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प्रदेश में मनाया गया 68वां गणतंत्र दिवस

देहरादून के परेड ग्राउंड में आज देश का 68वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया।परेड ग्राउंड में आईटीबीपी,एस.एस.बी,उत्तराखंड पुलिस और एनसीसी के जवानों ने परेड में सहभाग लिया।

उत्तराखंड के राज्यपाल के.के पाल ने ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली।गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में राज्य की विविधता और संस्कृति को दर्शाने वाले रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर राज्यपाल ने कुछ विषिष्ठ कार्मिकों को दिया महामहिम श्री राज्यपाल उत्कृष्ट सेवा पदकः

पुरस्कार प्राप्त करने वाले जवानः

  • उत्तम सिंह जिमिवाल,निरिक्षक ना.पु, पौड़ी गढ़वाल
  • चन्द्रभान सिंह अधिकारी, निरीक्षक ना.पु,जनपद हरिद्वार
  • जगदीश चन्द्र पाठक, प्रभारी पुलिस उपाधीक्षक,जनपद उधमसिंह नगर
  • महेश चन्द्र चन्दोला,निरिक्षक(एम)/गोपनीय सहायक,पी.टी.सी नरेन्द्र नगर/सम्बद्ध कुमाऊं
  • प्रेम सिंह मेहता,उपनिरीक्षक विशेष श्रेणी,देहरादून
  • खीम सिंह राणा,प्लाटून कमांडर,विशेष श्रेणी,रुद्रपुर

उत्तराखंड को नाम मात्र ही मिलेंगे केंद्रीय बल-राधा रतूड़ी

उत्तराखंड में विधान सभा चुनाव के दौरान तैनाती के लिए केंद्रीय बलों की टुकड़ियां केंद्र द्वारा महज दो ही दिनों के लिए उपलब्ध कराई जाएंगी। इसलिए उन्हें संवेदनशील इलाकों में मतदान केंद्रों पर तैनात करना भर ही हो पाएगा। केंद्रीय बलों का प्रयोग अशांति की आशंका वाले क्षेत्रों में फ्लैग मार्च आदि कराने के लिए नहीं हो पाएगा। यह कहना है पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की मुख्य चुनाव अधिकारी राधा रतूड़ी का जो पिछले दस साल से उत्तराखंड में चुनाव देख रहीं हैं।जाहिर है कि राधा रतूड़ी आजकल राज्य में मतदान और चुनाव प्रचार के सफल और शांतिपूर्ण आयोजन संबंधित जिम्मेदारियों में बेहद व्यस्त हैं। इसके बावजूद उन्होनें न्यूज पोस्ट से बात करने का समय निकाल कर राज्य में मतदान एवं चुनाव की अन्य चुनौतियों आदि के बारे में पूरी जानकारी दी। पेश है उनसे हुई बातचीत का विवरणः-

सवाल-उत्तराखंड में चुनाव प्रचार की निगरानी और मतदान व्यवस्था की क्या चुनौतियां हैं?
जवाब-उत्तराखंड में इस मौसम में चुनाव प्रचार पर निगाह रखना और मतदान का आयोजन हमेशा ही चुनौतीपूर्ण है। इस दौरान राज्य के उपरी हिस्सों में बर्फ और जबरदस्त ठंड पड़ती है, इसलिए पोलिंग पार्टी को कहीं-कहीं तो दो दिन तक बर्फ में पैदल चलकर मतदान केंद्र तक मतदान के आयोजन का सारा सामान लेकर जाना पड़ता है। यह बात अलग है कि सरकार उनके रहने-खाने और आने-जाने का पूरा इंतजाम करती है। उनके लिए बर्फ में चलने को स्नो बूट्स, खच्चर, कुली, अलाव, गर्म भोजन, स्लीपिंग बैग आदि का इंतजाम सरकार करती है ताकि वे कुछ कम परेशान हों। निकलते तो वोटर भी ठंड में ही हैं मतदान करने मगर हर दो किमी पर मतदान केंद्र होने से उन्हें ज्यादा नहीं चलना पड़ता और फिर वे अपने घर लौट ही जाते हैं।

