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पांच हाईकोर्ट के 37 एडिशनल जजों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश

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सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली,  सु्प्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पांच हाईकोर्ट के 37 एडिशनल जजों को स्थायी जज बनाने की सिफारिश की है। कॉलेजियम ने जिन एडिशनल जजों को स्थायी जज के पद पर नियुक्ति करने की सिफारिश की है उनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के 9, राजस्थान हाईकोर्ट के 10, केरल हाईकोर्ट के 5, गुजरात हाईकोर्ट के 7 और बांबे हाईकोर्ट के 6 एडिशनल जज शामिल हैं । कॉलेजियम ने 22 फरवरी की अपनी में ये सिफारिशें की हैं।

कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जिन एडिशनल जजों को स्थायी जज के पद पर नियुक्ति की सिफारिश की है उनमें जस्टिस राजूल भार्गव, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा, जस्टिस संगीता चंद्र, जस्टिस दया शंकर त्रिपाठी, जस्टिस शैलेंद्र कुमार अग्रवाल, जस्टिस संजय हरकोलली, जस्टिस कृष्णा प्रताप सिंह, जस्टिस रेखा दीक्षित, और जस्टिस सत्य नारायण अग्निहोत्री शामिल हैं। हालांकि कॉलेजियम ने जस्टिस वीरेंद्र कुमार-द्वितीय को 15 नवंबर, 2018 से एक साल की एक नई अवधि के लिए एडिशनल के तौर पर फिर से नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। कॉलेजियम ने कहा है कि जस्टिस कुमार के काम को कुछ और समय के लिए देखा जाए।

कॉलेजियम ने राजस्थान हाईकोर्ट के जिन एडिशनल जजों को स्थायी जज के पद पर नियुक्ति की सिफारिश की है उनमें जस्टिस गंगा राम मूलचंदानी, जस्टिस दीपक माहेश्वरी, जस्टिस विजय कुमार व्यास, जस्टिस गोवर्धन बरधारी, जस्टिस पंकज भंडारी, जस्टिस दिनेश चंद्र सोमाणी, जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा, जस्टिस डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी, जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर शामिल हैं।

कॉलेजियम ने केरल हाईकोर्ट के जिन एडिशनल जजों को स्थायी जज के पद पर नियुक्ति की सिफारिश की है उनमें जस्टिस सतीश नैनन, जस्टिस देवान रामचंद्रन, जस्टिस पी सोमरराजन, जस्टिस वी शर्सी, और जस्टिस ए.एम.बाबू शामिल हैं।

कॉलेजियम ने गुजरात हाईकोर्ट के जिन एडिशनल जजों को स्थायी जज के पद पर नियुक्ति की सिफारिश की है उनमें जस्टिस डॉ के जे थाकेर, जस्टिस आरपी ढोलरिया, जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री, जस्टिस बिरन ए वैष्णव, जस्टिस अल्पेश वाई कॉगज , जस्टिस अरविंद सिंह सुपिया और जस्टिस बी एन करिया शामिल हैं।

कॉलेजियम ने फैसला किया कि जस्टिस के जे थाकेर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्य करना जारी रखेंगे, जिसमें वह वर्तमान में तैनात हैं। कॉलेजियम ने कहा है कि कुछ सिफारिशों के खिलाफ न्याय विभाग और चीफ जस्टिस द्वारा कुछ शिकायतें मिली हैं। हालांकि कॉलेजियम ने इस तरह के आरोपों पर ध्यान देने से इनकार कर दिया। कॉलेजियम ने कहा है कि उपरोक्त शिकायतों में हमें कोई योग्यता नहीं दिखाई देती।

कॉलेजियम ने बांबे हाईकोर्ट के जिन एडिशनल जजों को स्थायी जज के पद पर नियुक्ति की सिफारिश की है उनमें जस्टिस प्रकाश देव नाइक, जस्टिस मकरंद सुभाष कर्णिक, जस्टिस स्वप्ना संजीव जोशी, जस्टिस किशोर कालेश सोनवणे, जस्टिस संगीतराव शामराव पाटिल और जस्टिस नूतन दत्ताराम सरदेसाई शामिल हैं।

