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उत्तराखंड के राज्यपाल की मौजूदगी में 28वें सड़क सुरक्षा सप्ताह का समापन

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रविवार को 28वें सड़क सुरक्षा सप्ताह का समापन हुआ। इस अवसर पर सर्वे आफ इंडिया आडिटोरियम,हाथीबड़कला में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में उत्तराखंड के राज्यपाल डा.के.के पाल कार्यक्रम में मौजूद रहे। कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड एम गणपति  तथा देहरादून एसएसपी स्वीटी अग्रवाल के साथ पुलिस आफिस के अन्य वरिष्ठ कार्मिक मौजूद रहे।कार्यक्रम में एमडीडीए और पीडब्लूडी के कर्मचारी भी मौजूद रहे। एसएसपी देहरादून ने पिछले एक सप्ताह में हुए कार्यक्रमों की जानकारीदेते हुए बताया कि

  • पिछले एक हफ्ते में हम लगभग 10,000 लोगों तक पहुचें और उन्हें सड़क सुरक्षा के लिए शपथ भी दिलवाई।
  • शहर के सभी स्कूलों और कालेजों ने जोश के साथ भाग लिया और इसके माध्यम से हमने ज्यादा से ज्यादा लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए जागरुक भी किया।
  • शहर में 30 स्मार्ट पोल लगाए गए हैं जिनमें सीसीटीवी और वेदर सेंसिंग के लिए उपकरण लगे होंगे जिससे सड़क सुरक्षा में मदद मिलेगी।
  • इसके साथ ही पीडब्लूडी के एक्जिक्यूटिव ईंजिनियर ने पीडब्लूडी द्वारा चलाए जा रहे सड़क सुधार कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।

कार्यक्रम में मौजूद उत्तराखंड राज्यपाल डां.के.के पाल नें सड़क सुरक्षा सप्ताह में आयोजित पेंटिंग कम्पटिशन,निबंध लेखन,साइकिलिंग के विजताओं को सम्मानित किया। राज्यपाल ने उत्तराखंड पुलिस के इस प्रयास की सराहना करते हुए देहरादून पुलिस के लोगों तक पहुचनें के इस माध्यम को बहुत ही सीधा और मजबूत बताया। उन्होंने कहा कि अगर पूरे देश में हर कोई इस तरह की जागरुकता फैलाए तो देश में सड़क दुर्घटनाओं में गिरावट आएगी।उन्होंने कहा कि रोड सेफ्टी के लिहाज से भारत का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है और हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम इसमें कुछ सुधार कर सकें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा कही ना कहीं हुय्मन राईट से जुड़ा हुआ है और इससे बहुत कम लोग जागरुक है,हमारा फर्ज है कि हम अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहें।

उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस और ट्रांसपोर्ट अधिकारियों को सड़क दुर्घटनाओं का विश्लेषण करना चाहिए जिससे दुर्घटना का मुख्य कारण पता चले सके और उसको रोकने का काम ठीक ढंग से हो सके।

चुनाव आयोग ने जारी किये सोशल मीडिया पर प्रचार के दिशानिर्देश

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उत्तराखंड में विधान सभा चुनावों को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं। इनके अनुसार:

