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डब्ल्यूआईसी दे रहा है देहरादून को अलग सांस्कृतिक पहचान

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(देहरादून) वल्र्ड इंटेग्रीटी सेंटर इंडिया (डब्ल्यूआईसी), पिछले कई सालों से उत्तराखंड और खासतौर पर देहरादून की पहचान बनता जा रहा है। यह न केवल संस्कृति व सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दे रहा है बल्कि यह विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों को एक ऐसा मंच भी प्रदान कर रहा है जहां कलाकार अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं। समय-समय पर यहां सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर कलाकारों का आमंत्रित कर उन्हें मंच प्रदान किया जाता है।

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डब्ल्यूआईसी इंडिया की प्रेजीडेंट नाज़िया युसूफ इजु़द्दीन व मैनेजिंग डायरेक्टर सचिन उपध्याय ने बातचीत के दौरान कहा कि, “डब्ल्यूआईसी इंडिया समय-समय पर सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से दूनवासियों को रूबरू करवाता है। डब्ल्यूआईसी इंडिया का मुख्य उद्देश्य देहरादून को सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाना है। इसके अलावा युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक करना भी है।”

पिछले कई वर्षों से डब्ल्यूआईसी इंडिया ने देहरादून में स्थानीय, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य से जुड़े कई हस्तियों को उत्तराखंड व देहरादून से रूबरू करवाया है। जिसमे स्मृति, पंडित विदुर मल्लिक संगीत समारोह, देहरादून कम्युनिटी लिट्रेचर फेस्टिवल, डब्ल्यूआईसी टाॅक्स, बुक रीडिंग सत्र, बुक लांच, बुक फेस्टिवल, म्यूज़िकल एन्चाइंटेड नाइट, रूहानियत आदि कार्यक्रम डब्ल्यूआईसी के मुख्य कार्यक्रमों में शामिल है। इसके अलावा डब्ल्यूआईसी में कई व्यवसायिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

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डब्ल्यूआईसी इंडिया एक ऐसा हब बन गया है, जो भारतीय संस्कृति, सभ्यता व साहित्यिक विरासत को न सिर्फ बढ़ावा देता है, बल्कि इसके प्रति लोगों को जागरूक भी करता है। हर उम्र के लोगों के लिए यहां समय-समय पर, सांस्कृतिक, साहित्यिक, मनोरंजक, खेल-कूद, व अन्य कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जिससे साल दर साल डब्ल्यूआईसी इंडिया की मानयता

देहरादून के बीचो बीच किसानों की पहचान बन गया है KiWi स्टोर

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देहरादून की व्यस्त ईसी रोड पर अचानक ही एक पेट्रोल पंप पर बनी एक दुकान पर आपकी नज़रें टिक जायेंगी। सकड़ी के पैनलों से बनी इस दुकान पर बड़ बड़े अक्षरों में ंग्रेज़ी में “KiWi” लिखा है। अपनी तरह के इस पहले आुटलेट को अकटूबर 2017  में शुरू किया गया है औऱ सेहतमंद खाने के शौकीन लोगों की यह पसंदीदा जगह बन गई है।इस दुकान का नाम ही इसके मकसद को बताता है। Ki = Kisan/किसान ; Wi = Window/ मौका।

KiWi 29 साल के अबिनव आहलूवालिया के दिमाग की उपज है। अभिनव ने अपने जीवन का ज्यादा हिस्सा देहरादून में ही बिताया है। वो 12-15 लोगों की टीम के साथ इस कंसेंप्ट के ज़रिये सेहतमंद ऑर्गेनिक खाने और किसानों को प्रमोट करने में लगे रहते हैं। अभिनव बताते हैं कि “किवी में हम किसानों को देश की रीढ़ की हड्डी मानते हैं।औऱ इसलिये हम सीधा किसानों से जुड़कर काम करते हैं और उन्हें ऑर्गेनिक खेती करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।” 

