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रिवर राफ्टिंग प्रशिक्षण युवाओं के लिए अवसर

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देहरादून,  जिले के युवाओं को पांच दिवसीय रिवर राफ्टिंग प्रशिक्षण दिया जायेगा। साहसिक खेल अधिकारी देहरादून ने बताया कि, “जिला योजना वर्ष 2017-18 के साहसिक पर्यटन मद में जिले के युवाओं को क्षेत्रीय पर्यटक कार्यालय देहरादून द्वारा फरवरी माह में प्रथम चरण में पांच दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कौडियाला में करवाया जाना प्रस्तावित है।”

इसमें जिले के कुल 30 युवाओं को उक्तवत साहसिक प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षण के लिए 16 वर्ष से 26 वर्ष तक की आयु के युवाओं का चयन कर प्रशिक्षण दिलवाया जाना प्रस्तावित है। उन्होेंने कहा कि इच्छुक छात्र-छात्रा क्षेत्रीय पर्यटक कार्यालय 45 गांधी रोड देहरादून से निर्धारित आवेदन पत्र प्राप्त कर आवेदन पत्र पूर्ण एवं स्पष्ट अक्षरों में भरते हुए क्षेत्रीय पर्यटक कार्यालय में जमा कर सकते है। छात्र-छात्राओं का चयन प्रथम आवत प्रथम पावत के आधार पर किया जायेगा। 

सुबह-सुबह भारतियों के ”गुड मॉर्निंग” से क्यों परेशान है सिलिकॉन वैली के इंजीनियर?

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सिलिकॉन वैली में गूगल शोधकर्ता यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि ऐसा क्यों हो रहा कि दुनिया के आधे से ज्यादा मोबाईल फोन फ्रीज हो रहे। और भारत में तो हर तीन मोबाईल फोन यूज़र में एक यूज़र के फोन का स्पेस हमेशा भरा रहता है।

”इसका जवाब है, गुड मार्निंग”

जी हां गूगल ने शोध में यह बताया कि सुबह-सुबह लोगों द्वारा एक दूसरे को गुड मार्निंग मैसेज के साथ फूल पत्तियों वाले वॉलपेपर,टैड़ी बियर,जीफ इमेज,विडियो,आडियो आदि इसका सबसे बड़ा कारण हैं।शोध में बताया गया है कि किस तरह भारतीय लोग वाट्सऐप के माध्यम से सैकड़ों की संख्या में सूरज उगने से पहले ही हर सुबह एक दूसरे को गुड मार्निंग मैसेज भेजते हैं और सूरज ढ़लने तक अपने दोस्तों,परिवारजन,ऑफिस में काम करने वालों से लेकर अंजान लोगों तक यह मैसेज भेजते हैं। जहां एक तरफ पहले से 10 गुना ज्यादा लोग गूगल पर गुड मार्निंग ईमेज सर्च यानि की ढ़ूढ़ते हैें वहीं अब लोग पिनट्रेस्ट के कोटेशन वाले ईमेज को भी इस्तेमाल करते नज़र आ रहे हैं।

आपको बतादे कि केवल भारत में एक महीने में व्हाट्सऐप के तकरीबन 200 मिलियन यूज़र है जो भारत को व्हाट्सएप इस्तेमाल का सबसे बड़ा मार्केट बनाता है,पिछले साल व्हाट्सऐप के नए स्टेसस के फंक्शन के माध्यम से यूजर एक साथ सभी तक कोई भी मैसेज पहुंचा सकता है।

जहां एक तरफ व्हाट्सएप का क्रेज युवाओं में बहुत ज्यादा हैं वहीं हम उम्रदराज़ लोगों को भी दरकिनार नहीं कर सकते।इस समय भारत में लगभग हर उम्र के लोग व्हाट्सएप का इस्तमेाल कर रहे हैं और इसके बारे में जानते हैं।

messages 70 साल के प्रोफेसर गणेश सैली से इस बाबत न्यूज़पोस्ट से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि ”सुबह मेरे उठने से भी पहले से लोगों के गुड मार्निंग मैसेज आने लगते हैं,इसलिए मैं अपना वाट्सएप साइलेंट पर रखता हूं।सुबह उठने के बाद फोन में मौजूद लगभग सभी ग्रुप में हजारों गुड मार्निंग मैसेज होते हैं जिसकी कोई जरुरत नहीं होती।एक तो यह फोन की मैमोरी फुल करता हैं दूसरा यह सुबह-सुबह काम में बांधा डालता है।”