  • किसी भी प्रत्याशी या राजनैतिक दल को जिला स्तरीय/राज्य स्तरीय एमसीएमसी (मीडिया सर्टिफिकेशन एण्ड कन्टेंट माॅनिटरिंग कमेटी) कमेटियों को अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की सम्पूर्ण सूचना देनी होगी।
  • प्रत्याशियों एवं राजनैतिक दलों को यह भी बताना होगा की इन अकाउंट्स को चलाने में क्या खर्च आ रहा है जिसमें इंटरनेट और क्रीएटिव टीम को किया जाने वाला भुगतान भी शामिल है। 
  • किसी भी पेज या अकाउंट को स्पाॅन्सर करते समय उस पर आ रहे खर्च की सूचना तथा भुगतान की प्रक्रिया का विवरण एमसीएमसी कमेटी को नियमित रूप से देना होगा। 
  • यदि किसी पोस्ट/विडीओ/ऐनिमेशन/ग्राफिक प्लेट को विज्ञापन के रूप में जारी किया जाना है तो इसका पूर्व प्रमाणीकरण  प्री सर्टिफिकेशन एमसीएमसी से अनिवार्य होगा। सामान्य गैर विज्ञापन पोस्टों का आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत माना जाता रहेगा। यदि कोई पोस्ट/विडीओ आदर्श आचार संहिता का उल्लघंन करती पायी जाती है तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
  • वेबसाइट पर किसी भी प्रकार के विज्ञापन की सूचना और प्रमाणीकरण एमसीएमसी से आवश्यक होगा। 
  • फेसबुक औऱ ट्वीटर पर पर लाइव के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है परंतु लाइव किए जा रहे विडीओ के कंटेंट में आदर्श आचार संहिता का उल्लघंन नहीं होना चाहिए। लाइव के दौरान रिका्ॅर्डेड विडियो को भी बाद में प्रचार के लिए एमसीएमसी द्वारा बिना पूर्व प्रमाणीकरण के विज्ञापन के रूप में नहीं चलाया जा सकता है।
  • जिन सोशल मीडिया गतिविधियों में एमसीएमसी द्वारा पूर्व प्रमाणीकरण की बाध्यता नहीं है उनके कन्टेंट भी कमेटियों द्वारा माॅनिटर किए जाएॅंगे और यदि आदर्श आचार संहिता का उल्लघंन करती हुई कोई सामग्री मिलेगी तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। 
  • सभी पोस्टों मे आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पूरा पालन आवश्यक होगा। 
  • जिला निवार्चन अधिकारियों/ रिटर्निंग आॅफिसर के स्तर से भी राजनैतिक दलों/प्रत्याशियों/राजनेताओं को सोशल मीडिया सम्बन्धी प्रावधानों से अवगत कराते हुए उन्हें समुचित रूप से सूचित भी किया जाय कि वे अपने अकाउंट्स की सम्पूर्ण सूचना एमसीएमसी कमेटियों को उपलब्ध करायें    

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही सोसल मीडिया पर प्रचार के मामले में राज्य चुनाव आयोग ने कांग्रेस और बीजेपी दोनो के ही नेताओं को कारण बताओं नोटिस जारी किये थे।

कई मामलो में कुछ हटकर अलग होगा इस बार का उत्तराखंड चुनाव

ब्राह्मणराजपूत  के बाद अब मुस्लिमएससी  बने उत्तराखंड के एक्स फैक्टर

चुनाव आयोग ने जैसे ही चुनावो की घोषणा की उत्तराखंड में राजनैतिक पार्टियां अपना अंकगणित ठीक करने में लग गई हैं। कांग्रेस ने अपना गणित प्रशांत किशोर के हवाले कर दिया है , तो वही बीजेपी ने भी एक भारी भरकम वॉर रूम तैयार कर लिया हैं ।दरअसल दोनों पार्टियों के लिए उत्तराखंड का गणित अब कुछ अलग करवट लेता दिख  रहा हैं । पहले लड़ाई अगर कुमाऊं बनाम गढ़वाल, राजपूत  बनाम ब्राह्मण थी , जो अब बदलकर मुस्लिमएससी के बीच फंस कर रह गई हैं। जिस पार्टी को इन दोनों का समर्थन मिलेगा राज्य की सरकार लगभग यही से बनना तय हैं क्योंकि ये जिले ही लगभग उत्तराखंड को आधी सीटें देते हैं।

एक अनुमान के मुताबित उत्तराखंड के ७० सीट में से लगभग २० से २२ सीटें ऐशी हैं जिनमे मुस्लिम मतदातों की संख्या १५ % से ५०% के बीच हैं . इनमें हरिद्धार, देहरादून, नैनीताल , उधमसिंह नगर, एक सीट पौड़ी गढ़वाल की कोटद्वार भी हैं जिसमें मुस्लिमो की खासी तादाद हैं . इसके अलावा उपरोक्त जिल्लो में अनुसूचित जाति की जनसँख्या भी अच्छी खासी हैं , उत्तराखंड में इनकी संख्या  लगभग १७१८% फीसदी हैं जो अब तक बसपा का वोटर रहा हैं।