सवाल-चुनाव व्यवस्था में लगे कर्मचारियों को दुर्गम केंद्रों पर हेलीकाॅप्टर से क्यों नहीं ले जाया जाता?
जवाब-मतदान कर्मचारियों को उपरी केंद्रों पर हेलीकाॅप्टर से उतारना व्यावहारिक नहीं है। हालांकि यह बात कहने-सुनने में बहुत अच्छी लगती है, मगर ऐसी जगहों पर तो हेलीपैड बनाना भी संभव नहीं है। उपर से पोलिंग पार्टी के पास सामान भी होता है। इसलिए उन्हें सामान सहित हेलीकाॅप्टर में समाना भी संभव नहीं है। इसलिए पोलिंग पार्टी को सड़क और पैदल मार्ग से ही भेजा जाता है।

सवाल-मतदान का प्रतिशत बढ़ाने और मतदाताओं को जागरूक करने के उपाय?
जवाब-मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग का स्वीप कार्यक्रम है। इसका मतलब है सिस्टमेटिक वोटर एजूकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन यानी मतदाताओं का व्यवस्थित शिक्षण एवं निर्वाचन प्रणाली में भागीदारी। इसके तहत हरेक जिले के स्कूलों में पेटिंग, पोस्टर, रंगोली, मेहंदी प्रतियोगिता कराई जाती है। बच्चों को इनमें वोटर जागरूकता संबंधित विषय पर बेहतर काम के लिए पुरस्कार मिलते हैं। इन्हीं प्रतियोगिताओं में राज्य से दो बच्चे दिल्ली में चुनाव आयोग से पुरस्कार के लिए छांटे गए हैं। इसके अलावा गढ़वाली, कुमांउनी भाषाओं में मतदान को प्रोत्साहित करने वाले लोकगीत भी रिकार्ड किए गए हैं। दूध की थैलियों पर, रसोई गैस सिलेंडरों पर भी ऐसे नारे छापे गए हैं।

सवाल-राज्य में कुल कितने कर्मचारी मतदान प्रक्रिया में व्यस्त हैं? कुल कितने मतदान केंद्र होंगे? राज्य के सुरक्षा बलों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच कार्य विभाजन किस आधार पर किया जाएगा?
जवाब-मतदान प्रक्रिया में राज्य भर में कुल एक लाख सरकारी कर्मचारी जुटे हुए हैं। यह लोग अन्य जिम्मेदारियों के अलावा राज्य के कुल 10,854 मतदान केंद्रों पर भी तैनात रहेंगे। केंद्रीय सुरक्षा बलों की टुकड़ियां तो उत्तर प्रदेष में 11 फरवरी को पहले चरण का मतदान पूरा होने के बाद ही यहां भेजी जाएंगी। तो वे 13 जनवरी से ही उत्तराखंड को उपलब्ध होंगी। उसके बाद मतदान के दौरान उन्हें संवेदनशील क्षेत्रों में लगा दिया जाएगा। देरी की वजह से संवेदनशील इलाकों में केंद्रीय बलों का फ्लैग मार्च आदि आयोजित नहीं किया जा सकता। इसलिए पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी मुख्यतः उत्तराखंड पुलिस और राज्य के सुरक्षा बलों के कंधों पर ही रहेगी। उत्तराखंड में भी अनेक क्षेत्र संवेदनशील हैं और यदि समय रहते केंद्रीय सुरक्षा बल राज्य को दे दिए जाते तो उनका व्यापक इस्तेमाल हो पाता। यहां 15 फरवरी को मतदान है। उससे पहले मतदाताओं को रिझाने के अवैध तरीकों को रोकने के लिए प्रदेष भर में 210 स्थिर निगरानी दल बनाए गए हैं जो नाकाबंदी करके गाड़ियों की तलाशी लेकर अवैध सामान जैसे शराब, हथियार, चुनाव सामग्री आदि जब्त कर रहे हैं। इसी तरह 210 फ्लाइंग स्क्वाड बनाए गए हैं। यह भी संदेहास्पद ठिकानों पर छापे मार कर व राह चलते गाड़ियां रोक कर अवैध शराब, बेहिसाब नकदी आदि बरामद कर रहे हैं।

