नीलकंठ महादेव के दर्शन, विष को कंठ मे धारण कर शिव ने की थी यहाँ तपस्या 

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ऋषिकेश, आज सावन का पहला सोमवार है जिसमें देश भर से कांवड़िए नीलकंठ यात्रा पर पहुंच रहे हैं। भगवान शिव की आस्था की यात्रा सावन माह में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। नीलकंठ महादेव भक्तों की मुराद पूरी करते हैं। भयंकर बारिश, जंगल का रास्ता फिर भी आस्था का सैलाब भोले के दर्शन के लिए नीलकंठ धाम पहुंचता है, ऐसे में आज आपको करते है।

नीलकंठ महादेव के दर्शन, जँहा देश के कोने -कोने से शिव भक्त अपने अराध्य से मिलने नीलकंठ धाम पहुचते है। पहाड़ अौर जंगल के बीच बसे इस स्थान पर भगवान शिव खुद विराजमान है। पौराणिक मान्यता है की यही वो स्थान है जहा भगवान शिव ने विष धारण कर तपस्या की थी ओर वो नीलकंठ महा देव कहलाये थे।  मणि कूट  पर्वत के शीर्ष पर भगवान् शिव का पौराणिक नीलकंठ धाम है, जहा सावन के महीने मे बड़ी संख्या मे शिव भक्त कावड लेकर जल चडाने पहुचते है। मान्यता है यहाँ पर भगवान शिव ने समुद्र मंथन मे निकले विष से धरती को बचाने के लिए विष को अपने कंठ मे धारण कर तपस्या की थी।

विष की तेज़ जलन से भोलेनाथ को इस स्थान पर काफी शांति मिली थी, देवताओं के आग्रह पर इस स्थान पर भोलेनाथ ने शिवलिंग की उत्पति की तब से देव अौर मानव यहाँ आराधना कर रहे है।  सावन के सोमवार में जलाभिषेक के लिए से ही दूर-दूर से आये शिव भक्त अपने आराद्य को जलाभिषेक कर रहे है। सुबह से ही शिवालयो में जलाभिषेक के लिए लम्बी-लम्बी कतारे लगी हुयी, श्रद्धालुजलाभिषेक कर पुन्य का लाभ कमा रहे है।

कल रात से ही नीलकंठ महादेव पर १ लाख की संख्या में शिवभक्त जलाभिसेक कर चुके है  और यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जाएगी आस्था की कावड़ यात्रा लगातार बढ़ती जा रही है और भगवान शिव की आस्था अपने भक्तों में नई ऊर्जा भर देती है। बारिश,तूफान और जंगली जानवर भी भोले के भक्तों की आस्था को डिगा नहीं पाते, अगर आपने अभी तक नीलकंठ धाम के दर्शन नहीं किए हैं तो चले आइए भगवान शिव सबका कल्याण करते हैं।