दूसरी तरफ 21 साल की स्टूडेंट अर्पिता नेगी से बातचीत में उन्होंने कहा कि ”यह गुड मार्निंग मैसेज भेजने की वजह मुझे आज तक नहीं समझ आई,लोग रंग-बिरंगे फूल,टैडी बियर,चिड़ियो वाली वॉलपेपर सुबह-सुबह भेजना शुरु कर देते हैं।एक तो इससे पढ़ाई में बहुत डिर्स्टबेंस होती है दूसरा यह ईमेंज वाट्सएप की स्पीड कम कर देते हैं।अर्पिता कहती हैं आधी बार तो अंजान लोग भी ग्रुप में लंबे-चौड़े मैसेज और विडियो के माध्यम से गुड मार्निंग और गुड नाईट विश करते हैं जिसकी कोई जरुरत नहीं होती।उन्होंने कहा कि मैं तो सुबह उठते ही अपना फोन म्यूट पर रख देती हूं कि मुझे इन मैसेजेस से पढ़ाई में कोई रुकावट ना हो।”

वाट्सएप पर बने ग्रुप में भी लोग सुबह-सुबह गुड मार्निंग मैसेज भेजने लगते हैं,चाहे वह ऑफिस का ग्रुप ही क्यों ना हो,हालांकि कुछ ग्रुप पर यह भी निवदेन किया जाता है कि सुबह-सुबह ऐसे मैसेज करने से बचे लेकिन फिर भी बहुत से लोग हैं जो गुड मार्निंग और गुड नाईट दोनों मैसेज भेजते हैं।

इतना ही नहीं किसी भी खास मौके पर जैसे कि गणतंत्र दिवस,नया साल,जन्मदिन की शुभकामनाएं,रक्षाबंधन,दीवाली,होली से लिए लगभग हर त्यौहार की शुभकामनाएं लोग व्हाट्सएप के जरिए भेजते हैं और ऐसे छोटे-छोटे बहुत से त्यौहारों पर लोग शुभकामनाओं के मैसेज की झड़ी लगा देते हैं।

आपको बतादें कि एक शोध के अनुसार भारत में 1जनवरी 2018 को 20 मिलियन से ज्यादा नए साल के मैसेज का आदान-प्रदान किया गया था जो कि एक रिकॉर्ड हैं और भारत इसमें सबसे आगे है।

हरिद्वार में 29-30 को रोजगार मेला का आयोजन

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हरिद्वार, पन्नालाल भल्ला इंटर काॅलेज मायापुर हरिद्वार में 29 व 30 जनवरी को सेवायोजन कौशल विकास मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत के निर्देशन में आयोजित होने वाले रोजगार मेला स्थल का कार्यक्रम संयोजक संजय चोपड़ा ने निरीक्षण किया। चोपड़ा ने कंधारी धर्मशाला पुरानी सब्जी मण्डी में कैम्प लगाकर आम नागरिकों को व बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार मेले की विस्तृत जानकारी दी।

इस अवसर पर संजय चोपड़ा ने बताया कि यह रोजगार मेला उत्तराखण्ड हरिद्वार में प्रथम बार आयोजित किया जा रहा है। रोजगार मेले का उद्देश्य बेरोजगार युवक-युवतियों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार सरकार के संरक्षण में अर्जित कराना है। उन्होंने कहा कि, “स्थानीय युवाओं को औद्योगिक क्षेत्रों में 70 प्रतिशत नौकरी देने की कार्यवाही को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये। ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिल सके।”

उन्होंने कहा कि पूरे उत्तराखण्ड में 70 प्रतिशत औद्योगिक क्षेत्रों में नौकरियां दिलाने के प्रयासों को तेज करते हुए जन जागरूकता एवं कैम्प के माध्यम से जागरूकता फैलाई जायेगी जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके। 