यहां भी कॉलेजियम ने कुछ सिफारिश वाले लोगों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों पर भरोसा करने से मना कर दिया। कॉलेजियम ने कहा कि उपरोक्त शिकायतों में हमें कोई योग्यता नहीं दिखाई देती क्योंकि इसमें किए गए आरोप झूठे, तुच्छ या बिना किसी सबूत के हैं। हमारे विचार में ये शिकायतें विशेष रूप से, सकारात्मक सामग्री के प्रकाश में नजरअंदाज करने की हकदार हैं।

राइट टू हेल्थ के बैनर तले अस्पताल में डॉक्टरों की मांग को लेकर अनशन पर बैठे नागरिक

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ऋषिकेश, उत्तराखंड में चार धाम यात्रा यात्रा के प्रवेश द्वार ऋषिकेश के एक मात्र सरकारी अस्पताल के हाल सरकार के तमाम वादों की हकीकत बताने के लिए काफी है, यहाँ काफी लंबे समय से डाक्टर की कमी के चलते मरीजों को काफी दिक्केतें हो रही है, तो वहीँ हॉस्पिटल की व्यवस्था की तरफ भी कोई ध्यान देता नहीं दिख रहा है।

हालात ये है कि सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में पिछले कई महीनों से रेबीज़ तक की भी दवाई उपलब्ध नहीं है, साल 2013 की आपदा के जख्म आज भी हर किसी के दिलं में हरे है, स्वस्थ सेवाओं की बदहाली का खामिजाय हमें उस वक्त भी भुगतना पड़ा था, पर अफसोस, आपदा के इतने साल बाद भी हालात जस के तस बने हुए है। पुरे पहाड़ों की स्वस्थ सेवाओं को जोड़ने वाले ऋषिकेश के एक मात्र सरकारी अस्पताल के हाल भी बेहद खराब है। सरकारी अस्पताल में कई विभागों में डॉक्टर्स की काफी कमी चल रही है, कई विभागों के सर्जन नहीं है, ऐसे में पहाड़ों से बेहतर इलाज के लिए ऋषिकेश आने वाले मरीजों को सरकार की इस नाकामी का खामियाजा उठाना पढता है । इसके पीछे का कारण डॉक्टर के तबादले तो कर दिए गए लेकिन उनकी जगह अभी तक कोई डॉकटर नहीं आया है जिसको लेकर ऋषिकेश की जनता में त्रिवेंद्र सरकार के प्रति गुस्सा है।

ऋषिकेश के पहाड़ी जिलों से जुड़े होने के कारण दूर दराज से गांव के लोग इलाज के लिए ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आते है परन्तु सरकारी अस्पताल के हाल यह है कि यहाँ कई विभागों में डॉक्टरों की कमी चल रही है। यह हाल तब है जब नयी सरकार डबल इंजन की बात कर उत्तराखंड में नए बदलाव की बात कर रही है, ऐसे में ऋषिकेश का ये अस्पताल प्रदेश की स्वास्थ व्यवस्थाओं की पोल खोलने के लिए काफी है।

जब तक राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में रिक्त पड़े डॉक्टरों के पद भरें नही जाएंगे तब तक अनशन और आंदोलन जारी रहेगा। ‘राइट टू हेल्थ’ के ऋषिकेश सह सयोंजक उत्तम असवाल ने कहा कि, “जून 2017 से ऋषिकेश अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, निश्चेतक, महिला रोग विशेषज्ञ समेत ईएनटी, चर्मरोग, ईएमओ चिकित्सक का पद रिक्त होने के कारण रोजना हजारों रोगियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।” गढ़वाल महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राइट टू हैल्थ से जुड़े डॉ राजे नेगी ने कहा कि, “विश्व पटल पर अंर्तराष्टीय योग नगरी के नाम से विखयात एवं चारधाम यात्रा का मुख्य द्वार पर चिकित्सको के अभाव के कारण रोजाना दुर्घटना में घायल होने वाले मरीजो को भी इलाज न मिल पाने के कारण अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है।”

