रुड़की। स्कूल प्रबंधनों पर दर्ज हो रहे मुकदमों के विरोध में 27 जनवरी पूरे प्रदेश के सभी निजी स्कूल मदरसे बंद रहेंगे। संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल रावत ने यह जानकारी दी।
मंगलवार को रुड़की के सेंट मार्क्स स्कूल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान अग्रवाल ने बताया कि नई दिल्ली हरियाणा मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों में घटित हुई दुर्घटनाओं के लिए विद्यालय प्रबंधकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होना संवैधानिकता हनन को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में छात्र द्वारा प्रधानाचार्य की हत्या का ताजा उदाहरण सबके सामने हैं। इसलिए समिति ने निर्णय लिया है शासन की संवैधानिकता के लिए पूरे उत्तराखंड के समस्त विधालय संचालक सीबीएसई, आईसीएसई, उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड से संबद्ध समस्त विधालय 27 जनवरी को विरोध स्वरूप एक दिन के लिए सभी स्कूल बंद रखेंगे। समिति के संरक्षक कुंवर जावेद इकबाल ने कहा कि विद्यालय किसी कर्मचारी, छात्र-छात्रा, अभिभावक अथवा संबंधित कर्मियों के साथ किसी भी दुर्घटना के लिए विधालय प्रबंधन एवं प्रधानाचार्यों को शासन प्रशासन द्वारा जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसका प्रबंधन समिति विरोध करती हैं। उन्होंने कहा 27 जनवरी को होने वाले बन्द के लिए पूरे प्रदेश में व्यापक प्रचार-प्रसार एवं निगरानी कमेटी का गठन किया गया है जो कि विद्यालय संचालकों को बंद के लिए प्रेरित करेगी। इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री राम गोपाल गुप्ता, संदीप अग्रवाल, कृष्ण कुमार चौहान, लोहार सिंह पवार, राजीव तुंबड़िया, अभिषेक चंद्रा, अशोक चौहान, मुकेश, प्रदीप देशवाल, सोहनलाल दिनकर, भावना त्यागी आदि लोग उपस्थित रहे।
27 जनवरी को बंद रहेंगे पूरे उत्तराखंड के निजी स्कूल
महाकुंभ के लिए लोगो तैयार करें, एक लाख जीते
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले पूर्ण महाकुंभ के लिए थीम पर आधारित लोगों के लिए प्रदेशवासियों से सुझाव देने का आह्वान किया है। सबसे बेहतर लोगो को एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2021 में आयोजित होने वाला महाकुम्भ उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित होने वाला दूसरा पूर्ण महाकुम्भ है। इस कुम्भ के महाआयोजन की सफलता के लिए उन्होंने सभी से सहयोग एवं सुझाव देने का भी अनुरोध किया है। उन्होने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हरिद्वार महाकुम्भ यूनेस्को की धरोहर में शामिल है। उन्होंने कहा कि कुम्भ के लिए चयनित होने वाले लोगो के लिए एक लाख रुपये का नगद पुरस्कार भी दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
औली के व्यू प्वाइंट ग्लास हाउस में सफाई शुरू
गोपेश्वर। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल औली में स्कीइंग तथा यहां की खूबसूरती को देखने के लिए बने व्यू प्वाइंट ग्लास हाउस में बिखरे कूड़ा करकट को हटाने का अभियान शुरू हो गया है। यह सकारात्मक पहल जीएमवीएन के औली रिजाॅल्ट के प्रबंधक प्रदीप शाह के नेतृत्व में बने जीएमवीएन की टीम ने की।
औली गौरसों ट्रेक पर शौचालय नहीं तथा व्यू प्वाइंट ग्लास हाउस की खबरे सामने में आयी थी। पर्यटन विभाग और जीएमवीएन दोनों इसके रख-रखाव व सफाई के लिए एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे थे लेकिन जीएमवीएन के प्रबंधक प्रदीप शाह ने यह सकारात्मक पहल शुरू की है। उनके नेतृत्व में जीएमवीएन के कर्मियों सात ग्लास हाउस में स्वच्छता अभियान चलाया और आसपास के कूड़े को एकत्र किया है और ग्लास हाउस को पुनः खूबसूरती देने का काम स्वयं और अपनी टीम के साथ किया है। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े संजय कुंवर कहते है कि प्रदीप शाह का यह कदम निसंदेह सकारात्मक है।