पेयजल संकट बना पलायन की वजह

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पिथौरागढ़- पलायन के लिए पहाडों पर एक नहीं कई कारण है, सरकार भले ही पलायन रोकने के लिए कई कदम भी उठा रही है, लेकिन शासन की फाईलों में घुमती योजनाएं धरातल पर नहीं उतरती और युवा पीढी को पलायन के लिए मजबूर होना पडता है, एसा ही कि भारत-नेपाल सीमा से लगे गर्खा क्षेत्र का जहां पलायन कि वजह पेयजल समस्या है।

ग्यारह हजार की आवाजी वाले इस क्षेत्र पेयजल समाधान राज्य गठन के 17 वर्षो बाद भी नहीं हो पाया है। इस क्षेत्र के लोगों को गर्मियां तो दूर शीतकाल में भी पेयजल संकट झेलना पड़ रहा है। पानी की कमी के चलते लोग गांव छोड़ रहे हैं। गर्खा क्षेत्र के लिए हालांकि दो पेयजल योजनाएं बनी हैं। एक पेयजल योजना 7 किमी तो दूसरी लगभग 14 किमी दूर से बनी हैं। दोनों स्रोतों में पानी लगातार घट रहा है। स्रोतों पर पानी कम होने से गर्खा क्षेत्र तक पानी नहीं पहुंच पाता है। जिसके चलते गर्खा क्षेत्र के 13 गांव विगत कई वर्षो से पेयजल समस्या झेल रहे हैं।

वर्ष 2007 में तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी ने भागीचौरा में क्षेत्र के लिए चरमा नदी से लिफ्ट पेयजल योजना स्वीकृत की थी। 10 वर्ष गुजर गए पेयजल योजना का निर्माण नहीं हो सका है। इस पेयजल योजना के संबंध में पेयजल निगम के अधिकारी बताते हैं कि लिफ्ट पेयजल योजना की डीपीआर दो बार शासन को भेज दी गई है। वित्तीय स्वीकृति के बाद कार्य प्रारंभ होगा। शीतकाल में ही पेयजल संकट झेल रहे ग्रामीण आने वाली गर्मियों को लेकर अभी से परेशान हैं।

जिलाधिकारी ने साप्ताहिक बन्दी का दिन किया जारी

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रुद्रपुर। जिला प्रशासन ने जनपद में साप्ताहिक बंदी के दिन तय कर दिए हैं। जिले के महानगर, नगर और कस्बों, दुकानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों तथा सभी निकायों के लिए अलग-अलग दिन वर्ष 2018 के लिए निर्धारित कर नियमन जारी कर दिए गए हैं।