26 फरवरी को शुरू होगी मणिकूट परिक्रमा 

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ऋषिकेश, ऋषीकेश में गंगा के तट पर स्थित मणि कूट पर्वत प्राचीन समय से ही ऋषि मुनियों की तपोभूमि के नाम से जाना जाता है, यहाँ पर नीलकंठ महादेव और अन्य कई सिद्ध पीठ है, इस छेत्र को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए पिछले 12 सालों से  मणि कूट पर्वत की परिकर्मा का आयोजन किया जाता रहा है, जिस में देशी-विदेशी लोग शिरकत करते है। कहा जाता है कि मणि कूट पर्वत पर त्रिदेव निवास करते है जिसकी परिक्रमा करने से पापो का शमन होता है।

मणिकूट परिक्रमा के आयोजक सौरभ कंडवाल के अनुसार, “आत्म कुटीर आश्रम द्वारा हर साल आयोजित की जाने वाली पौराणिक मणिकूट परिक्रमा का आयोजन इस वर्ष 26 फरवरी को होने जा रहा है , मणिकूट परिक्रमा उन पौराणिक परिक्रमाओं में से एक जिनका वर्णन पुराणों में मिलता है प्राचीन काल से यह परिक्रमा चली आ रही है, हालांकि कठनाइयों के चलते यह परम्परा विलुप्त हो गई थी लेकिन आत्म कुटीर आश्रम के राही बाबा के द्वारा इस परंपरा की दुबारा शुरुवात की गई है।”

आत्म कुटीर आश्रम कई सालों से इस यात्रा का आयोजन करवाता आया है। यात्रा का शुभारम्भ लक्ष्मण झूला के निकट पांडव गुफा से प्रातः माँ गंगा के आश्रीवाद से होगा, तत्पश्चात यात्रा में अलग-अलग बारह द्वारों का पूजन किया जायेगा, अौर अंत मे यात्रा वापस माँ गंगा के तट पर पूर्ण होगी । यात्रा में हजारों की संख्या में देशी व विदेशी श्रद्धालु सम्मलित होकर यात्रा को पूर्ण करेंगे।

विशाल भारद्वाज ने अपनी आगामी फिल्म की शूटिंग टाली

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नई दिल्ली,  बॉलीवुड निर्देशक विशाल भारद्वाज ने अपनी आगामी फिल्म की शूटिंग दीपिका पादुकोण और इरफान खान का स्वास्थ्य खराब होने के कारण कुछ दिनों के लिए टाल दी है। यह जानकारी गुरुवार को फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने फेसबुक पोस्ट से दी।

भारद्वाज ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि इरफान को पीलिया हो गया है, जबकि दीपिका को फिल्म ‘पद्मावत’ की शूटिंग के दौरान से पीठ में दर्द की समस्या हो गयी थी। उन्होंने कहा कि फिल्म में दीपिका की जिस तरह की भूमिका है, उससे वह बहुत जल्दी थक जायेंगी| डॉक्टर ने उन्हें कुछ महीनों तक पूरा आराम करने की सलाह दी है। फिल्म की शूटिंग अगले महीने से नेपाल में शुरू होने की संभावना है।

विशाल भारद्वाज ने आगे लिखा कि अभी उनकी फिल्म का शीर्षक तय नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि यह फिल्म किसी की बायोपिक नहीं है। इस फिल्म की कहानी हुसैन जैदी की किताब ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’ से जरूर एडाप्ट की गई है, लेकिन जिस तरह से हमने इसकी पटकथा पर काम किया है उसको एक नया आकार पहचान दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि विशाल भारद्वाज हिन्दी फिल्म जगत के एक प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, पटकथा लेखक व निर्देशक हैं। उन्हें गॉडमदर, इश्किया के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

बीकानेर आयीं अभिनेत्री कंगना रनौत हिमाचल की यादों में खोयीं

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बीकानेर, बॉलीवुड फिल्म मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ झांकी की शूटिंग के सिलसिले में पिछले कई दिनों से बीकनेर में प्रवास कर रहीं बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत ने यहां बीकानेर राजघराने की पदमाकुमारी से शिष्टाचार मुलाकात कीं।