दरअसल ये स्टोर कोशिश है किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिये प्रोत्साहित करने के लिये । इसके लिये ये ज़रूरी है कि किसानों को उनकी फसल के सही दाम मिले। किवी यही काम करने में लगा है। इसके साथ साथ किसानों को खेती के नये और आसान तरीकों की जानकारी, नई तकनीक की जानकारी और ज्यादा डिमांड में होने वाले उत्पादों के बारे में भी अभिनव और उनकी टीम किसानों की मदद करती है। इस स्टोर पर उपभोक्ताओं के लिये फल, सब्जी, मसाले, चाये, शहद, दूध आदि मिलता है। ये सभी उत्पाद आईएसओ 2200 और आईएसओ 9001 सर्टिफाइड फैक्टर्री में ईको फ्रेंडली पेपर से बनी पैकिंग मटिरियल में पैक होती है। अभिनव बतात ेहैं कि “हमारी कंपनी और उत्पाद भारतीय, य़ूएस और युरोपियन ऑर्गेनिक उत्पाद मानकों पर सर्टिफाइड हैं।हमारे यहां ग्राहकों को सीधे किसानों तक जोड़ने पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।”

अभिनव ने भुबनेश्वर के स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट से एमबीए किया है और इस क्षेत्र में उन्हे खासा अनुभव हासिल है। ये सारा अनुभव इस स्टोर को बनाने में अभिनव के काम आया। अभिनव का मूल मंत्र है “जैसा होगा अन्न वैसा होगा मन”।

kiwi“देहरादून के लोगों ने हमारे पहले कंसेप्ट स्टोर को खासा पसंद किया है और अब ऐसे और स्टोर शहर में और देश में कोलने की मांग भी हमारे पाल लगातार आ रही है। लोग हमारे उत्पादों से काफी शुश हैं।” 

जर्मना में हुए अंतर्राष्ट्रीय ऑरेगनिक फूड सम्मेलन में हिस्सा लेने का बाद अब किवी अपने उत्पादों को देशभर में ले जाने की तैयारी कर रहा है।

कुहू गर्ग ने आइसलैंड इंटरनेशनल टूर्नामेंट जीतकर किया साल का शानदार आग़ाज़

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25 से 28 जनवरी तक चलने वाले बी.डब्लू.ऍफ़ आइसलैंड इंटरनेशनल बैडमिंटन टूर्नामेंट 2018 में कुहू गर्ग ने फाईनल मैच में जीत दर्ज कर ली है।कुहू ने फाईनल 16-21,21_19 & 21-18 से जीत कर गोल्ड मैडल अपने नाम किया।वहीं बोधित ने 17-21& 15-21 से फाईनल में सिल्वर मैडल अपने नाम किया।

कुहू व बोधित जोशी ने शानदार खेल का प्रदर्शन कर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए आइसलैंड इंटरनेशनल में फाइनल में प्रवेश कर लिया था।

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मिश्रित युगल में कुहू ने रोहन कपूर के साथ खेलते हुए सेमी फाइनल मै स्पेन की जोड़ी जविएर व एलीना को आसानी से 21-14 व 21-13 से हराकर फाइनल में स्थान बना लिया था।आपको बतादें कि कुहू ने पिछले हफ्ते स्वीडिश ओपन में भी कांस्य पदक प्राप्त किया था। क्वार्टर फाइनल में कुहू की जोड़ी ने लुतानिया के मार्क व व्य्लाते फोमिकिनाते की जोड़ी को भी आसानी से 21-14 व 21-13 से हराया था। फाइनल में कुहू और बोधित की जोड़ी का डेनमार्क के क्रिस्टोफ़र कुन्द्सें व इसाबेल्ला की जोड़ी से सामना हुआ।

बोधित जोशी ने पुरुष एकल के सेमी फाइनल में डेनमार्क के रेस्मुस को 22-24, 25-23 व 21-17 से हराकर फाइनल मै प्रवेश किया है।क्वार्टर फाइनल में बोधित जोशी ने स्लोवाकिया के मिलन द्रत्वा को बड़ी आसानी से 21-12 व 21-5 से हराया था। फाइनल में बोधित की टक्कर इंग्लैंड के सैम पारसंस से हुई।