फिल्म ‘पद्मावत’ के प्रदर्शन के दौरान हिंसा बर्दाश्त नहीं: एडीजी
देहरादून। फिल्म पद्मावत का जगह-जगह हो रहे विरोध को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए कमर कस ली है। मंगलवार को अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने 25 जनवरी को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘पद्मावत’ के प्रर्दशन किये जाने पर तोड़-फोड़ आदि करने की विभिन्न सगठनों की धमकियों के चलते एक बैठक आयोजित की।
बैठक में पुलिस महानिदेशक ने कहा कि फिल्म के प्रदर्शन के दौरान हिंसा किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिस किसी व्यक्ति के द्वारा तोड़-फोड़ की कोई घटना किए जाने का प्रयास किया जाता है तो उसके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करते हुये जेल भेजा जाएगा। इस सम्बन्ध एडीजी ने गढ़वाल एवं कुमाऊ परिक्षेत्र प्रभारी व सभी जनपद प्रभारियों को इस दौरान कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये विस्तृत दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि 18 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने फिल्म पद्मावत के सम्बन्ध में निर्देश दिये हैं, जिनका पूर्णतः पालन किया जाएगा।
प्रदेश के अस्पताल झेल रहे डॉक्टरों की किल्लत
देहरादून। पहाड़ की बात छोडि़ए, डॉक्टर दून तक में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय तक उन्हें आकर्षित नहीं करता। हालिया स्थिति तो कम से कम यही बयां कर रही है। अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों का बोझ कम करने को चार इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) की नियुक्ति हुई थी। जिसमें मात्र एक ने ही ज्वाइन किया है।
दरअसल, आपातकालीन सेवा 24 घटे तीन पालियों में चलती है और इस दौरान 450 से 500 मरीज यहां उपचार के लिए पहुंचते हैं। इन मरीजों के उपचार के लिये इमरजेंसी में पर्याप्त ईएमओ तक नहीं हैं। इन विशेषज्ञों के अभाव में अन्य डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ रही है। अभी कुछ वक्त पहले दून मेडिकल कॉलेज में ईएमओ के रिक्त पद भरने के लिए कवायद शुरू की गई। जिसके तहत चार डॉक्टरों की नियुक्ति की गई। लेकिन इनमें महज एक डॉ. नरेश ने ही ज्वाइन किया। अन्य तीन डॉक्टरों के ज्वाइन न करने से अस्पताल में संकट अब भी बरकरार है और इस स्थिति से उबरने के लिए अन्य डॉक्टरों की आपातकालीन ड्यूटी लगाई जा रही है।
कार्यकारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केसी पंत का कहना है कि इमरजेंसी में दिक्कत को देखते हुए ही चार डॉक्टर की नियुक्ति की गई थी। उम्मीद थी कि इससे स्थिति सुधर जाएगी, लेकिन इनमें से एक ही डॉक्टर ने ज्वाइन किया है। इसके अलावा एक अन्य कुछ दिन में ज्वाइन करेंगे। बाकी ने ज्वाइनिंग क्यों नहीं ली, यह बता पाना मुश्किल है।
अब नए लुक में नज़र आएगी उत्तराखंड की यह मशहूर ”पहाड़ी टोपी”
नवंबर में पहाड़ों की रानी मसूरी के 18वें जन्मदिन पर ‘सोहम हैरिटेज और आर्ट सेंटर’ द्वारा बनाई गई पहाड़ी टोपी ने बहुत ही जल्दी लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली है, नवंबर से अब तक लगभग पांच सौ टोपियों को लोगों ने सराहा और खरीदा है।
इसी कड़ी में ‘सोहम हैरिटेज और आर्ट सेंटर’ के समीर शुक्ला पहाड़ी टोपी की एक और रेंज लेकर आने वाले हैं।जी हां, अब पहाड़ी टोपी आपको उत्तराखंड के लोकल फसल के ही फैब्रिक से बनी हुई मिलेगी। उत्तराखंड के क्षेत्रीय फ़सल बिच्छु घास,पहाड़ी सिल्क और हैंप यानि की भांग के फैब्रिक से बनाई हुई टोपी जल्द ही आपके बीच होगी।अगर आप उत्तराखंड के हैं तो आपको बिच्छु बूटी का पता ही होगा कि यह उत्तराखंडियों के जीवन में एक महत्तवपूर्ण जगह रखती है।इन्हीं सभी फसलों के रेशें से बनाई जाएगी यह नई पहाड़ी टोपी जो अपने आप में बेहतरीन शुरुआत है उत्तराखंड की परंपरा को आगे बढ़ाने का।