गौरतलब है कि राजघराने से जुड़ीं पदमाकुमारी वर्तमान में बीकानेर ईस्ट विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रिंसेस सिद्धीकुमारी की माता है। पदमाकुमारी चूंकि हिमाचल प्रदेश की है वहीं अभिनेत्री कंगना रनौत भी हिमाचल प्रदेश से ही आती है। लिहाजा मुलाकात के दौरान दोनों में हिमाचल प्रदेश से जुड़े संस्मरणों में खो गयीं। पदमाकुमारी ने कंगना को फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया साथ ही साथ बैठकर फोटो भी खिंचवाए। इस फिल्म में डैनी, सोनू सूद भी रोल प्ले कर रहे हैं।

रुड़की में पुलिस और बदमाश के बीच मुठभेड़, बदमाश घायल

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रुड़की, रुड़की में सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र के पीर बाबा कॉलोनी के पास पुलिस और बदमाश के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में बदमाश को गोली लगी और उसे उपचार के लिए सिविल अस्पताल से हरिद्वार जिला अस्पताल भेजा गया है।

शुक्रवार सुबह करीब पांच बजे गश्त के दौरान चेतक पुलिस को बाइक सवार एक युवक पर शक हुआ। जैसे ही पुलिसकर्मियों ने युवक को रोका तो बाइक सवार ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग की सूचना के बाद सीओ रुड़की एसके सिंह, सिविल लाइन कोतवाली प्रभारी एवं एसएसआई हरपाल सिंहमय फोर्स मौके पर पहुंच गए। इस दौरान पुलिस और बदमाश के बीच लगातार फायर होते रहे। इस गोलीबारी में पुलिस की गोली बदमाश के पैर में लगी। पुलिस ने घायल बदमाश को सिविल अस्पताल भिजवाया, फिर वहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

पुलिस को बदमाश के पास से एक तमंचा और नकदी बरामद हुआ। मौके पर पहुंचे एसपी देहात मणिकांत मिश्र ने बताया कि बदमाश वरुण कुमार बिष्ट उर्फ़ काका मूल निवासी चमसील गोचर जिला चमोली रुड़की में आसफ नगर में रह रहा था। उसने 14 फरवरी को सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र में साढ़े तीन लाख रुपये की लूट की थी। उसके बाद से वह फरार था।

हड़ताल प्रदेश: अब विद्रोह की राह पर राज्य के प्राथमिक शिक्षक

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(देहरादून) उत्तराखंड में दिन पर दिन हो रही हड़तालों में अब एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है। आदर्श विद्यालयों को पीपीपी मोड पर देने के सरकार के निर्णय, शिक्षकों से जबरन ब्रिज कोर्स की बाध्यता समाप्त करने, बीआरसी सीआरसी प्रकरण, छात्रवृत्ति आवेदनों की आॅनलाइन जिम्मेदारी शिक्षकों पर थोपने का प्रथतिक शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है। संघ ने शिक्षकों के साथ ही अधिकारियों की भी एसआईटी जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही प्राथमिक विद्यालयों में जल्द मानकानुसार शिक्षकों की तैनाती करने की मांग भी संघ ने सरकार से की है। मांगे पूरी न होने पर संघ ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

संघ का कहना है कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार अपनाया जा रहा है।

  • प्रशिक्षित शिक्षकों से जबरन ब्रिज कोर्स अथवा डीएलएड की बाध्यता पर भी असंतोष है।
  • प्रदेश में सीमेट, निदेशालयों, एसएसए आदि में शिक्षकों को नहीं रखा जाता है तो संघ इसे स्वीकार करेगा, लेकिन मात्र सीआरसी को हटाया जाता है तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।
  • आदर्श विद्यालयों को पीपीपी मोड पर दिए जाने का भी पुरजोर विरोध किया है।
  • समाज कल्याण छात्रवृत्ति आवेदन पत्रों को ऑनलाइन करने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर थोपने का भी संघ ने विरोध किया।

शिक्षकों की एसआईटी जांच पर शिक्षकों का कहना था कि जांच का स्वागत है, लेकिन मात्र प्राथमिक शिक्षकों को अपमानित किया जा रहा है। संघ ने सरकार से मांग की कि विभाग के अधिकारी व कार्मिकों के प्रमाणपत्रों की एसआईटी जांच भी की जानी चाहिए। फर्जी नियुक्तियों के खिलाफ जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिए। 