कुहू और बोधित जोशी के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर उत्तराखंड बैडमिंटन का नाम एक बार फिर ऊंचा हुआ है। वहीं कुहू गर्ग के लिए यह साल 2018 के लिए एक शानदार आगाज़ है।

डब्ल्यूआईसी इंडिया में आलोक व मानस लाल के साथ टॉक शो का आयोजन

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देहरादून- डब्ल्यूआईसी टाॅक्स के तहत डब्ल्यूआईसी इंडिया ने आर्टिस्ट आलोक लाल व मानस लाल के साथ बातचीत सत्र का आयोजन किया। पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने डब्ल्यूआईसी इंडिया की प्रेसीडेंट नाज़िया युसूफ इजु़द्दीन के साथ बातचीत कर विचारों का आदान प्रदान किया।

बातचीत सत्र के दौरान आलोक लाल ने सत्र के दौरान अपनी कला क्षेत्र से अब तक की जुड़े विचारों को साझा किया। उन्होंने कहा कि, वे अपने बेटे मानस से प्रेरित हैं, व उन्हें इस बात की सबसे अधिक खुशी है कि आज उनके पुत्र ने अपने पसंद का व्यवसाय व कार्य चुना है। वह बेटे की तुलना में उनके लिए साथी अधिक हैं। उन्होंने कहा कि, मानस को कभी भी उन्होंने कलात्मकता नही सीखायी, बल्कि वे दोनों अपनी रचनात्मकता के अनुसार कला क्षेत्र से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि, वे एक प्रशिक्षित चित्रकार नही है, लेकिन  वे चित्रकला के माध्यम से खुद को व्यक्त करते हैं जो उन्हें वास्तव में अच्छा लगता है व एक अलग खुशी देता है। उन्होंने बताया कि, उनका पसंदीदा विषय पर्यावरण है।

पूर्व आईपीएस आलोक लाल ने 2012 में सेवानिवृत्ति के बाद जोश के साथ पेंटिंग की शुरूआत की। वर्तमान में उत्तराखंड गवर्नर के सलाहकार आलोक की पेंटिंग में प्रकृति व विलुप्त होती हरियाली के प्रति गहरी चिंता दिखायी देती है।

मानस ने बताया कि, उनके पिता आलोक हमेशा उनके लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। उन्होंने कहा कि, उनके पिता ने उनके जीवन व करियर संबंधी सभी स्वतंत्रताएं दी है, व किसी भी कार्य के लिए उन्हें कभी मजबूर नहीं किया। कला के प्रति प्रेम भाव को व्यक्त करते हुए मानस ने कहा कि, वे अमूर्त कला बनाना अधिक पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि, उनके कार्यों में ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद व महिला सशक्तिकरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि, उनके कामों को चुनना बच्चों के बीच चुनने जैसा है।

पेशे से साॅफ्टवेयर इंजीनियर मानस लाल जो इंफोसिस के लिए भी कार्य कर चुके हैं, वे अब फोटाग्राफिक कलाकार, चित्रकार व स्तंभकार हैं।

डब्ल्यूआईसी इंडिया की प्रेजीडेंट नाज़िया युसूफ इजुद्दीन ने कहा कि, यह डब्ल्यूआईसी इंडिया के लिए हर्ष का विषय है, कि देहरादून के स्थानीय कलाकारों के साथ बातचीत का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि, पिता पुत्र की यह जोड़ी अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करेगी।

आलोक व मानस लाल ने अपने चित्रों व तस्वीरों के माध्यम से भारत को बखूबी दर्शाया है।

राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों से प्रगाढ़ होंगे भारत-म्यांमार रिश्ते : राष्ट्रपति