इसके अलावा  अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति की सीटो पर भी बीजेपीकांग्रेस और बीएसपी  की नजर रहेगी। बसपा को इन वोटो का शायद इस बार सीधा फ़ायदा ना भी मिले फिर भी वह इस वोट बैंक की दौड़  मैं सबसे आगे दिखती हैं ,  बीजेपी ने इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में युवा अजय टमटा को शामिल करके पिछड़ी जातियों में यह सन्देश दिया हैं की बीजेपी उनके साथ हैं। यह तरकीब कहा तक काम आएगी यह तो चुनाव रिजल्ट ही तय करेंगे।

इस बार का चुनाव इस लिए भी अहम् हैं कि पिछले १६ सालो का अनुभव जनता को मिल चुका हैं , २०१७ का  चुनाव बीजेपी कांग्रेस के लिए शायद अंतिम चुनाव होगा जो यह तय करेगा देश की इन बड़ी पार्टियों ने उत्तराखंड को राज्य बनने के बाद किस प्रकार से ठगा , और यही सोच शायद राज्य में बिखरी क्षेत्रीय पार्टियों को एक करने में सफल हो। क्योंकि राष्ट्रीय पार्टियों की सोच राष्ट्रीय ही होती हैं। वे क्षेत्रीय मुद्दों को या तो समझना ही नहीं चाहती हैं या जानबूझ कर जनता को अपने बडे नेताओं के झांसे  में फसाकर वोट बटोरना चाहते हैं। दोने पार्टियों में दागीबागी भी सरदर्द बने हुए हैं , ऐसे में प्रत्याशियों का चुनाव भी बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा हैं ।

उत्तराखंड में इस बार में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। कांग्रेस जहां सीएम हरीश रावत पर दाव लगा रहीं हैं वहीं बीजेपी मुख्यमंत्री के रूप में किसी कॊ भी पेश नहीं करना चाहती। बड़ी पार्टी हैं सामूहिक नेतृत्व की बात की जा रहीं हैं , पार्टी मोदी की नाम पर वोट मांगेगी। दरअसल बीजेपी को चार चार पूर्व मुख्यमंत्रियों से जूझना पड रहा हैं। किसी एक पर दाव लगाने का मतलब विद्रोह। लिहाजा बीजेपी अपने चुनावी कैंपेन में हरीश रावत के खिलाफ मोदी सरकार द्धारा उत्तराखंड को दिए गए तोहफों को भुनाने की  कोशिश कर रहीं हैं  जिसमें 12,000 करोड़ रुपये ऑल वेदर रोड और 17,000 करोड़ रुपये  ऋषिकेशकर्णप्रयाग रेलवे के लिए दिए गए हैं ।

ठगी तो जाएगी जनता, जिसके लिए दोनों पार्टियों का विज़न अभी भी साफ़ नहीं हैं। जल जंगल जवानी , पर्यावरण, पानी,से कब मुक्ति मिलेगी ये कोई पार्टी नहीं जानती , और ही इनके पास पिछले सोलह सालों मैं इससे जूझने की कोई तस्वीर दीखी।

