फिल्म अवार्ड इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

देहरादून: शराब की दुकानों के सामने तैनात होंगे सुरक्षा गार्ड

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(देहरादून) शहर के भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर संचालित हो रहे शराब की दुकानों के सामने यातायात व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किए जायेंगे। इसके लिए जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) निवेदिता कुकरेती ने जिला आबकारी अधिकारी को निर्देश दिये हैं। कहा कि भीड़ वाले स्थानों पर मदिरा की दुकानों पर ग्राहकों द्वारा अपने वाहन सड़क पर खड़ा करने के कारण यातायात बाधित हो जाता है जिससे अक्सर दुर्घटना की सम्भावना बनी रहती है। उन्होंने निर्देश दिए है कि ऐसे स्थानों को चिन्हित करते हुए इन क्षेत्रों में यातायात व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किये जायें।

जिलाधिकारी ने आबकारी अधिकारी से शहर के भीड़-भाड वाले स्थानों की जानकारी लिया और ऐसे स्थानों को चिन्हित करने को कहा। जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि जिले के घण्टाघर स्थित शराब की दुकान, न्यू एम्पायर सिनेमा के पास तथा आरटीओ आफिस के पास, आराघर चैक, बिन्दाल पुल, जीएमएस रोड, प्रेमनगर तथा डोईवाला को चिन्हित किया गया है। जिलाधिकारी ने चिन्हित किये गये स्थानों पर यातायात बाधित न हो इसके लिए सुरक्षा गार्ड लगाने के निर्देश दिये हैं। उन्होने कहा कि इन क्षेत्रों में दोपहर एक बजे ये रात्रि नौ बजे तक तथा अवकाश कि दिनों में प्रातः दस बजे से रात्रि दस बजे तक यातायात व्यवस्था के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात रहेंगे।
इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने जिला आबकारी अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि उनके द्वारा जो भी सुरक्षा गार्ड लगाया जायेगा उनकी सूची उन्हे उपलब्ध कराते हुए उन्हे यातायात के नियमों के बारें में प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि वह चिन्हित स्थानों पर यातायात व्यवस्थित करने में पुलिस की मदद कर सकें। बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरविन्द पाण्डेय, जिला आबकारी अधिकारी मनोज कुमार उपाध्याय, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी कलैक्टेªट महावीर चमोली सहित सम्बन्धित विदेशी शराब के दुकानदार मौजूद रहे

दून में पहली बार खुला मिल्क एटीएम, उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ

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दूहरादून,  राजधानी दून में पहली बार लगने वाले अत्याधुनिक ऑटोमैटिक मिल्क वैडिंग मशीन (मिल्क एटीएम) का दो स्थानों पर उद्घाटन किया गया। डेयरी विकास विभाग देहरादून के अन्तर्गत जिला नवाचार निधि योजना वर्ष 2016-17 में प्राप्त वित्तीय सहायता से कार्यदायी संस्था दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमटेड देहरादून (आंचल डेरी) द्वारा मशीनें स्थापित की गई हैं।

रायपुर ब्लॉक में रायपुर विधायक उमेश शर्मा ने आंचल मिल्क बूथ का उद्घाटन करते हुए कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जनपद में स्थापित की गई। ऐसी मशीनों के माध्यम से एक तो उपभोक्ताओं को जब चाहे और जितनी मात्रा में चाहे दूध, दही, मक्खन, पनीर इत्यादि एटीएम मिल्क मशीन से मिल सकेंगा। दूसरी ओर उचित गुणवत्ता का दुध व दूध उत्पाद मिलने से लोगों का स्वास्थ्य भी बना रहेगा।

वहीं, दूसरा मिल्क एटीएम खुड़बुड़ा मौहल्ला स्थित कालिका मंदिर के पास आंचल मिल्क बूथ में भी मिल्क एटीएम मशीन का उद्घाटन स्थानीय पार्षद सविता ओबराय द्वारा किया गया। उन्होंने डेयरी विकास विभाग और एटीएम मिल्क संचालनकर्ता स्वयं सहायता समूह के कार्मिकों को उचित पारदर्शिता से कार्य करते हुए दुग्ध और उससे निर्मित उत्पादों में आवश्यक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

सहायक निदेशक डेयरी विकास विभाग अनुराग मिश्रा ने अवगत कराया कि, “अभी तक जनपद में जो दुग्ध एटीएम मिल्क मशीनें थी वे गतिशील (मूवेबल) थी पहली बार जनपद में एक स्थिर जगह पर आज दो मिल्क मशीनें खुड़बुड़ा मौहल्ला स्थित कालिका मंदिर के पास और रायपुर ब्लॉक परिसर के पास स्थापित की गयी हैं।”

