अब तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी में उत्तराखंड के बागी नेता

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ऋषिकेश, उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर से तीसरे मोर्चे की संभावनाऐं तलाशने का काम शुरू हो गया है। और इस बार ये काम भाजापा के असंतुष्ट नेताओँ की सरदारी में शुरू हुआ है। ऋषिकेश में प्रदेशभर से भाजपा के असंतुष्ट और बागी नेता जमा हुए। इनमें ज्यादातर नेता भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।

राजनीति समीकरणों का नाम है और समीकरण कब किस करवट बैठ जाएं यह भविष्य के गर्त में समाया हुआ यक्ष प्रश्न है, उत्तराखंड में कई बार सामाजिक संगठनों और हाशिए पर आए राजनीतिक संगठनों ने मिलकर गठजोड़ की नाकाम कोशिशें की है, लेकिन जनता ने अपना विश्वास राष्ट्रीय दलों पर ही जताया है। एक बार फिर पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी से साइड लाइन किए गए नेताओं ने एक साझा प्रयास करके ऋषिकेश में गुपचुप तरीके से मीटिंग करके राष्ट्रीय दलों को सबक सिखाने के लिए तीसरे मोर्चे का गठन को आकार देना शुरू कर दिया है।

आने वाले दिनों में चुनाव में तीसरा मोर्चा अपनी ताकत दिखाकर राज्य में नए समीकरण पैदा कर सकेगा, दूसरी ओर राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस के लिए उन्हीं की पार्टी के ये बागी मुसीबत का सबब बन सकते हैं, जिसको लेकर दोनों पार्टियों के रणनीतिकारों के माथे पर बल पढ़ना शुरू हो गया है। मजे की बात यह है कि भाजपा ने अपने बागियों के लिए पार्टी के द्वार खोल दिए हैं, साथ ही प्रीतम सिंह ने भी असंतुष्टों को मनाने के लिए और वापस पार्टी में सम्मान दिलाने की कवायद शुरू कर दी है। ऐसे में इन दोनों दलों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर नाराज कार्यकर्ता क्यों नाराज हैं, पार्टी में हाशिए पर चले गए इन नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य खतरे में दिख रहा है, जिसको लेकर ऋषिकेश में गुपचुप तरीके से मंथन किया गया, और सभी विधानसभा क्षेत्रों के बागी नेताओं को इस बैठक में आमंत्रित किया गया और तय किया गया आने वाले दिनों में तीसरा मोर्चा चुनाव में अपनी ताकत का एहसास राष्ट्रीय दलों को कराएगा।

तीसरे मोर्चे में शामिल होने जा रहे भाजपा और कांग्रेस के नेताओं जिसमें भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस के असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक का आयोजन किया गया।बैठक में पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार दिनेश धनै, पूर्व विधायक नरेंद्र नगर ओम गोपाल रावत, ऋषिकेश से संदीप गुप्ता, रुड़की के पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन, कांग्रेस के सहसपुर के दिग्गज आर्येंद्र शर्मा रायपुर विधानसभा से महेंद्र प्रताप नेगी,  उत्तरकाशी से सूरत राम नौटियाल, नेगी, मसूरी से राजकुमार जायसवाल, चौबट्टाखाल से कवींद्र ईष्टवाल, तथा भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोविंद अग्रवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा ज्योति सजवाण सहित लगभग 150 से भी अधिक दिग्गज प्रदेश के कोने-कोने से आये थे।

विभिन्न विधानसभाओं के प्रमुख जनप्रतिनिधि व कई संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे। पर्वतीय मार्ग बंद होने के कारण केदारनाथ की पूर्व विधायक आशा नौटियाल व श्रीनगर के पूर्व विधायक बृजमोहन कोटवाल नहीं पहुंच पाए, इसी प्रकार से काशीपुर के पूर्व विधायक के परिवार के सदस्य का दिल्ली में एडमिट अस्पताल में एडमिट होने पर वह नहीं आ पाए तथा इसी प्रकार से भासपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष डॉक्टर अंतरिक्ष सैनी भी नहीं पहुंच पाए, उन्होंने दूरभाष पर अपने समर्थन की पुष्टि की।

बैठक की अध्यक्षता पूर्व विधायक रुड़की सुरेश चंद जैन ने की तथा संचालन महेंद्र प्रताप सिंह नेगी ने किया। बैठक की भूमिका भाजपा के वरिष्ठ नेता सूरत राम नौटियाल, उत्तरकाशी गोविंद अग्रवाल ने करी। बैठक में प्रदेश में भाजपा कांग्रेस से अलग एक नया संगठन बनाने का निर्णय लिया गया, अब देखना यह होगा कि बागियों का यह गठबंधन राज्य की राजनीति में क्या असर डालता है। 2019 के साथ-साथ नगर निकाय और विधानसभा चुनाव में जनता इन बागियों पर कितना विश्वास जता पाती है लेकिन इस शुरुआत ने उत्तराखंड में गठबंधन की राजनीति को नया रास्ता दिखाने की पहल कर दी है।

इस दौरान भाजपा के असंतुष्ट और बागी विधायक एक साथ नज़र आए। इस बैठक से मीडिया को भी दूर रखा गया। इससे अफवाहों का बाजार पूरी तरह गर्म है। सूत्रों की माने तो बैठक में तीसरे मोर्चे के गठन पर चर्चा की गई। फिलहाल बैठक में मौजूद नेता कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।

उत्तराखंड की राजनीति हमेशा से ही कांग्रेस और भाजापा के बीच का युद्ध रही है। ऐसे में अगर किसी तीसरे मोर्चे का गठन होता है तो ये ज़रूर राज्य के लोगों को एक और विक्ल्प देगा। लेकिन ये बात भी तय है कि ऐसे किसी भी मोर्चे के सिपेसलारों को यूकेडी और अन्य निर्दलीय विधायकों और नेताओं की राजनीतिक चाल और हश्र को ध्यान में रखना होगा।