हरिद्वार नगर निगम के प्रस्ताव पर हाईकोर्ट की रोक

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने नगर निगम हरिद्वार के अतिक्रमणकारियों को विस्थापित किए जाने तक सड़क किनारे ही रहने के प्रस्ताव पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में निर्णय लेने के आदेश राज्य सरकार को दिए। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1990 में हरिद्वार में रेलवे स्टेशन से लेकर कोतवाली हरिद्वार तक सड़क के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे।

मामले में हरिद्वार नगर निगम के पार्षद उपेन्द्र कुमार ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सन 2016 में नगर निगम ने एक प्रस्ताव पारित कर रेलवे स्टेशन से लेकर हरिद्वार कोतवाली तक हटाए गए अतिक्रमण कारियों को पुनः वही बसाने का प्रस्ताव पारित कर दिया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि जब तक निगम को इनको विस्थापित करने की जगह नही मिलती तब तक इनको रोड के किनारे ही रहने दिया जाए। इसका पार्षद ने घोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने 1990 में इन अतिक्रमणकारियों को हटाने के आदेश के साथ कहीं अन्य जगह विस्थापित करने के आदेश नगर निगम व राज्य सरकार को दिए थे, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया। 2010 में हरिद्वार में कुम्भ मेला होने के कारण सरकार ने इनको हटा दिया था। रेलवे विभाग ने भी रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किए जाने की पुस्टि की। उन्होंने भी इसका विरोध किया।
शनिवार को जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य सरकार व नगर निगम को आदेशित किया है कि वे माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का पालन कर निर्णय लें और अतिक्रमणकारियों को कहीं अन्य जगह विस्थापित करें। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश केएम जोसफ व न्यायधीश आलोक सिंह की खंडपीठ में हुई।