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नई दिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने म्यांमार की स्टेट काउंसिलर आंग सान सू की से शनिवार को राष्ट्रपति भवन में मुलाकात के दौरान कहा कि दोनों देशों के बीच व्यवसाय समर्थित राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों से रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत-म्यांमार का मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार हमारे प्रगाढ़ रिश्ते को प्रतिबिंबित नहीं कर रहा है क्योंकि अभी दोनों देशों के बीच महज 2 अरब डॉलर का ही व्यापार हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए बहुत अधिक संभावनाएं हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीतियों के तहत भारत के लिए म्यांमार सर्वोच्च प्राथमिकता रखता है। उन्होंने म्यांमार सरकार को उनकी शांति प्रक्रिया में भारत के निरंतर समर्थन और राष्ट्रीय सामंजस्य और आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों का आश्वासन दिया।

बातचीत के दौरान, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत गणतंत्र दिवस समारोह और आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में आंग सान सू की मौजूदगी से सम्मानित महसूस करता है। उन्होंने कहा कि आंग सान सू की और उनके परिवार के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंध रहे हैं। राष्ट्रपति भवन और मुगल गार्डन का भी उनके साथ एक विशेष संबंध है। राष्ट्रपति ने आंग सान सू की को राष्ट्रपति भवन के विशाल गार्डन से पत्तीदार गुलाब भी भेंट किए।

दुुनिया के 400 छात्रों ने परमार्थ गंगा तट पर लिया स्वच्छता महासंकल्प

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ऋषिकेश,  भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों यथा चीन, ब्राजील, अमेरीका, ब्रिटेन, दुबई और कई अन्य देशों के लगभग 400 से अधिक छात्र ने आज परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर ’’स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण’’ का संकल्प ग्रहण किया। इस अवसर पर स्वच्छता का संदेश प्रसारित करने के लिये ’’स्वच्छता जागरूकता रैली’’ का आयोजन किया गया जिसमें देहरादून व विश्व के विभिन्न देशों से आये विद्यार्थी, स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक एवं जिला स्वच्छ भारत प्रेरक बिहार के प्रतिभागी, लद्दाख से आयी बौद्ध भिक्षुुनियां, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और देशी विदेशी सैलानियों ने सहभाग किया।

जीवा एवं गंगा एक्शन परिवार परमार्थ निकेतन द्वारा पपेट शे के माध्यम से ’’स्वच्छता का महत्व’’ विषय पर लघु नाटिका का चित्रण किया गया।

भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों से आया यह छात्रों का दल परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के चिदानन्द महाराज ने पर्यावरण संरक्षण, नदियों को स्वच्छ एवं अविरल बनाने तथा वृक्षारोपण के लिये किये जा रहे प्रयासों के बारे में बताया।

विदेशी छात्रों में गंगा आरती को लेकर भी अत्यधिक उत्सुकता थी। छात्रों ने भारतीय आध्यात्म को परमार्थ निकेतन आकर नजदीक से जाना और यह महसूस किया की वास्तव में परमार्थ तट पर होने वाली आरती के वह पल अमृत के समान है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता केवल अनुभव किया जा सकता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’’नव सृजन के लिये नये जोश और नये उत्साह की नितांत अवश्यकता है। नई ऊर्जा, नई सम्भावनाओं को जन्म देती है और वर्तमान समय में सुरक्षित एवं स्वस्थ भविष्य का निर्माण सबसे बड़ी चुनौती है।  अगर हम सभी जागरूक रहे तो इस भयावह आंकडों को कम किया जा सकता है। स्वामी जी ने सभी युवाओं का आहृवान करते हुये कहा कि परिवर्तन ही जीवन है, अतः नई सोच; नये विचारों के साथ आगे बढ़े और प्रदूषण नामक वैश्विक समस्या के समाधान के लिये स्वच्छता के अग्रदूत बने।’’

गंगा तट पर सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय ने प्रदूषण को जड़ से मिटाने तथा स्वच्छता को अंगीकार करने का संकल्प लिया।

