कांवड़ यात्राः  तीन करोड़ शिव भक्तों के आने का अनुमान

0
365
हरिद्वार,  सावन का महीना शुरू हो गया है और इसी के साथ श्रद्धा और आस्था की सबसे अनूठी कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो गई है। इस यात्रा के दौरान कांवड़िये कई किमी. पैदल चलकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। हर साल कांवड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इस बार प्रशासन के अनुसार लगभग तीन करोड़ कांवड़िये हरिद्वार पहुंचेंगे जिसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा सभी तैयारियों को पूरा कर देने का दावा किया गया है।
मान्यता है कि भगवान परशुराम ने सबसे पहले हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल भरकर पैदल मेरठ के पास पुरा महादेव पर जलाभिषेक किया था। इसके अलावा कावड़ को श्रवण कुमार के साथ भी जोड़ा जाता है, जिसने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा करवाई थी। हरिद्वार उपनगरी कनखल भगवान शिव की ससुराल मानी जाती है।
भगवान शिव एक महीने कनखल में अपने ससुराल दक्ष महादेव मंदिर में विराजते हैं। पुराणों के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता के यहां शिव का अपमान सुना तो उन्होंने योगाग्नि के द्वारा अपने प्राणों की आहुति दे दी थी जिसके बाद शिव ने क्रोधित होकर राजा दक्ष के सिर को धड़ से अलग कर दिया था। लेकिन देवी देवताओं के निवेदन के बाद भगवान शिव ने दक्ष के मस्तक पर बकरे का सिर लगा दिया। इसके बाद राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव से अपनी भूल की माफी मांगने पर शिव ने उन्हें माफ किया और दक्ष को वचन दिया कि वह एक महीने दक्ष महादेव मंदिर में ही वास करेंगे। मान्यता है कि इसी कारण सावन की शुरुआत से ही भगवान शंकर दक्ष प्रजापति मंदिर में विराजमान हो गए हैं।
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि, “भगवान शिव को जल अति प्रिय है। सावन मास में जल से ही पूजा की जाती है। इस सावन मास में जो कोई व्यक्ति व्रत रखता है और जमीन पर सोता है  उसे शिव कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव ऐसे देव हैं, जो छोटी सी साधना से ही प्रसन्न हो जाते हैं, सावन मास शुरू होते ही शिव भक्त हरिद्वार पहुंच रहे हैं। जहां से वे भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए गंगा जल भरकर रवाना होने लगे हैं।”
कांवड़ियों का कहना है कि, “भगवान शिव में उनकी अटूट आस्था है। वे पैदल कांवड़ ले जाते हैं, भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और भगवान शिव उनकी हर मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। कांवड़ ले जाते समय उन्हें पूरे रास्ते किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती क्योंकि भगवान शिव उनकी हर कठिनाई को दूर करते हैं।”
इस बार लगभग तीन करोड़ से ऊपर कांवड़ियों के आने की उम्मीद है। बावजूद इसके मेला क्षेत्र में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है।सड़कों पर जगह-जगह गड्ढ़े बने हुए हैं। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए जाने का दावा कर रहा है। डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि, “कांवड़ मेले को लेकर सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। लगभग 10 हजार पुलिसकर्मी कांवड़ मेले के दौरान ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं। कांवड़ियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वे तीर्थनगरी की मर्यादा का ख्याल रखें। किसी भी प्रकार का हुड़दंग ना किया जाए। उन्होंने कांवड़ियों से किसी भी प्रकार का नशा ना करने की अपील की है। “
कांवड़ यात्रा के दौरान गंगा में कांवड़ियों के बह जाने की घटनाओं को देखते हुए जल पुलिस भी पूरी तरह से मुस्तैद कर दी गई है। पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही ड्रोन के जरिए भी मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। इसके अलावा बम स्क्वायड और डॉग स्क्वायड की टीम भी मेला क्षेत्र में तैनात रहेगी। उन्होंने बताया कि इस बार लगभग तीन करोड़ से ऊपर कांवड़ियों के आने की उम्मीद है। बावजूद इसके मेला क्षेत्र में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है।