बहरहाल शिक्षकों की मांगों की लिस्ट और उनके तेवर देखकर ये तो कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में सरकार और शिक्षकों के बीच टकराव तय है। लेकिन ये भी तय है कि अगर ऐसा होता है तो इसका सबसे ज्यादा खामियाज़ा छात्रों को भरना पड़ेगा।

शहीद बेटे के नाम को आगे बढ़ाते पिता ब्रिगेडियर गुरुंग

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देहरादून, लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग भारतीय सेना में अपने ही पिता ब्रिगेडियर पी एस गुरुंग की यूनिट में तैनात थे, और करगिल युद्ध शुरू होने पहले प्री वार के समय लाइन-ऑफ-कंट्रोल पर अपने फ़र्ज़ को अंजाम दे रहे थे, कि अचानक दुश्मन की एक गोली उनके सीने जा लगी, मगर गोली लगने के बाद भी भारतीय सेना द्वारा दी गई जिम्मेदारी से पीछे ना हटते हुए आखिरकार शहीद हो गए।

उनके शहीद होने की खबर उनके पिता ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग को मिली पर बेटे की शहीद होने की खबर सुनकर उनकी आँखों में आसू का एक कतरा भी नहीं आया, बल्कि बेटे के देश पर कुर्बान होने की खबर सुनकर उनका सीना गर्व से  चौड़ा हो गया।लेफ्टिनेंट गुरुंग तो चले गये मगर उनके पिता ने अपने बेटे के नाम को हमेशा के लिए जिंदा रखने का फैसला कर लिया, और एक ऐसे ट्रेंनिग सेंटर की शुरुआत कि, जिसने कई जरूरतमंद बच्चो को सेना में जाने के लिए रास्ते खोल दिये।

ब्रिगेडियर गुरुंग ने अपने बेटे की पेंशन से एक बॉक्सिंग इंस्टीट्यूट खोला जहाँ पर उन्होंने पैसों की कमी से त्रस्त बच्चों को बॉक्सिंग और सेना में जाने की ट्रेंनिग देना शुरू कर दिया जिसके तहत अब तक 62 बच्चें उनसे ट्रेंनिग लेकर भारतीय सेना का हिस्सा बन चुके हैं, और इसके अलावा कई और बच्चें सेना जाने की तैयारी कर रहे हैं।

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यह देश का एकमात्र ट्रेंनिग इंस्टीट्यूट हैं जो शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग की पेंशन से  चल रहा हैं। इस नेक कार्य में सहायक के रूप में अपना योगदान देने वाले बॉक्सिंग कोच नरेश गुरुंग कहते है कि, “इंस्टीट्यूट में 76 बच्चें ट्रेंनिग ले रहे। जिसमें से कुछ एक नेशनल बॉक्सिंग में सलेक्ट हो चुके हैं। साथ ही कुछ एक इसकी तैयारी में है। तो बाकि उनके मकसद के अनुसार देश सेवा में सेना में जाने की तैयार हो रहे हैं।”

नरेश गुरुंग की माने तो अब उनका जीवन का भी उद्देश्य ब्रिगेडियर साहब की तरह ही हैं ,जिसमें वो ऐसा ही नेक कार्य में लगकर लेफ्टिनेंट गौतम साहब की तरह ही बच्चों को प्रोत्साहित कर खेल कोटे में तैयार में भारतीय सेना में शामिल करवाने में जुटे हैं।

उधर शहीद गौतम गुरुंग इंस्टीट्यूट में अपनी प्रतिभा को निखार रहे बच्चों मे से वरुण का कहना है कि, “जैसा माहौल यहा है और कही देखने को नहीं मिला है, जहाँ निशुल्क कोंचिंग होने के बावजूद इतनी शिद्दत के साथ ब्रिगेडियर सर और गुरुजनों द्वारा पूरे निष्ठा के साथ उनको बॉक्सिंग तैयार कर सेना के लिए तैयार किया जा रहा हैं।  सिखाने का जुनून यहाँ मिलता हैं उससे इतनी ताकत आती हैं कि,जीवन में कोशिश करने वाले कि कभी हार नहीं होती।”