खेलो इंडिया ने लांच किया आॅनलाइन क्विज

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नई दिल्ली,  राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख खेल आयोजन स्थलों पर 31 जनवरी से 8 फरवरी तक आयोजित होने वाले पहले खेलो इंडिया स्कूल गेम्स (केआईएसजी) के तहत खेलो इंडिया ने एक बिल्कुल अलग क्विज प्रतियोगिता शुरू की है, जिसका नाम ‘अब हर कोई खेलेगा क्विज’ रखा गया है।

इस आॅनलाइन क्विज प्रतियोगिता की शुरुआत 22 जनवरी को हो चुकी है और यह सिर्फ पांच दिनों में 55 हजार प्रतिभागियों को आकर्षित कर चुकी है। यह क्विज 31 जनवरी तक आयोजित होनी है और इसे-www.kheloindia.gov.in/quiz पर जाकर खेला जा सकता है।

इस वेबसाइट पर लॉगइन करने वाले प्रत्येक प्रतिभागी (यूजर) को 15 राउंड का सामना करना है। एक दिन में चार सवाल उसके सामने आएंगे। हर दिन 10 विजेताओं का चयन होगा। इनका चयन इनके स्कोर के आधार पर होगा। अगर टाई होता है तो फिर लकी ड्रॉ से विजेता का चयन होगा।

इस प्रतियोगिता में जीतने वालों को खेलो इंडिया मर्चेंटडाइड पुरस्कार के तौर पर दी जाएगी। साथ ही टॉप-10 खिलाड़ियों को स्कूल गेम्स के समापन के अवसर पर खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर से मिलने का मौका मिलेगा।

इस क्विज प्रतियोगिता को भारतीय खेलों को प्रोमोट करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है और साथ ही इसके माध्यम से भारत के समृद्ध खेल विरासत को लोगों तक पहुंचाने का भी प्रयास किया गया है। इसके अलावा इसका उद्देश्य युवाओं को खेलों की ओर आकर्षित करना भी है।

हीरक जयंती अंतिम दिन राज्यपाल का रहा सम्बोधन

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भरत मंदिर इंटर कॉलेज के हीरक जयंती उत्सव के अंतिम दिन के सत्र में महामहिम राज्यपाल के के पॉल और हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तथा शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक में प्रतिभाग किया।

सर्व प्रथम राज्यपाल द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का आरंभ किया गया जिस में मौजूद 70 वर्ष पूर्ण होने के उत्सव में आए विद्यार्थियों और पूर्व छात्रों ने अपने अनुभव बांटे साथी राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “आज के वक्त में हमें कंप्यूटर और इंटरनेट के द्वारा ज्ञान तो प्राप्त हो सकता है मगर संस्कार हमें विद्यालय में जाकर गुरुकुल परंपरा से ही मिलते हैं आज जरूरत है हमें कि हम ज्यादा से ज्यादा वक्त अपने गुरुओं के साथ बिताएं और उनसे शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी प्राप्त करें साथ ही महामहिम राज्यपाल में विद्यालय के पुस्तकालय के लिए एक लाख रुपए देने की भी घोषणा की।”

इंडोनेशियाई ओपन के फाइनल में पहुंची साइना नेहवाल

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नई दिल्ली, 27 जनवरी (हि.स.)। भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल इंडोनेशियाई ओपन के फाइनल में पहुंच गई हैं। साइना ने सेमीफाइनल मुकाबले में पूर्व विश्व चैम्पियन थाईलैंड की इंथानॉन रैचानॉक को शिकस्त दी। 27 वर्षीय साइना ने रैचानॉक को 21-19, 21-19 से मात देकर छठी बार खिताबी मुकाबले में जगह बनाई। खिताबी मुकाबले में साइना का सामना चीनी ताइपे की ताई जू इंग और चीन की ही बिंगजिआओ के बीच होने वाले मैच के विजेता से होगा।


रैचानॉक और साइना के बीच अब तक 15 मैच हुए हैं,जिसमें साइना ने 9 बार जीत दर्ज की है व छह में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि साइना ने क्वॉर्टर फाइनल मुकाबले में ओलंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधु को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। साइना ने सिंधु को 21-13, 21-19 से मात दी थी।