बर्फ की चादर से ढका है धनौल्टी, सैलानियों की भीड़ पहुंच रही है शहर

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बर्फ की सफ़ेद चादर में लिपटा टिहरी जिले का धनौल्टी जो इस समय माइनस 7 डिग्री में है, वाकई खूबसूरत नज़ारा, स्थानीय लोगों के चेहरे पर खुशी इस बात की कि अब व्यापार बढेगा और पर्यटक इस बात से खुश की जन्नत का नज़ारा मिलेगा,और हुआ भी ऐसा ही, कुदरत ने दिल खोल कर नियामत बरसाई सफ़ेद बर्फ के रूप मे।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से केवल 55 किमी दूर है धनौल्टी। रास्ते में जहाँ देखो हर तरफ पर्यटक धनौल्टी की तरफ रुख कर रहे हैंक्या दिल्ली क्या हरयाणा और क्या पंजाब ,मानो सब इस बर्फबारी के गवाह बनने को आतुर हों। ऐसा हो भी क्यूं नहीं कुदरत आखिर पूरी तरह से मेहरबान जो है, सालों के बाद लोगों ने ढाई फ़ीट के करीब बर्फबारी होते देखी, बर्फ पहले भी पड़ती थी पर इस बार ख़ास ये है कि बर्फ पूरी तरह रुकी रही टिकी रही, सूरज की तेज किरणें बर्फ को पिघला सकी। दिल्ली से आया 35 लोगों का दल सिर्फ इसलिए यहाँ पहुंचा है क्योंकि टीवी पर खबर मिली की दिल्ली के करीब उत्तराखंड में खूब जमकर बर्फवारी हो रही है , कभी बर्फवारी का आनंद ले सके ये सभी इस बार अपने आपको रोक नहीं पाए और पहुंचे धनौल्टी जहाँ बर्फ ही बर्फ है। पर ज्यादा बर्फवारी के चलते इनके वाहन फिसलने लगे थे और इसी खतरे को भांपते हुए ये धनोल्टी से 14 किलोमीटर पहले सुआखोली पर रात बिताने के लिए पहुंचेजहाँ सिर्फ 2 कमरों में ही पूरे 35 लोगों को रात बितानी है, इसके बगैर कोई चारा भी नहीं क्योंकि धनोल्टी पहुंचना इनके लिए फिलहाल संभव नहीं। पूरा ग्रुप मानो बर्फ के शुरुआती दीदार कर इतना खुश नज़र रहा है पर इनकी माने तो, “अभी थोड़ी परेशानी भले हो पर कल धनोल्टी जाकर सारी परेशानी ख़त्म हो जायेगी।”


अगर बर्फवारी आनंद लेकर आई है तो मुश्किलें भी साथ ही लायी है ,बर्फवारी की वजह से लगभग पूरा दिन 14 किलोमीटर का जाम लगा रहा ,कुछ लोग तो शुरआत में ही बर्फ देखकर वापिस आने लगे पर जिनको सीधा जाना था वो लगभग 7 घंटे तक जाम में फसे रहे और इस परेशानी से निजात दिलाने वाला पुलिस या प्रशाशन का एक भी नुमाइंदा नज़र नहीं आया जो दूर से आये पर्यटकों को गंतव्य तक पहुचाने में मदद कर सके

उम्मीदवारों के चयन में हाथी ने रौंदा हाथ और कमल को, बीएसपी ने 50 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किये

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एक तरफ जहां राज्य के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस औऱ बीजेपी विधानसभा चुनावों के लिये अपने उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल नहीं कर पा रही है वहीं बीएसपी ने राज्य की 50 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। बीएसपी प्रदेश अध्यक्ष भृगुराशन राव ने इन उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। इस मौके पर बोलते हुए राव ने कहा कि राज्य में जनता दोनों ही प्रमुख पार्टियों से परेशान आ चुकी है और ऐसे में बीएसपी वोटरों के लिये एक सशक्त विकल्प को रूप में सामने आया है।

गौरतलब है कि राज्य में बीएसपी का कुछ समय पहले तक कुछ खास अस्तित्व नही था लेकिन हाल ही में हरिद्वार में जिला पंचायत चुनावों में बीएसपी ने अच्छा प्रदर्शन किया। इसी के चसते बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने बयान दिया था कि उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड में भी बीएसपी एक ताकत के रूप में उभरेगी।

बीएसपी ने उम्मीदवार

  • उत्तरकाशी ( 1 सीट)
  • चमोली (2 सीट)
  • रुद्रप्रयाग(1 सीट)
  • टिहरी गढ़वाल(4सीटें)
  • देहरादून(9सीटें)
  • हरिद्वार(11 सीटें)
  • बागेश्वर(2 सीटें)
  • अल्मोड़ा(6 सीटें)
  • चंपावत (2 सीटें)
  • नैनीताल (5 सीटें)
  • उघमसिंह नगर (7 सीटें) में उतारे हैं।

नारायण दत्त तिवारी को अस्पताल से मिली छुट्टी

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वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को शनिवार को खराब स्वास्थ के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तिवारी को शनिवार को हल्दवानी के ब्रज लाल अस्पताल में भर्ती कराया गया। डाॅक्टरों ने उपचारके बाद तिवारी को खतरे से बाहर बताया है। परिवार के सदस्यों के मुताबिक भी तिवारी की सेहत ठीक है और उन्हें डाॅक्टरों ने आराम की सलाह दी है।

इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तिवारी के पुत्र रोहित शेखर से फोन पर बात कर उनका हाल चाल जाना। साथ ही अखिलेश यादव ने तिवारी को ज़रूरत पड़ने पर बेहतर मेडिकल सेवाओं के लिये मदद के लिये भी कहा।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही नारायण दत्त तिवारी ने मुलायम सिंह यादव को एक पत्र लिखकर समाजवादी पार्टी में चल रहे दंगल को खत्म करने औऱ पार्टी की कमान अखिलेश यादव को सौंपने की बात कही थी। खुद तिवारी भी अपने पुत्र रोहित शेखर के लिये उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में टिकट के जुगाड़ में लगे हुए हैं लेकिन पहले ही परिवार वाद के आरोपों से झूझ रही कांग्रेस रोहित को टिकट का दावेदार मानती नहीं दिख रही है।

उत्तराखंड पुलिस ने किया जवानों को सोशल मीडिया से बैन

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देशभर में सुरक्षा बलों के जवानों के विरोधी तेवरों से बन रही असहज स्थिति के बीच उत्तराखंड पुलिस को भी डर सताने लगा है। उत्तराखंड पुलिस मुख्लाय से जारी सरकुलर में अपने कार्मिकों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर नई गाइड लाइन जारी कर दी हैं। कोई कार्मिक सेवा संबंधी मामलों में सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेगा। बहुत जरूरी हुआ, तो वह जिले के सर्वोच्च अधिकारी को एसएमएस या व्हाट्सएप मैसेज के जरिये अपनी बात पहुंचा सकता है। दरअसल, 2015 में पुलिस के मिशन आक्रोश  ने सरकार तक को हिला दिया था। उत्तराखंड पुलिस के स्तर पर अब जारी की गई गाइडलाइन को उस घटना से जोड़ते हुए एहतियातन माना जा रहा को है।

इस सरकुलर में सभी कार्मिकों यह हिदायत दी गई है कि

  • किसी भी समस्या की शिकायत के लिए विभागीय प्रक्रिया से जनपद पुलिस अधीक्षक से सामने मंगलवार तथा शुक्रवार को या पुलिस महानिरीक्षक या उपमहानिरिक्षक के सामने सोमवार या शुक्रवार को शिकायत कर सकते हैं।
  • एक वेलफेयर आफिसर की नियुक्ति की बात कही गई है जिससे कोई भी पुलिसकर्मी अपनी शिकायत या समस्या के बारे में सम्पर्क कर सकेगा।
  • शिकायतों की सूची मेनटेन करना वेलफेयर आफिसर का कोम होगा और उन शिकायतों का निराकरण भी वेलफेयर आफिसर ही करेगा।

सरकुलर में यह बात साफ कर दी गई है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल केवल प्रोफेशनल कामों के लिए,डिपार्टमेंट में हो रहे पाजिटिव कामों को लोगों तक पहुचाने के लिए और जरुरी सूचनाओं के लेन देन के लिए होगा।

पिछले दिनों बीएसएफ के जवान का विडियों वायरल होने की वजह से देश के सुरक्षाकर्मियों के साथ हो रहे व्यव्हार को लेकर गृह मंत्रालय से पीएमओ आफिस तक उथल पुथल मच गई है ऐसे में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में किसी तरह की अव्यव्स्था ना हो इसके लिए हर तरह की एहतियायत बरती जा रही है।

जारी सरकुलर के मुताबिक अगर कोई भी कार्मिक किसी भी तरह का संदेश सोशल मीडिया पर जारी करता है,जिससे केंद्र सरकार के नीतियों की खामियां उजागर होती है,किसी तरह की आलोचना जो पुलिस विभाग की छवि को क्षति पहुंचाता है तो उसके खिलाफ द पुलिस (इंसाइटमेंट टू डिससेटिस्फेकश्न) एक्ट-1922 के अंर्तगत कार्यवाही कि जाएगी।

