हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का तय समय पर होना मुश्किल नजर आ रहा है। कोरोना और कुंभ से उपजी स्थितियों के बीच सरकारी मशीनरी का ध्यान फिलहाल चुनाव की तैयारी पर नहीं है। यही वजह है कि ग्राम पंचायत का परिसीमन तो जैसे-तैसे हो गया है, लेकिन क्षेत्र और जिला पंचायत के परिसीमन का कहीं अता-पता नहीं है। वैसे, सरकार भी कुंभ निपटने और कोरोना का प्रभाव न्यूनतम स्तर पर पहुंचने पर ही चुनाव कराने के पक्ष में नजर आ रही है।
-कोरोना और कुंभ की वजह से चुनाव की तैयारियों पर पड़ रहा असर
-क्षेत्र और जिला पंचायत के परिसीमन का अभी कहीं अता-पता नहीं
हरिद्वार में पंचायतों का कार्यकाल अगले साल मार्च में खत्म हो रहा है। पहले सरकार की कोशिश थी कि कुंभ के आयोजन से पहले ही चुनाव करा लिए जाएं, भले ही निर्वाचित प्रतिनिधियों को शपथ ग्रहण मार्च में कराया जाए। इससे पहले भी सरकार एक बार ऐसा कर चुकी है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस योजना पर सरकार को कदम पीछे खींचने पड़ गए। यही वजह है कि राज्य निर्वाचन आयोग परिसीमन के जिस काम को मार्च 2020 तक पूरा हो जाने की उम्मीद कर रहा था, वह अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
परिसीमन का कार्य हरिद्वार के जिला प्रशासन को करना है, लेकिन उसकी स्थिति यह है कि वह कोरोना से बचाव और कुंभ की तैयारियों में जुटा पड़ा है। ऐसे में परिसीमन कब तक पूरा हो पाएगा। कुछ कहा नहीं जा सकता। वैसे, जो स्थितियां बन रही है, उसमें मार्च में पंचायत चुनाव होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। मार्च तक चुनाव होकर पंचायतों में नया बोर्ड नहीं बैठा, तो प्रशासकों की नियुक्ति की मजबूरी सरकार के सामने होगी।
वैसे, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि कोरोना की महामारी अपनी जगह है। इन स्थितियों के बीच कुंभ का आयोजन भी हरिद्वार के जिला प्रशासन के सामने ही नहीं, बल्कि सरकार के सामने भी बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद पंचायत चुनाव तय समय पर कराने के सरकार के प्रयास होंगे।





















