जिलाधिकारी डाॅ.नीरज खैरवाल ने जिले में स्थित नगर निगमों, नगर पालिकाओं तथा टाउन क्षेत्र की सीमाओं के अन्तर्गत स्थितउत्तराखंड दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम एवं नियमावली के तहत साप्ताहिक बंदी के दिन आदेश निर्गत कर दिए है। आदेश जारी होते ही जिले भर में नए बंदी के नियम प्रभावी हो गए हैं। जिला मजिस्ट्रेट ने अपने आदेशों में घोषित साप्ताहिक बन्दी के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि नगर निगम क्षेत्र रूद्रपुर व काशीपुर, नगरपालिका किच्छा, जसपुर, बाजपुर, सुल्तानपुर पट्टी, गदरपुर, सितारगंज, की समस्त नाईयों एवं केश प्रसाधनों की दुकानें मंगलवार को बन्द रहेंगी। उन्होंने बताया कि नगर निगम रुद्रपुर में रविवार को केवल गल्ला मण्डी की दुकाने, फोटो स्टेट की दुकानें एवं इफको किसान सेवा केन्द्र के लिए समस्त दुकानों व वाणिज्यिक अधिष्ठानों के लिए रविवार का दिन तथा गल्ला मण्डी की दुकानों, फोटो स्टेट की दुकानों एवं इफ्फको किसान सेवा केन्द्र को छोड़कर शेष दुकानों एवं वाणिज्यिक अधिष्ठानों के लिए साप्ताहिक बन्दी का दिन सोमवार निर्धारित किया गया है।
उन्होंने बताया कि नगर निगम काशीपुर क्षेत्र में इफको किसान सेवा केन्द्र की समस्त दुकानें व अधिष्ठान रविवार को तथा निगम की शेष दुकाने बुद्धवार को बन्द रहेंगी। नगर पालिका क्षेत्र जसपुर में आरामशी शुक्रवार को तथा अन्य समस्त दुकानें व प्रतिष्ठान सोमवार को बंद रहेंगे। नगर पालिका बाजपुर व सुल्तानपुर पट्टी की समस्त दुकाने व प्रतिष्ठानों की साप्ताहिक बन्दी गुरुवार को, गदरपुर की समस्त दुकानें व प्रतिष्ठान शुक्रवार को बन्द रहेंगे। जबकि नगर पालिका खटीमा क्षेत्र के अन्तर्गत केवल इफ्फको किसान सेवा केन्द्र रविवार को तथा नाईयों व केश प्रसाधन की दुकाने गुरूवार को तथा शेष समस्त दुकानों व प्रतिष्ठानों की साप्ताहिक बन्दी बुधवार को रहेगी। उन्होंने बताया कि नगर पालिका क्षेत्र किच्छा, सितारगंज, टाउन एरिया क्षेत्र शक्तिगढ़ की समस्त दुकाने, वाणिज्यिक अधिष्ठान, नाईयों व केश प्रसाधन की दुकानों की साप्ताहिक बन्दी मंगलवार को, टाउन एरिया महुखेड़ा की शुक्रवार को, महुआडावरा की सोमवार को, केलाखेड़ा की शनिवार को, दिनेशपुर में रविवार को साप्ताहिक बन्दी रहेगी।