शहीद गौतम मेमोरियल में आकर ब्रिगेडियर गुरुंग की शरण ले रहें इन बच्चों और ब्रिगेडियर गुरुंग और उनकी टीम के इस जज्बे को हम सलाम करते हैं।

राजनीति: सच साबित हो रही है 2 महीने पहले भाजपा के बारे में अफवाह

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देहरादून, जब कहीं आग लगती है तो धुआ उठना स्वाभाविक ही होता है 2 माह पहले एकाएक कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कोटद्वार के आसपास के गांव को उत्तराखंड में मिलाने की बात की थी जिस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इसे बीजेपी की सोची-समझी चाल बताया था, जिसमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल और उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों को आपस में मिलाने की बीजेपी की योजना का खुलासा किया था।

समय के साथ-साथ यह मामला पीछे चला गया और लोगों ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी लेकिन एक बार फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सहारनपुर में इस मुद्दे को हवा दे दी है, जिस पर कांग्रेस सहित उत्तराखंड क्रांति दल ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं और कहीं ना कहीं रोजगार की तलाश में हजारों की संख्या में लगे लोगों के मन में भी एक अंजाना सा डर बन सा गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भाजपा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का भूगोल बदलना चाहती है अौर पहाड़ की राजधानी पहाड़ में हो की मांग कहीं ना कहीं भाजपा के लिए अब पास बनती जा रही है।

इन सभी बातों की पुष्टि सहारनपुर मे बालाजी धाम के कार्यक्रम मे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंच पर अपने सहारनपुर प्रेम से जता दी अौर कहा कि वो सहारनपुर को उत्तराखंड में मिलाने के पक्षधर रहे हैं और कहां कि इसके लिए उनके द्वारा व्यक्तिगत प्रयास भी किए गये, मुख्यमंत्री का सार्वजनिक मंच पर इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं।

जानकार भी मानते हैं कि संभलकर बोलने वाले सीएम रावत ने इसे ऐसे ही तो नहीं कहा होगा। बीते 2 माह पहले जब कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने बिजनौर के कुछ गांवों को उत्तराखंड में मिलाने की पैरवी की थी। तब इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं हुई थी। हालांकि भाजपा ने तब भी इस पर कोई रिएक्ट नहीं किया।

बहरहाल, पहले कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत और फिर स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों से लगता है कि भाजपा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का भूगोल बदलना चाहती है। भाजपा ऐसा कर पहाड़ पर राजनीतिक निर्भरता को समाप्त करने के साथ ही मैदानी क्षेत्र में वाहवाही लूटना चाहती है। लेकिन जनभावनाओं के सवालों पर राज्य की जनता मुखर होने लगी है राजनीतिक दल भी

”होरी ऐगे” गीत के साथ वापसी कर रहे हैं नरेंद्र सिंह नेगी

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पिछलो दिनों बीमारी के चलते संगीत की दुनिया से गायब रहे गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी होली के मौके पर वापसी कर रहे हैं।ये बात उत्तराखंड के लोगों के लिये होली पर तोहफे जैसी रहेगी।

pahadi dagdya production

गढ़वाली होली गीत होरी ऐगे के साथ नरेंद्र सिंह नेगी एक बार फिर अपने प्रशंसकों के बीच आ रहे हैं। इस गाने का विडियो और प्रोडक्शन पहाड़ी दगड्या प्रोडक्शन ने किया है। हालांकि यह प्रोडक्शन हाउस नया है लेकिन इसमें काम करने वाले सारी टीम काफी पहले से उत्तराखंड के क्षेत्रीय सिनेमा के लिए काम कर रही हैं।