आर्थिक संकट से जूझ रहे कर्मचारी, पांच माह से नहीं मिला वेतन

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देहरादून। शिक्षा विभाग में तैनात बीआरसी/सीआरसी समन्वयक इन दिनों भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बीते पांच माह से वेतन न मिलने के कारण कई कर्मचारियों के बच्चों की स्कूल फीस तक जमा नहीं हो पाई है। आलम यह है कि कर्मचारियों को परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। मामले में प्राथमिक शिक्षक संघ ने विभाग से वेतन जारी करने की मांग भी की, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकलने से स्थिति जस की तस बनी हुई है। हालांकि, विभाग ट्रेजरी से वेतन जल्द से जल्द जारी करने की बात कर रहा है।

परिवार के भरण-पोषण में भी आ रही परेशानी
शिक्षा विभाग में तैनात बीआरसी/सीआरसी समन्वयक अक्टूबर से वेतन नहीं मिलने से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे बच्चों की फीस भी नही भर पा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें अक्टूबर माह से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। अधिकांश कर्मी किरानों में रहते हैं। ऐसे में वेतन समय पर नहीं मिलने से कमरों का किराया देना और परिवार का भरण-पोषण करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। विभाग भी लगातार उनकी अनदेखी कर रहा है। लगातार वेतन की मांग करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है।

दो दिन तालबंदी का भी असर नहीं
शिक्षा विभाग के इस रवैये के खिलाफ प्राथमिक शिक्षक संघ बीआरसी/सीआरसी की पैरवी के लिए आगे आया। संघ ने शिक्षा विभाग से समस्या का समाधान करने की मांग की। मगर इसके बाद भी कोई सकारात्मक कार्रवाई न होती देख संघ ने विरोध दर्ज करते हुए बीते दिनों मंगलवार और बुधवार को मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर धरना देते हुए तालाबंदी कर दी। संगठन ने दो दिन तक लगातार तालाबंदी जारी रखी।
संगठन के अध्यक्ष विरेंद्र कृषाली ने कहा कि उत्तराखंड राज्य सर्व शिक्षा अभियान में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी रहा है। जिसका श्रेय सर्व शिक्षा अभियान की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में बीआरसी-सीआरसी समन्वयकों को जाता है। लेकिन, इन्हें पिछले पांच माह से वेतन ही नहीं मिला। शैक्षिक सत्र में आकस्मिक व्यय की धनराशि भी अवमुक्त नहीं हुई है, जिस कारण बीआरसी-सीआरसी समन्वयक बिना धन काम करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सारे कर्मचारी उक्त व्यवस्था से पीड़ित, परिवार के जीवकोपार्जन में कठिनाइयां पैदा हो रही है, परंतु अनुशासन उन्हें आवाज बुलंद करने भी नहीं दे रहा है। शिक्षक नेता धर्मेंद्र रावत ने बताया कि कई बीआरसी/सीआरसी ऐसे हैं जिनके परिवार के खर्च के अलावा सबकुछ सिर्फ वेतन पर निर्भर रहना पड़ता है, ऐसी स्थिति में वेतन में जब भी विलंब होता है, बहुत ही दिक्कत सामने आ जाती हैं।

विभाग को दिया दो दिन का समय
शिक्षक संघ ने विभाग को समस्या के समाधान के लिए दो दिन का समय दिया है। संघ के अध्यक्ष कृषाली ने कहा कि इस विषय में मुख्य शिक्षाधिकारी से बात हुई है लेकिन उनकी तरफ से भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बजट आ गया है, वेतन कब तक जारी होगा इसका अभी अता पता नहीं है। हमारी ओर से बीआरसी-सीआरसी समन्वयकों को ट्रेजरी से वेतन भुगतान और ट्रेजरी कोड आवंटन की भी मांग की गई है। उन्होंने कहा कि यदि विभाग 29 जनवरी तक बीआरसी-सीआरसी समन्वयकों का वेतन जारी नहीं करता है तो एक बार आंदोलन को उग्र कर दिया जाएगा।