टेक्नोलॉजी कम करेगी मरीजों व अस्पतालों के बीच की दूरीः सीएम

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देहरादून। टेक्नोलॉजी से मरीजों के लिए चिकित्सीय सुविधाएं आसानी से मुहैया हो सकेंगी। आधुनिक तकनीक मरीजों और अस्पतालों के बीच की दूरी कम करेगी। सीएम ने कोरोनेशन हॉस्पिटल देहरादून में ई-रक्तकोष, ई-औषधि और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम का शुभारम्भ करते हुए उक्त बातें कहीं।
शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय कोरोनेशन हॉस्पिटल देहरादून में ई-रक्तकोष, ई-औषधि और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम का शुभारम्भ किया। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग तथा एनआईसी को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज राज्य के सभी 35 रक्त बैंक ई-रक्तकोष सेवा, राज्य के 52 हॉस्पिटल ई-औषधि तथा 45 हॉस्पिटल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम से जुड़ चुके हैं। तकनीक के प्रयोग से राज्य का स्वास्थ्य क्षेत्र महत्वपूर्ण मुकाम तक पहुंचेगा। स्वास्थ्य विभाग की कार्य-प्रणाली सुविधाजनक होगी तथा रोगियों व तिमारदारों को सुविधा होगी। उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम(ORS.Gov.in) से सरकारी अस्पतालों में अप्वाइंटमेंट लेना आसान हो गया है। आधार नंबर पर आधारित इस सिस्टम से मरीज/तीमारदार राज्य के किसी भी क्षेत्र से राज्य के 45 बड़े हॉस्पिटलों में संबंधित विभाग एवं दिनाक के लिए ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। पंजीकरण होते ही मरीज के मोबाइल में एसएमएस भेजा जाएगा जिसमें डॉक्टर से मिलने की तारीख व समय होगा। ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन सिस्टम की शुरुआत से मरीजों या तीमारदारों को लम्बी कतारों में नहीं लगना पड़ेगा तथा समय की बचत होगी। देश के लगभग 150 अस्पताल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से जुडे हैं, जिसमें 45 अस्पताल उत्तराखण्ड में है।
ई रक्तकोष के माध्यम से वर्तमान में रक्तकोषों में उपलब्ध रक्त यूनिटों की मात्रा, उनका गु्रप तथा रक्त कम्पोनेन्टों की स्थिति वेबसाईट eraktkosh.in और eraktkosh application ऐप के माध्यम किसी भी स्थान से हर समय देखा जा सकता है। स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना व रक्त अपव्यय को रोकना, रक्त की गुणवत्ता बनाये रखना, कुशलतापूर्वक व प्रभावशाली ढंग से जरूरतमंदो को रक्त उपलब्ध करवाना ई-रक्तकोष का उददेश्य है। सी-डैक नोएडा के तकनीकी सहयोग से विकसित ई-औषधि द्वारा राज्य के 52 हॉस्पिटलों में उपलब्ध दवाईयों के विवरण को कम्पयटरीकृत करते हुए दवाओं की उपलब्धता, कमी, इक्सपायरी की सूचना व गुणवता आदि की निरन्तर मॉनिटरिंग की जा सकेगी।
डॉक्टर जेनेरिक दवाएं लिखेः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री इस मौके पर ने डॉक्टरों को निर्देश दिए कि वे जेनेरिक दवाएं लिखे ताकि आम जनता व निर्धन मरीजों को कम से कम खर्च पर अच्छा उपचार मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए स्वयं मुख्यमंत्री को भी सीधे सुझाव दिये जा सकते है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री किसी भी प्रकार की औपचारिकता में विश्वास नहीं करते। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोग या आम जनता भी मुख्यमंत्री को सीधे रचनात्मक सुझाव दे सकती है। अच्छे सुझावों पर गम्भीरता से विचार किया जायेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार सबकी चिन्ता का विषय व जिम्मेदारी होनी चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक पहाड़ों में स्थानांरित 90 प्रतिशत डॉक्टर्स ने अपने अस्पतालों में ज्वॉइनिंग कर ली है। यदि किसी भी स्वास्थ्यकर्मी को किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो, वह इस सम्बन्ध में चर्चा कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार देहरादून के जिला अस्पताल के बारे में शीघ्र ही निर्णय लेने जा रही है। जल्द ही देहरादून का अपना जिला अस्पताल होगा।
दूरस्थ क्षेत्रों मे तकनीक से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रान्ति
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 35 अस्पतालों में टेली मेडिसिन व टेली रेडियोलॉजी की शुरुआत से राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में भी चिकित्सा विशेषज्ञों की सेवाएं पहुंचाईं जा रही हैं। मरीजों की जांच और डायग्नोस्टिक सुविधाएं, एक्स रे, ईसीजी, सीटी स्केन, एमआरआई, मैमाग्राफी जैसी सुविधाएं विशेषज्ञ टेली रेडियोलॉजी के माध्यम से तुरन्त प्रदान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु 156 डेंटिस्टों की तैनाती की गई है। 712 चिकित्सकों/विशेषज्ञ चिकित्सकों की चयन प्रक्रिया गतिमान हैं 62 अन्य चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया आरम्भ की जा चुकी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत 16 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की जा चुकी है जिसमें बालरोग, स्त्रीरोग, मनोचिकित्सक आदि शामिल है। 58 अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की चयन प्रक्रिया गतिमान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 440 एएनएम, 600 संविदा फार्मासिस्ट, 12 रेडियोग्राफर की नियुक्ति प्रक्रिया गतिमान है तथा 200 उपचारिकाओं एवं 20 नियमित फार्मासिस्टों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाएगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 900 से अधिक संविदा कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी, जिनमें 339 उपचारिकाएं, 70 से अधिक लैब टैक्नीशियन, 112 आयुष फार्मासिस्ट व अन्य कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि खटीमा में 100 बैड वाले आधुनिक अस्पताल का आरम्भ किया गया है। विश्व बैंक की सहायता से टिहरी जिला अस्पताल पीपीपी मोड में संचालित करने की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। सभी जिला अस्पतालों में आईसीयू की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि मीजिल्स-रूबेला टीकाकरण को राज्य में 102 प्रतिशत सफलता मिली है। इसके अन्र्तगत 28 लाख बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 108 एम्बुलेन्स सेवा का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। 60 नई एम्बुलेंस और उपलब्ध करायी जा रही है, जिससे एम्बुलेंस का रोगी तक पहुंचने का समय कम हो सकेगा तथा छोटे अस्पतालों से अस्पतालों पर ले जाने की सुविधा भी उपलब्ध हो सकेंगी।
इस मौके पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि 2020 में राज्य निर्माण के 20 वर्ष पूरे होने तक सरकार द्वारा राज्य में स्वास्थ्य स्तर को सुधारने को लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिनमें 2020 तक मातृ-मृत्यु दर को 165 से घटाकर 100 के भीतर लाना, शिशु मृत्यु दर को 38 से घटाकर 30 प्रति हजार के भीतर लाना तथा प्रत्येक नागरिक को अपने आवास के 10 किलोमीटर के दायरे में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना शामिल है। इस अवसर पर सचिव स्वास्थ्य डॉ. नितेश झा ने बताया कि शीघ्र ही विभाग द्वारा डिजिटल पर्ची लॉन्च की जाएगी। इसमें मरीज को ऑनलाइन पर्ची उपलब्ध हो जाएगी। इस अवसर पर विधायक मुन्ना सिंह चैहान, खजान दास, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव स्वास्थ्य डॉ. नितेश झा, अपर सचिव अरुणेन्द्र सिंह चौहान, महानिदेशक स्वास्थ्य अर्चना जौहरी भी उपस्थित थीं।

