प्रधानों ने प्रवासियों से एकांतवास के नियमों का पालन कराने में जताई असमर्थता

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(अल्मोड़ा) लॉकडाउन में ढील मिलने के साथ ही गांव आने वाले प्रवासियों का रेला उमड़ने लगा है। अल्मोड़ा के 1160 गांवों में हजारों लोग अपने घरों को वापस लौट रहे हैं। इन लोगों को एकांतवास (होम क्वारंटाइन) करने में प्रधानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई ग्राम प्रधानों ने गांवों में घरों में एकांतवास की कोई व्यवस्था न होने की बात कहकर हाथ खड़े कर दिये है।
लॉक डाउन अवधि से अब तक विभिन्न राज्यों में फंसे 12 हजार से अधिक प्रवासी अपने गांव में लौट आए हैं।
जबकि करीब 20 हजार लोगों ने घर वापसी के लिए पंजीकरण किया है। ऐसी स्थिति में इन लोगों को घरों में एकांतवास करने के निर्देशों के चलते गांवों में अजीब सी स्थिति पैदा हो गयी है। कई गांवों में इन प्रवासियों को शक के निगाह से देखा जा रहा है। इतने लोगों के एकांतवास में रखना आसान नहीं है। कई लोगों के घर बहुत छोटे हैं। कई ग्राम प्रधानों ने आने वाले लोगों को एकांतवास में रखने की कोई व्यवस्था न होने पर असमर्थता व्यक्त की है। दशाऊं के प्रधान हरीश बिष्ट ने बताया कि गांवों में लोग एक या दो कमरे के घरों में रहते हैं। शौचालय अमूमन हर घर में एक ही है। ऐसी स्थिति में लोगों को कैसे एकांतवास के नियमों का पालन कराएं। उन्होंने कहा कि प्रवासियों को प्राथमिकता से संस्थागत एकांतवास कराना चाहिए। यदि व्यवस्था नहीं है तो प्राथमिक स्कूलों में भी यह व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि हम लोगों ने एडीएम के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा हैं। सल्ला गांव के प्रधान बसंत टम्टा का कहना है कि अभी तक उनके पास कोई दिशा निर्देश तक नहीं पहुंचे हैं। वह केवल संचार माध्यमों से सुन रहे हैं कि उन्हें प्रवासियों को घरों में एकांतवास कराना चाहिए। लेकिन ग्राम पंचायतें इस कार्य के लिए सक्षम नहीं हैं।
इस संबंध में उपजिलाधिकारी सीमा विश्वकर्मा ने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार ही प्रवासियों को नियमों के अनुसार जांच कराने के बाद घरों में एकांतवास के लिए भेजा जा रहा है और अभी तक जो गाइडलाइन आई है, उसी के अनुरूप कार्य किया जा रहा है।