आर्थिक संकट से जूझ रहे कर्मचारी, पांच माह से नहीं मिला वेतन

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देहरादून। शिक्षा विभाग में तैनात बीआरसी/सीआरसी समन्वयक इन दिनों भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बीते पांच माह से वेतन न मिलने के कारण कई कर्मचारियों के बच्चों की स्कूल फीस तक जमा नहीं हो पाई है। आलम यह है कि कर्मचारियों को परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। मामले में प्राथमिक शिक्षक संघ ने विभाग से वेतन जारी करने की मांग भी की, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकलने से स्थिति जस की तस बनी हुई है। हालांकि, विभाग ट्रेजरी से वेतन जल्द से जल्द जारी करने की बात कर रहा है।

परिवार के भरण-पोषण में भी आ रही परेशानी
शिक्षा विभाग में तैनात बीआरसी/सीआरसी समन्वयक अक्टूबर से वेतन नहीं मिलने से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे बच्चों की फीस भी नही भर पा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें अक्टूबर माह से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। अधिकांश कर्मी किरानों में रहते हैं। ऐसे में वेतन समय पर नहीं मिलने से कमरों का किराया देना और परिवार का भरण-पोषण करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। विभाग भी लगातार उनकी अनदेखी कर रहा है। लगातार वेतन की मांग करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है।

दो दिन तालबंदी का भी असर नहीं
शिक्षा विभाग के इस रवैये के खिलाफ प्राथमिक शिक्षक संघ बीआरसी/सीआरसी की पैरवी के लिए आगे आया। संघ ने शिक्षा विभाग से समस्या का समाधान करने की मांग की। मगर इसके बाद भी कोई सकारात्मक कार्रवाई न होती देख संघ ने विरोध दर्ज करते हुए बीते दिनों मंगलवार और बुधवार को मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर धरना देते हुए तालाबंदी कर दी। संगठन ने दो दिन तक लगातार तालाबंदी जारी रखी।
संगठन के अध्यक्ष विरेंद्र कृषाली ने कहा कि उत्तराखंड राज्य सर्व शिक्षा अभियान में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी रहा है। जिसका श्रेय सर्व शिक्षा अभियान की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में बीआरसी-सीआरसी समन्वयकों को जाता है। लेकिन, इन्हें पिछले पांच माह से वेतन ही नहीं मिला। शैक्षिक सत्र में आकस्मिक व्यय की धनराशि भी अवमुक्त नहीं हुई है, जिस कारण बीआरसी-सीआरसी समन्वयक बिना धन काम करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सारे कर्मचारी उक्त व्यवस्था से पीड़ित, परिवार के जीवकोपार्जन में कठिनाइयां पैदा हो रही है, परंतु अनुशासन उन्हें आवाज बुलंद करने भी नहीं दे रहा है। शिक्षक नेता धर्मेंद्र रावत ने बताया कि कई बीआरसी/सीआरसी ऐसे हैं जिनके परिवार के खर्च के अलावा सबकुछ सिर्फ वेतन पर निर्भर रहना पड़ता है, ऐसी स्थिति में वेतन में जब भी विलंब होता है, बहुत ही दिक्कत सामने आ जाती हैं।

विभाग को दिया दो दिन का समय
शिक्षक संघ ने विभाग को समस्या के समाधान के लिए दो दिन का समय दिया है। संघ के अध्यक्ष कृषाली ने कहा कि इस विषय में मुख्य शिक्षाधिकारी से बात हुई है लेकिन उनकी तरफ से भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बजट आ गया है, वेतन कब तक जारी होगा इसका अभी अता पता नहीं है। हमारी ओर से बीआरसी-सीआरसी समन्वयकों को ट्रेजरी से वेतन भुगतान और ट्रेजरी कोड आवंटन की भी मांग की गई है। उन्होंने कहा कि यदि विभाग 29 जनवरी तक बीआरसी-सीआरसी समन्वयकों का वेतन जारी नहीं करता है तो एक बार आंदोलन को उग्र कर दिया जाएगा।