प्रदेश के निजी स्कूल रहे हड़ताल पर

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हरिद्वार। प्रदेश सरकार के मनमाफिक निर्णय और निजी स्कूल प्रबन्धकों, संचालकों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई के विरोध में उत्तराखंड के निजी स्कूल 27 जनवरी को एक दिवसीय हड़ताल पर रहे। निजी स्कूलों की हड़ताल से पठन-पाठन का कार्य प्रभावित हुआ। इससे पूर्व बैठक कर संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति की ओर से हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया गया था।

संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति की ओर से 23 जनवरी को सैंट माक्र्स एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल रुड़की में एक बैठक का आयोजन किया गया था। संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति के संरक्षक कुंवर जावेद इकबाल ने कहा कि निजी स्कूलों का शोषण किया जाने लगा है। किसी छात्र-छात्रा के साथ कोई दुर्घटना होने पर स्कूल संचालकों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। जबकि घटना की वास्तविक जांच को कराना मुनासिब नहीं समझा जाता है। जिससे स्कूल संचालकों में रोष है। प्रदेश अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने कहा कि नई दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश में घटित कई घटनाओं में विद्यालय प्रबंधकों के खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर होते हैं और बच्चों के भविष्य का निर्माण करते है। लेकिन, सरकार के नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी निजी स्कूलों को अच्छी नजर से नहीं देखते हैं। किसी दुर्घटना की स्थिति में सत्य की पड़ताल किए बिना ही स्कूल प्रबंधकों को आरोपित कर दिया जाता है। जो कि सरकार की गलत मंशा और निजी स्कूलों के प्रति द्वेष भावना को जाहिर करता है। हड़ताल के चलते सीबीएससी, आईसीएससी, उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड से सम्बद्ध समस्त विद्यालयों ने सरकार की कार्यशैली के खिलाफ हड़ताल की। हालांकि, हड़ताल सफल रही, बावजूद इसके एक-दो स्कूल ऐसे भी रहे जहां पठन-पाठन का कार्य सुचारु रहा। 

मनरेगा में कार्य न होने पर प्रधानों ने बीडीओ कार्यालय पर दिया धरना

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गोपेश्वर। मनरेगा में कार्य न होने पर चमोली जिले के दशोली विकास खंड के प्रधानों ने बीडीओ कार्यालय पर शनिवार को तालाबंदी कर एक दिवसीय धरना दिया।
प्रधान संगठन दशोली का आरोप है कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है लेकिन अभी तक मनरेगा ने ग्राम पंचायतों में प्रस्तावित तथा अनुमोदित कार्य शुरू नहीं हो पाया है, जिससे प्रधानों में भारी रोष व्याप्त है। कई बार इस संबंध में प्रशासन को लिखा गया है लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं की जा रही है तो मजबूरन प्रधानों को तालाबंदी और धरना देने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रधानों ने धरने के माध्यम से एक ज्ञापन जिलाधिकारी को भी दिया, जिसमें मांग की है कि मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में प्रस्तावित कार्यों को शीघ्र शुरू किया जाए। धरना देने वालों में प्रधान संगठन के अध्यक्ष रविंद्र सिंह नेगी, अयोध्या हटवाल, आशा देवी, नरेंद्र लाल, मंजूदेवी आदि शामिल रहे।