सवाल-राज्य में चुनाव के दौरान शराब के अवैध लेनदेन पर शिकंजा कसने को क्या चुनाव आयोग ने सख्ती की है?
जवाब-वोटरों को रिझाने के लिए शराब के बड़े पैमाने पर प्रयोग की शिकायत चुनाव आयोग की टीम से ऐसे दलों ने की थी जिनका विधानसभा में कोई भी निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है। दो बड़े दलों सहित राज्य में छह राष्ट्रीय दलों का रजिस्ट्रेशन है। इसी तथ्य के मद्देनजर चुनाव आयुक्त नसीम जैदी और उनके साथियों ने प्रशासन से शराब की अवैध आवाजाही, उत्पादन और बांटने जैसी हरकतों पर सख्ती से रोक लगाने को कहा। इस पर मुख्य सचिव ने संयुक्त कार्य दल बनाया है। उसमें आबकारी, वन विभाग और पुलिस के नुमाइंदे शामिल हैं और षराब के अवैध प्रयोग के खिलाफ छापेमारी चल रही है।

सवाल-चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के सबसे अधिक मामलों की प्रकृति क्या है?
जवाब-उत्तराखंड में चुनाव संबंधी सब काम अधिकतर शांतिपूर्वक ही निपट जाते हैं। आचार संहिता उल्लंधन के इक्का-दुक्का मामले ही नमूदार होते है। जैसे किसी ने अपने घर की दीवार किसी खास पार्टी के लिए बिना निर्वाचन प्राधिकरण की मंजूरी लिए पुतवा दी अथवा बिना इजाजत पोस्टर चिपका दिए। अमूमन यहां जनता और राजनीतिक दल चुनाव संबंधी नियमों का पालन करते ही हैं।

सवाल- राज्य में निष्पक्ष चुनाव होने का कोई चान्स या रिस्क है?जनता का नेताओं को लेकर कोई पक्षपात?             जवाब-उत्तराखंड में दो प्रमुख दलों के बीच ही अमूमन सत्ता का आदान प्रदान चलता है। राज्य बनने के बाद से हर पांच साल पर जनता शासक बदलती आ रही है। इसलिए जाहिर है कि यहां चुनाव निष्पक्ष होता है। ऐसे में सरकारी मशीनरी पक्षपात कर ही नहीं सकती। जहां कोई दल लगातार बार-बार चुनाव जीतता है, वहां फिर भी ऐसा असर पड़ सकता है। इसका मुख्य कारण ये है कि राज्य की जनता बेहद जागरूक है। जनता झांसे में नहीं आती। यहां महिला मतदाता खूब बढ़ चढ़ कर वोट डालती हैं। उनके मतों का प्रतिशत अधिक होता है।

सवाल-पेडन्यूज पर अंकुश लगाने की क्या व्यवस्था है?
जवाब-पेड न्यूज तो लोकतंत्र के लिए वाकई बहुत गंभीर चुनौती है। इसपर मीडिया को खुद ही मंथन करके अनुशासन अपनाना चाहिए। क्योंकि कानून चुनाव आयोग के पास कोई ऐसा अधिकार नहीं है कि दोशी पाए जाने पर किसी को सजा दे सके। हां हम नोटिस और चेतावनी दे सकते हैं सो देते रहते हैं। इसकी पड़ताल के लिए मीडिया सर्टिफिकेशन माॅनिटरिंग कमेटी यानी मीडिया प्रमाणन निगरानी समिति बनाई गई है जो खबरों पर पैनी निगाह रखती है और प्रचार का घालमेल पकड़े जाते ही संबद्ध मीडिया हाउस को नोटिस थमा सकती है। मीडिया यदि अच्छे नेताओं को बढ़ावा देगा तो देश में स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र रहेगा।

चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए पुलिस की तैयारियां पूरी

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विधानसभा चुनावो को देखते हुए देहरादून एसपी के निर्देशन में जनपद पुलिस ने चुनाव प्रक्रिया को ठीक से सम्पन्न कराने के लिए तैयारिया पुरी कर ली गयी है ।इसमें पुलिस ने सभी मतदान केन्द्रो /जोन /सेक्टर /बैरियरो का मुआयना कर मतदान में लगने वाले पुलिस बल का जांच कर लिया गया है । इसके अलावा  चुनाव  आयोग की गाईड लाईन के अनुसार सभी शस्त्र जमा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अभी तक कुल 5021 शस्त्र जमा कराये जा चुके है । जबकि साल 2012 में विधान सभा चुनाव में कुल 2564 शस्त्र और साल 2014 लोक सभा चुनाव के दौरान कुल 2825 शस्त्र जमा कराये गये थे ।  इसके अलावा सभी विधानसभा क्षेत्रों में फ्लाइंग स्क्वाड टीम व स्टेटिक सर्विलांस टीम का गठन किया गया है जो सम्बधित मजिस्ट्रेट के साथ 24 घण्टे सुचारू रूप से चैकिंग कर अवैध शस्त्र, अवैध धन, प्रचार सामग्री ,अवैध शराब आदि की धर-पकड की जा रही है। सभी गठित टीमों के लिये जनपद स्तर पर अलग से कार्य योजना व निर्देशिका तैयार की गयी है।