 

शराब माफिया और भ्रष्टाचार पर कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने

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शनिवार को सीएम के प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल ने भाजपा को शराब तस्करी व शराब सिंडिकेट के मुद्दे पर जोरदार तरीके से घेरा।उन्होंने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट से पत्र के माध्यम से विजय बहुगुणा के उपर चल रहे शराब तस्करी के मुकदमें पर व्यंग करते हुए पूछा की क्या वो जानते भी है कि विजय बहुगुणा कौन हैं।

इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि भाजपा जैसी पार्टी में लोग शराब सिंडिकेट से जुड़े हुए है और काले धन से चुनाव लड़ने व जीतने का सपना देख रहें।उन्होंने कहा कि भाजपा का शराब माफियां से रिश्ता जगजाहिर है,2008 में चुनाव जीतने के बाद पहला काम भाजपा ने शराब को सरकारी ऐजेंसियों से छीनकर सिंडिकेट के हाथों में दे दिया।उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं 2016 में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद फिर बीजेपी ने यही किया।उन्होंने कहा कि खनन माफियाओं से भी भाजपा के गहरे संबंध है और इसको छुपाने के लिए वो दूसरो पर आरोप लगाते हैं।शराब सिंडिकेट के दौर में चले हत्याओं के दौर में नमित नामधारी का नाम आया था जो राज्य मंत्री भी रहे हैं।उन्होंने कहा कि अब जब सारी स्थिति सामान्य है तो भाजपा के नेता आकर राज्य में चारधाम की योजनाएं बना रहे और बता रहें।

वहीं  बीजेपी ने भी कांग्रेस पर पललटवार किया। पार्दे्वेटी प्रवक्ता देवेंद्र भसीन ने शराब सिंडिकेट के मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस सामने से अपनी हार देख कर बौखला गई है और फिजूल की बयानवाजी कर रही है। चारधाम यात्रा के मुद्दे पर सुरेंद्र अग्रवाल द्वारा लगाए गए आरोप पर देवेद्र भसीन ने कहा कि कांग्रेस को “आल वेदर” की परिभाषा ही नहीं पता पहले वो अपनी नालेज को अपडेट करें।इस बयानबाजी के माध्यम से कांग्रेस अपनी नाकामयाबी को छिपा रही। उन्होंने कहा कि चार धाम के लिए आए केंद्र सरकार से आए 1500 करोड़ के बड़े बजट का उपयोग कांग्रेस ने गलत जगह किया और अब वो अपनी नाकामयाबी छिपाने के लिए भाजपा की छवि पर चोट कर रहें।

बहरहलाल राज्य में मौसम तो ठंडा है लेकिन वहीं इन दोनों ही पार्टियों के बयानों से राज्य का राजनीतिक मौसम जरूर गर्मा गया है।

देवभूमि उत्तराखंड की मकरसंक्रांति है खास

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मकरसंक्रांति त्यौहार साल के पहले त्योहार के रुप में दस्तक दे चुका है।देश के हर कोनों मे लोग हर्षों उल्लास से मेलों और त्यौहारों का आनंद उठा रहें हैं और देवोंभूमि उत्तराखंड में तो इसका अलग ही महत्व है।आजकल के आधुनिक समय में हर कोई इन त्यौहारों की अहमियत भूलता जा रहा लेकिन उत्तराखंड के मेलों और त्यौहारों जैसे कि गेंडी की कौथिकलोगों को फिर से जगाने और उनकी आत्मा को तरोताजा करने का काम करते रहती है।  

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दिन उगने के साथ ही बड़ी तादाद में लोगों की भीड़ को पहाड़ों की राह पर चलतो देखा जा सकता है, जो एकसाथ पौड़ी गढ़वाल के दिल में बसी थाल नदी पर जाते हैं। मंकरसंक्रांति मनाने के लिए यह एक पारंपरिक स्थल है जो पिछले चार दशक से दो दिन के इस उत्सव के लिए मान्यता प्राप्त है। लगभग 40-45 गांव से 10किमी के आसपास के गांवों के करीब 2000 निवासी हर साल इस स्थल पर मकरसंक्रांति के पावन अवसर पर एकत्रित होते हैं।खासकर के इन क्षेत्रों कि लड़कियां और बहुऐं जो लंबे समय से घर नहीं आती इस दिन को मनाने के लिए खासकर यहां आती हैं।