इस विषय में टीम न्यूज़पोस्ट से बातचीत करते हुए समीर शुक्ला ने बताया कि, “हमारी बनाई हुई पहाड़ी टोपी की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए हम पहाड़ी टोपी की एक और रेंज लेकर आ रहे हैं, हालांकि इस रेंज की खास बात है कि इसमें हम हिमालय के क्षेत्रों में होने वाली फसल के फैब्रिक का इस्तेमाल करेंगे। इस बार हम पहले से महंगे कपड़ों के इस्तेमाल से टोपी बना रहे हैं तो यह पहले वाली टोपी से थोड़ी महंगी जरुर होगी लेकिन इसकी गुणवत्ता भी बेहतर होगी। उन्होंने बताया कि, “यह फैब्रिक बहुत ही रिफाईंड और थोड़ी महंगी होगी जिसकी वजह से टोपी पहले से महंगी है, लेकिन पहाड़ी फसल होने की वजह से जो भी मुनाफा है वह पहाड़ के लोगों को ही होगा।” पलायन को रोकने के लिहाज़ से भी यह पहल सराहनीय है।समीर ने कहा कि, “हमारे पहाड़ में मैन्फेक्चरिंग की कमी नही हैं लेकिन यहां पर चीजों को मार्केट करने की कमी है जिसकी वजह से लोगों को उनके प्रोडक्ट का सही पैसा नहीं मिलता। हमारी इस पहल से ऊचाईं वाले क्षेत्रों में होने वाले इन फसलों के इस्तेमाल से लोगो को रोज़गार तो मिलेगा ही साथ में इन सभी फसलों को एक नई पहचान मिलेगी।”
आपको बतादें कि समीर शुक्ला और उनकी पत्नी कविता शुक्ला जोकि मसूरी में ‘सोहम हैरिटेज और आर्ट सेंटर’ चलाते हैं, पिछले कई सालों से इस दंपत्ति ने मिलकर उत्तराखंड की परंपरा और यहां की जीवनशैली को बढ़ावा दिया है। चाहे वह उत्तराखंड के पारंपरिक गहने हो, या फिर पहाड़ी वाद्य यंत्र, पहाड़ी कला हो या फिर शिल्प।
समीर शुक्ला की इस नई पहाड़ी टोपी का हर पहाड़ी को बेसब्री से इंतजार रहेगा और मार्च के आखिरी तक यह टोपी मार्केट में होगी।
सही साबित हुआ मौसम विभाग का पूर्वानुमान, दून में हुई बारिश
देहरादून। मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित हुआ, राजधानी देहरादून सहित आस-पास के क्षेत्रों में बारिश शुरू हो गई है। मौसम विभाग द्वारा सूबे में मंगलवार को बारिश और बर्फबारी की संभावना व्यक्त की गई थी।
सूबे में 3000 मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी हो सकती है। विशेषकर चकराता, मसूरी, नई टिहरी, नैनीताल, भुक्तेश्वर और पिथौरागढ़ में ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है।माना जा रहा है कि प्रदेश में बारिश एवं बर्फबारी से किसानों-बागवानों को लाभ मिलेगा। राजधानी देहरादून का अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
मंगलवार को दोपहर लगभग बारह बजे तक आसमान में कहीं बादल तक नहीं दिखाई दिए। बारह बजे के बाद आसमान में बादल की हल्की लकीरें दिखाई देने लगीं, लगभग दो बजे रिमझिम बारिश शुरू हो गई।
बता दें कि सर्दी के इस सीजन में बारिश का लोगों को इंतजार था। बारिश अगर तेज होती हुई तो इससे किसनों और बागवानों को लाभ मिलेगा, साथ ही सूबे के जल स्रोतों भी रिचार्ज होंगे। बारिश के कारण दून में एक बार फिर से ठिठुरन बढ़ गई।अगले 24 घंटे में बारिश के कारण दून में एक बार फिर से ठिठुरन और बढ़ सकती है।
ऑस्ट्रेलियाई ओपन के क्वार्टर फाइनल में पहुंची बोपन्ना-बाबोस की जोड़ी
मेलबर्न, भारतीय टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने मंगलवार को अपने हंगेरियन साथी टीमिया बाबोस के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन के मिश्रित युगल स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है।
बोपन्ना-बाबोस की जोड़ी ने अमेरिका की वानिया किंग और क्रोएशिया के फ्रांको स्कूगोर की जोड़ी को सीधे सेटों में 6-4, 6-4 से हराकर प्रतियोगिता से बाहर का रास्ता दिखाया।
अंतिम आठ में पांचवीं वरीय बोपन्ना-बाबोस की जोड़ी का सामना गत चैम्पियन कोलम्बिया के हुआन सेबास्तियन कबाल और अमेरिका की अबीगैल स्पीयर्स की जोड़ी के साथ होगा।
कबाल और स्पीयर्स की जोड़ी ने पिछले साल भारत की सानिया मिर्जा और क्रोएशिया के इवान डोडिग की जोड़ी को हराकर ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीता था।