सभी टीम द्वारा अब तक विभिन्न थाना क्षेत्रो में 10 लाख रुपये तथा 2 ट्रक प्रचार सामाग्री जब्त की गयी है। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक /क्षेत्राधिकारी /थाना प्रभारी स्तर पर जनपद से लगे सीमावर्ती जनपदों के सभी अधिकारियों के साथ बार्डर मीटिंग की गयी है, जिसमें गुण्डा, गैंगस्टर एक्ट के अपराधियों और वांछित अभियुक्तो की सूचियों का आदान –प्रदान किया गया है। जनपद के सीमावर्ती व आन्तरिक स्थानो पर चैकिंग बैरियर लगा कर उन पर लगातार प्रभावी चैकिंग की जा रही है। जनपद के सभी अधिकारी/कर्मचारीयों को चुनाव आयोग से प्राप्त निर्देशो के क्रम में चुनाव सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया जा चुका है। तथा जनपद स्तर पर भी अलग से निर्देशिका जारी कर उन्हें ट्रेनिंग दी गई इसके अतिरिक्त विधान सभा चुनाव को देखते हुए किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस का रिस्पान्स टाईम जानने के लिये आपरेशन थन्डर बोल्ट की शुरुआत कर उसका भी अभ्यास किया गया है। जिसके तहत रुपये 10 लाख की बरामदगी की गयी है ।पुलिस द्वारा चुनाव के मद्देनजर लगातार प्रभावी कार्यवाही की जा रही है।

16 साल में उत्तराखंड के गांव विकास से मीलों दूर

उत्तराखंड राज्य निर्माण के 16 सालों का सफ़र पूरा हो चुका है और ये राज्य अब सतरहवे साल में प्रवेश कर रहा है ऐसे में एक बार फिर चौथी चुनी हुई सरकार के लिए नेता और राष्ट्रीय पार्टिया जनता से जनादेश मांगने उनके द्वार पहुंच रही है। इस में सवाल ये उठता है की इन 16 सालों के सफ़र में 7 मुख्यमंत्रियों का  कार्यकाल तीन बार जनता द्वारा चुनी सरकार का बनना और फिर भी विकास को तरसते गाँव आखिर क्यों ?आइए देखें राजधानी से मात्र 22 किमी दूर ग्राम थानों,तलाई ,सिंधवाल और 22 गाँव के हालात

गांव के गांव हो चुके खाली,न खेती,न सड़क न स्वास्थ्य,सवाल वही आखिर कैसे बचे गाँव?

उत्तराखंड का जन्म एक बड़े राज्य जनांदोलन के रूप में हुआ। यहां की आम जनता उत्तर प्रदेश में रहते हुए विकास और रोज़गार से असंतुष्ठ थी। रोज़गार और पहाड़ का विकास यहाँ की सबसे बड़ी जरुरत थी ,एक लम्बे जनसंघर्ष के बाद आखिरकार 9 नवम्बर 2000 को राज्य का निर्माण हो गया। अब तक के 16 सालों के सफ़र में राज्य में एक अंतरिम सरकार और तीन जनता के द्वारा चुनी गयी सरकार बनी है अब चौथी बार राजनीतिक दल जनता से जनादेश की उम्मीद में 2017 के विधान सभा चुनाव के लिए गाँव की राह पर चल पड़े हैं।ऐसे में राज्य की ग्रामीण जनता नेताओं से जल ,जंगल और जमींन का हिसाब मांग रही है , नेताओं से पूछ रही है कब मिलेगी मूलभूत सुविधा।

