धरती पर प्रकृतिक सौंदर्य का प्रारूप मसूरी की विंटरलाइन

मसूरी, आज की बात करे तो, जिस भी तरफ मैं जाती हूं, कोई ना कोई ढलते हुए सूरज के सामने होता है-हाथ में एक र्स्माट फोन और और उस पल को अपने कैमरे में कैद करने के लिए एकदम तैयार, सर्दी की खूबसूरती के साथ एक सेल्फी। जैसे ही सर्दियां दस्तक देती है, एक दहकता हुए आसमान वातावरण के कई चेहरे दिखाता है कभी नारंगी,गुलाबी,लैवेंडर के फूलों का रंग,हल्का बैंगनी तो कभी गहरा लाल रंग। 

Pic Courtesy: Angad Bakshi

मसूरी के नीचे पश्चिम की ओर देहरादून की फैली हुई वादियों की छटा दिखने लगती है जिसकी परछाई हर तरफ फैली हुई जिसे- विंटरलाईन या गिर्डल आफ वीनस कहते है। कहते हैं कि रोमन की देवी विनस एक जादुई कढाई किया हुआ बेल्ट पहनती हैं जो उसके पति स्मीथ-गॉड वोल्कन जो देखने में बहुत ज्यादा अच्छे नहीं थे उन्होंनें बहुत प्यार से उनके लिये बनवाई थी।

प्रसिद्ध लेखक गणेश शैली बताते हैं कि- “हमसे हमेशा यह पूछा जाता है कि तुम मसूरी वाले विंटरलाइन के बारे में कैसे बोल सकते हो। उस खास चीज के होने के लिए कुछ विशेष माहौल का होना ज़रूरी है। मसूरी मैदानी क्षेत्र से लगभग 5000 फीट ऊपर है और नीचे गहरी वैली है और वो भी देहरादून से 30 किलोमीटर की दूरी पर, वहां का तापमान जो बदलता रहता है, और बहुत ही सुंदर दृश्य बनाता है। धूल,नमीं, धूम कोहरा, और धूआँ सब एक साथ एक लाईन में आकाश मे नजर आते है और साथ में ढ़लता हुआ सूरज इसके पीछे की आकाशीय कतार में, यह है मसूरी की विंटरलाइन।” 

मसूरी के अलावा यह दृश्य दक्षिणी हेमिस्फेयर- केप टाउन में देखने को मिलता है, जहां टेबल-टाप पहाड़ एक शेर की तरह दुबक कर बैठा होता है, और क्लीफ्टोन के किनारों और कैंप बेस से 3,500 फीट उंचाई पर यह द़श्य दिखता है। यहां वह सागर के जल के ऊपर नजर आता है। 

अगली बार जब भी आप कुछ खूबसूरत आकाश की सीमा देखना चाहते हैं तो मसूरी का रुख करे, लेकिन ध्यान रखे कि गोधूलि बेला से पहले लगभग दिसंबर 22 के आसपास, साल के सबसे छोटा दिन से पहले आये, इस स्वार्गिक और अद्भभुत कुदरत की देन देखने।