गणतंत्र दिवस समारोह से नदारद रहे अधिकारियों पर होगी कार्रवाईः सीएम

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देहरादून। 69वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड ग्राउण्ड में आयोजित ध्वजारोहण एवं परेड कार्यक्रम के अवसर पर शासन एवं प्रशासन के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को मौजूद रहने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कुछ अधिकारी अनुपस्थित रहे।

सीएम ने ऐसे अधिकिरियों के विरुद्ध कार्यवाही के निर्देश मुख्य सचिव को दिए हैं। इससे पूर्व स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ अधिकारियों के अनुपस्थित पाए जाने पर भी मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि राष्ट्रीय पर्वों पर अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों का स्पष्टीकरण लिया जाए। संतोषजनक जबाब न मिलने पर उनके खिलाफ कारवाई करने को भी कहा। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर होने वाले ध्वजारोहण समारोहों में सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहेंगे और जो अधिकारी उपस्थित नहीं रहे, उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी

सीमांत के गांवों का दर्द सुनने वाला नहीं कोई

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पिथौरागढ(झूलाघाट) पहाडों का जीवन कितना कष्टकारी होता है ये बयां करता है भारत नेपाल सीमा से सटे गांवों का दर्द, जहां आवाजाही के लिए एक अदद पुल की दरकार में लोग सालों से जान जोखिम में डाल कर नदी पार करते हैं, और हर दिन उपर वाले से यही दुआ करते है कि उनके साथ कोई हादसा ना हो, मगर सरकारी तंत्र है कि इन गांवों के दर्द को समझने का नाम नहीं ले रहा है।
हम बात कर रहे हैं भारत और नेपाल के पहाड़ी जिलों के बीच आवागमन की सुविधाओं की कमी की जहां मजबूरी में आज भी लोग खतरनाक तरीकों से दोनों देशों के बीच सीमा बनाने वाली काली नदी को पार करने को मजबूर हैं। इस नदी पर कई स्थानों पर नए पुल बनाने के प्रस्ताव वर्षो से लटके हुए हैं। भारत और नेपाल दोनों देशों के सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की एक दूसरे देशों में रिश्तेदारियां हैं। कारोबार भी साझा है। भारत से कई वस्तुएं नेपाल जाती हैं तो कई नेपाल से भारत आती हैं। इसी से लोगों की रोजी रोटी चलती है। इस क्षेत्र में सीमा बनाने वाली काली नदी में गब्र्याग के पास सीता पुल, धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीवी और झूलाघाट में आवाजाही के लिए झूलापुल बने हुए हैं, लेकिन लगभग 150 किमी. लंबी इस सीमा में मात्र पांच स्थानों से ही आवाजाही की सुविधा लोगों पर भारी पड़ रही है। मजबूरी में लोग नदियों में ट्यूब डालकर आवागमन कर रहे हैं।
भले ही तस्कर भी इसका फायदा उठाते हैं। सुरक्षा बलों की नजर से दूर ऐसे क्षेत्रों से जमकर माल की तस्करी होती है। इन खतरनाक तरीकों से नदी पार करने के चलते कई बार दुर्घटनाएं होती रहती हैं और लोग मारे जाते हैं, बावजूद इसके दोनों देशों ने अब तक सीमा पर पुलों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई पहल नहीं की है। इस सीमा में ऐलागाड़ और सुनसेरा में झूलापुल के साथ ही झूलाघाट में मोटर पुल का प्रस्ताव वर्षो पूर्व बन चुके हैं।

लेकिन दर्जन भर से अधिक गांवों की यही परेशानी है कि समय पर उन्हे चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पाती है और लोगों को कई किलोमीटर का रास्ता तय कर अपने काम करने पडते है, कई बार सरकार और शासन को अपना दर्द बयां कर चुके इन गांवों का दर्द आज तक किसी ने नहीं समझा।