राजधानी से मात्र 22 किमी दूर ग्राम तलाई और थानों में जनता ने छेत्र के विकास को मुद्दा बना लिया है अनिल कुमार बहुगुणा ,ग्राम तलाई का मानना है कि उत्तराखंड के आम आदमी भी यह मानते हैं कि आज भी पहाड़ विकास रोज़गार की बाट जोहते हुए पलायन की मार झेल रहा है. भाजपा और कांग्रेस और सभी क्षेत्रीय दल आज भी पहाड़ के पानी और पहाड़ की जवानी को नहीं रोक पाए हैं,छात्र शिक्षा के लिए पलायन कर रहे हैं,युवा रोजगार के लिए लेकिन चुनाव आते ही नेता प्रचार -प्रसार कर जनता के पास पहुंच तो रहे हैं फिर वही वादे और दावे के रूप में भरोसा जताया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत में तस्वीर इससे जुदा है ग्रामीण क्षेत्र में वर्षों से राजनीती कर रहे नेता एक बार फिर जनता से 2017 के लिए विकास के सपने दिखा कर दूसरे दलों से अपनी कमीज सफ़ेद दिखने की कोशिश कर रहे हैं।राधे श्याम बहुगुणा ,वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ,गाम प्रधान का कहना है की उत्तराखंड के 16 सालों के सफ़र जहां मैदान विकास की नयी इबारत लिख रहे वही अनियोजित विकास और दूरदर्शिता की कमी ने उत्तराखंड के पहाड़ पर अभी तक विकास की कोई भी ठोस उम्मीद नहीं जगाई ,जनतन्त्र के इस महापर्व में एक  जनता के द्वार नेताओं की दस्तक होने लगी है ऐसे में  आशा करते 2017  साल पूरे होते होते तस्वीर कुछ बदलेगी,मैदानों के साथ गांव भी विकास की सीढ़ी चढ़ेंगे ।

26 जनवरी को राष्ट्रपति देंगे उत्तराखंड के जवानों को पदक

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गणतंत्र दिवस-2017 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति उत्तराखण्ड पुलिस के निम्न पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को उनकी विशिष्ट सेवाओं एवं सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक प्रदान किरेंगे।

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक (President’s Police Medal for Distinguished Service)

  • श्री रमेश चन्द्र जोशी, पुलिस उपाधीक्षक, सहायक सेनानायक 31वीं वाहिनी पीएसी रूद्रपुर।

सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक Police Medal for Meritorious  Service)

  • श्री रोशन लाल शर्मा, सेनानायक, 40वीं वाहिनी पीएसी, हरिद्वार
  • श्री हरीश चन्द्र सती, अपर पुलिस अधीक्षक/उप सेनानायक, एसडीआरएफ, देहरादून
  • श्री इन्द्र सिंह राणा, निरीक्षक नागरिक पुलिस, जनपद नैनीताल
  • श्री जीत सिंह पोखरिया, प्लाटून कमाण्डर विशेष श्रेणी 2132, 46वीं वाहिनी पीएसी रूद्रपुर
  • श्री गोविन्द राम, प्लाटून कमाण्डर विशेष श्रेणी 2084, 46वीं वाहिनी पीएसी रूद्रपुर

हरीश रावत ने मेरे साथ किया धोखा – शिल्पी अरोड़ा

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जनरल सेक्रेटरी  शिल्पी अरोड़ा ने आज कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।देहरादून प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में शिल्पी अरोड़ा अचानक रो पड़ी उन्होंने खुद को टिकट न मिलने की वजह हरीश रावत को बताया उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने उनका टिकट काटा है उन्होंने हरीश रावत पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी ने उनका न केवल शोषण किया बल्कि महिलाओं को टिकट भी नहीं दिया है  उन्होंने कहा कि वह हरीश रावत को बताएंगी कि जिताऊ उम्मीदवार किसे कहते हैं , इसमें मेरी जान को भी खतरा है , मेरा चरित्र हनन भी किया जायेगा लेकिन मैं जवाब दुंगी हरीश रावत को , ये कह कर शिल्पी अरोड़ा रो पड़ी । शिरपुर उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रदेश में 24 ठाकुरों  को टिकट दिया  जा सकता है तो महिलाओं को टिकट क्यों नहीं दिया जा सकता।

उन्होंने कहा कि मैने हमेशा पार्टी का साथ दिया है और हरीश रावत की हल्द्वानी रैली में भी मै उनके साथ थी,पूरे देश में मैने संघर्ष किया है।उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने मेरे साथ धोखा किया है,पिछली बार भी हरीश रावत ही जिम्मेदार थे मेरा टिकट कटाने के लिए,मुझे हर तरह से प्रताड़ित किया गया और शोषण किया गया है।उन्होंने कहा कि मै महिला शोषण और सामंतवादी मानसिकता के खिलाफ इस बार किच्छा से चुनाव लड़ूंगी।