जल प्रबंधन के लिए तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
ऋषिकेष, परमार्थ निकेतन में मंगलवार से जल प्रबंधन के लिए तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में केन्या, युगांडा, तंजानिया, लाइबेरिया, नाइजीरिया, जाम्बिया, नामीबिया, मोजाम्बिक, मेडागास्कर अन्य अफ्रीकी देशों के जल विशेषज्ञों ने सहभाग किया।
अफ्रीकी देशों से आए जल राजदूतों के दल ने परमार्थ निकेतन में वेद मंत्र, प्राणायाम, ध्यान, सूर्य नमस्कार, योग आसनों का अभ्यास कर ‘जल प्रबंधन के साथ जीवन प्रबंधन के गुर’ भी सीखे। साथ ही जल राजदूतों ने विश्व शौचालय काॅलेज का भ्रमण कर ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस एवं गंगा एक्शन परिवार के माध्यम से जल प्रबंधन, जल की स्वच्छता एवं पर्यावरण स्वच्छता में सुधार लाने हेतु किये जा रहे व्यापक प्रयासों, विचारों एवं अनुभवों का आदान-प्रदान किया।
जीवा के विशेषज्ञों ने जल संरक्षण एवं स्वच्छता पर बनाई शॉर्ट फिल्मों एवं पाठ्यक्रमों के माध्यम से भारत की जल समस्या के विषय में जल राजदूतों को अवगत कराया ताकि मिलकर इस वैश्विक समस्या का समाधान किया जा सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने अपने लाइव संदेश में कहा, ‘अफ्रीका को मानव सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है और भारत मानव संस्कारों की भूमि है मुझे लगता है अब दोनों देशों के जल विशेषज्ञ मिलकर इस वैश्विक जल समस्या का समाधान अवश्य खोज लेंगे।’
अफ्रीकी संस्कृति विविधता की संस्कृति है और भारत की संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति है, वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति है दोनों संस्कृतियां मिलकर एक नई जल संस्कृति को जन्म देगी जो दुनिया के लिये मिसाल बनेगी।
प्रोफेसर डाॅ डीएस आर्य ने कहा कि, ‘जल के संरक्षण के लिये तकनीकी, मार्गदर्शन, सहकारिता और जन सहभागिता नितांत आवश्यक है। जल का अशुद्ध होना प्रकृति प्रदत्त समस्या नहीं मानव निर्मित समस्या है। मानव व्यवहार में परिवर्तन कर कुछ हद तक हम समाधान प्राप्त कर सकते है।’
केन्या से आये जल विशेषज्ञ फिलिप विल्सन ने कहा, ‘जहां तक मैने जाना कि भारत की जल समस्या के लिये तकनीकी के साथ जागरुकता नितांत आवश्यक है। नाइजीरिया से आये प्रोफेसर ग्रेगरी एसी ने जीवा द्वारा स्वच्छता एवं शौचालय के लिए चलाए जा रहे अभियान की सराहना करते हुए कहा कि निश्चित ही रोचकता से पूर्ण जागरुकता का अभियान है।’
इस सम्मेलन में आईआईटी रुड़की के जल विज्ञान विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर डाॅ डीएस आर्य के मार्गदर्शन में विश्व के 13 देशों के 25 विश्व स्तरीय जल राजदूत, जल वैज्ञानिक एवं विशिष्ट अधिकारियों व छात्रों ने सहभाग किया।
तीर्थ नगरी में यातायात नियमों को दिखाया जा रहा ठेंगा
ऋषिकेश। आये दिन सड़क हादसों में हो रही युवाओं की मौत के बावजूद तीर्थ नगरी ऋषिकेश में यातायात नियमों के प्रति लोगों में जागरुकता का अभाव देखने को मिल रहा है।
यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने में युवाओं के साथ-साथ स्कूलों मे पढ़ने वाले किशोर अधिकांशतः शामिल हैं, जो कि ट्रैफिक सेंस की कमी के चलते न सिर्फ अपनी बल्कि लोगों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रहे हैं। उधर नगर में यातायात सेंस की कमी के चलते सड़क हादसों के ग्राफ को लेकर मैती संस्था ने जागरुकता अभियान चलाने की बात कही है।
नगर की प्रमुख समाज सेविका कुसुम जोशी का कहना है कि बिना जागरुकता के सड़क हादसों को रोका जाना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर दुर्घटनाएं तेज रफ्तार और अनियंत्रण के कारण होती हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन भी एक बड़ा कारण है। यातायात के निर्देशों का पालन करने से खुद भी सुरक्षित रहेंगे और दूसरे भी। जल्द ही शहर में यातायात नियमों को लेकर जागरुकता कार्यक्रम चलाया जायेगा।