जो नई नवेली दुल्हन होती है जैसे कि निशा कहती है कि “वो पिछले एक साल से इस त्यौहार और इस मेले के आने का इंतजार कर रही थी ताकि वो अपने घर आ सके। आज जब वो अपने घर हैं वो बताती हैं कि हमारे लिए यह इसलिए भी खास है क्योंकि इसकी वजह से हम अपनी विवाहित बहनों और दोस्तों से मिल पाते हैं,यह त्यौहार हमारे लिए मिटिंग प्वाइंट का काम करता है।”

आंखो में चमक लिए भूमरी देवी गरम गरम जलेबी खाते हुए बताती हैं कि “यह मेला साल में एक बार आता है, और मैं इस मेले में अपनी बेटियों और बहूओं से मिलने आती हूं इसके बाद फिर वापस अपने घर चली जाती हूं जहां मैं अपने पालतू जानवरों और भेड़ो के साथ अकेले रहती हूं।”  

यहां के आम लोगों के लिए,इस तरह के मेले और त्यौहार रोज की दिनचर्या से हटकर कुछ अलग करने और उत्सव मनाने का जरिया होता है।यह दो दिन ऐसे होते है जब घर की औरतें और बच्चे तैयार होकर मेले का आनंद लेते है और खरीदारी करते हैं।इसके साथ ही वे मेलों में मौजूद अलग अलग तरह के पारंपरिक खाने का लुत्फ उठाते हैं और अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से मिलते हैं जिनसे शायद वो एक साल पहले इसी जगह और इसी समय पर मिले थे।

 

सोशल मीडिया पर प्रचार के चलते कांग्रेस-बीजेपी को कारण बताओ नोटिस

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राज्य चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर प्रचार कर रहे राजनैतिक दलो के सदस्यों के अकाउंट्स और अन्य भी कई एकाउण्ट्स जांच के दौरान बिना प्रमाणीकरण के पाये हैं। इसे संज्ञान में लेते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने दोनों ही दलों के प्रदेश अध्यक्षों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि ‘‘प्रत्यक्ष रूप से यह आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन प्रतीत होता है। कृृपया उक्त सन्दर्भ में अपना स्पष्टीकरण तीन दिनों के भीतर उपलब्ध कराने का कष्ट करें कि क्यों न आपके दल को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी माना जाय‘‘। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के द्वारा प्रमाणन के लिये गठित एडिशनल सी.ई.ओ. कमेटी द्वारा यह पाया गया कि विभिन्न राजनैतिक दलों के सदस्यों द्वारा सोशल मीडिया पर बिना किसी प्रमाणीकरण के प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसमें भारतीय जनता पार्टी से

  • अजय भट्ट,
  • सतपाल महाराज,
  • दिनेश सिंह पंवार,
  • अजय भण्डारी,
  • उमेश अग्रवाल,
  • भूपेश उपाध्याय,
  • प्रदीप बत्रा एवं
  • गणेश जोशी आदि शामिल हैं।

इसी प्रकार इंडियन नेशनल कांग्रेस से

  • हरीश रावत,
  • डाॅ. इंदिरा हृद्येश,
  • किशोर उपाध्याय,
  • सरिता आर्या,
  • तिलकराज बेहड़ आदि के सोशल मीडिया अकाउंट्स बिना किसी पूर्व प्रमाणीकरण के चलाए जा रहे हैं।

इसके अलावा जिला स्तरीय एम.सी.एम.सी. कमेटियों ने भी जनपदों में संचालित सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जा रही है और सम्बन्धित को नोटिस भी जारी किये गए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एक बार फिर सभी राजनैतिक दलो के सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी प्रचार-प्रसार से पूर्व अपने द्वारा संचालित एकाउण्ट्स का निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के पालन में पूरा विवरण देते हुए एम.सी.एम.सी. कमेटी से प्रमाणीकरण अवश्य करा लें, अन्यथा इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जा सकता है।