आर्येंद्र शर्मा ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा

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बीते रविवार से सहसपुर की सीट पर पेंच उलझा हुआ था लेकिन बुधवार को आर्येंद्र शर्मा ने आज कांग्रेस पार्टी की सभी सेवाओं से खुद को मुक्त कर दिया है। उन्होंने आज अपना त्याग पत्र दे दिया है।इस पत्र के साथ ही एक बात तो साफ हो गई है कि आर्येंद्र का निर्दलीय पार्टी से चुनाव लड़ना लगभग पक्का है।

पिछले चार दिनों से प्रदेश कांग्रेस खेमे में सहसपुर टिकट के विरोध में आर्येंद्र के समर्थकों ने कार्यालाय में तोड़ फोड़ और हंगामें किया।मंगलवार शाम को कांग्रेस दफ्तर के बाहर समर्थकों ने आर्येंद्र के बैनर ही टांग दिए जिसपर साफ लिखा था- “सोनिया जी राहुल जी बात सुनों जो सही है उसको चुनो”।इतना ही नहीं आर्येंद्र के समर्थकों ने आत्मदाह तक करने की कोशिश की।इतना होने के बाद भी पार्टी हाईकमान ने अपना फैसला नहीं बदला।इसके जवाब में बुधवार दिन में आर्येंद्र शर्मा ने अपना त्यागपत्र पार्टी को भेज दिया और खुद को कांग्रेस से मुक्त कर दिया।

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बुधवार रहा सुपर नॉमिनेशन का दिन, कांग्रेस ने शुरू करी स्वाभिमान यात्रा

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विधानसभा चुनावों के लिये बुधवार का दिन ख़ास रहा। बीजेपी और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने अपने नामांकन बुधवार को किये।

इस लिस्ट में सबसे पहले रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत जिन्होंने किच्छा सीट से अपना नामांकन भरा। सुबह मुख्यमंत्री इंदिरा ह्रयदेश के साथ किच्छा पहुँचे और चुनावों के लिये कांग्रेस की स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत की। ये यात्रा प्रदेश की सभी 70 विधानसभाएँ से होती हुई जायेगी। किच्छा में पहले उन्होने जनसभा को संबोधित किया और प्रदेश में अपनी सरकार की उपलब्धियाँ गिनायी। इसके बाद उन्होने अपना नामांकन भरा।

बुधवार को विवाद में रही सहसपुर सीट पर भी प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने अपना नामांकन भरा। इस सीट पर पहले से ही आर्योंद्र शर्मा की दावेदारी के चलते पेंच फँसा हुआ था। किशोर के नामांकन भरते ही आर्येंद्र शर्मा ने पार्टी से इस्तीफ़ा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार और रामनगर से चुनावी मैदान मे उतरे रंजीत रावत ने भी रामनगर में अपने समर्थकों की भारी भीड़ के साथ शक्ति प्रदर्शन किया और अपना नामांकन भरा। रंजीत रावत के लिये यह चुनाव चुनौती पूर्ण रहेगा क्योंकि वो अपनी पारंपरिक सीट सल्ट छोड़ रामनगर से मैदान में है और ऐसे में उनपर दोनों सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने का दबाव रहेगा।

वहीं बीजेपी के भी कई नेताओं ने अपना नामांकन भरा। इनमें देहरादून कैंट से हरबंस कपूर, धर्मपुर सीट से विनोद चमोली, राजपुर से खजान दास और पार्टी के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्रम सिंह रावत शामिल रहे।

जैसे जैसे मतदान की तारीख़ नज़दीक आ रही है वैसे वैसे चुनावी माहौल भी गरमाता जा रहा है।

यह है प्रदेश चुनावी रणभूमि में उतरने वाले योद्धाओ की लिस्ट

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15 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दो बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्नेंस ने अपने सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।मंगलवार देर रात कांग्रेस नें अपनी आखिरी पांच सीटों की घोषणा कर दी और इसके साथ ही चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवार जनता के सामने है।

विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की फाईनल लिस्टः

विभान सभा क्षेत्र भाजपा उम्मीदवार कांग्रेस उम्मीदवार
पुरोला मालचंद राज कुमार
यमुनोत्री केदार सिंह संजय डोभाल
गंगोत्री गोपाल सिंह विजय पाल सिंह सजवाण
बद्रीनाथ महेंद्र भट्ट राजेंद्र सिंह भंडारी
थराली मगन लाल शाह डा.जीत राम
कर्णप्रयाग सुरेंद्र सिंह नेगी डा.अनसुईया प्रसाद मैखुरी
केदारनाथ शैली रानी रावत मनोज रावत
रुद्रप्रयाग भारत चौधरी लक्ष्मी राणा
घंसाली शक्ति लाल शाह भिमलाल आर्या
देवप्रयाग विनोद कंडारी मंत्री प्रसाद नैथानी
नरेंद्र नगर सुबोध उनियाल हिमांशु बिजलवान
प्रताप नगर विजय सिंह पंवार विक्रम सिंह नेगी
चकराता मधू चौहान प्रितम सिंह
विकास नगर मुत्रा सिंह चौहान नव प्रभात
सहसपुर सहदेव पुंडीर किशोर उपाध्याय
धर्मपुर विनोद सिह चमोली दिनेश अग्रवाल
टिहरी धान सिंह नेगी नरेंद्र चंद्र रमोला
धनौल्टी नारायण सिंह राणा मनमोहन सिंह मल्ल
रायपुर उमेश शर्मा प्रभु लाल बहुगुणा
राजपुर रोड खजान दास राज कुमार
देहरादून कैंट हरबंश कपूर सूर्यकांत धस्माना
मसूरी गणेश जोशी गोदावरी थापली
डोईवाला त्रिवेंद्र सिंह रावत हीरा सिंह बिष्ठ
ऋषिकेश प्रेमचंद्र अग्रवाल राजपाल खरोला
हरिद्वार मदन कौशिक ब्रह्म स्वरुप ब्रहामाचारी
बीएचईएल रानीपुर आदेश चौहान अम्बरीश कुमार
ज्वालापुर सुरेश राठौड़ शीश पाल सिंह
भगवानपुर सुबोध राकेश ममता राकेश
झबरेरा देशराज कर्णवाल राजपाल सिंह
पिरंकलियार जय भगवान शैली फुरकान अहमद
रुड़की प्रदीप बत्रा सुरेश चंद जैन
खानपुर कुवंर प्रणब सिंह चौधरी यशवीर सिंह
मैंगलोर ऋषिपाल बलियां काजी मोहम्मद निजामुद्दीन
लक्सर संजय गुप्ता हाजी तस्लीम अहमद
हरिद्वार देहात स्वामी यतिश्वरानंद हरीश रावत
यमकेश्वर रितु खंडूड़ी भूषण शैलेंद्र सिंह रावत
पौड़ी मुकेश कोली नवल किशोर
श्रीनगर धान सिंह रावत गणेश गोदियाल
चौबटाखाल सतपाल महाराज राजपाल सिंह बिष्ठ
लैंड्सडाउन दिलीप सिंह रावत जनरल टी पी एस रावत
कोटद्वार हरक सिंह रावत सुरेंद्र संह नेगी
धारचूला विरेंद्र सिंह हरीश धामी
डीडीहाट बिशन सिंह चुफाल प्रदीप सिंह पाल
पिथौरागढ़ प्रकाश पंत मायूख सिंह मेहर
गंगोलीहाट मीना गंगोला नारायण राम आर्या
कपकोट बलवंत सिंह भोरियाल ललित फर्सवान
बागेश्वर चंदन राम दास बाल किशन
द्वाराहाट महेश नेगी मदन सिंह बिष्ठ
सल्ट सुरेंद्र सिंह जीना गंगा पचौली
रानीखेत अजय भट्ट करन महारा
सोमेश्वर रेखा आर्या राजेंद्र बाराकोटी
अल्मोड़ा रघुनाथ सिंह चौहान मनोज तिवारी
जागेश्वर सुभाष पांडे गोविंद सिंह कुंजवाल
चंपावत कैलाश गहतोरी हेमेश खड़कवाल
लोहाघाट पूरण फर्टियाल कुशाल सिंह अधिकारी
लालकुआं नवीन धुमका हरीश चंद्र दुर्गापाल
भीमताल गोविंद सिंह बिष्ठ दान सिंह भंडारी
नैनीताल संजीव आर्या सरिता आर्या
कालाधूंगी बंसीधर भगत प्रकाश जोशी
रामनगर दिवान सिंह बिष्ठ रंजीत रावत
जसपुर डा.शैलेंद्र मोहन सिंघल आदेश चौहान
काशीपुर हरभजन सिंह छीमा मनोज जोशी
बाजपुर यशपाल आर्या सुनीता बाजवा
गदरपुर अरविंद पांडे राजेंद्र सिंह
रुद्रपुर राजकुमार ठकराल तिलक राज बहर
किच्छा राजेश शुक्ला हरीश रावत
सितारगंज सौरभ बहुगुणा मालती बिश्वास
नानकमात्ता प्रेम सिंह राणा गोपाल सिंह राणा
खटीमा पुष्कर सिंह धामी भुवन चंद्र कपरी