बारिश और बर्फबारी न होने से राज्य के किसान मायूस

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(देहरादून) सर्दी खत्म होनी की कगार पर है ऐसे में बारिश और बर्फबारी न होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सर्दियों में बर्फ और बारिश फसलों के लिए आवश्यक चिलिंग आवर्स की जरूरत पूरी करती है, लेकिन इस वर्ष दिसंबर और जनवरी के दो सप्ताह तक बारिश का नामोनिशान नहीं है।
बारिश और बर्फबारी न होने के कारण पर्यावरण के जानकारों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं। माना जा रहा है कि अगर मौसम का ऐसा ही रूखा बना रहा तो आने वाली गर्मियों में पानी के लिए हिमालयी इलाके और तलहटियां त्राहि माम कर बैठेंगी। मौसम का ये मिजाज आने वाले दिनों में पानी के संकट का संकेत भी दे रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो हिमालय क्षेत्र में पूरे जाड़े के सीजन में बर्फबारी नहीं होने से गर्मियों में पानी का गंभीर संकट पैदा हो सकता है। बारिश और बर्फबारी नहीं होने से जहां जल स्रोत रिचार्ज नहीं हो पाएंगे वहीं हिमालय में बर्फ कम रहने से नदियों में भी पानी कम हो जाएगा। हाल ये है कि आमतौर पर मई-जून में बर्फ पिघलने पर ओम पर्वत में दिखाई देने वाली ओम की आकृति अभी से उभरने लगी है।
जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान के निदेशक किरीट कुमार का कहना है कि दिसंबर मासांत से लेकर जनवरी तक बर्फबारी होने पर हिमालय में अच्छी बर्फ जमा हो जाती है लेकिन फरवरी और मार्च में बर्फबारी होने पर हिमालय में बर्फ ज्यादा नहीं टिकती है और तामपान बढ़ने से जल्द पिघलने लगती है। उन्होंने कहा कि बारिश-बर्फबारी नहीं होने से जहां फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है वहीं इससे फलों के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। सेब आदि कुछ फलों को ठंड की अधिक जरूरत होती है।
इस बार अब तक हिमालय क्षेत्र में नाममात्र की ही बर्फ गिरी है। बीते कुछ दिनों से धूप आने के बाद बर्फ पिघलने से हिमालय भी रूखा लगने लगा है। इस सीजन में फिलहाल फरवरी तक बारिश की संभावनाएं बनी रहती हैं। अगर फरवरी तक भी अच्छी बारिश हो जाए तो भी थोड़ा राहत मिल जाएगी। अन्यथा हालत काफी बिगड़ सकते हैं। हिमालय में बर्फ नहीं टिकने की स्थिति में ग्लेशियर ही पिघलने लगेंगे। यह स्थिति हिमालय की सेहत के लिए अच्छी नहीं मानी जा सकती।

कुहु गर्ग ने साल के पहले मुकाबले में किया बेहतरीन प्रदर्शन,स्वीडिश ओपन में जीता पदक

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अपने शानदार फॉर्म को बरकरार रखते हुए उत्तराखंड की टॉप शटलर कुहू गर्ग ने 18 से 21 जनवरी तक चल रहे स्वीडिश ओपन में मिश्रित युगल में अपने जोड़ीदार रोहन कपूर के साथ खेलते हुए कांस्य पदक प्राप्त किया। सेमी फाइनल में कुहू की जोड़ी को डेनमार्क के क्रिस्टोफ़र कुन्द्सें व इसाबेल्ला जो कि टूर्नामेंट के नंबर दो सीड थे से 11-21 व 19-21 से हार का सामना करना पड़ा।

इससे पहले क्वार्टर फाइनल मै कुहू की जोड़ी ने डेनमार्क क्र ही लस्से मक्हेद्दे व सारा की जोड़ी को 21-19 व 21-16 से हराया।कुहू का साल 2018 में यह पहला अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट और पहला अंतर्राष्ट्रीय पदक है।

अगर आपका गुस्सा आपके रिश्तो को नुकसान पहुंचा रहा है तो ये करें

उम्मीदें पूरी न होने के कारण हम अपने अंदर उदासीनता को घर करने देते हैं। और यही उदासीनता घीरे घीरे गुस्से का रूप ले कर औरों के प्रति उग्र व्यवहार, अपने अंदर गुस्से के घर करने के रूप में सामने आती है। ज्यादातर हमारे गुस्से का शिकार वो लोग हो जाते हैं जिनका इससे कोई लेना देना नही है और गुस्से की असल वजह अनछुई रह जाती है।

गुस्सा एक ऐसा शैतान है जिसे अगर अनदेखा किया जाये तो आपके जीवन में परेशानियों का सबब बन सकता है। कई लोग गुस्से के नुकसान अपने रिश्तों में देख सकते हैं और ये बात पक्की है कि अगर इसे अनदेखा किया गया तो आने वाले समय में ये और बढ़ी परेशानियों को जन्म देगा।

