गंगा स्वच्छता के लिए कब तक शहीद होते रहेंगे संत

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गंगा

हरिद्वार, सनातन धर्म में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि आत्मा से परमात्मा के मिलन का माध्यम भी है। गंगा के दर्शन मात्र से लोगों के सारे पाप धुल जाते हैं। और जो गंगा में स्नान कर लेता है उसे धन्य माना जाता है, लेकिन आज गंगा इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि गंगा को खुद सफाई की जरूरत है। गंगा की सफाई पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसके लिए केंद्र सरकार अब तक करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन गंगा की हालत जस की तस है।

गंगा की स्वच्छता और अविरलता के लिए केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत गंगा सफाई के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गये लेकिन गंगा की हालत जस की तस है। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने विगत दिनों कहाकि गंगा साफ हो रही है लेकिन हकीकत गंगा सफाई के लिए आमरण अनशन कर रहे पर्यावरणविद प्रफेसर जीडी अग्रवाल ने अपने प्राण त्याग दिए। गंगा सफाई के लिए शहीद होने वाले स्वामी सानंद पहले नहीं हैं। इससे पहले भी दो संतो ने गंगा के लिए अपनी जान दी है। स्वामी निगमानंद ने गंगा की खातिर 114 दिन तक अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे और स्वामी गोकुलानंद ने स्वामी निगमानंद की मांग को आगे बढ़ाते हुए अनशन किया था। 2013 में गोकुलानंद एकांतवास के लिए गए थे, जिसके बाद नैनीताल के बामनी में उनका शव मिला था।

खास बात यह है कि गंगा के लिए बलिदान देने वाले ये तीनों संत मातृसदन से जुड़े हैं। अब स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए मातृसदन में फिर से अनशन रूपी तपस्या शुरू कर दी गई है। मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानन्द के शिष्य स्वामी आत्मबोधानंद ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। शिवानन्द के दूसरे शिष्य स्वामी पुण्यानंद ने भी अन्न छोड़ दिया है। दोनों के अनशन का गुरुवार को दूसरा दिन है। अपनी मांगों के लेकर मातृसदन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। वहीं, पीएम मोदी ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है और सबसे अहम बात ये कि गंगा सफाई के लिए बनाई गई योजना नमामि गंगे योजना पीएम मोदी की महत्काक्षी योजना भी है। आरटीआई से हुए खुलासे के मुताबिक बीजेपी शासनकाल में पिछले दो साल में गंगा की सफाई के लिए साढ़े 6 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्चा हो चुका है लेकिन गंगा की दशा जस की तस है।