 

मसूरी में जंग के लिए तैयार जोशी और थापली

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उत्तराखंड की महिलाओं ने बहुत सारे आन्दोलनों में भाग लिया है, चाहे वो शराब रोको आन्दोलन हो,चिपको आन्दोलन हो या फिर अलग राष्ट्र बनाने के लिए आंदोलन हो।लेकिन खास बात यह है कि राष्ट्रीय पार्टियां जैसे कि भाजपा और कांग्रेस मातृ शक्ति को तब भूल गए जब टिकट देने की बारी आई और औरतों को चुनावी जंग में उतारने की बारी आई।

मसूरी की राजनीति वैसी ही घुमावदार है जैसे कि पहाड़ी पर पहुंचने के रास्ते,गोल और घुमावदार।मसूरी की सीट कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए आकांक्षित सीट है।ताज्जुब की बात तो यह है कि कांग्रेस की आठ सीटों में से मसूरी की सीट पर हैं गोदावरी थापली,कांग्रेस की उम्मीदवार जिन्होंने 2012 में इसी सीट पर टिकट लेने से इन्कार कर दिया था।

थापली को कांग्रेस से टिकट मिलने के साथ ही ऐसा लगता है मानो उन्होंने सीनीयर कांग्रेस नेता और मसूरी सीट से दो बार चुने गए विधायक जोत सिंह गुंसोला से अपने पिछले मनमुटाव को भी भुला दिया है।इस बात से आश्चर्य नहीं होगा कि इस साल की शुरुआत में गुंसोला और थापली ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि टिकट चाहे जिसको भी मिले वो एक दूसरे का साथ भी देंगे और समर्थन भी करेंगे।एक दूसरे का साथ देने की घोषणा के साथ मंगलवार को थापली के नामांकन में गुंसोला का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।इन दोनों ने कहा कि वर्तमान में बीजेपी विधायक गणेश जोशी मसूरी क्षेत्र में विकास करने में नाकामयाब रहे हैं।

हालांकि बहुत से लोग जोशी को शक्तिमान विवाद पर राष्ट्रीय हेडलाइन बनाने के लिए याद रखेंगे लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि वो पहाड़ी क्षेत्र में लोगों की पहली पसंद हैं जो कभी कांग्रेस के लिए एक सुरक्षित वोट माना जाता था।

जोशी की यूएसपी यह है कि उनकी युवा लोगों पर अच्छी पकड़ है,इसके साथ ही महिलाओं के भी जोशी पसंदीदा विधायक है और सबसे महत्वपूर्ण उनका कम आय वाली शादियों में उपस्थित होना।कुछ महीनों पहले मुलिंगर में जोशी के भावुक भाषण ने वहां मौजूद बहुत से लोगों की आंखों में आंसू ला दिये थे,वो शायद ही किसी की मदद करने से पीछे हटे हो।

उनका रक्षाबंधन के दिन शहर में वार्षिक उत्सव मनाना भी कहीं ना कहीं महिलाओं के वोट को उनकी तरफ खींचता है।रक्षाबंधन के दिन बड़ी संख्या में औरतें अपनी अपनी राखियां गणेश जोशी को देने पहुंचती हैं और (अगर वो उस दिन शहर में मौजूद नहीं रहते तो सारी ऱाखियां एक बड़े टब में इकठ्ठा कर दी जाती हैं) सभी बहनों को चाय नाश्ते के साथ ही विधायक भाई की तरफ से उपहार भी दिया जाता है,जिसमें 2015 में बहनों को गुलाबी छाता दिया गया और 2016 में घड़ी।

देखने की बात तो यह होगी कि यह समय जोशी के लिए अच्छा साबित होता है या फिर बदलाव की दरकार करता है,बहुत जल्दी इस बात का फैसला भी हो जाएगा।

2012 के वोटः

गणेश जोशीः 28,097 बीजेपी

जोत सिंह गुंसोलाः 18,321 कांग्रेस

गोदावरी थापलीः 9248 आईएनडीपी