हां, गुस्से का सकारात्मक पहलू भी है 

गुस्से की उत्पत्ति हमारे चारों ओर संतुलन बना रही है। यदि इसका विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, तो ये एक महत्वपूर्ण हथियार साबित हो सकता है।इसके सही इ्स्तेमाल से हम जो महसूस करते हैं उसकी तीव्रता सही तरह से साझा कर सकते हैं। हम स्थिति का आंकलन करने की क्षमता रख सकते हैं और उसके अनुसार उसके उत्तर दे सकते हैं।

गुस्सा हम पर काबू करके हमें बर्बाद कर सकता है

बेकाबू गुस्से का सबसे खराब पहलू है कि वो हमपर पूरी तरह से हावी हो सकता है। जिसके चलते किसी स्थिति में हमारे सोचने की क्षमता, हमारी सोच और उस हालात में पैदा होने वाले जज्बात सब नकारात्मक हो जाते हैं। इसके चलते हमारे आसपास और हमारे अंदर और ज्यादा दुख और असंतोष के भाव पैदा हो जाते हैं।

गुस्से को साधारण बनाकर संभालना

आजकल के जीवन में गुस्सा हमारे सभी तरफ है। कई तरह से वो सामने आता है। चाहे घर पर, सोशल मीडिया पर, सड़क पर, काम पर अपनों से या अनजानों पर। हमें इन हालातों में अपने बरताव और गुस्से को रोक पाने की क्षमता के बारे में सोचने की ज़रूरत है।

सच्चाई ये है कि गुस्से से किसी सम्सया का समाधान नही होता है।बल्कि गुस्से के कारण हालात और बिगड़ते ही हैं। एक समय ऐसा था जब गुस्से को जाहिर करना सही माना जाता था लेकिन हाल ही में हुए शोध ने इस बात की तरफ इशारा किया है कि गु्स्से को काबू न कर पाना हमारे व्यक्तित्व को और कमज़ोर करता है।

गुस्से पर पूरी तरह काबू पाना शायद नानमुमकिन है पर आज के समाज में ज़रूरत है कि आप गुस्से को इस हद तक काबू में कर सके ताकि आप अपने जज्बात और सोच पर काबू रख सकें और साथ ही अपनी बात को भी सही तरह से रख सके।  हम सभी को अपने गुस्से पर काबू पाने के लिये काम करने की ज़रूरत है क्योंकि ये न करके हम न सिर्फ अपने आस पास के लोगों को दुख पहुंचा रहे हैं बल्कि खुद अपने को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

गुस्से पर काबू पाने के 6 तरीके

  1. आपको गुस्सा दिलाने वाली बातों को पहचाने। ऐसी बहुत सी चीज़ें होंगी जो आपको अपना आपा खोने पर मजबूर करती हैं। ऐसी चीज़ों की पहचन करने से न सिर्फ आप उनपर काबू करने की तरफ काम सकते हैं बल्कि खुद को ऐसी चीज़ों और हालातों से दूर भी रख सकते हैं।
  2. गुस्सा आने के बाद आपको क्या नुकसान होता है उलके ऊपर भी ध्यान दे। ये जानना ज़रूरी है कि गुस्सा अपने पीछे आपके लिये क्या छोड़ कर जाता है। हम अकसर इस पहलू को नज़रअंदाज कर देते हैं पर इससे आपको अपने गुस्से पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
  3. किसी भी हालात या परेशानी के गुज़रने के बाद आप ये ज़रूर सोचें कि आप उन हालातों में और किस तरह बरताव कर सकते थे। ऐसा करना ज़रूरी है ताकि आप खुद को बता सके कि ठंडे दिमाग से उस हालात में किस तरह पेश आया जा सकता था नहीं तो आपका दिमाग हर बार आपकों गुस्से में आने का ही संदेश देगा।
  4. किसी तनावपूर्ण हालात में अपने सोचने का नज़रिया बदलिये। ऐसा करने से आपको तनाव के हालात मे सही तरह से सोचने और काम करने में मदद मिलेगी।अपने आप को बार बार तनावपूर्ण हालातों में संभले रहने के बारे में याद दिलाते रहे।
  5. अपने को याद दिलाते रहे कि अपनी बात मज़बूती से रखना गुस्सा करने से बेहतर होगा। इससे आपको सही मायनो में बिना अपना आपा खोये अपनी बात सामने वाले तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
  6. अगर आप गुस्से पर अधिक प्रभाव से काबू पाना चाहते हैं तो मेडिटेशन का अभ्यास करें। इससे आपके शरीर और दिमाग को हर समय शांत रहने का प्रशिक्षण मिलेगा।लगातार लंबे समय तक मेडिटेशन करना गुस्से पर काबू पाने में काफी सार्थक साबित हो सकता है।

 

Dr kamna

(डॉ कामना छिब्बर एक मनोचिकित्सक हैं और फोरटिस हेल्थकेयर के मनोरोग विभाग की निदेशक हैं। डॉ छिब्बर पिछले दस सालों से मनोरोग के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इनसे संपर्क करने के लिये [email protected] पर लिखें )