इस गाने के बारे में अपने चाहने वालों के बीच नेगी दा से मशहूर नरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि “अपनी तबीयत की वज़ह से काफी समय से मैं कैमरा और गायकी से दूर था लेकिन अपने बेटे कविलास के प्रयासों से मैं एक बार फिर श्रोताओं के बीच आ रहा हूं और आशा है इस विडियो को भी उतनी ही सराहना मिलेगी जितनी मेरे दूसरे गानों को मिली है। नेगी जी ने कहा कि “पिछले 40-42 साल से मै गायकी मे हूं पर यह खास है क्योंकि लंबे अंतराल के बाद मेै फिर कैमरे के सामने हूं।” उन्होंने कहा वैसे तो यह गाना मैने पहले गाया है लेकिन इसकी री-रिकॉर्डिंग और विडियो अब शूट किया गया है। होली का रंग और गुलाल इस गाने में पूरी तरह से दिखाई देगा और मै आशा करता हूं यह लोगो को पसंद आएगा।” 

गाने की शूटिंग के बारे में बात करते हुए पहाड़ी दगड्या प्रोडक्शन के टीम सदस्य गोविंद नेगी ने बताया कि “होरी ऐगे होली पर आधारित विडियो है जिसकी शूटिंग गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में हुई है।मंदिर के प्रांगण में पारंपरिक पहाड़ी घरों को ध्यान में रखते हुए गाने की शूटिंग हुई है।”  दरअसल इस गाने की शूटिंग की तैयारी नेगी दा की तबियत खराब होने से पहले से चल रही थी।

पहाड़ी दगड्या प्रोडक्शन द्वारा बनाऐ गए होरी ऐगे के इस विडियो की खास बात यह है कि शायद यह पहला ऐसा रिजनल विडियो होगा जिसमें 60-70 लोगों ने भाग लिया है। इस गाने को रिकॉर्ड करने के लिए सोनी एएस-2, माक-3,जीएच-5 ल्यूमिक्स कैमरों का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले पहाड़ी दगड्या प्रोडक्शन टीम के सदस्यों ने नंदा ध्याण बिदै नाम से एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है जिसने यूट्यूब से काफी सराहना बटोरी थी।

pahadi dagdya production team

गोविंद होरी ऐगे वीडियो शूट के सफर को याद करते हुए कहते हैं कि “इसको शूट करने के दौरान हमारे लिए बड़े क्रू को संभालना चुनौतीपूर्ण था।रीजनल स्तर पर हमारा भी यह पहला विडियो है जिसमें इतने लोगों ने काम किया है। हालांकि शूटिंग का हमारा अनुभव शानदार रहा।

होरी ऐगे के इस वीडियो में कलाकारों के अलावा खुद नरेंद्र सिंह नेगी दिखाई देंगे जो काफी लंबे समय बाद किसी विडियो में नज़र आऐंगे। होरी ऐगे गाना नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा लिखा और गाया गया है और यह गाना पहले भी इन्होंने गाया था जिसकी री-रिकॉर्डिग फूल एचडी में की गई है।

इस गाने को नए रंग-रुप में दर्शकों को लाने वाले पहाड़ी दगड्या प्रोडक्शन में बहुत से लोगों ने सहयोग किया है। गाने का डायरेक्शन कविलास नेगी और गोविंद नेगी ने किया है। सिनेमोटोग्रॉफी गोविंद नेगी, हरीश भट्ट और चंद्रशेखर चौहान ने किया है।कुछ शॉट ड्रोन कैमरे से भी लिए गए है जिसे युवी नेगी ने ऑपरेट किया है। कोरियोग्रॉफी सोहन चौहान और सेंडी नेगी, प्रोडक्शम मौनेजर अब्बू रावत, एसिसटेंट डायरेक्टर सोहन चौहान, प्रोडक्शन पहाड़ी दगड्या प्रोडक्शन और प्रोडयूस बलूनी क्लासेस ने किया है।इसके अलावा इस पूरे प्रोडक्शन में रजनीकांत सेमवाल ने विशेष सहयोग किया है।

गौरतलब है कि नरेंद्र सिंह नेगी को उत्तराखंड का गढ़ रत्न कहा जाता है और होली पर एक बार फिर हम राज्य के गली मौहल्लों में नेगी दा की आवाज़ सुन सकेंगे। इस वीडियो के लिये आपको कुछ दिन और इंतज़ार करना है, 26 फरवरी को यूट्यूब पर रिलीज़ कर दिया जाएगा।